Chanakya Niti in Hindi Chapter 10, Chanakya Success Tips
आचार्य चाणक्य भारतीय राजनीतिक व सामाजिक मूल्यों के निर्विवाद मापदंड व नीति निर्धारक स्वीकार किए गए हैं उनकी चाणक्य नीति एक नागरिक के लिए आदर्श गाइड है। इसमें उन्होंने एक व्यक्ति के अपने हित के लिए क्या ठीक हैं और क्या हानिकारक व अनैतिक है, उसका विशद वर्णन सूत्रों के रूप में किया है। उनके उपदेश सदाबहार हैं और जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, वो और अधिक सामाजिक व सार्थक होते जा रहे हैं।
Chanakya Niti : Tenth Chapter
धन से रहित होने के कारण किसी व्यक्ति को निर्धन नहीं कहा जा सकता, क्योकि वास्तव में सच्चा धन रुपया-पैसा न होकर विधा ही हैं, व्यक्ति धन का उपार्जन विधा या अपने हुनर से ही करता हैं इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह विधा प्राप्ति का यत्न करें अथवा कोई हुनर सीखे, जिससे उसे धन की प्राप्ति हो।
A poor person is not mean or worthless in true sense. A rich person is not poor because of his unshakable determination. But one who is not educated is the poorest of all. No redeeming feature about him.
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पांव उठाने से पहले ये देख लेना चाहिए की पांव कहाँ पड़ेगा, अंको से भली प्रकार मार्ग की परीक्षा करके उस पर ही चलना प्रारंभ करना चाहिए, वस्त्र से छान कर ही जल पीना चाहिए, शास्त्र द्वारा संशोधित सत्य, शुद्ध और मधुर वाणी बोलनी चाहिए तथा पवित्र मन से ही दूसरों के साथ व्यवहार-आचरण करना चाहिए।
Look before you tread, drink water after filtering it, speak the correct language and act only after giving it due thought.
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विधा-प्राप्तिकाल में व्यक्ति को साधना करनी पड़ती हैं अत: इस अवधि में उसे सुख-भोग की इच्छा का परित्याग कर देना चाहिए। इस तप साधना के उपरान्त तो व्यक्ति को सुख ही सुख मिलता हैं अत: बुद्धिमान पुरुष को जीवन-भर के सुख-भोग के लिए अल्पकाल के दुःख सहन करने को उधत रहना चाहिए।
He who desires sense gratification must give up all thoughts of acquiring knowledge; and he who seeks knowledge must not hope for sense gratification. How can he who seeks sense gratification acquire knowledge, and he who possesses the knowledge to enjoy mundane sense pleasure?
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कवि का दर्ज़ा बहुत ऊचा होता हैं वह ऐसी उपमा देता हैं कि लोग सोच भी नहीं सकते, उसकी सूझ वहां तक पहुचती हैं जहाँ पर सामान्य जन नहीं पहुच सकते, स्त्री जो भी कर गुजरे कम हैं शराबी का क्या पता कब क्या बकने लगे और कौए को यह नहीं पता होता की क्या खाने योग्य हैं और क्या नहीं।
What is it that escapes the observation of poets? What is that act women are incapable of doing? What will drunken people not prate? What will not a crow eat?
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भाग्य की महिमा अपरम्पार हैं तथा उसकी शक्ति पर किसी का भी कोई वश नहीं चलता, कल क्या होने वाला हैं कोई नहीं जानता।
Fate makes a beggar a king and a king a beggar. He makes a rich man poor and a poor man rich
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लोभी व्यक्तियों के लिए चंदा, दान मांगने वाले व्यक्ति शत्रुरूप होते हैं, मूर्खो को भी समझाने-बुझाने वाला व्यक्ति अपने शत्रु लगता हैं। दुराचारिणी स्त्रियों के लिए पति ही उनका शत्रु होता हैं, चोर चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं इसलिए मुर्ख को सीख और लोभी से कुछ मांगने की भूल नहीं करनी चाहिए।
The beggar is a miser’s enemy; the wise counselor is the fool’s enemy; her husband is an adulterous wife’s enemy, and the moon is the enemy of the thief.
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जिनके पास इनमे से कुछ नहीं है – विद्या, तप, ज्ञान, अच्छा स्वभाव, गुण, दया भाव ।
वो धरती पर मनुष्य के रूप में घुमने वाले पशु है, धरती पर उनका भार है।
Those who are destitute of learning, penance, knowledge, good disposition, virtue and benevolence are brutes wandering the earth in the form of men. They are burdensome to the earth.
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प्रभाव तो उन लोगो पर पड़ता हैं जिनमे कुछ सोचने–समझने अथवा ग्रहण करने की शक्ति होती हैं, जिस व्यक्ति के पास स्वयं सोचने समझने की बुद्धि नहीं, वह अन्य किसी के गुणों को क्या ग्रहण करेगा।
Those that are empty-minded cannot be benefited from instruction. Bamboo does not acquire the quality of sandalwood by being associated with the Malaya Mountain.
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जो व्यक्ति जन्म से अँधा हैं वह दर्पण में अपना मुख किस प्रकार देख सकता हैं? जिस प्रकार दर्पण अंधे व्यक्ति का कोई लाभ नहीं कर सकता और इसमें दर्पण को कोई दोष नहीं दिया जा सकता, इसी प्रकार शास्त्र भी बुद्धिहीन व्यक्ति का किसी भी प्रकार उद्धार नहीं कर सकता।
What good can the scriptures do to a man who has no sense of his own? Of what use is as a mirror to a blind man?
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मल का त्याग करने वाली इन्द्रिय को कितनी ही बार स्वच्छ किया जाये, साबुन पानी से सैकड़ो बार धोने पर भी वह स्पर्श करने योग्य नहीं बन पाती, इसी प्रकार इस संसार में दुर्जनों को सुधरने का प्रयास निरर्थक ही हैं।
Nothing can reform a bad man, just as the posteriors cannot become a superior part of the body though washed one hundred times.
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शत्रुओ से द्वेष बनाये रखने से प्राणों के साथ धन का भी नाश होता हैं, राजा तथा राजपरिवार से शत्रुता करने से सर्वस्व अथार्थ धन-सम्मान तथा प्राण का नाश होता हैं और ब्राह्मणों से द्वेष करने से प्राण, धन-सम्मान के साथ पूरे वंश का नाश हो जाता हैं।
By offending a kinsman, life is lost; by offending others, wealth is lost; by offending the king, everything is lost; and by offending a Brahman (Brahmin) one’s whole family is ruined.
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मनुष्य हिंसक जीवो से घिरे वन में रह ले, वृक्ष पर घर बना कर, फल-पत्ते खाकर और पानी पीकर निर्वाह कर ले, धरती पर घास-फूस बिछाकर सो ले, परन्तु धनहीन होने पर भी अपने संबंधियों के साथ कभी न रहे क्योकि इससे उसे अपमान और उपेक्षा का जो कडवा घूंट पीना पड़ता हैं वह सर्वथा असह्य होता हैं।
It is better to live under a tree in a jungle inhabited by tigers and elephants, to maintain oneself in such a place with ripe fruits and spring water, to lie down on grass and to wear the ragged barks of trees than to live amongst one’s relations when reduced to poverty.
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ब्राह्मण तत्वज्ञान रूपी वृक्ष हैं, संध्या प्रात दोपहर सायं अथार्थ दो कालो की सन्धि-बेला में की जानी वाली पूजा –उपासना उस वृक्ष की जड़े हैं, वेद उस वृक्ष की शाखा हैं तथा धर्म-कर्म उसके पत्ते हैं। प्रयत्नपूर्वक मूल की रक्षा करने से ही वृक्ष भली प्रकार फलता-फूलता हैं और यदि कहीं जड़ ही कट जाए तो न शाखा का ही कोई महत्व रहता हैं और न पत्ते ही हरे भरे रह पाते हैं।
A Brahmana tree, worship is its roots, learning of religious books is its branches, faith and deeds are its leaves, So, a Brahman must protect it roots.
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प्रभु के भक्तो के लिए तो तीनो लोक उनके घर के समान ही हैं, श्रद्धालु भक्तो के लिए लक्ष्मी माता तथा श्रीविष्णु नारायण पिता हैं भगवान के भक्त ही भक्तो के बन्धु-बांधव हैं और तीनो लोक ही उनका अपना देश अथवा निवास-स्थान हैं।
My mother is Kamala Devi (Lakshmi), my father is Lord Janardana (Vishnu), my kinsmen are the Vishnu-bhaktas (Vaisnavas) and, my homeland is all the three worlds.
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रात होने पर अनेक जातियों के पक्षी कौवा, तोता कबूतर आदि एक ही वृक्ष पर आ बैठते हैं और रात्रि वही बिताते हैं और प्रभात होने पर दाना चुगने के लिए भिन्न-भिन्न दिशाओ में उड़ जाते हैं। यही स्थिति परिवार के सदस्यों की भी हैं, कुछ लोग एक परिवार रूपी वृक्ष पर आकर बैठते हैं और समय आने पर चल देते हैं इसमें दुखी होने की कोई बात नहीं आवागमन और संयोग-वियोग तो जीवो का नित्य धर्म हैं।
Birds of various colors, shapes, and breeds converge on a tree at evening time. And they fly away in different direction in the morning. So are kith and kin that come together in a family and then disperse. Why grieved the separation from each other?
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जिसके पास बुद्धि हैं बल भी उसी के पास हैं। बुद्धिहीन का तो बल भी निरर्थक हैं क्यों कि वह उसका प्रयोग नहीं कर पाता, बुद्धि के बल पर ही एक बुद्धिमान खरगोश ने अहंकारी सिंह को वन में कुए में गिराकर मार डाला था।
One who is wise, he is powerful. Fools may be physically strong but they lack the winning power of cleverness. Just like the mighty lion that got killed by a clever rabbit.
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भगवान श्री विष्णुनारायण सारे संसार का भरण-पोषण करने वाले कहे जाते हैं तो फिर मुझे जीवन में किस प्रकार की चिंता हैं यदि श्रीनारायण नहीं होते तो गर्भ्रस्थ शिशु के लिए माँ के स्तनों में दूध कहाँ से आता हे लक्ष्मीपति आपके विश्व-पोषक होने पर विश्वास करके ही मैं आपके –कमलों की सेवा में अपना सारा समय बिताता हूँ।
Why should I be concerned for my maintenance while absorbed in praising the glories of Lord Vishwambhara (Vishnu), the supporter of all? Without the grace of Lord Hari, how could milk flow from a mother’s breast for a child’s nourishment? Repeatedly thinking only in this way, O Lord of the Yadus, O husband of Lakshmi, all my time is spent in serving Your lotus feet.
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जिस प्रकार अमृत के सुलभ होने पर भी देवतागण अप्सराओ के अधर-रस को पीने के लिए लालयित रहते हैं, उसी प्रकार संस्कृत भाषा में गहरी पैठ रखता हुआ भी मैं अन्य भाषाओं को जानने के लिए उत्सुक हूँ।
My learning in holy language Sanskrit. Still, I learn for the knowledge of other tongues. God drank nectar yet they thirst to drink the sweetness of love from the lips of heavenly beauties. (apsaras)
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अन्न की अपेक्षा उसके चूर्ण अथार्थ पिसे हुए आटे में दस गुना अधिक शक्ति होती हैं, दूध में आटे से भी दस गुना ज्यादा शक्ति होती हैं, मांस में दूध से भी आठ गुना ज्यादा शक्ति होती हैं और घी में मांस से भी दस गुना ज्यादा बल हैं।
Compared to grains flour has ten times more energy, milk has ten times more than milk and Ghee has ten times more energy than meat.
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साग-सब्जी खाने रहने से रोग बढ़ जाते हैं दूध का सेवन करने से शरीर बढ़ता हैं घी खाने से बल-वीर्य की वृद्धि होती हैं और मांस खाने से मांस की वृद्धि होती हैं।
Saag increases ills, milk invigorates the body, ghee builds up semen and meet adds to the flesh.
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Friends, चाणक्य नीति के उसी क्रम में “Chanakya quotes in Hindi and English: tenth chapter” share कर रहा हूं। आशा है आपको बहुत सी बातें सीखने को मिलेगी।
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