अमन और अमृता की शादी को लगभग 3 साल हो चुके हैं लेकिन उनके घर में किसी भी प्रकार की खुशी ने दस्तक ही नही दिया था। ऐसी स्थिति में लोगों का बार-बार सवाल करना आम बात हो चुकी थी।
अमृता को तो बचपन से ही शादी करने का शौक था और वह अपनी मां से कहा करती थी कि बड़ी होकर एक अच्छी मां बनेगी हालांकि उसकी यह ख्वाहिश आज तक पूरी नहीं हो सकी और जिसका उसे बहुत बेसब्री से इंतजार था।
शादी के कुछ दिन तक दोनों पति-पत्नी शहर से दूर रहते थे जहां वे अपने हिसाब से अपनी जिंदगी जी रहे थे और बहुत ज्यादा खुश थे लेकिन अमन की नौकरी चले जाने की वजह से उसे वापस अपने Home town आना पड़ा और अपने परिवार के साथ रहना पड़ा, जहां पर उसके माता-पिता, छोटा भाई और एक बहन थी।
देखते देखते समय आगे बढ़ा और अमन की बहन की शादी हो गई और अपने घर चली गई। वैसे तो अमृता की सास स्वभाव की अच्छी थी और उन्होंने हमेशा अमृता का साथ दिया और कभी किसी ने भी अगर अमृता के लिए कुछ कड़वाहट घोली हो, तो उन्होंने अमृता का ही साथ दिया था।
एक बार की बात है जब पड़ोस में रहने वाली श्यामा चाची उनके घर में बैठने आई और जब अमृता उनके लिए गरमा गरम पकोड़े लेकर आई तब श्यामा चाची की मुंह से निकल पड़ा —”अरे बहू अब हमें इस आंगन में किलकारी की आवाज सुननी है जानते हो तुम्हारी शादी के बाद ही मनोरमा के बेटे की शादी हुई लेकिन आज उनके घर में खुशियां दिखाई देती हैं क्योंकि उनके यहां जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया।”
इस बात के बाद अमृता की चेहरे से हंसी गायब हो जाती है और वह अपने आंसुओं को छुपाते हुए वहां से निकल जाती है। हालांकि अमृता की सास ने सारी बात संभाली और उन्होंने अमृता से कुछ भी नहीं कहा।
अमृता चुपचाप अपना सारा काम निपटाती और खाली समय में वह कई सारी बातों को सोचने लगती जिसकी वजह से कभी कभी उसकी तबीयत खराब होने लगती जिस पर अमन ने अमृता से कहा था कि “मैं तुम्हें उदास नहीं देख सकता और तुम्हें छुट्टियों में कहीं बाहर घुमाने ले जाना चाहता हूं ताकि तुम्हारा दिमाग फ्रेश हो और तुम नए सिरे से शुरुआत कर सको।”
अमृता को एक ही बात का सहारा था कि चाहे कुछ भी हो जाए उसका पति हमेशा उसका साथ देगा क्योंकि अमन उसे बहुत अच्छे से समझता था और उसकी हर परेशानियों को दूर करने की कोशिश करता था।
अमृता और अमन की शादी को लगभग 9 साल हो गए थे और अभी भी उन्हें माता-पिता बनने का सुख नहीं मिला था। बहुत ही जल्द अमन के छोटे भाई नितिन की भी शादी हो गई और 1 साल के बाद ही उनके यहाँ एक प्यारे से बेटे का जन्म हुआ।
अब वह बेटा पूरे घर की जान हो गया था क्योंकि अमृता अमन के बच्चा ना होने पर उसके छोटे भाई से मिली खुशी से सभी बहुत खुश थे और अब अमृता और अमन की बजाय सभी घरवाले छोटे भाई नितिन की ही पूछ परख करने लगते हैं।
1 दिन की बात है जब घर के सभी सदस्य अपने कामों में लीन थे, उसी समय नितिन का बच्चा जोरो जोरो से रोने लगा और उसी समय अमृता वहां से गुजर रही थी और उसने उस बच्चे को गोद में उठा लिया। तभी अचानक से आवाज सुनाई दी थी जो उसकी देवरानी की थी और उसने कहा “भाभी मेरे बच्चे के पास उसकी मां है। आप क्यों बार-बार मेरे बच्चे के पास आकर अपना हक जताना चाहती हैं?”
यह बात अमृता को बिल्कुल नहीं अच्छी लगी और उसने चुपचाप बच्चे को देवरानी को देकर अपने कमरे में आ गई।
ऐसे ही जब भी आप पड़ोस के लोग उसके घर आते तो हमेशा अमृता को ताना मारते कि तुमसे पहले ही तुम्हारी देवरानी का बच्चा हो गया लेकिन तुम तो कुछ सोचती ही नहीं हो। अमन इस बात को समझ चुका था कि अमृता इन सारी बातों से बहुत दुखी हो रही थी और जो सास पहले अमृता का साथ दिया करती थी अब वह भी बच्चे के मोह में अमृता को उसके पास नहीं जाने देती थी और अब अमृता को वे ज्यादा पसंद नहीं करती थी।
जब देवर के बच्चे का पहला जन्म दिन आता है उस समय अमृता ने भी कई सारी डिश बनाने के बारे में सोचा और उसने पूरा सहयोग भी दिया लेकिन फिर भी सास और देवरानी उससे ना ही बात करती और ना ही उससे अपने दिल की बात बताती।
अमृता को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिन लोगों के भरोसे वो इस घर में है उन लोगों ने ही उसका भरोसा तोड़ दिया। अब तो अमृता की तबीयत और भी ज्यादा खराब होने लगी क्योंकि वह हर बात को बहुत सोचने लगी थी और इस वजह से उसका बीपी काफी डाउन हो चुका था।
एक दिन अमृता अचानक किचन में काम कर रही थी और उसी समय चक्कर आने की वजह से वह बेहोश हो जाती है जब डॉक्टर को बुलाया जाता है तब पता चलता है कि उसकी तबीयत इतनी खराब हुई है क्योंकि उसका बीपी काफी ज्यादा कम हो चुका है और इस वजह से उसे हॉस्पिटल में भी एडमिट करना पड़ सकता है।
अमृता को बार-बार एक ही बात खाए जा रही थी कि शादी के 2 साल बाद भी वह मां नहीं बन सकी और ऐसा भी नहीं था उसने डॉक्टरों से सलाह मशवरा नहीं किया हो। शहर में आने वाले हर डॉक्टर के से सलाह मशवरा कर चुकी थी लेकिन कोई भी फायदा नहीं हो रहा था।
अमन ने उसकी तबियत देखते हुए अमृता को 1 महीने के लिए मायके भेज दिया ताकि वह अपनी तबीयत को ठीक कर सके। एक दिन वह अपने मायके वाले घर में बैठकर टीवी देख रही थी कि उसी समय पड़ोस की श्यामा चाची उसके घर पहुंच गई और उससे कहने लगी “तुम्हारे बारे में सोच कर मुझे बहुत बुरा लगता है। तुम्हारी और अमन की जोड़ी बहुत अच्छी थी और मुझे तुम लोग बहुत अच्छे लगते थे लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। “
अमृता ने आश्चर्य से चाची की ओर देखा तब उसे पता चला कि घर वाले अमन की दूसरी शादी की बात कर रहे हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अमृता अब उन्हें संतान सुख नहीं दे सकती और अब वे लोग नहीं चाहते कि अमृता उनके घर में वापस आए।
अमृता को इस बात पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि आज तक उसने इस घर के लिए काफी कुछ किया था और कभी भी किसी भी घरवाले को दुखी और परेशान नहीं किया था। उसने अपने बहू होने का फर्ज बहुत अच्छे से निभाया था और कभी कोई कमी नहीं रखी थी फिर आज उसकी इस कमी के लिए घर वालों ने ऐसा फैसला कैसे ले लिया क्या अमृता उनकी कोई भी नहीं लगती?
उसके मन में लाखों सवाल चल रहे थे चाची तो अपना काम करके निकल गई थी लेकिन उसके दिमाग में होने वाली हलचल को रोक नहीं सकी थी। कभी अमृता को लगता कि उसे अमन से बात कर लेना चाहिए तो कभी अमृता को उस के नाम से नफरत होने लगी थी क्योंकि जिन लोगों को उसने अपना समझा था आज वही पराए आए नजर आ रहे थे।
जहाँ अमृता 1 महीने के लिए मायके आई थी अब उसे यहां रहते हुए 2 महीने हो गए थे और अमृता के माता-पिता भी अब चिंतित नजर आने लगे थे।
अचानक एक दिन अमृता को यह बात पता चलती है कि देवर देवरानी के बेटे को बहुत ही खतरनाक बीमारी ने जकड़ लिया है और इस वजह से उसे ब्लड की आवश्यकता है तब उसे याद आता है कि उसका और देवर देवरानी के बच्चे का ब्लड ग्रुप एक ही है और वह तुरंत हॉस्पिटल पहुंचकर अपना फर्ज अदा करती है और उस बच्चे को अपना खून देती है।
यह देखकर देवर देवरानी की आंखों में पानी आ जाता है और दोनों हाथ जोड़कर अमृता के सामने बैठ जाते हैं। अमृता उन्हें उठाते हुए कहती है ”भले ही आप लोगों ने मुझे पराया कर दिया हो लेकिन मैं उस मासूम से बच्चे से कैसे अपनी दुश्मनी मोल ले सकती हूं? उसके आने के बाद ही मैंने अपने अंदर की ममता को देखा भले ही वह मेरा नहीं था लेकिन उसकी एक हंसी से मैं अपने सारे गम भुला चुकी थी तब मुझे एहसास हुआ कि मैं भी एक अच्छी मां बन सकती हूं। “
अमृता के मन में अमन के लिए जो गांठ बनी हुई थी वह खुल नहीं पाई थी क्योंकि चाची ने पूरी बात तो बताई ही नहीं थी।
जब अमृता के पास अमन बात करने के लिए गया तब उसे धक्का देते हुए रोने लगी और कहने लगी “तुमने मुझे पराया कर दिया अगर तुम्हें दूसरी शादी करनी थी तो तुम मुझसे बात करते लेकिन मुझे पड़ोसियों से पता चलता है कि तुम्हारे दिल में क्या चल रहा है?”
इस बात पर अमन बड़े प्यार से अमृता को कहता है कि “तुम्हारे होते मैं कभी भी दूसरी शादी नहीं करूंगा और मैं तुम्हारे लिए एक सरप्राइज लेकर आया हूं और उसी वक्त एक छोटे से बच्चे को लाकर अमृता के गोद में डाल देता है जिसे देखकर वह रोने लगती है।
अब उसे पता चल जाता है कि आखिर सच्चाई कुछ और ही है अमन इतने दिनों से जरूरी कार्यवाही में लगा हुआ था क्योंकि वह एक बच्चा गोद लेकर अमृता के गोद को सुना नहीं रखना चाहता था बल्कि उसे संतान सुख देकर हर खुशी दे देना चाहता था।
अमृता को इस बात का अफसोस होता है कि उसने क्यों एक बार अमन से बात नहीं की और वह मन में गांठ बनाकर बैठ गई। अब सास भी अपनी गलती स्वीकार करती है और उस प्यारे से बच्चे को अपना नाम देती है तब अमन ने बड़े ही प्यार से अमृता के कंधे में हाथ रखकर कहा “अरे पगली पति पत्नी का रिश्ता छोटा तो नहीं होता कि किसी पड़ोसी के कुछ कह देने से ही टूट जाएगा। मैं जानता हूं तुम बहुत परेशान थी और तुम्हारा विश्वास भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा था। ऐसे में घर वालों का किया गया व्यवहार भी तुम्हारे लिए बिल्कुल सही नहीं था इसलिए मैंने तुम्हें मायके भेजा था। “
आज अमृता और अमन के बच्चे का पहला जन्मदिन है जिसमें उन्होंने लगभग पूरे शहर को बुलाया था और उस पड़ोस वाली श्यामा चाची को तो अमृता खासतौर से आमंत्रण देने उनके घर पहुंची थी।
अमृता के जीवन में जो भी कमी थी वह उसके पति की वजह से पूरी हो पाई थी और आज वह अपने आप को दुनिया के सबसे खुशनसीब औरतों में से एक समझ रही थी।
दरअसल देखा जाए तो यह बिल्कुल सही है, एक औरत की जीत उसी समय होती है जब उसका हमसफर उसके साथ हो। ऐसे में हमेशा पति पत्नी के बीच होने वाले मतभेद को ठीक करने के लिए किसी और की नहीं बल्कि स्वयं पति-पत्नी की आवश्यकता होती है ताकि अपने जीवन का निर्णय ले सके और तीसरे को बीच में आने से रोक सकें।
किसी भी परेशानी या दुख के समय में पत्नी हमेशा अपने पति की ओर देखती है ऐसे मैं पति का कर्तव्य बनता है कि वह अपने पत्नी का साथ दें और उसे हमेशा खुश रखे।