आत्मसम्मान की कहानी, Self respect story in Hindi
नमस्कार दोस्तों,
यूं तो सपना एक मिडिल क्लास परिवार की लड़की थी, जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहती और लोगों का भरपूर प्यार भी उसे मिलता। अब तक जिंदगी में जितनी भी परेशानियां आई वह बड़ी ही आसानी से आगे की ओर बढ़ती चली जा रही थी। लेकिन उसे क्या पता कि वह एक ऐसे भंवर में फंसने वाली है जहां से निकलना उसके लिए थोड़ा मुश्किल होने वाला है।
Self Respect Hindi Kahani, Best Short Story On Self Respect
धीरे-धीरे उसके जीवन में समय ने करवट बदला और वह अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए बैंकिंग की तैयारी करने लगी और वह दिन भी आया जब उसे खुशखबरी मिली की बैंक में उसका चयन हो गया है और इस बात से मानो वह फूली नहीं समा रही थी।
उसके साथ-साथ उसके माता पिता और छोटी बहन भी बहुत खुश रहते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगा था कि अब उनके जीवन में कोई भी परेशानी नहीं होने वाली है।
लगभग 2 साल तक बैंक में नौकरी करते हुए उसे कई सारे ऐसे रिश्ते आए, जिससे ऐसा महसूस हुआ कि अब उसकी जिंदगी में एक नया पड़ाव आने ही वाला है। उन्हीं सारे रिश्तो में जतिन का रिश्ता सपना के लिए आया जो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। दिखने में ऊंचा लंबा कद काठी का जतिन सभी को सपना के लिए पसंद आ गया था और कहीं ना कहीं सपना को भी जतिन पसंद था।
2 महीने के अंदर ही सपना और जतिन की शादी कर दी गई।
शुरु शुरु में तो जतिन ने सपना को बहुत अच्छे से रखा उसकी हर छोटी बड़ी ख्वाहिशों का पर ध्यान देना शुरू कर दिया। उसने सपना को हसीन सपने दिखाए जिस से सपना को ऐसा लगने लगा कि उसे सपनों का राजकुमार मिला है। एक दिन सपना और जतिन शॉपिंग करने मार्केट जाते हैं, तभी
सपना- अरे अखिल यहां क्या कर रहे हो?
सपना दौड़ कर अपने बचपन के दोस्त अखिल के पास जाती है और यह बात जतिन को बहुत बुरी लगती है। पीछे पीछे जतिन जाता है और गुस्से से सपना को देखते हुए कहता है- किसी अजनबी के लिए तुम इतना परेशान क्यों हो रही हो?
सपना- अरे जतिन यह अजनबी नहीं, यह तो मेरे बचपन का दोस्त है।
अखिल- हां हां मैं इस मोटी के बचपन का दोस्त हूं। अरे, तुम्हें पता है बचपन में मैं इसका पूरा होमवर्क करता था और इसे गुड मिला करता था। [मजाक में हंसते हुए]
जतिन- देखो बचपन की बातें बचपन तक ही रहने दो, और सपना तुम्हें याद नहीं घर में मेहमान आने वाले हैं चलो जल्दी घर।
हाथ पकड़कर जतिन सपना को कार में बैठा देता है, जिसे सपना की चूड़ियां टूट जाती है और उसे दर्द होने लगता है लेकिन इस बात का जतिन को बिल्कुल भी असर नहीं पड़ता और वह घर चले जाता है।
घर पर जाने के बाद जतिन जोर-जोर से सपना की ओर देखकर चिल्लाने लगता है जिससे सपना डर जाती है और अपने कमरे में जाकर रोने लगती हैं। अब तो जतिन का व्यवहार काफी बदल चुका होता है वह ना तो किसी से भी सपना को मिलने देता और ना ही किसी को घर ही आने देता।
सपना के फोन में भी बैलेंस नहीं डलवाता कि वह किसी से बात ना कर सके। जतिन का बदलता हुआ रूप देखकर सपना को और भी डर लगने लगता और वह चाहकर भी अपने घरवालों को इस बारे में नहीं बता पा रही थी।
एक दिन सपना की पड़ोसन सुकन्या उससे मिलने के लिए आती है और जैसे ही वह कॉल बेल बजाने वाली होती है कि सुकन्या को बाहर से ही जतिन के चिल्लाने की आवाज आती है।
सुकन्या खिड़की में आ कर देखती है, तो वह यह देखकर सहम जाती है कि सीधा-साधा दिखने वाला जतिन सपना के ऊपर हाथ उठा रहा है और उसे गंदी गालियां दे रहा है। अब सुकन्या के घर की कॉल बेल बजाती है लेकिन यह कह कर जतिन, सुकन्या को वहां से जाने के लिए कहता है कि सपना अभी सो रही है।
कुछ दिनों के बाद ही जतिन ने सपना की बैंक की नौकरी छूड़वा दी और उसे घर में ही रहने की सलाह दी। अगर सपना कुछ भी कहती तो फिर से जतिन उसके साथ गलत व्यवहार करता। रोज-रोज होने वाले इस झगड़े से वह बहुत परेशान हो चुकी थी और वह अब इस समस्या का हल निकालना चाहती थी।
बैठे-बैठे उसने मन में सोचा कि ना जाने आज तक कितने उतार-चढ़ाव उसने अपने जीवन में देखें लेकिन जिस इंसान से उसे सबसे ज्यादा उम्मीदें थी उसने ही उसे बेगाना कर दिया। बार-बार सपना को अपने माता-पिता की याद आने लगी।
1 दिन बाद दोपहर में बैठी हुई थी तभी उसे खिड़की से अंदर की ओर एक चिट्ठी आते हुए दिखाई देती है और वह दौड़ कर उस कागज को उठाकर पढ़ने लगी जिसमें लिखा हुआ था-
“तुम जैसी समझदार और पढ़ी-लिखी लड़की इस प्रकार से दुखी देखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। तुम एक आत्म सम्मानी लड़की हो तुम्हारे माता-पिता की दी गई शिक्षा क्या तुम इस तरह से बर्बाद कर दोगी? उठो और अपने हक के लिए लड़ो। तुम अकेली नहीं हो। अपना सम्मान करना तुम्हारे अपने हाथों में हैं।”
सपना उस चिट्ठी को आगे पीछे घुमा कर देखने लगी लेकिन उसने उसे किसी का भी नाम नजर नहीं आया लेकिन इसको पढ़ने के बाद उसके अंदर एक अलग ही आत्मविश्वास देखने को मिला। अब वह अपना बैग जमाने लगी, उसी समय वहां जतिन आ जाता है और उससे सवाल जवाब करने लगता है।
सपना की लाल होती आंखों को देख कर जतिन के मन में एक अजीब सा डर सामा गया और सपना ने उसे घूरते हुए कहा-
“अपने सवाल जवाब अपने तक ही सीमित रखो और मुझ से उलझने की कोशिश बिल्कुल मत करो। जीवन में चल रहे तूफान का किनारा अब मैं ही बनूंगी।”
सपना की आत्मविश्वास वाली बातों को सुनकर जतिन को अजीब सा एहसास हुआ लेकिन उसके कुछ कहने से पहले ही सपना अपना बैग उठाकर वहां से चली गई।
सपना वहां से सीधे ही अपने माता-पिता के पास गई और उसकी आंखों में आंसू आ गए। सपना ने अपने माता-पिता को अपने साथ होने वाले सारे दुर्व्यवहार के बारे में बताया, जिस से माता-पिता को भी बहुत दुख होता है और
वे लोग अपनी बेटी का साथ देते हुए कहते हैं कि “उसे वहां से कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है। सपना भी खुश होते हुए कहती है कि – अब वह आजाद महसूस कर रही है और जल्द से जल्द इस रिश्ते को खत्म करके अपने आगे की जिंदगी को सुखी बनाना चाहती है। ”
सपना अपने माता-पिता से कहती है- “मेरे अंदर जो भी आत्मविश्वास आया है वह उस चिट्ठी की बदौलत ही आया है लेकिन मुझे यह समझ नहीं आया कि आखिर वह चिट्ठी मुझे भेजी किसने?” मन में चिंता लिए सपना बैठी हुई थी कि तभी उसे सुकन्या अंदर आते हुए दिखाई देती है और वह हंसते हुए कहती है- “तुम्हारी वह गुमनाम दोस्त और कोई नहीं बल्कि मैं हूं।
मैंने जतिन को देख लिया था कि वह किस तरह से तुम्हें परेशान कर रहा था लेकिन तुम कुछ कर नहीं पा रही और इसी वजह से मैंने तुम्हारा अदृश्य रूप से साथ देने की बात सोची। लेकिन अब मैं बहुत खुश हूं कि तुम यहां आकर पहले से ज्यादा खुश और आजाद हो।” सुकन्या की बात सुनकर अपना रोते हुए उसे गले से लगाती है और बार-बार उसका धन्यवाद करने लगती है।
सपना आए इस बदलाव से खुद को स्थापित करना चाहती है जिससे किसी के आगे भी उसे झुकना ना पड़े। अब फिर से बैंक की तैयारी करके एक अच्छे पोस्ट पर आ जाती है अपने जीवन में चल रही उथल-पुथल को खत्म करके उसने अपने जीवन को बचा लिया।
दोस्तों, हमारे आसपास कई प्रकार की महिलाएं होती हैं, जो सक्षम होते हुए भी एक सही फैसला नहीं उठा पाती। अगर हमारे समाज की महिलाएं जागरूक होती हैं, तो इससे समाज की भलाई होती है।
आज हर महिला को समाज से पहले खुद के बारे में सोचने की आवश्यकता है ताकि कभी भी उसे किसी गलत भावना के सामने झुकने की आवश्यकता ना हो। जिसमें सबसे ज्यादा योगदान शिक्षा का है इसीलिए हर महिला को शिक्षित होना जरूरी माना गया है।
एक बात और गौर करने वाली है कि प्यार ही सब कुछ नहीं होता है। प्यार और सेल्फ respect में कभी किसी को एक चुनने का मौका मिले तो हमेशा प्यार को साइड कर के सेल्फ respect को प्राथमिकता देनी चाहिए।
माना कि जीवन जीने के लिए प्यार सही है लेकिन आत्म सम्मान उससे भी कहीं अधिक जरूरी है और एक महिला के लिए पढ़ा लिखा होना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि एक पढ़ी लिखी महिला ही अपने साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकती है, और अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ती है।
जैसे कि इसी कहानी में हम लोगों ने देखा कि सपना का पति उससे प्यार तो करता था लेकिन बाद में शक करने लगता है उसे मारने लगता है। शारीरिक प्रताड़ना करता है, लेकिन बाद में जो कदम सपना अपने आत्म सम्मान के लिए उठाती है, वो एक बहुत सराहनीय कदम होता है।
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