Famous Poem in Hindi By Rajkumar Yadav
दुश्मन ने करी चढ़ाई है मातृभूमि पे विपदा आई है
दुश्मन ने करी चढ़ाई है
मातृभूमि पे विपदा आई है,
कौरवों ने औकात दिखाई है,
हे अर्जून तु गांडिव उठा,
देश को बचाने की बारी आई है
दुश्मन मार भगाने की बारी आई है
अन्यायियों और दुष्टों ने सर उठा है,
सत्य का पताका फहराने की बारी आई है।
तू किस सोच में डूबा है,
क्या तुझे खतरे का आभास नहीं?
क्या तुम यह कहना चाहते हो?
तुम एक अंधेरा हो,तेरे पास प्रकाश नहीं,
तु ये युद्ध अवश्य जीतेगा
तु खुद पे भरोसा कर,क्या मुझ पे विश्वास नहीं?
हे अर्जुन तु गांडिव उठा!
इस समय युद्ध करना, समय की यही मांग है
युद्ध मे जीतना या मरना,समय की यही मांग है
तेरे अपने भी आज तेरे अपने नहीं
अपनों से युद्ध लड़ना,समय की यही मांग है।
धर्म अधर्म को छोड़ दें,
पाप-पुण्य को भूल के युद्ध का आरंभ कर
सबको धूल चटा दे
द्रौपदी चीर हरण याद कर,मोह करना बंद कर
मुझ में सब समाहित जान
मरे हुए को मार कर इस चक्र का अंत कर.
हे अर्जुन तु गांडिव उठा,
तु अपना कर्म किये जा फल की चिंता छोड़ दो,
तु वर्तमान को गले लगा कल की चिंता छोड़ दो,
अपना बाजुओं की शक्ति जगा,
दुश्मन बलवान है फिर भी उसके बल की चिंता छोड़ दो।
– राजकुमार यादव
शब्द शब्द जोड़ के एक पंक्ति बनाएंगे
शब्द शब्द जोड़ के एक
पंक्ति बनाएंगे
पंक्तियों को इकट्ठा कर एक
गीत सजाएंगे
गाएंगे हम आज इक नया
गान गाएंगे।
हौसलों के पंख लगेंगे ऊंची
उड़ान लगाएंगे
आंखों के सपने सच
कर दिखाएंगे।
गाएंगे हम आज इक नया
गान गाएंगे।
नींदों की सिहरानी पे
सपनों के खोल चढ़े,
जितनी भी बेड़ियां थी
बेड़ियों को तोड़ चलें।
गाएंगे हम आज इक नया
गान गाएंगे।
मद्धिम पड़ी जो लौ थी
फिर से धनक उठी,
जंग लगी तलवार भी
देखो,आज चमक उठी।
गाएंगे हम आज इक नया
गान गाएंगे।
मुट्ठियों में हमने हिम्मत
बंद कर रखा है,
आसमान के सीना पे
अपना नाम लिखा है।
गाएंगे हम आज इक नया
गान गाएंगे।
– राजकुमार यादव