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चाणक्य नीति Chapter 11 In Hindi

Chanakya Niti in Hindi  Chapter 11, Chanakya Success Tips 

चाणक्य विद्वान, दूरदर्शी तथा दृढसंकल्पी व्यक्ति तो थे ही साथ ही वे अर्थशास्त्र, राजनीति और कूटनीति के आचार्य भी थे। चाणक्य भारत के इतिहास के अदभुत व्यक्तित्व हैं, उनकी कूटनीति को आधार बनाकर संस्कृत में एक अत्यन्त प्रसिद्ध  ‘मुद्राराक्षस’ नामक नाटक भी लिखा गया है।

Chanakya Niti: Eleventh Chapter

मनुष्य में चार बातें स्वभावतः होनी उचित हैं, वे हैं दान देने की इच्छा, मीठा बोलना, सहनशीलता और उचित अथवा अनुचित का ज्ञान ये बातें व्यक्ति में सहज भाव से ही होनी चाहिए, अभ्यास से ये गुण व्यक्ति में नहीं आ सकते।

Charitable disposition, sweet voice, [patience and discernment of right and wrong]these four natural qualities. One cannot learn them by training.

जिस प्रकार एक राजा अत्यधिक अधर्म के आचरण से नष्ट हो जाता हैं, उसका पाप ही उसे समाप्त कर देता हैं ठीक उसी प्रकार अपने लोगो को छोड़ कर दूसरों को अपनाने वाला मुर्ख व्यक्ति भी अपने-आप ही नष्ट हो जाता हैं।

He who forsakes his own community and joins another perishes as the king who embraces an unrighteous path.

छोटे से अंकुश से इतने बड़े हाथी को साधना, छोटे से दीपक से इतने बड़े व्यापक अन्धकार का नष्ट होना तथा छोटे से वज्र से विशाल-उन्नत पर्वतो का टूटना इस सत्य का प्रमाण हैं कि तेज-ओज की ही विजय होती हैं, तेज में ही शक्ति रहती हैं मोटापे को बल का प्रतीक नहीं समझना चाहिए अथार्थ मोटे व्यक्ति को बलवान समझना भ्रान्ति हैं।

The elephant has a huge body but is controlled by the Ankush (goad): yet, is the goad as large as the elephant? A lighted candle banishes darkness: is the candle as vast as the darkness. A mountain is broken even by a thunderbolt: is the thunderbolt therefore as big as the mountain? No, he whose power prevails is really mighty; what is there in bulk?

जब कलयुग के समाप्त होने में दस हज़ार वर्ष शेष रह जाएगे तो भगवान भारत से बाहर चले जायेगे और पांच हज़ार वर्ष शेष रहने पर इस धरती पर गंगा का जल भी नहीं रहेगा तथा ढाई वर्ष पूर्व ग्रामदेवता भी ग्रामो से कूच कर जायेंगे, कहने का तात्पर्य हैं की जब अधर्म बढ़ जाता हैं तो अपने भी साथ छोड़ जाते हैं।

When Kaliyug is ten thousand years old, the Lord Vishnu goes back to His heavenly abode deserting earth. Five thousand years hence, river Ganga dries up and two thousand and five hundred years from that all the deities will depart.

घर के सुखो अथवा परिवार में मोह रखने वाला कभी विधा प्राप्त नहीं कर सकता, मांस खाने वाले के मन में कभी दया का भाव नहीं उपज सकता, धन का लोभी कभी सत्यभाषण नहीं कर सकता, स्त्रियों में आसक्ति रखने वाला कामी पुरुष पवित्र सदाचारी नहीं रह सकता।

A man tied to making both ends meet for the family has no time for learning, a meat-eater has no mercy, a greedy person knows know no truth and a person infatuated with a woman is not pious.

नीम के वृक्ष की जड़ को कितना ही दूध और घी से सींचने पर भी नीम का वृक्ष जिस प्रकार अपना कडवापन छोड़ कर मीठा नहीं हो सकता, उसी प्रकार दुष्ट व्यक्ति को कितना भी समझाने की चेष्टा की जाए, वह अपनी दुर्जनता को छोड़ कर सज्जनता को नहीं अपना सकता।

Feeding milk and honey to the roots of a Neem tree does not make it shed bitterness. Similarly, good advice is wasted on an evil person.

जिस प्रकार जिस पात्र में शराब अथवा मादक द्रव्य रखा जाता हैं उसे आग से तपाये जाने पर भी उसकी गंध नहीं जाती हैं वह शुद्ध नहीं हो सकता ठीक उसी प्रकार कुटिल मन वाला व्यक्ति, जिसमे मन में पाप भरा हैं सैकड़ो तीर्थो में स्नान करने पर भी पवित्र और निष्पाप नहीं हो सकता।

A container that contained wine does not become pure even after getting heated in the fire and a hundred times. Similarly, a person’s heart that contains evil does not become purified even after hundred pilgrimages.

जिसे किसी विशेषताओं या गुण का ज्ञान नहीं यदि ऐसे व्यक्ति की कोई निंदा करता हैं तो आश्चर्य नहीं जिसकी निंदा की जाती हैं उसकी भी कोई हानि नहीं होती उदाहरण के रूप में यदि भीलनी को गजमुक्ता यानि हाथी के कपाल में पाई जाने वाली काले रंग की भारी और मूल्यवान मणि मिल जाए तो उसका मूल्य न जानने के कारण वह भीलनी उस मणि को फेक कर घुघुंची की माला को ही गले में धारण करती हैं।

One who does not know the qualities of a thing insults it. Just like a tribal woman who throws away Gajamukta pears and wears cheap beads.

वर्ष भर नित्यप्रति मौन रह कर भोजन करने वाला करोडो चतुर्युगो तक (एक युग से चार युग –सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग होते हैं और प्रत्येक की आयु क्र्मशा 12, 10, 8, और 6 वर्ष मानी गई हैं ) स्वर्ग में निवास करता हैं और देवो द्वारा पूजा जाता हैं।

Those who partake food with contentment and silence, the enjoy the happiness of eternal heavens.

विधार्थी को अपने लक्ष्य की सफलता के लिए ये आठ बुराइया छोड़ देनी चाहिए।
काम-विषय-चिंतन, क्रोध (अभीष्ट प्राप्ति न होने पर आपने से बहार होना ), लोभ (धन प्राप्ति की तृष्णा), स्वाद(जिव्हा को प्रिय लगने वाले पदार्थो का सेवन), श्रंगार (सजना-धजना), कौतुक (खेल-तमाशे, सिनेमा, टीवी आदि देखना), अतिनिद्रा (बहुत अधिक सोना) और अतिसेवा किसी दुसरे की बहुत अधिक चाकरी करना इन आठ में से एक दुर्गुण भी उसे अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचने देगा।

Sex, anger greed, taste, preening, play, sleep, and excess anything-these eight things must be strictly avoided by a student.

धरती पर अपने आप उगने वाले फल-फुल का सेवन करने वाला अर्थात् ईश्वरीय कृपा की प्राप्ति से संतुष्ट रहने वाला, वन में ही अनासक्त भाव से रहने वाला तथा प्रतिदिन पितरो का श्राद-तर्पण करने वाला ब्राह्मण ऋषि कहलाता हैं।

One who eats fruits and edible roots from uncultivated land, one who is content with whatever, food nature provide, one who loves the wild and one who pays daily homage to departed ones, is the real saint.

दिन में एक समय भोजन खाकर संतुष्ट रहने वाला, छः कर्तव्य-कर्मो-यज्ञ करना-कराना, वेदों का अध्ययन और अध्यापन करना तथा दान देना और लेना का पालन करने वाला तथा केवल ऋतुकाल में ही स्त्री का भोग करने वाला अर्थात् केवल संतान को जन्म देने के लिए रतिभोग में प्रवर्त होने वाला ब्राह्मण ही दिविज कहलाता हैं।

A true Brahmin is he, who eats one meal a day, does and conducts yagna, studies teaches, gives charity, receives alms and makes love to his woman only she has her monthly period.

सदा सांसारिक कार्यो में व्यस्त रहने वाला, पशुओ का पालक, व्यापार तथा कृषि-कर्म से अपनी आजीविका चलाने वाला ब्राह्मण, ब्राह्मण –कुल में उत्पन्न होकर भी वैश्य कहलाता हैं।

A Brahmin engaged in the worldly pursuit, animal farming, business, and cultivation is merely a trader. No Brahmin.

लाख आदि, तेल, नील, कपडे रेंज के रंग, शहद घी मदिरा और मांस आदि का व्यापार करने वाला ब्राह्मण शुद्र कहलाता हैं।

A Brahmin who deals in lakh products, oil, indigo, flower, honey, ghee, and wind, is a Shudra person.

दूसरों के कार्यो को बिगाड़ने वाला, पाखंडी अपना ही प्रोयजन सिद्ध करने वाला अथार्थ स्वार्थी, धोखेबाज़, अकारण ही दूसरों से शत्रुता करने वाला, ऊपर से कोमल और अन्दर से क्रूर ब्राह्मण, निक्र्स्त पशु कहलाता हैं।

One who put hurdles in the way of others, one who is vengeful, selfish, deceitful, and quarrelsome and sweet-tongued but wicked at heart, such Brahmin is a tomcat.

बावड़ी, कूप तालाब बैग और देव मंदिरों को तोड़ने –फोड़ने में संकोच न करने वाला ब्राह्मण अपने निक्रस्त कर्मो के कारण म्लेच्छ कहलाता हैं।

Brahmin who destroys water spring, well, pond garden, and temples is meanest per who is not fit to be called a Hindu.

देवो और गुरुओ की सम्पति को हड़प जाने वाला, दूसरों की स्त्रियों से व्यभिचार करने वाला तथा दूसरों लोगो से मांग कर अपने जीवन का निर्वाह करने वाला ब्राह्मण चाण्डाल कहलाता हैं।

One steals deity’s money (temple collections or property) guru’s money, one who uses other’s wife and one who accepts offerings from all and sundry, such Brahmin is a scavenger.

भाग्यशाली पुण्यात्माओ को खाध्य पदार्थ अर्थात् खाने पीने की सामग्री और धन-धान्य आदि का संग्रह न करके उन्हें जरुरतमंद लोगो को दान में दे देना चाहिए दान देने के कारण ही आज तक बलि, कर्ण और विक्रमादित्य जैसे राजाओ की कीर्ति इस सारे संसार में व्यापत हैं।

Fortunate people with souls, should not sit upon stored food grains and money earned. They should be charitable. The kings who were known for charity are still remembered and praised. On the contrary, when honey gets destroyed for some reason the bees who stored, rub their legs, and lament they neither used honey themselves nor gave it to others.

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Friends, चाणक्य नीति के उसी क्रम में “Chanakya quotes in Hindi and English: eleventh chapter” share कर रहा हूं। आशा है आपको बहुत सी बातें सीखने को मिलेगी।

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