निंदा (Condemnation) या आलोचना / Criticism मानव स्वभाव में तबसे पनप रही है जबसे उसने इस संसार में अपना पहला कदम रखा था। संसार में मानव की उत्पत्ति एवं विकास के बाद समाज का निर्माण अमल में आया और मानव…
Author: Junaid Arslan
पूरा पढ़े
इंसान गलती और गुनाह का पुतला है। अपने ज़िन्दगी के हर मोड़ पर वह गलतियां करता है। वास्तव में ईश्वर ने इंसान को गलती की प्रवृत्ति और फितरत पर पैदा किया है। इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि…
ज़िन्दगी में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके कर्ज़ को आप चाहें जो कर लें कभी चुका नहीं सकते। जब भी ऐसे एहसान करने वाले लोगों की बात आए तो हमें अपने पिता (Father) का सबसे पहले ज़िक्र करना…
गरीबी (Poverty) और बेरोजगारी (unemployment) को समाज का एक ऐसा अभिशाप समझा जाता है जिसके कारण जिंदगी गुजारने के बीच जहां ढेरों मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं, वहीं यह बहुत से लोगों का बचपन तक छीन लेती है। इन दिनों…