Chanakya Niti in Hindi Chapter 15, Chanakya Success Tips
Kautilya Quotes in Hindi, चाणक्य भारत के महान विद्वानों में से एक माने जाते हैं। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ ,चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्यात हुए। चाणक्य ने जो नीतियां और सिद्धांत बताएं हैं अगर उन पर अमल किया जाए तो इंसान का जीवन बेहतरीन बन सकता है।
Chanakya Niti : Fifteen Chapter
जिसका चित्त प्राणियों को संकट में देखकर दया से द्रवित हो जाता हैं। उसे जटाए बढ़ाने, भस्म लगाने, ज्ञान प्राप्त करने तथा मोक्ष के लिए प्रयत्नशील होने की आवश्कता नहीं, दया सभी धर्मो से बढ़कर हैं और दयालु व्यक्ति ही सच्चे अर्थो में ज्ञानवान भक्त और योगी हैं।
For one whose heart melts with compassion for all creatures; what is the necessity of knowledge, liberation, matted hair on the head,and smearing the body with ashes?
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इस संसार में ऐसा कोई मूल्यवान पदार्थ नहीं हैं। जिसे गुरु को अर्पण करके शिष्य गुरु के इस ऋण (एकाक्षर का ज्ञान अथार्त मिथ्या मायामोह से हटाकर ब्रह्म से साक्षात्कार कराना) से उऋण हो सके।
There is no treasure on earth the gift of which will cancel the debt a disciple owes his guru for having taught him even a single letter (that leads to Krishna consciousness).
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दुष्टो और कांटो से छुटकारा पाने के दो ही मार्ग हैं- प्रथम,जूतों से उनका मुहं तोड़ देना और दूसरा दूर से ही उनका परित्याग कर देना।
There are two ways to get rid of thorns and wicked persons; using footwear in the first place and in the second shaming them so that they cannot raise their faces again thus keeping them at a distance.
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मैले-कुचैले वस्त्र पहनने वाला, गन्दे-मैले दांतों वाला, अधिक खाने वाला, कानो पर हथौड़ा पड़ने जैसी कर्कश वाणी बोलने वाला, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोता रहने वाला यदि साक्षात् विष्णु भी हो तो लक्ष्मी भी उसे अवश्य छोड़ देती हैं। दूसरों के विषय में तो फिर कहना ही क्या।
He who wears unclean garments, has dirty teeth, is a glutton, speaks unkindly and sleeps after sunrise although he may be the greatest personality, will lose the favor of Lakshmi.
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मनुष्य जब कभी धनहीन हो जाता हैं तो उसके मित्र, सेवक और सम्बन्धी यहाँ तक की स्त्री आदि भी उसे छोड़ देते हैं। और जब कभी वह फिर से धनवान हो जाता हैं तो ये सब वापस लौट आटे हैं। इसलिए धन ही मनुष्य का सच्चा बन्धु हैं।
He who loses his money is forsaken by his friends, his wife,his servants and his relations; yet when he regains his riches those who have forsaken him come back to him. Hence wealth is certainly the best of relations.
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अन्याय, धूर्तता अथवा बेईमानी से जोड़ा-कमाया धन अधिक से अधिक दस वर्षो तक रहता हैं। ग्यारवे वर्ष में वह बढ़ा हुआ धन मूल के साथ ही नष्ट हो जाता हैं।
Sinfully acquired wealth may remain for ten years; in the eleventh year it disappears with even the original stock.
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समर्थ व्यक्ति को कोई दोष देना कठिन हैं। जो बात सामर्थ्यवान के लिए सिद्धदायक हो सकती हैं, वही सामान्य व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकती हैं। देखिये अमृत पीना तो अच्छा है लेकिन राहू की मौत अमृत पीने से ही हुई। विष पीना नुकसानदायी है लेकिन भगवान् शंकर ने जब प्राणघातक विष पिया तो वह भी उनके गले का आभूषण बन गया।
A bad action committed by a great man is not censured (as there is none that can reproach him),and a good action performed by a low-class man comes to be condemned (because none respects him). Just see: the drinking of nectar is excellent, but it became the cause of Rahu’s demise; and the drinking of poison is harmful,but when Lord Shiva (who is exalted) drank it, it became an ornament to his neck (nila-kantha).
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ब्राहमणों को खिलाने के उपरान्त अवशिष्ट भोजन ही सर्वोतम भोजन हैं, दूसरों का हित करने वाली सहानुभूति ही सच्ची सहर्दियता हैं। पाप से निवृत करने वाली बुद्धि ही निर्मला प्रज्ञा हैं। छल-कपट से रहित शुद्ध आचरण ही सच्चा धर्म हैं।
A true meal is that which consists of the remnants left after a Brahman’s meal. Love, which is shown to others, is true love, not that which is cherished for one’s own self. To abstain from sin is true wisdom.That is an act of charity, which is performed without ostentation.
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किसी योग्य व्यक्ति को निम्न स्थान पर और अयोग्य व्यक्ति को उच्च पद पर रख देने से उनके मूल्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो जाता, अपितु उससे गलत स्थान पर रखने वाले व्यक्ति की ही निन्दा होती हैं।
भले ही मणि को ठोकर मारी जाए और कांच को सर पर धारण किया जाए, परन्तु खरीद-फरोख्त के समय मणि का मूल्य और होता हैं और शीशे का और।
For want of discernment the most precious jewels lie in the dust at the feet of men while bits of glass are worn on their heads. But we should not imagine that the gems have sunk in value,and the bits of glass have risen in importance. When a person of critical judgment shall appear, each will be given its right position.
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यह मानव-जीवन सीमित हैं और कार्यो और ज्ञान की सीमा अनंत हैं इस स्थिति में मनुष्य को शास्त्रों का सार ही ग्रहण करना चाहिए। उसी प्रकार जैसे हंस पानी छोड़कर उसमे मिला हुआ दूध पी लेता है।
Sastric (scriptural) knowledge is unlimited, and the arts to be learned are many; the time we have is short, and our opportunities to learn are beset with obstacles. Therefore select for learning that which is most important, just as the swan drinks only the milk in water.
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दूर से आये परिचित अथवा अपरिचित व्यक्ति को, रास्ता चलने से थके-मांदे तथा किसी स्वार्थ के कारण आश्रय की इच्छा से घर पर आये व्यक्ति को, बिना खिलाये-पिलाये जो स्वयं खा-पी लेता हैं, वह चाण्डाल समान हैं।
He is a chandala who eats his dinner without entertaining the stranger who has come to his house quite accidentally, having travelled from a long distance and is wearied.
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एक मनुष्य को चारो वेद और सभी धर्मं शास्त्रों का ज्ञान है लेकिन उसे यदि उसे अपनी आत्मा की अनुभूति नहीं हुई तो वह उसी चमचे के समान है। जिसने अनेक पकवानों को हिलाया तो सही लेकिन किसी का स्वाद नहीं चखा।
One may know the four Vedas and the dharma-sastras, yet if he has no realisation of his own spiritual self, he can be said to be like the ladle (spoon) which stirs all kinds of foods but knows not the taste of any.
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वह लोग धन्य है, जिन्होंने संसार रूपी समुद्र को पार करते हुए एक सच्चे ब्राह्मण की शरण ली। उनकी शरणागति ने नौका का काम किया। वे ऐसे मुसाफिरों की तरह नहीं है जो ऐसे सामान्य जहाज पर सवार है और जिसको डूबने का खतरा है।
Those blessed souls are certainly elevated who, while crossing the ocean of life, take shelter of a genuine Brahman, who is likened unto a boat. They are unlike passengers aboard an ordinary ship that runs the risk of sinking.
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चन्द्रमा- जो अमृत का भण्डार हैं और औषधियों में रस डालने वाला होने से उनका अधिपति हैं और अत्यन्त चमकीला हैं परन्तु सूर्य के मण्डल में पहुंचते ही एकदम निस्तेज हो जाता हैं। अथार्त दुसरे के घर में जाने से व्यक्ति का बड़प्पन बना नहीं रहता अथार्त अपना प्रयोजन लेकर किसी के घर जानें में आदमी को संकोच से काम लेना चाहिए।
The moon,who is the abode of nectar and the presiding deity of all medicines,although immortal like amrta and resplendent in form, loses the brilliance of his rays when he repairs to the abode of the sun (day time). Therefore,will not an ordinary man be made to feel inferior by going to live at the house of another?
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यह मधु मक्खी जो कमल की नाजुक पंखडियो में बैठकर उसके मीठे मधु का पान करती थी, वह अब एक सामान्य कुटज के फूल पर अपना ताव मारती है। क्यों कि वह ऐसे देश में आ गयी है जहा कमल है ही नहीं, उसे कुटज के पराग ही अच्छे लगते है।
अथार्त आदमी परदेश में जाकर धन कमाता हैं परन्तु वहां उसे अनेक कष्ट भी उठाने पड़ते हैं इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी आय को समय के अनुरूप ढाल लें।
This humble bee,which always resides among the soft petals of the lotus and drinks abundantly its sweet nectar, is now feasting on the flower of the ordinary kutaja. Being in a strange country where the lotuses do not exist,he is considering the pollen of the kutaja to be nice.
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विष्णु लक्ष्मी से पूछते हैं की वह ब्राह्मणों से असंतुष्ट क्यों रहती हैं लक्ष्मी उत्तर देती हैं।
किब्राह्मण-कुल में उत्पन्न अगस्त्य ऋषि ने गुस्से में मेरे पिता समुद्र को ( जो मेरे पिता है) पी लिया।
भृगु मुनि ने आपकी छाती पर लात मारी।
इसके साथ ये लोग बचपन से ही मेरी सौत सरस्वती की उपासना करते रहते हैं। और ये लोग शंकर की उपासना करने के लिए प्रतिदिन मेरा घर (कमलपुष्प) ही उजाड़ते रहते हैं।
(Lord Visnu asked His spouse Lakshmi why She did not care to live in the house of a brahmana. She replied ‘O Lord a rishi named Agastya drank up My father (the ocean) in anger; Brighu Muni kicked You; brahmanas pride themselves on their learning having sought the favor of My competitor Sarasvati; and lastly they pluck each day the lotus which is My abode,and therewith worship Lord Shiva.Therefore,O Lord,I fear to dwell with a brahmana’.
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दुनिया में बाँधने के ऐसे अनेक तरीके है जिससे व्यक्ति को नियंत्रित किया जा सकता है। सबसे मजबूत बंधन प्रेम का है। इसका उदाहरण वह मधु मक्खी है जो लकड़ी को छेड़ सकती है लेकिन फूल की पंखुडियो को छेड़ना पसंद नहीं करती चाहे उसकी जान चली जाए।
There are many ways of binding by which one can be dominated and controlled in this world,but the bond of affection is the strongest. For example,take the case of the humble bee,which,although expert at piercing hardened wood,becomes caught in the embrace of its beloved flowers (as the petals close at dusk).
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चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते। हाथी बुढा होने पर भी अपनी विलासलीला नहीं छोड़ता। गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता। उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों(सुशीलता,उदारता तथा त्यागशीलता आदि) को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना बसर करना पड़े।
Although sandalwood is cut,it does not forsake its natural quality of fragrance; so also the elephant does not give up sportiveness though he should grow old. The sugarcane does not cease to be sweet though squeezed in a mill; so the man of noble extraction does not lose his lofty qualities, no matter how pinched he is by poverty.
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उलाहना देती हुई, एक गोपी श्रीकृष्ण को कहती हैं, हे श्रीकृष्ण! तुमने एक बार गोवर्धन नामक किसी एक छोटे से पर्वत को क्या उठा लिए कि इस लोक में ही नहीं बल्कि स्वर्गलोक में भी गोवर्धनधारी के रूप में प्रसिद्ध हो गए। परन्तु आश्चर्य ही है कि मैं तीनो लोको को धारण करने वाले तुम्हे अपने ह्रदय में धारण करती हूँ परन्तु मुझे कोई त्रिलोकधारी जैसी पदवी नहीं देता वास्तव में यश-सम्मान तो पुण्य और भाग्य से ही मिलता हैं।
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3 Comments
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