Moral Story In Hindi, शिक्षाप्रद हिन्दी कहानी, अपनी अपनी बात
आप और आपकी बात हमेशा सही हो, ऐसा जरुरी नहीं हैं दोस्तों, कई बार हमें जो दिखता हैं वो वैसा हैं और वैसा होता हैं यह बात सत्य हो सकती हैं, लेकिन दूसरा जो कहता हैं वह हमेशा गलत हो, ऐसा नहीं हैं, दुसरे की बात को हमेशा गलत नहीं माने, बल्कि एक बार उसकी बात पर भी गौर करें और उसके दृष्टिकोण से भी बात को समझने और जानने की कोशिश करें, उसके तरह सोचें और जाने, क्या पता उसकी बात भी सही हो।
ऐसा बिलकुल न करें कि सामने वाली की बात को गलत मानकर कोई फैसला ले ले और बाद में आपको उसी बात के लिए पछताना पड़े। आइये इसी बात को एक बहुत ही अच्छी कहानी के माध्यम से समझते हैं, आशा हैं आपको यह हिन्दी कहानी (Hindi Story) बहुत पसंद आएगी।
शिक्षाप्रद हिन्दी कहानी : अपनी अपनी बात
एक जंगल में एक बहुत पुराना बरगद का पेड़ था। उसकी घनी छाया में विश्राम करने के ध्यान से एक घुड़सवार वहां रुका। घुड़सवार सेना का कोई सरदार लगता था। घोड़े से उतरते समय ही उसकी निगाह पेड़ की एक शाखा के साथ बंधी एक ढाल पर जा पड़ी, जो कि बहुत ही ख़ूबसूरत दिखाई पड़ती थी। ढाल की खूबसूरती ने सरदार को बहुत प्रभावित किया। उसकी निगाहें ढाल से उठना ही न चाह रही थी।
वह आप ही आप बोल उठा , “वाह , कितनी सुन्दर ढाल है। और रंग भी कितना प्यारा है, खून सा सुर्ख लाल।”
उसी समय विपरीत दिशा से एक अन्य सैनिक सरदार भी वहां पहुंचा। जब उसने पहले घुड़सवार को टिकटिकी लगाये ऊपर की और देखते पाया, तो उसकी निगाहें भी ऊपर की ओर चली गई और जैसा की ढाल की खूबसूरती के कारण होना था वैसा ही हुआ, ढाल की खूबसूरती ने उसे भी बांध लिया।
मगर ढाल का रंग लाल नहीं, हरा था। इसीलिए उसने पहले वाले सैनिक सरदार से कहा , “महाशय, ढाल को वाकई बड़ी ही ख़ूबसूरत हैं परन्तु इसका रंग तो हरा है, लाल नहीं जैसा की आप कह रहे हो।”
दुसरे सैनिक सरदार की यह बात सुनकर पहले सरदार ने क्रोधित हो कर कहा, “ मैं तुम्हारी तरह बेवकूफ नहीं की हरे और लाल रंग में भी फर्क न कर सकू? ढाल का रंग लाल है, हरा नहीं।”
पहले सरदार को इससे और भी अधिक क्रोध आया और उसने कहा, “यह मुर्ख प्राणी कहाँ से आया हैं जो हरे रंग को लाल बताकर मुझसे बहस कर रहा हैं”
बस इसी बात पर दोनों की अनबन हो गई और दोनों अपनी अपनी बात पर अड़े रहे। कहासुनी के बाद नौबत लड़ाई तक आ गई। दोनों ने तलवारें खींच ली और एक दुसरे पर वार करने लगे। और संयोग ऐसा हुआ कि एक ही समय दोनों को एक दुसरे की तलवार लगी और दोनों घायल होकर जमीन पर गिर पड़े।
परन्तु गिरने के साथ ही दोनों की स्थिति बदल गई। पहला सरदार वहां जा गिरा, जहाँ से खड़े होकर दुसरे सरदार ने ढाल को देखा था और दूसरा सरदार वहां पर गिरा, जहाँ शुरू-शुरू में पहला सरदार आकर रुका था।
दोनों ने एक बार फिर नजरें उठा कर ढाल की ओर देखा। और यह क्या, दोनों ढाल के और देखते ही हैरान रह गए, दोनों ही सैनिक अपने स्थान पर सही थे। वास्तव में ढाल एक और से लाल रंग की तथा दूसरी और से हरे रंग की थी। दोनों को अब पश्चाताप हुआ। मगर अब क्या हो सकता था? देखते ही देखते दोनों के प्राण पंखेरू उड़ गए।
Moral Of the Story : हमें अपनी बात पर अड़ने से पहले प्रत्येक बात को दुसरे कोण से भी देखने और समझने का प्रयास करना चाहिए। आधी से ज्यादा समस्याएं स्वयं ही हल हुई मिलेगी।
मेरा नाम रवि पारवानी है। मैं Hindinx नाम का ब्लॉग चलाता हूँ। AchhiBaatein.Com पर ये मेरी पहेली Guest Post है। आशा करता हूँ, मेरी लिखी यह पोस्ट आप सभी को पसंद आएगी। मेरे ब्लॉग में आपको motivational और हर तरह के आर्टिकल पढ़ने को मिलेंगे।
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Ravi Parwani, Godhra,Gujarat Email : hindinx@gmail.com |
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