देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत जी की बुधवार (8 दिसंबर 2021) को एक हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई। वे तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के सुलुर एयरफोर्स स्टेशन से वेलिंगटन स्थित डिफेंस स्टाफ कॉलेज जा रहे थे, तभी बीच में कुन्नूर में उनका Helicopter crash हो गया।
हेलीकॉप्टर में उनके साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 12 जवान थे। हादसे में जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका समेत 14 लोगो की मौत की पुष्टि हो गयी है।
इस हादसे से पुरे देश में शोक है। ऐसे में आप भी जानना चाहेंगे की जनरल बिपिन सिंह रावत कौन थे और उनके जीवन और हमारे देश से जुडी बातो बारे में, तो चलिए भारत के पहले CDS और सच्चे सिपाही की जीवन से जुडी पूरी कहानी जानेगे पर इस से पहले इस दुखद हादसे के बारे में जान लेते है –
8 दिसंबर 2021 को कैसे यह हादसा हुआ ?
जनरल बिपिन रावत 8 दिसंबर बुधवार को सुबह 9 बजे दिल्ली से भारत के सबसे मजबूत और तकनीकी कुशल हेलीकॉप्टर MI17 v5 में जनरल अपनी पत्नी और जवानों के साथ वेलिंगटन के डिफेंस स्टाफ कॉलेज में एक समारोह में भाग लेने जा रहे थे।
ऐसे माना जा रहा है की यह हादसा अचानक खराब मौसम की वजह से हुआ होगा। पश्चिमी घाट के इस इलाके में मौसम काफी बार अचानक से बदलता है।
रक्षा विशेषज्ञ का कहना है की 8 दिसंबर 2021 को भी आसमान में दृश्यता यानी विजिबिलिटी घटकर सिर्फ 5 मीटर रह गयी थी। ऐसे में विमान के सामने कुछ भी नज़र नहीं आता। ना ही पेड़ ना ही पहाड़। ऐसे में इमरजेंसी लैंडिंग के लिए भी जगह नहीं मिली।
सेना को मिली तस्वीरो में स्पष्ट है की हेलीकाप्टर का पायलट लैंडिंग का प्रयास नहीं कर पाया।
कौन कौन थे हेलीकाप्टर में ?
जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका, ब्रिगेडियर एल एस लिडडर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरुसेवक सिंह, नायक जीतेन्द्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांस नायक बी साई तेजा, हवलदार सतपाल, विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान जो कि पायलट थे, स्क्वाड्रन लीडर के सिंह साथी पायलट जूनियर वारंट ऑफिसर दास, जूनियर वारंट ऑफिसर ए प्रदीप, कप्तान वरुण सिंह।
इनमें से सिर्फ कप्तान वरुण सिंह की ज़िंदा बचे थे, जिनकी भी 8 दिन बाद मौत ही गई वो गंभीर रूप से घायल थे।
कहाँ हुआ ये हादसा?
हादसा कुनूर में नीलगिरी की पहाड़ियों के बीच का है।
आस पास रहने वाले लोगो का कहना है की बुधवार को बहुत तेज धुंध थी। ऐसे में जहाँ हादसा हुआ था वहां से तेज आवाज़े और आग की लपटों का अंदाजा लग रहा था।
काफी लोग तेज आवाज़े सुन कर घर से निकले तो देखा कि हेलीकाप्टर पेड़ो से टकरा कर घाटी में क्रैश हो गया था। हेलीकाप्टर आग की लपटों से घिरा हुआ था और कुछ लोग हेलीकाप्टर से बाहर कूद गए थे। वह लोग जल रहे थे और मदद के लिए पुकार रहे थे।
क्या कहा देश के प्रधानमंत्री ने उनकी मृत्यु पर?
सेना के सर्वोच्च अधिकारी के पद पर रहते हुए ऐसे हादसे में मौत की यह पहली घटना है। जब हादसे की खबर आई तो केंद्रीय कैबिनेट की बैठक चल रही थी।
दोपहर 12:22 पर हुए इस हादसे की जानकारी जैसे ही भारत के प्रधानमंत्री और उनके साथी मंत्रियों को लगी उन्होंने अपना दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी हादसे पर अपना दुख और संवेदना व्यक्त की है। इनके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस खबर की पुष्टि करते हुए अपना शोक व्यक्त किया है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीडीएस रावत के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “जनरल रावत बेमिसाल सैनिक एव सच्चे देशभक्त हैं और उन्होंने हमारी सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए योगदान दिया। उनके जाने से मुझे गहरा दुख हुआ है उनकी ऐसा जनसेवा को कभी नहीं यह देश भूलेगा।”
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा “बिपिन रावत का निधन देश और सेना के लिए कभी न पूरी होने वाली क्षति है।”
यह हादसा देश के काफी दुखद है और बिपिन रावत कैसे देश के CDS बने, चलिए जानते है।
कौन है बिपिन रावत?
जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत एक भारतीय सैन्य के अफसर थे। भारतीय सेना वह 4 स्टार जनरल थे। भारतीय सशस्त्र बल के वह पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) थे। उनका चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का कार्यकाल जनवरी 2020 से लेकर उनकी मृत्यु दिसम्बर 2021 तक रहा।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने से पहले वह भारतीय सेना के सतावन (57th) या फिर यूँ कहें कि चीफ्स ऑफ़ स्टाफ समिति के आखरी अध्यक्ष थे। वे भारतीय सेना के छबीसवे (26th) सेनाध्यक्ष भी थे।
कहां से तालुक रखते थे बिपिन रावत और उनका परिवार?
बिपिन रावत का जनम 16 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के पौड़ी गढ़वाल जिला के पौड़ी शहर में हुआ था। उनका गांव का नाम सैंज है जो की बिरमोली पौड़ी में आता है। आज की तारीख में यह इलाका उत्तर प्रदेश में नहीं, बल्कि उत्तराखंड का हिस्सा है।
उनका परिवार सदियों से भारतीय सेना को सेवा देता आया है।
बिपिन रावत के पिता पौड़ी गढ़वाल जिला के सैंज गांव से आते थे। उनका नाम लक्ष्मण सिंह रावत था जो की अपने समय में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे।
बिपिन रावत की माँ उत्तरकाशी जिला विधानसभा के पूर्व सदस्य किशन सिंह परमार की बेटी थी।
Quick बिपिन रावत से जुडी जानकारी
पूरा नाम | जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत |
उम्र | 63 साल |
जन्म | 16 मार्च 1958 |
मृत्यु | 8 दिसंबर 2021 |
धर्म | हिन्दू |
जाति | क्षत्रिय राजपूत |
शौक | फुटबॉल खेलना और अध्ययन करना |
कहाँ हुई मृत्यु | कुनूर, तमिल नाडु |
पत्नी का नाम | मधुलिका रावत |
बच्चे | 2 बेटिया ( कार्तिका और तारिणी ) |
पेशा | जनरल रहे भारतीय सेना में |
राशि | मीन राशि |
रैंक | 4 स्टार जनरल |
कार्यकाल | 16 दिसम्बर 1978 से 8 दिसंबर 2021 तक |
यूनिट | 5/11 गोरखा राइफल्स |
परिवार से जुड़ी अन्य बाते
जनरल बिपिन रावत की दोनों बेटियां।
बड़ी बेटी का नाम है कार्तिका जिनकी शादी हो चुकी है जो कि मुंबई में रहती है।
वही छोटी बेटी का नाम है तारिणी जो कि एक वकील के तौर पर काम करती हैं। तारिणी इस समय दिल्ली हाई कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रही है।
बिपिन रावत का स्कूली जीवन और शिक्षा
रावत ने देहरादून के कैंब्रियन हॉल स्कूल और शिमला के संत एडवर्ड स्कूल से अपने शुरुआती शिक्षा ग्रहण की है। बाद में वह खड़कवासला की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और देहरादून की भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त करते है। योग्यता क्रम में प्रथम स्नातक रहते हुआ उन्होंने अपनी सैन्य शिक्षा अर्जित की थी। इसलिए उन्हें “सोर्ड ऑफ़ ऑनर” से भी सम्मानित किया गया था।
बिपिन जी वेलिंगटन के रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज से भी ग्रेजुएट है। उनको इस कॉलेज के कार्यकाल में रक्षा अध्ययन में एमफिल डिग्री और मद्रास विश्वविद्यालय से प्रबंधन और कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा की डिग्री मिली।
उन्होंने 1997 में केंसास के फोर्ट लीवेनवर्थ से यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड एंड जनरल स्टाफ कॉलेज से भी उच्च कमान का पाठ्यक्रम किया हुआ है।
2011 में मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से उनको उनके सैन्य मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर किये गए शोध के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाज़ा गया।
बिपिन रावत का साहसिक करियर
जनरल बिपिन रावत 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पद संभालने वाले पहले भारतीय अधिकारी बने। उनका यह सफर चुनौतियों से भरा हुआ था। इस पद के तहत, विपिन रावत को बात के सशस्त्र ब्लॉक के पुनर्गठन के सरकार के प्रयास के हिस्से के रूप में बनाया गया था।
जनरल बिपिन रावत के कार्यों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने सेनाप्रमुख की सेना निवृत्ति से ठीक कुछ समय पहले ही CDS पद के लिए उनको नामित कर दिया और उनको सीडीएस के अंदर एक पद पर 2022 तक रहना था लेकिन उससे पहले ही वह दुनिया को छोड़ कर चले गए।
जनरल रावत गोरखा रेजिमेंट के अधिकारी थे। गोरखा रेजिमेंट के वे चौथे ऐसे अधिकारी थे जो सेना अध्यक्ष बने। जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर 2016 को सेनाध्यक्ष नियुक्त किए गए थे और उसके बाद 30 दिसंबर 2019 को चीफ ऑफ डिफेंस पद का कार्यभाल संभाला।
भारतीय थल सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए भारत सरकार ने एक पद की घोषणा की जिसको चीफ ऑफ डिफेंस कहते हैं।
इसके अलावा जनरल रावत ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर, कमांडिंग इन चीफ, दक्षिण कमान सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल, लिस्ट आफ ऑफीसर ग्रेड 2, जनरल सचिव की सेवा में 4 दशक बिताये। जनरल रावत जूनियर कमांडिंग में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना UNPF का हिस्सा भी थे।
जनरल बिपिन रावत के कुछ महत्वपूर्ण ऑपरेशन
जनरल साहब ने अपने सफल करियर में कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया या उनकी देख रेख में हुए। जनरल रावत ने पूर्व में उग्रवाद को नियंत्रित करने में 2015 में म्यांमार सीमा पार ऑपरेशन की निगरानी की।
2016 सर्जिकल स्ट्राइक जिसके बारे में आप सभी जानते हैं जनरल बिपिन रावत की देखरेख में ही की गई थी।
चीन को पीछे धकेला
इसके अलावा जनरल बिपिन रावत ने डोकलाम विवाद जो कि 2017 में चीन के साथ काफी सुर्खियों में रहा था। डोकलाम के अंदर भी जनरल बिपिन रावत ने चीनी सेनाओं को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था, जिसके कारण जनरल बिपिन रावत की काफी प्रशंसा हुई थी।
चीन डोकलाम क्षेत्र में सड़क बना रहा था लेकिन भारतीय सेना के कड़े विरोध के बाद दोनों सेनाओं के बीच युद्ध जैसी स्थिति आ गई थी। 70 दिनों से ज्यादा दिनों तक स्थिति तनाव पूर्ण रही, लेकिन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और भारतीय सेना ने चीनी सेना का डटकर सामना किया और आखिरकार चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट
जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से फैलाए जा रहे आतंकी माहौल ने पिछले कुछ सालों से अपनी जड़े और मजबूत कर ली है। बिपिन रावत के कमान संभालने के बाद 2017 में भारतीय सेना की तरफ से ऑपरेशन ऑल आउट जारी किया गया। इस ऑपरेशन के जरिए जम्मू कश्मीर में आतंकी संगठन को खत्म कर दिया गया। यह ऑपरेशन उस समय काफी सफल रहा था।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के अंदर जनरल बिपिन रावत ने मोर्चा संभाला। इस दौरान घाटी में शांति बनाए रखने की कड़ी चुनौती थी। ऐसे में सरकार ने बिपिन रावत के उपर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी डाली और रावत ने सरकार को बिल्कुल निराश नहीं किया और काफी शांति से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद में जम्मू कश्मीर के अंदर कोई बड़ा दंगा फसाद नहीं हुआ।
कुछ और मिशन जो बिपिन रावत की निगरानी में हुए
- साल 2015 में भारतीय सेना ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के उग्रवादियों द्वारा की गई घटना का सफलतापूर्वक जवाब दिया, इस मिशन को जनरल रावत ने अपनी निगरानी में आयोजित किया।
- 2016 में भारतीय सेना की पूरी बेस कैंप पर आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना के साथ भारतीय सेना की एक टीम ने नियंत्रण रेखा को पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में प्रवेश किया था। उस समय विपिन रावत ने ही नई दिल्ली से सारे घटनाक्रम की निगरानी की थी।
जनरल बिपिन रावत को खूब सारे सम्मान और अवार्ड से सुशोभित किया गया
जनरल रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल युद्ध सेवा मेडल और सेना मंडल से अलंकृत किया गया।
अनोखे तथ्य बिपिन रावत के बारे में
- उनका जन्म उत्तराखंड के एक ऐसे राजपूत परिवार में हुआ था। जो की सदियों से भारतीय सेना को अपनी परिवार की सेवा देते आये है। बिपिन रावत अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं जो भारतीय सेना में थे, उन से पहले उनके पिता और दादा भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके है।
- बिपिन रावत के चाचा भारत सिंह रावत भी भारतीय सेना में एक सेवानिवृत्त हवलदार रहे है। उनके एक और चाचा हरिनंदन भी भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके है।
- भारतीय सैन्य अकादमी से पास होने के बाद उन्हें उसी बटालियन में ज्वाइन किया जहाँ उनके पिता ने सैन्य बल की प्रशिक्षण लिया था। वह 11 गोरखा राइफल्स की पांचवी (5th) बटालियन थी।
- मेजर रहते हुआ जम्मू और कश्मीर की उरी में उन्होंने काम किया। कर्नल रहते हुआ उन्होंने किबिथू की 11 गोरखा राइफल्स की 5th बटालियन में काम किया।