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Famous Poetry in Hindi By Rajkumar Yadav ~ Yoga मुद्रा में खड़े पेड़ Meditation कर रहे है

Hindi Poems | Hindi Kavita | Famous Poetry in Hindi By Rajkumar Yadav

Yoga मुद्रा में खड़े पेड़ Meditation कर रहे है

नवंबर का महीना है,
ऋतुएँ बदल रही है
वातावरण में शांति पसरी है
People अच्छे Daily life का पालन कर रहे हैं
Yoga मुद्रा में खड़े पेड़ Meditation कर रहे है

न हवाएँ तेज बहती है,
न पर्यावरण में गड़बड़ी है
सड़क के किनारे के पेड़ जो लगे
है सरकारी योजना के तहत,
कतारबद्ध खड़े है ड्यूटी में तैनात,
एहसानमंद है इनका सारा जीव जगत

कार्बन डाई ऑक्ससाइड को ऑक्सीजन
कर रहे है
Yoga मुद्रा में खड़े पेड़ Meditation कर रहे है

ये गांव की ब्यूटी को बढ़ाते है,
ये सदैव परहित में काम आते है
मैंने पढ़ा था कि पेड़ एक दूसरे से
हम जैसे ही बतियाते है,
जब काटो इनको भी दर्द होता है
चुपचाप सहते है,हम समझ ना पाते है

एक स्थान पे खड़े है कब से,जैसे अनशन कर रहे है
Yoga मुद्रा में खड़े पेड़ Meditation कर रहे है

राजकुमार यादव

कल जब सारी की सारी पिघलेगी

मेरे सपनों में कुछ कमी है,
इसलिए आंखों में नमी है
जो दुख की बदली जमी है
कल जब सारी की सारी पिघलेगी।

नई करवट लेगी जिंदगी
कुछ उड़ानें आंखें भरेगी,
तालियों की गूंजें गूंजेगी
कल जब सारी दुनिया बदलेगी।

मैं भर के पॉकेट में खुशियां
झुमुंगा हो के मस्तमौला,
मुठ्ठी में बंद कर के कामयाबी
पहन लूंगा तारीफों का चोला।

आओ, देखो मैं दुनिया अपने
हिसाब से बनाऊंगा,
चलो, उड़ों मेरे साथ तुम
मैं तारों को दिखाऊंगा।

आज तकलीफें ही हमदमी है,
सारी चोटें भी आज मरहमी है,
जो दुख की बदली जमी है
कल जब सारी की सारी पिघलेगी।

आसमानों से अपनी है दोस्ती,
इस जहां में अपनी भी हस्ती,
तालियों की गूंजें गूंजेगी
कल जब सारी दुनिया बदलेगी।

वक़्त को रेस में हराकर
वक़्त आगे को जाना है,
इक वादा है खुद से
नजइस धरती को बेहतर बनाना है।

समझो, परखो ये जो मेरे
अनमोल सपने है,
जियो, मरो उसी के लिये
जो तुम्हारे अपने है।

दूर करो उसे जो गलतफहमी है,
जो बेचैनियों की चहलकदमी है,
जो दुख की बदली जमी है
कल जब सारी की सारी पिघलेगी।

निराशाओं फसलें कटेगी,
अंधेरों की भी सांसें टूटेगी,
तालियों की गूंजें गूंजेगी
कल जब सारी दुनिया बदलेगी।

अपनी उंगलियों से हवा पे
इक नया इतिहास लिख दूंगा,
उम्मीदों के टूटे कलशों पे
फिर इक विश्वास लिख दूंगा।
मेरे बाद भी मुझे याद
करेगा यह जमाना
छोड़ जाऊंगा मैं सदियों
तक का ऐसा खजाना।

मेरी सफलता थोड़ी शबनमी है,
मेरी आशाएं थोड़ी जमजमी है,
जो दुख की बदली जमी है
कल जब सारी की सारी पिघलेगी।

इक कहानी अभी है जो कागजी,
शब्दों को जरूरत है आवाज़ की,
तालियों की गूंजें गूंजेगी
कल जब सारी दुनिया बदलेगी।

राजकुमार यादव

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