अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। दुर्भाग्यवश कल्पना चावला कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारी गई थी।
लेकिन कल्पना चावला ने ना सिर्फ अंतरिक्ष के क्षेत्र में नाम कमाया है बल्कि भारत की कई अन्य लड़कियों को भी अपने सपने जीने के लिए प्रेरित किया है। कल्पना चावला हमेशा कहा करती थी कि “मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं!” उनके शब्द आज भी सपने देखने वाले युवा और युवतियों को प्रेरित करते हैं।
कल्पना चावला के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने के लिए उनकी बायोग्राफी को जरूर पढ़ें।
कल्पना चावला जीवनी
कल्पना चावला नासा एजेंसी की तरफ से अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली पहली भारतीय महिला थी। वैसे तो इनका जन्म इंडिया में ही हुआ था, परंतु बाद में अमेरिकी नागरिक से शादी करने के बाद इन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गई।
अपने पहले मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद जब दूसरे मिशन को पूरा करके यह वापस पृथ्वी पर लौट रही थी, तभी इनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में इनके साथ अन्य देशों के तकरीबन 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
कल्पना चावला व्यक्तिगत परिचय
नाम | कल्पना चावला |
जन्म | 1 जुलाई 1962 |
मृत्यु | 1 फरवरी 2003 |
जन्म स्थान | करनाल |
पेशा | इंजिनियर, टेक्नोलॉजिस्ट |
लम्बाई | 5’7” |
बालों का रंग | काला |
आँखों का रंग | काला |
पिता का नाम | बनारसी लाल चावला |
माता का नाम | संज्योथी चावला |
पति का नाम | जीन पिएरे हैरिसन |
प्राथमिक शिक्षा | करनाल से |
बीएससी | पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज |
एम.एस | टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग |
पीएचडी | एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में |
पहली अन्तरिक्ष की यात्रा | 1996 में STS-87 |
दूसरी और अंतिम अन्तरिक्ष यात्रा | 2003 में STS-107 फ्लाइट |
मौत का कारण | स्पेस शटल का टूटना |
अवार्ड्स | कांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर, नासा अन्तरिक्ष उडान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक |
कल्पना चावला का प्रारंभिक जीवन
कल्पना चावला का जन्म इंडिया में ही हुआ था। हालांकि उन्होंने अंतरिक्ष में जाने का अपना सपना अमेरिका की नासा एजेंसी से पूरा किया। कल्पना चावला का जन्म साल 1962 में भारत देश के हरियाणा राज्य के करनाल जिले में 17 मार्च को हुआ था।
कल्पना चावला हिंदू धर्म से तालुकात रखती थी।
कल्पना चावला की शिक्षा
कल्पना चावला बचपन से ही पढ़ाई में अत्यंत होशियार थी। उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई वर्ष 1982 में पूर्ण की थी।
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद कल्पना चावला मास्टर्स की स्टडी करने के लिए अमेरिका के टेक्सास शहर चली गई।
वहां जाने के बाद साल 1984 में कल्पना चावला ने टैक्सास यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के MSC के कोर्स में एडमिशन प्राप्त किया और सफलतापूर्वक इस कोर्स को कंप्लीट किया। इस कोर्स को कंप्लीट करने के बाद कल्पना चावला ने कोलोराडो यूनिवर्सिटी से साल 1988 में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की।
कल्पना चावला का विवाह
जब कल्पना चावला अमेरिका में स्टडी करने के लिए गई थी, तभी उनकी मुलाकात अमेरिकी नागरिक जीन पियरे हरिसन से हुई और बाद में उनसे प्रेम प्रसंग के चलते कल्पना चावला ने उनसे विवाह कर लिया। जीन-पियरे हैरिसन से विवाह करने के बाद कल्पना की कोई संतान नहीं हुई थी।
लेकिन विमान दुर्घटना में साल 2003 में कल्पना चावला की मृत्यु हो गई तो उसके बाद इनके पति ने दूसरी शादी कर ली, जिनसे उनका एक बेटा है, जो वर्तमान में एक मार्केटिंग कंपनी को चलाता है।
कल्पना चावला का परिवार
कल्पना चावला का जन्म वर्ष 1962 में हरियाणा राज्य के करनाल जिले में रहने वाले बनारसी लाल चावला परिवार में हुआ था।
कल्पना चावला के माता पिता की कुल 4 संतान थी, जिनमें इनकी दो बहने भी थी। इसके अलावा इनका एक भाई भी था जिसका नाम संजय है।
जब कल्पना चावला अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए गई थी, तब वहीं पर उनकी मुलाकात जीन पियरे हरिसन से हुई थी और कल्पना चावला ने अमेरिका में ही जीन पियरे हरिसन से शादी करने का फैसला किया, जिसके बाद उन्होंने एक निश्चित दिन जीन पियरे हरिसन से विवाह रचाया और इनके साथ शादी करने के बाद ही कल्पना चावला को तुरंत ही अमेरिका की सिटीजनशिप यानी की नागरिकता प्राप्त हो गई।
इस प्रकार कल्पना चावला अमेरिका की परमानेंट नागरिक बन गई।
कल्पना चावला का कैरियर
अपनी डॉक्टरेट की स्टडी को पूरा करने के बाद साल 1988 में कल्पना चावला ने नासा एम्स रिसर्च सेंटर में वर्क करना स्टार्ट कर दिया। नासा एम्स रिसर्च सेंटर में कल्पना चावला का काम एयरक्राफ्ट के आसपास मौजूद हवा के प्रवाह को देखना था।
साल 1993 में कल्पना चावला ने रिसर्च साइंटिस्ट के तौर पर कैलिफोर्निया में जॉइनिंग की, जहां पर उन्हें एक टीम का लीडर बनाया गया। उस टीम का मुख्य काम मूविंग मल्टीपल बॉडी प्रॉब्लम के इंस्ट्रक्शन को देखना था।
कल्पना चावला का सिलेक्शन साल 1994 में नासा में हो गया। इसके बाद कल्पना चावला ने जॉनसन स्पेस सेंटर में 15 लोगों के ग्रुप में एक एस्ट्रोनेट के तौर पर जॉइनिंग की। कल्पना चावला ने विभिन्न प्रकार के रिसर्च पेपर भी लिखे थे़, जिन्हें कई जगह पर पब्लिश किया गया है।
कल्पना चावला का मिशन
अमेरिका की नासा एजेंसी की तरफ से साल 1994 में कल्पना चावला को Space ट्रैवल कोर में शामिल किया गया और उन्हें अंतरिक्ष में भेजे जाने के लिए नासा की तरफ से जानकारी दी।
इसके बाद अन्य लोगों के साथ कल्पना चावला ने अपने पहले मिशन में टोटल 1.04 करोड़ मील की यात्रा की, जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष में टोटल 360 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमा पूरी की। कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा सक्सेसफुल रही।
अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद कल्पना चावला को स्पेस स्टेशन पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद साल 2000 में फिर से कल्पना चावला को अंतरिक्ष में जाने के लिए नासा एजेंसी की तरफ से बुलाया गया।
जिसे कल्पना चावला ने स्वीकार किया। इस प्रकार एक बार फिर से वह अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार हुई। कल्पना चावला को साल 2003 में माइक्रोग्राइटी के प्रयोग को करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके लिए उन्होंने साल 2003 में कोलंबिया पर चढ़ाई करके STS-107 मिशन की स्टार्टिंग की थी।
कोलंबिया STS107 में स्पेस ट्रैवल करने वाले 7 मेंबर
कमांडर रिक डी. हस्बैंड (Rick Husband), पायलट विलियम सी मैकूल (William C. McCool), लौरेल क्लार्क (Laurel Clark), कल्पना चावला – (Kalpana Chawla),कमांडर माइकल पी एंडरसन (Michael P. Anderson), इलान रामों (Ilan Ramon), डेविड एम ब्राउन (David M. Brown)
कल्पना चावला की मृत्यु
नासा की तरफ से अंतरिक्ष में भेजे जाने वाली कल्पना चावला को भारत की पहली अंतरिक्ष महिला यात्री का खिताब भी प्राप्त हुआ था जब उन्होंने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा पूरी की तो इन्हें काफी ज्यादा खुशी महसूस हुई थी परंतु उन्हें क्या पता था कि इनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा इनकी जिंदगी की आखिरी अंतरिक्ष यात्रा बन जाएगी।
अपनी 16 दिन के स्पेस ट्रैवल को पूरा करने के बाद कल्पना चावला का अमेरिकी अंतरिक्ष यान साल 2003 में 1 फरवरी को कोलंबिया में धरती से तकरीबन 63 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी के वायुमंडल में एंट्री करते ही टूट गया और इस हादसे में कल्पना चावला सहित उनके साथ अंतरिक्ष से लौट रहे 7 यात्रियों की दुखद मृत्यु हो गई।
जब यह खबर नासा को पता चली तो नासा एजेंसी के लोगों को काफी ज्यादा दुख हुआ। इसके साथ ही जिन लोगों की मृत्यु इस हादसे में हुई थी, उनके परिवार वालों को भी काफी ज्यादा दुख महसूस हुआ।
जिस समय कल्पना चावला का यान एक्सीडेंट का शिकार हुआ, उस टाइम उनके यान की स्पीड 20,000 किलोमीटर प्रति घंटे की थी।यान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद यान के कई हिस्से अमेरिका शहर के टैक्सास सिटी में भी गिरे थे।
कल्पना चावला की उपलब्धियां
हमारे देश का गौरव कल्पना चावला को कहा जाता है। इसके अलावा कल्पना चावला ऐसी लड़कियों के लिए भी एक आदर्श और उदाहरण बनकर प्रस्तुत हुई, जो जिंदगी में कुछ करना चाहती है या फिर अंतरिक्ष में जाने की इच्छा रखती हैं।
कल्पना चावला अंतरिक्ष में ट्रेवल करने वाली पहली भारतीय महिला थी। कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में टोटल 372 घंटे की यात्रा की थी। कल्पना चावला ने अपनी जिंदगी में जो उपलब्धियां हासिल की थी, वह हमारे देश के अलावा विदेशों में भी कई महिलाओं को प्रेरणा प्रदान करती हैं। वर्तमान में कल्पना चावला के नाम कई एजूकेशनल और रिसर्च इंस्टीट्यूट मौजूद है।
कल्पना चावला को प्राप्त सम्मान और पुरस्कार
कल्पना चावला को कुल तीन प्रकार के सम्मान अथवा पुरस्कार प्राप्त हुए थे, जिनके नाम निम्नानुसार हैं।
- कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान
- नासा अन्तरिक्ष उड़ान पदक
- नासा विशिष्ट सेवा पदक