“बर्डमैन” नाम से मशहूर सलीम अली का जीवन मानवता के लिए एक आदर्श है। जिन्होंने अपने जीवन में पक्षियों की रक्षा करने के लिए काफी महत्वपूर्ण कदम उठाए। सलीम अली को हम इंडियन Bird साइंटिस्ट और प्रकृतिवादी व्यक्ति के तौर पर जानते है।
वे हमारे देश के पहले ऐसे बर्ड साइंटिस्ट थे जिन्होंने पूरे भारत में व्यवस्थित तौर पर पक्षियों कि जांच और देखभाल की। यथा पक्षियों पर आधारित विभिन्न प्रकार के आर्टिकल और किताबें लिखने का काम किया।
सलीम अली द्वारा लिखी गई किताबों ने पक्षी विज्ञान विकास पर बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1958 में सलीम अली के द्वारा पक्षियों के हित के लिए किए गए काम के बदले में इंडियन गवर्नमेंट ने उन्हें पद्मभूषण और साल 1976 में इंडियन गवर्नमेंट ने सलीम अली को हमारे भारत देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा।
आज हम इस लेख के माध्यम से महान पक्षी प्रेमी सलीम अली की जीवनी साझा कर रहे हैं। जहां उनके जीवन से जुड़ी कई अनसुनी और महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया जा रहा है।
सलीम अली परिचय
नाम | सलीम अली |
पिता का नाम | मोइजुद्दीन अब्दुल |
माता का नाम | जीनत उल निशा |
जन्म | 12 नवंबर, 1896 |
मृत्यु | 20 जून, 1987 |
प्रसिद्धि | बर्ड मैन ऑफ इंडिया |
पुरस्कार | पद्म भूषण, पद्म विभूषण |
पेशा | प्रकृति प्रेमी, Bird साइंटिस्ट |
जन्म स्थान | मुंबई शहर, महाराष्ट्र,भारत |
मृत्यु स्थान | मुंबई शहर, महाराष्ट्र, भारत |
सलीम अली प्रारंभिक जीवन
सलीम अली जिन्हें भारत का बर्डमैन कहा जाता है, इनका जन्म वर्ष 1896 में देश के महाराष्ट्र राज्य के बॉम्बे शहर (वर्तमान में मुंबई) में 12 नवंबर को हुआ था।
सलीम अली परिवार
सलीम अली के पिता का नाम मोइजेद्दीन अब्दुल था और इनकी माता का नाम जीनत उल निशा था। सलीम अली के माता-पिता की कई संताने थी जिसमें से सलीम अली अपने माता-पिता के नौवी संतान थे। जब सलीम अली सिर्फ एक वर्ष के थे तभी इनके पिता मोइजुद्दीन अब्दुल का निधन हो गया था और 3 साल की उम्र तक पहुंचने के बाद इनकी माता की भी मौत हो गई थी।
माता पिता की मृत्यु हो जाने के बाद सलीम अली के मामा ने सलीम अली और उनके भाई बहनों की देखभाल की। इनके मामा का नाम अमीरुद्दीन तैयाबजी था। सलीम अली की पत्नी का नाम तहमीना था।
सलीम अली धर्म
सलीम अली इस्लाम धर्म को मानते थे। इस प्रकार यह मुस्लिम समुदाय से तालुकात रखते थे।
सलीम अली शिक्षा
बर्डमैन ऑफ इंडिया सलीम अली अपनी प्रारंभिक एजुकेशन हासिल करने के लिए गिरगाौम में चल रहे जनाना बाइबल मेडिकल मिशन गर्ल्स हाई स्कूल में अपनी दो बहनों के साथ भर्ती हुए।
इसके बाद इन्होंने आगे चलकर मुंबई शहर के सेंट जेवियर स्कूल में एडमिशन प्राप्त किया। जब सलीम अली 13 साल के थे तब अक्सर इन्हें सिर दर्द हो जाता था, जिसके कारण अक्सर इन्हें टीचर के द्वारा क्लास से बाहर निकाल दिया जाता था। सलीम अली को बाद में सिंध में अपने चाचा के साथ रहने के लिए भेजा गया, वजह थी कि शुष्क हवा से क्या पता सलीम अली ठीक हो जाएं, वहां से काफी लंबे समय के बाद वापस आने पर साल 1913 में सलीम अली ने दसवीं कक्षा में मुंबई यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और परीक्षा पास की।
दसवीं कक्षा को पास करने के बाद सलीम अली ने कॉलेज में एडमिशन लिया परंतु कॉलेज में एडमिशन लेने के पहले साल में ही इन्हें विभिन्न प्रकार की प्रॉब्लम का सामना करना पड़ा, जिसके कारण इन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में से ही छोड़ दी।
इसके बाद यह बर्मा देश चले गए, जहां पर बहुत बड़े और घने जंगल थे, वहां पर सलीम अली का मन परिंदों को देखने में और अलग-अलग प्रकार के पशु पक्षियों को देखने में रमने लगा।
सलीम अली कैरियर
दसवीं की परीक्षा को पास करने के बाद सलीम अली ने जब कॉलेज में एडमिशन लिया, तब यह अपने पहले साल की कॉलेज की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी।
सलीम अपने बड़े भाई के साथ उसके काम में सहायता करने के लिए बर्मा देश (वर्तमान के म्यानमार देश) चले गए। म्यानमार में काफी घने जंगल थे़, जहां पर सलीम अली का मन विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों को देखने में लगने लगा और उन्हें वहां का वातावरण पसंद आने लगा।
तकरीबन 7 साल तक बर्मा देश में रहने के बाद जब सलीम अली वापस अपने घर लौटे तो उन्होंने पक्षी शास्त्र सब्जेक्ट में ट्रेनिंग ली और ट्रेनिंग लेने के बाद नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, जो कि मुंबई शहर में स्थित है उसके म्यूजियम में सलीम अली गाइड की पोस्ट पर पोस्टेड हो गए।
इसके बाद उन्होंने जर्मनी जाकर इसी सब्जेक्ट में हाई ट्रेनिंग प्राप्त की परंतु, जब वह ट्रेनिंग लेने के बाद वापस अपने देश लौटे तो उन्हें यह पता चला कि उनका पद समाप्त हो चुका है।
इसके बाद वे अपनी पत्नी के पास मौजूद थोड़े पैसे लेकर मुंबई बंदरगाह के पास किहीम नाम की एक जगह पर एक छोटा सा मकान लेकर रहने लगे। जिस मकान को इन्होंने रहने के लिए पसंद किया था वह मकान चारों तरफ से पेड़ और पौधों से घिरा हुआ था, जिसके कारण कई पशु पक्षी पेड़ों पर आकर बैठते थे।
और इस प्रकार धीरे-धीरे सलीम अली को पशु पक्षियों में रुचि बढ़ने लगी और वह रोजाना पशु पक्षियों के रहन-सहन की स्टडी करने लगे।
सलीम अली: बर्डमैन ऑफ़ इंडिया
इस दुनिया में ऐसे बहुत कम ही लोग होते हैं, जो अपने से ज्यादा दूसरे लोगों की फिक्र करते हैं।
खासतौर पर ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है जो पशु पक्षियों की फिक्र करते हैं, परंतु सलीम अली ने पशु पक्षियों के हित के लिए कई अमूल्य कार्य किए और अपने जीवन का बड़ा भाग उनकी सेवा में लगा दिया।
ऐसा कहा जाता है कि सलीम अली को परिंदों की जुबान समझ में आती थी और अपनी इसी खूबी के कारण उन्हें बर्डमैन ऑफ इंडिया कहां जाता था। सलीम अली ने ही सामान्य जनता से पक्षियों की स्टडी को जोड़ा।
सलीम अली काफी दूर दृष्टि रखने वाले व्यक्ति थे और सलीम अली ने Bird साइंस में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
सलीम अली का योगदान
सलीम अली ने बर्निल यूनिवर्सिटी में फेमस जीव साइंटिस्ट इरविन स्ट्रेसमैन के साथ काम किया था।
जब हमारा देश आजाद हुआ, तो आजादी के बाद मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के प्रमुख मेंबर के तौर पर सलीम अली शामिल हुए।
भरतपुर पश्चिम विहार की स्थापना में भी सलीम अली ने काफी महत्वपूर्ण रोल अदा किया था।
सलीम अली ने साइलेंट वैली नेशनल पार्क को खत्म होने से बचाने के लिए भी अपनी पूरी कोशिश की थी, जिसके फलस्वरूप साइलेंट वैली नेशनल पार्क को बर्बाद होने से बचाया जा सका।
सलीम अली साल 1930 में इंडिया लौट आए थे और इंडिया लौटने के बाद इन्होंने ध्यानमग्न होकर पशु पक्षियों के लिए कार्य करना शुरू किया।
सलीम अली पुस्तक
पक्षियों पर अपनी स्टडी के दरमियान सलीम अली ने पक्षियों के ऊपर आधारित विभिन्न प्रकार की बुक्स भी लिखी थी, जिनके नाम इस प्रकार हैं।
- बर्ड्स ऑफ़ इंडिया
- द फाल ऑफ़ ए स्पैरो
- द बुक ऑफ़ इंडियन बर्ड्स
- हैण्डबुक ऑफ़ द बर्ड्स ऑफ़ इंडिया एण्ड पाकिस्तान
सलीम अली को प्राप्त पुरस्कार
बर्डमैन ऑफ इंडिया सलीम अली को भारत के अलावा विदेशों के भी विभिन्न प्रकार के अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
सलीम अली को पक्षियों पर आधारित स्टडी में महारत हासिल करने के कारण दिल्ली यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की गई थी।
साल 1958 में नेचुरल साइंस और वर्ष 1976 में इंडियन गवर्नमेंट ने सलीम अली को पद्म विभूषण जैसे पुरस्कार से सम्मानित किया था।
साल 1975 में सलीम अली को J. Paul Getty Award for Conservation Leadership अवार्ड प्राप्त हुआ था।
सलीम अली की याद में इंडियन पोस्ट डिपार्टमेंट ने इनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया था
सलीम अली की मृत्यु
प्रकृति प्रेमी, पक्षी प्रेमी और बर्डमैन ऑफ इंडिया सलीम अली की मृत्यु साल 1987 में भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में 90 साल की उम्र में 20 जुन को हुई थी।
कहा जाता है सलीम इंडिया में एक ‘बर्ड स्टडी और रिसर्च सेंटर” की स्थापना करना चाहते थे।
नेचुरल साइंस और Bird साइंस की फील्ड में सलीम अली के द्वारा दिए गए योगदान के मद्देनजर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के द्वारा तमिलनाडु के कोयंबटूर के पास अनैकट्टी नाम की जगह पर ‘सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र” की स्थापना की गई है।
Conclusion
दोस्तों हमें उम्मीद है पक्षियों के प्रति दया भाव रखकर उनकी सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले सलीम अली की बायोग्राफी आपको पसंद आई होगी। अगर आप इस जानकारी से संतुष्ट हैं तो इस लेख को साझा करना ना भूलें।