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मक्खियों के तरह दिल के अरमां भिनभिनायें
जो भी देख लें मिठाई उस ओर बढ़ जायें
बंदरों की तरह डाल डाल छलांग लगाये
पकड़े टहनियां जिंदगी के गीत गायें
अरमां अरमां दिल के अरमां
बना दें जमीन को आसमां
अरमां-अरमां दिल के अरमां
प्यारा-प्यारा कर दें समां
कभी इसको पाने का, कभी उसको पाने का
अरमां नाम है जिंदगी सजाने का
परबत हिलाने का,दरिया सुखाने का
अरमां नाम है जिंदगी सजाने का
तितलियों के जैसे फूलों से पराग चुराये
अपने पंखों को करके ऊपर नीचे हवा महकाये
बस्ती की मटरगश्ती, ऊँची है अपनी हस्ती
है ख्वाहिश ऊँते ऊँचे ईमारतों की
है इस मुहल्ला को छोड़ना, इन सबसे नाता तोड़ना
पूरी फौज है अपने पास अरमानों की
पंछियों की तरह आकाश को लें उड़ जायें
अपने हौसलों से गगन को धरती बनायें।
– राजकुमार यादव (Raj Kumar Yadav)
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3 Comments
wah kya baat hai…bahut badhiya
sir apka post bahut badhiya laga . dhanywad.
bahut badhiyan kabit hai