हट पगले, तू माता से भी मजाक करता है Tenali Raman Story in Hindi
बात सैकड़ो वर्षो पुरानी है। विजयनगर का साम्राज्य पुरे विश्व में प्रसिद्ध था। उन दिनों भारत पर विदेशी आक्रमणों के कारण प्रजा बड़ी दुविधा और संकट में थी।
“कृष्णदेव राय” ने प्रजा में मेहनत और सद्गुणों के साथ-साथ अपनी संस्कृति और देश के लिए स्वाभिमान का भाव पैदा कर दिया था, इसलिए विजयनगर की ओर देखने की हिम्मत किसी भी विदेशी आक्रांता की नहीं थी।
विदेशी आक्रमणों की आँधी के आगे विजयनगर एक मजबूत चट्टान की तरह खड़ा दिखाई देता था। साथ ही वहाँ साहित्य और कलाओं से प्रेम करने वाले तथा परिहास-प्रिय लोग थे।
उन्हीं दिनों की बात है, विजयनगर के “तेनाली” गाँव में एक बड़ा बुद्धिमान और प्रतिभा संपन्न किशोर था। उसका नाम था “रामलिंगम”। वह बहुत हँसने वाला और हाजिर-जवाब था। उसकी हास्यपूर्ण बातें और मजाक तेनाली गाँव के लोगों को खूब आनंदित करती थी।
रामलिंगम खुद ज्यादा हँसता नहीं था पर धीरे से कोई ऐसी चतुराई भरी बात कह देता कि, सुनने वाले हँसते-हँसते लोटपोट ही हो जाते।
उसकी बातों में छिपा व्यंग्य और बड़ी सूझ-बूझ होती। इसलिए वह जिसका मजाक भी उड़ाता, वह शख्स भी द्वेष भूलकर औरों के साथ खिलखिलाकर हँसने लगता। यहाँ तक कि, राह चलते लोग भी रामलिंगम की कोई चतुराई की बात सुनकर हँसते-हँसते लोटपोट हुए बिना नहीं रह पाते।
अब तो गाँव के लोग कहने लगे थे, “बड़ा अद्भुत है यह बालक। हमें तो लगता है कि, यह रोते हुए लोगों को हँसा सकता है।” रामलिंगम कहता, “पता नहीं, रोते हुए लोगों को हँसा सकता हूँ कि नहीं, पर सोते हुए लोगों को जरूर जगा सकता हूँ।” यह सुनकर आसपास खड़े लोग ठठाकर हँसने लगे।
यहाँ तक कि, तेनाली गाँव में जो लोग बाहर से आते, वो भी अपने गाँव के लोगो को रामलिंगम के अजब-अजब किस्से और कारनामे सुनाया करते थे। सुनकर वे भी खिलखिलाकर हँसने लगते थे और कहते, “तब तो यह रामलिंगम सचमुच अद्भुत बालक है। हमें तो लगता है कि, यह पत्थरों तक को हँसा सकता है!”
गाँव के एक बुजुर्ग भी कहते, “भाई, हमें तो लगता है कि यह घूमने के लिए पास के जंगल में जाता है, तो वहाँ के पेड़-पौधे और फूल-पत्ते भी इसे देखकर एक बार जरूर हँस पड़ते होंगे।”
एक बार की बात है, रामलिंगम घूमता हुआ माता दुर्गा के एक प्राचीन मंदिर में गया। उस मंदिर की काफी मान्यता थी और दूर-दूर से लोग वहाँ माता दुर्गा का दर्शन करने आया करते थे।
रामलिंगम भीतर गया तो माता दुर्गा की अद्भुत मूर्ति देखकर मुग्ध रह गया। माता के मुख-मंडल से प्रकाश फूट रहा था। रामलिंगम की तो मानो समाधि लग गई। फिर उसने दुर्गा माता को प्रणाम किया और चलने लगा।
तभी अचानक उसके मन में एक अटकी। माता दुर्गा के चार मुख थे, आठ भुजाएँ थीं। इसी पर उसका ध्यान गया और अगले ही पल उसकी बड़े जोर से हँसी छूट गई।
देखकर माता दुर्गा को बड़ा कौतुक हुआ। वे उसी समय मूर्ति से बाहर निकलकर आईं और रामलिंगम के आगे प्रकट हो गईं। बोलीं, “बालक, क्यों इतनी हंसी आई तुझे ?” रामलिंगम माता दुर्गा को साक्षात सामने देखकर पलभर के लिए तो स्तब्ध गया फिर हँसते हुए बोला, “क्षमा करें माता, एक बात याद आ गई, इसीलिए हँस रहा हूँ।”
“कौन सी बात? बता!” माता दुर्गा ने पूछा।
इस पर रामलिंगम ने स्वाभाविक हँसते-हँसते जवाब दिया, “माता, मेरी तो सिर्फ एक ही नाक है पर जब जुकाम हो जाता है तो मुझे बड़ा कष्ट होता है। आपके तो चार-चार मुख हैं और भुजाएँ भी आठ हैं। तो जब जुकाम हो जाता होगा, तो आपको और भी ज्यादा कष्ट होगा!”
रामलिंगम की बात पूरी होने से पहले ही माता दुर्गा खिलखिलाकर हँस पड़ीं। बोलीं, “हट पगले, तू माता से भी मजाक करता है!”
फिर हँसते हुए उन्होंने कहा, “पर आज मैं समझ गई हूँ कि, तुझमें हास्य की एक बड़ी अनोखी सिद्धि है। अपनी इसी सूझ-बूझ और हास्य के बल पर तू बहुत नाम कमाएगा और बड़े-बड़े काम करेगा।
लेकिन एक बात याद रखना, अपनी इस हास्य-वृत्ति का किसी को दुख देने के लिए प्रयोग मत करना। सबको हँसाना और दूसरों की भलाई के लिए काम करना। जा बालक, तू राजा कृष्णदेव राय के दरबार में जा वहां तेरी प्रतिभा का पूरा सम्मान किया जाएगा।”
उस दिन रामलिंगम दुर्गा माता के प्राचीन मंदिर से लौटा, तो उसका मन बड़ा हल्का-फुल्का था। लौटकर उसने माता को यह अनोखा और अद्भुद प्रसंग बताया। सुनकर माता चकित रह गईं। और फिर होते-होते पूरे तेनाली गाँव में यह बात फैल गई कि, रामलिंगम को दुर्गा माता ने बड़ा अद्भुत वरदान दिया है। यह बड़ा नाम कमाएगा और बड़े-बड़े काम करेगा।
उसके साथ ही साथ तेनाली गाँव का नाम भी ऊँचा होगा।