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Zero to One Book Summary पुस्तक सारांश in Hindi

Zero To One (Peter Theil) Book Summary in Hindi

क्या आपको टेक्नोलॉजी से प्यार है? क्या आप टेक्नोलॉजी के Expert बनना चाहते हैं? अगर इन सभी सवालों का जवाब हां है तो यह Book Summary सिर्फ आपके लिए ही लिखी गई है क्योंकि इस बुक समरी में आपको यह जानने को मिलेगा कि एक टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ को टेक्नोलॉजी में अच्छा होने के साथ-साथ से Sales में भी अच्छा होना चाहिए।

साथ ही आप यह जानेंगे कि अगर आपको मार्केट में अपनी पकड़ बनानी है तो आपको उसमें अपनी Monopoly शुरू करनी होगी।

यह बुक आपको सिखाएगी की कुछ नया खोज कर आप जीरो से 1 तक जा सकते हैं। इस किताब में आपको जीरो से शुरुआत करने की प्रेरणा मिलेगी और बताया जाएगा कि किस तरह से आप जीरो से शुरुआत करके भी बहुत आगे निकल सकते हैं।

साथ ही इस किताब में आपको सिलिकॉन वैली के बारे में भी जानने को मिलेगा।

Zero to One का मतलब है कुछ न होने से, कुछ होने तक पहुंचना। यह किताब एक बिजनेसमैन, टेक्नोलॉजी लवर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, कंप्यूटर प्रोग्रामर को पढ़नी चाहिए। तो आइए इस बुक समरी की शुरूवात करते हैं।

Introduction

बिजनेस की दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि यहां पर सभी चीजें एक बार ही होती हैं। अगला मार्क जुकरबर्ग फेसबुक नहीं बनाएगा अगला बिल गेट्स ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं बनाएगा। अगर आप लोगों को कॉपी कर रहे हैं और आपको लगता है कि आप कुछ कर रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि आप सिवाय लोगों को कॉपी करने के कुछ नहीं कर रहे हैं और इससे आपको Future में भी कुछ नहीं मिलेगा।

Zero to one बुक को Peter Thiel और Blake Masters नामक दो लोगों ने मिलकर लिखा हैं। Peter Theil ने Elon Musk के साथ मिलकर PayPal बनाया था लेकिन फिर उन्होंने PayPal को 1.5 Million dollars में बेच दिया। इतना ही नहीं जब फेसबुक ने शुरूआत की थी तब पीटर ने इन्वेस्टर के तौर पर उसमें सबसे पहले इन्वेस्ट किया था।

The challenge of future

अगर आप नई चीजें बना रहे हैं इसका मतलब यह है कि आप जीरो से वन की तरफ जा रहे हैं। अगर आप ने पहले से ही कुछ बनाया है और अब आप उस चीज को आगे बढ़ा रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आप 1 से n की तरफ बढ़ रहे हैं।

शुरुआत में लोग बैलगाड़ी से ही एक जगह से दूसरी जगह जाते थे लेकिन फिर उन्होंने बैलगाड़ी से कार बनाया और कार के बाद उन्होंने एयरप्लेन बनाया। यह सारी चीजें जीरो से वन तक गई है।

जीरो से वन तक बढ़ने की इस प्रोसेस को हम टेक्नोलॉजी भी कहते हैं। लेकिन वहीं अगर आप एक टाइपराइटर लेते हैं और फिर आप पूरी दुनिया में 10,000 टाइपराइटर बेचते हैं। तो यह चीज 1 से n की तरफ जाती हैं। मतलब आपने टाइप राइटर को पूरी दुनिया में पहुंचाया यानी कि आपने टाइपराइटर कि ग्लोबलाइजेशन कि जिस तरह चाइना पूरी दुनिया में अपने प्रोडक्ट्स पहुंचाता है। क्योंकि चाइना का काम ही हैं कि हर कंट्री में बनने वाले प्रोडक्ट को सस्ते में बनाना और फिर इसे दुनिया में बेचना।

इस किताब में लेखक कहते हैं कि अगर आपको अपना एक सक्सेसफुल बिजनेस बनाना है तो आप उस जीरो से वन की शुरुआत करनी होगी। वैसे तो यह बात सुनने में बहुत आसान लगती है लेकिन जब एक बिजनेस आइडिया पर काम करने की बारी आती है तब लोग यह काम सही से नहीं कर पाते हैं क्योंकि एक बिल्कुल नए आईडिया पर काम करना बहुत ही Risky होता है और नया आईडिया आसानी से आता भी नहीं है।

कोई भी अकेला आदमी इस दुनिया में नई टेक्नोलॉजी नही ला सकता है क्योंकि इस दुनिया में नई टेक्नोलॉजी या कुछ नया लाने के लिए उसे कुछ लोगों की जरूरत जरूर होगी। लेखक यह भी बताते हैं कि आज दुनिया में वही लोग Change ला सकते हैं जो स्टार्टअप शुरू करते हैं स्टार्टअप ऐसे लोगों को ग्रुप होता है जो एक साथ काम करते हैं और लोगों को कोई नया चीज देते हैं।

इस Book Summary में हम आगे जानेंगे कि सक्सेसफुल स्टार्टअप किस तरह से शुरू किया जाता है।

All happy companies are different

अगर आप कन्वेंशनल थिंकिंग से उलटा सोचते हैं तो आप यह मान सकते हैं कि आप में स्टार्टअप शुरू करने की पूरी एबिलिटी हैं। अगर आप एक स्टार्टअप के बारे में सोच रहे हैं तो आपको खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि ऐसी कौन सी वैल्युएबल कंपनी है जो अब तक किसी ने नहीं खोला और ना ही खोल रहा है?

जब आप खुद से सवाल पूछेंगे ना तब आपको शायद ही इस सवाल का कोई जवाब मिलेगा क्योंकि यह सवाल बहुत ही मुश्किल है। ऐसा हो सकता है कि जो आपने सोचा है उससे आप अपने कस्टमर को तो वैल्यू प्रोवाइड कर पा रहे हैं लेकिन उस आइडिया से आपको कोई वैल्यू नहीं मिल रही है तो ऐसे में अपना बिजनेस शुरू करना बेकार है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि वैल्यू क्रिएट करना और वैल्यू कैप्चर करना दो अलग-अलग बाते हैं।

चलिए इस चीज को एक Example से समझते हैं यूएस का ऑनलाइन बिजनेस अपने कस्टमर को हर साल बिलियंस में सर्विस प्रोवाइड करता है। साल 2012 में जब एयरलाइन की टिकट 178 डॉलर थी तब एयरलाइंस थी तब उन्होंने हर पैसेंजर से सिर्फ 37 सेंट कमाए थे।

और इसी साल एयरलाइंस ने 160 बिलीयन डॉलर का प्रॉफिट किया था। अगर आप एयरलाइन कि इस कमाई को गूगल के कमाई से Compare करेंगे तो उस समय गूगल ने सिर्फ 50 मिलियन ही कमाया था। लेकिन फिर भी उन्होंने 21% का प्रॉफिट कमाया था। जो कि एयरलाइंस के प्रॉफिट के 100 टाइम ज्यादा था।

लेखक तो इतना कहते हैं कि अगर आप उस साल सारे एयरलाइंस को मिला भी दे तब भी वह गूगल के प्रॉफिट तक ही 3 परसेंट तक पहुंच पाएंगे।

लेखक का कहना है कि ऐसा इसीलिए है क्योंकि एयरलाइंस एक दूसरे से कंपटीशन करते हैं लेकिन गूगल ने मार्केट में अपना अकेला मोनोपोली तैयार किया है। एक परफेक्ट कंपटीशन मार्केट में सारे प्रतियोगी एक दूसरे की कॉपी करते हैं और एक ही तरह के प्रोडक्ट बेचने में लगे रहते हैं लेकिन मोनोपोली में लोग अपने प्रोडक्ट को यूनिक बनाते हैं।

यही वजह है कि परफेक्ट कंपटीशन में बिजनेस करने वाले लोगों से ज्यादा वह लोग पैसे कमाते हैं जो मार्केट में अपना खुद का मोनोपोली शुरू करते हैं। एक परफेक्ट कंपटीशन बिजनेस में कोई भी प्रॉफिट नहीं कमाता है लेकिन एक मोनोपोली बिजनेस में बिजनेसमैन अपने बिजनेस को अच्छा बनाने के लिए झूठ भी बोलता है।

अगर कोई कंपनी है जो यह Accept कर रही है कि वह एक मोनोपोली कंपनी है तो इसका मतलब यह है कि वह कंपनी मार्केट में सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमा रही है और अगर यह कंपनी सरेआम यह बात कह दे कि वह एक मोनोपोली कंपनी है तो गवर्नमेंट उनके ऊपर अलग-अलग पॉलिसी लगा देगी।

इसीलिए इन पॉलिसी से बचने के लिए ज्यादातर कंपनीज कभी भी यह रिवील नहीं करती कि वह एक मोनोपोली कंपनी है अगर आप गूगल की ही बात करें तो गूगल कभी भी सामने से यह नहीं कहता कि वह एक मोनोपोली कंपनी है।

लेकिन अगर आप ध्यान देंगे तो दुनिया में जितने भी लोग हैं वह सारे लोग चीजों को सर्च करने के लिए गूगल का ही इस्तेमाल करते हैं ना कि किसी दूसरे Search Engine का, तो ऐसे में देखा जाए तो गूगल की मोनोपोली हर जगह है।

शायद अब आपके मन में यह सवाल आ रहा हो कि हमें किस तरह का बिजनेस शुरू करना चाहिए मतलब हमें आपने स्टार्टअप को मोनोपोली के तौर पर खोलना चाहिए या फिर परफेक्ट कंपटीशन के तौर पर।

वैसे तो यह सवाल उतना मुश्किल नहीं है लेकिन इस सवाल का जवाब देने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है अगर आपके पास कोई ऐसा आईडिया है जिसके ऊपर किसी ने काम नहीं किया तो वह एक मोनोपोली बिजनेस होगी। लेकिन अगर आपके पास कोई ऐसा आईडिया नहीं है जो आपको दूसरों से यूनिक बनाए तो अब आप जो स्टार्टअप शुरू करेंगे वो आपका कॉम्पिटेटिव बिजनेस होगा।

The Ideology of competition

मोनोपोली बिजनेस में नए-नए प्रोडक्ट्स हमेशा बनते रहते हैं और उन्हीं को हमेशा ऐसे प्रॉफिट मिलता रहता है लेकिन इसके अपॉजिट में Competitive बिजनेस प्रोडक्ट लगातार बनने के बाद भी प्रॉफिट के नाम पर बहुत ही कम पैसे बना पाते हैं।

हम जितना एक दूसरे से कंपटीशन करेंगे हमारी प्रॉफिट उतनी ही कम होगी। इसीलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम कम से कम कंपटीशन में हिस्सा लें और खुद को यूनीक बनाएं।

लेकिन हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि हमारा एजुकेशन सिस्टम भी स्टूडेंट के बीच कंपटीशन की भावना पैदा करता है। हमारा एजुकेशन सिस्टम मार्क्स के लिए स्टूडेंट के बीच कंपटीशन की भावना पैदा करता है जिसकी वजह से कंपटीशन करने के चक्कर में स्टूडेंट्स कभी भी अपने अंदर की रेयर स्किल को पहचान नहीं पाते हैं।

पीटर ने भी अपनी शुरुआत कुछ ऐसे ही की थी। पीटर पढ़ने में काफी अच्छे थे। पीटर पढ़ने में इतने अच्छे थे कि जब वह 8वीं क्लास में पढ़ रहे थे तब उनके दोस्तों से कहते थे कि 4 साल बाद उनका एडमिशन Stanford में हो जाएगा।

और ऐसा हुआ भी पीटर का एडमिशन 4 साल बाद Stanford यूनिवर्सिटी में हो गया। उन्होंने लॉ स्कूल में एडमिशन ले लिया। लेकिन जब वो एडमिशन लेने के बाद लॉ स्कूल गए तब उन्होंने वहां के स्टूडेंट के साथ कंपटीशन करना शुरू कर दिया।

कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी कर देने के बाद पीटर ने जब असल दुनिया में कदम रखा तब उन्होंने कुछ नया करने का सोचा क्योंकि वह उस समय दूसरे लोगों के साथ कंपटीशन करना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने Elon Musk के साथ मिलकर PayPal शुरू किया।

जब PayPal बनाया गया तब पीटर और उनकी टीम का ये गोल था कि वो इंटरनेट के जरिए पैसे एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाएं।क्योंकि 1999 में पैसो को ट्रांसफर करने की कोई भी सुविधा नहीं थी। पीटर और उनके दोस्तों ने सोसायटी की एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम को आईडेंटिफाई किया था और वह उन्हें ठीक करने की कोशिश कर रहे थे।

Last mover advantage

ऐसे लोग जो मोनोपोली से बचते हैं वही रियल में मोनोपोली क्रिएट कर पाते हैं। अगर आप न्यूयॉर्क टाइम्स और ट्विटर को कंपेयर करेंगे तो आपको यही देखने को मिलेगा कि इन दोनों कंपनी में हजारों की संख्या में लोग काम करते हैं और इन दोनों कंपनी का मकसद लोगों को न्यूज़ देना है।

लेकिन सेम होने के बाद भी जब साल 2013 में ट्विटर पब्लिक हो गया तो इसकी कीमत 24 Billion Dollar लगाई जा रही थी। लेकिन उस समय न्यूयॉर्क टाइम्स की कीमत ट्विटर से 12 गुना ज्यादा यानी कि 133 मिलियन डॉलर लगाई गई।

अगर आप इस चीज को ध्यान से देखेंगे तो आपको यह समझ आएगा कि ऐसा होना बहुत बड़ी बेवकूफी की निशानी है और शायद आपको इस बात पर यकीन भी ना हो लेकिन यह बिल्कुल सच है और इन दोनों सेम कंपनी की कीमत में इतनी बड़ी विभिन्नता उनके Cash flow की वजह से हैं।

अपने लोगों को यह कहते तो जरूर सुना होगा कि जो लोग शुरुआत में अपना बिजनेस स्टार्ट करते हैं उन्हें काफी फायदा मिलता है। लेकिन पीटर का कहना है कि जो लोग Last mover होते हैं वह दूसरों से ज्यादा स्मार्ट होते हैं और दूसरों से ज्यादा फायदा कमाते हैं।

इसीलिए आपको मार्केट में खुद को लांच करने से पहले दूसरों के प्रोडक्ट्स को देखकर ऐसा प्रोडक्ट तैयार करना चाहिए जो मार्केट में आपको मोनोपोली क्रिएट करने में मदद करें। क्योंकि मोनोपली क्रिएट करने पर आप दूसरे लोगों को मार्केट में Enter होने से रोक देते हैं।

Monopoly बिजनेस में चार चीजें देखने को मिलती हैं

Proprietary technology, Network effects, Economics of scales और Branding

अगर आप मार्केट में अपना मोनोपोली बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आपको बस कुछ बातों का ध्यान रखना है। जैसे पहले आप को छोटे से शुरुआत करना है और फिर बाद में आपको मोनोपोली की तरफ बढ़ना है।

उसके बाद आपको अपने बिजनेस को स्केल करना होता है। अपने कंपनी को मोनोपोली बनाने की शुरुआत में बड़ी बड़ी कंपनी से टक्कर ना लें।

इन बातों का ख्याल रखें आप जीरो से वन तक की अपनी शुरुआत कर सकते हैं। आपको यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।

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