कोलेस्ट्रॉल क्या हैं? In Hindi: How To Control Cholesterol? कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें? अच्छा Cholesterol और ख़राब Cholesterol में क्या difference हैं? स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारी
कोलेस्ट्रोल (Cholesterol)
शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रोल हमारा दोस्त भी हैं और ज्यादा हो जाए तो दुश्मन भी हैं। यह शरीर को काम करने के लिए जरुरी पदार्थ हैं, लेकिन यदि रक्त में इसका स्तर बढ़ जाएँ तो यह दिल के दौरे का खतरा खड़ा कर सकता हैं। ऐसा नहीं हैं कि शरीर में इसकी जरुरत ही नहीं हैं, यह खाना पचाने में सहायता करता हैं। कई बार यह वंश परम्परा के कारण खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन तब इसका उपचार करना होता हैं।
इसे शरीर में पाई जाने वाली चिकनाई कह सकते हैं, यह मोम के जैसा चर्बीयुक्त पदार्थ होता हैं और खासतौर पर लीवर में बनता हैं। हम जो भी खाते हैं वह हाई ब्लड कोलेस्ट्रोल में योगदान देता हैं इसलिए सेहतमंद आहार खाने को कहा जाता हैं। केवल खाने से ही कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता हैं खाने पर कोलेस्ट्रोल का असर केवल पांच फीसदी ही रहता हैं। इसके अलावा जेनेटिक डिसऑर्डर के चलते भी ब्लड कोलेस्ट्रोल बढ़ता हैं। Diabetes के तरह ये भी एक मेटाबोलिक बीमारी हैं, जिसे हम खत्म नहीं कर सकते, लेकिन सही तरह के खान-पान और डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओ से नियंत्रित रख सकते हैं।
कोलेस्ट्रोल से होता क्या हैं?
कोलेस्ट्रोल बेहद महत्वपूर्ण इसलिए हैं, क्योकि यह शरीर को सही काम करने में मदद करता हैं यदि शरीर में जरुरत से ज्यादा कोलेस्ट्रोल होगा तो यह धमनियों को संकरा कर देगा, यह धमनी में जमने लगता हैं और इस तरह रक्त के आवाजाही की जगह कम होती जाती हैं जिसके चलते दिल का दौरा या पक्षघात हो सकता हैं। कोलेस्ट्रोल या अन्य फैट्स को लिपिड्स कहा जाता हैं शरीर में कई तरह के लिपिड्स रहते हैं प्रत्येक का कार्य अलग-अलग हैं।
- उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन एचडीएल (High Density Lipoproteins) – इसी को अच्छा कोलेस्ट्रोल (Good Cholesterol) माना जाता रहा हैं अच्छा इसलिए क्योकि यह खराब कोलेस्ट्रोल को बाहर कर देता हैं खराब यानी धमनियों की दीवारों पर जमा हो चुका कोलेस्ट्रोल जो कई बीमारी का कारण हैं, HDL से दिल के दौरे की आशंका कम हो जाती हैं।
- निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन एलडीएल (Low Density Lipoproteins) – इस कोलेस्ट्रोल को खराब कोलेस्ट्रोल (Bad Cholesterol) माना जाता हैं यह दिल कि बीमारियों का प्रमुख कारण माना जाता रहा हैं।
- ट्राइग्लिसराइड – यह शरीर में मौजूद बेहद आम चिकनाई रहती हैं, ये शरीर में उर्जा के रूप में संरक्षित रहते हैं। हाई ट्राई ग्लिसराइडस के कारण बीमारिया हो सकती हैं।
कोलेस्ट्रोल शरीर की प्रत्येक कोशिका में रहता हैं और यह प्राकृतिक तरह से काम करतें हैं। यह शरीर में तो यह बनता ही हैं, लेकिन आहार के रूप में भी शरीर में जाता हैं। कोलेस्ट्रोल आयल बेस्ड होता हैं इस कारण से वह जल आधारित रक्त में आसानी से नहीं घुल पाता हैं इसी कारण से यह लिपोप्रोटीन के मार्फ़त शरीर में रक्त के जरिएं रहता हैं, शरीर में कोलेस्ट्रोल के वाहक दो लिपोप्रोटीन रहते हैं एक एलडीए और दूसरा एचडीएल।
चार काम करता हैं।
कोलेस्ट्रोल शरीर में चार तरह के काम करता हैं, इनके बिना हम नहीं रह सकते।
- कोशिकाओं की दीवारों को बनाने में योगदान देता हैं।
- आँतों में खाना पचाने लायक अम्ल तैयार करता हैं।
- शरीर में विटामिन डी का उत्पादन इसी के जरिए होता हैं।
- शरीर में इस कारण कई हार्मोन्स बनने लगते हैं।
अच्छे और खराब कोलेस्ट्रोल का संतुलन रहना केवल दिल के लिए ही अच्छा नहीं रहता बल्कि मष्तिष्क की सेहत भी इससे बेहतर होती हैं। जेर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) न्यूरोलॉजी में कुछ समय पहले प्रकशित एक शोध में कहा गया था कि अल्जाइमर्स बीमारी के कारण मस्तिष्क में जो गड़बड़ी हैं, वह भी संतुलित कोलेस्ट्रोल के कारण नहीं रह पाती हैं।
महिलाओं में समस्या
Endocrine society journal of clinical endocrinology and metabolism के मुताबिक, इन सबके अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल ज्यादा होने के कारण प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती हैं। जिन महिलाओं का कोलेस्ट्रोल अधिक रहता हैं, उनको गर्भधारण में लम्बा समय लग जाता हैं ऐसा नहीं हैं कि खराब कोलेस्ट्रोल को अच्छा नहीं किया जा सकता सही तरह के खान-पान और व्यायाम खासतौर पर तेज कदम चलने से खराब से खराब कोलेस्ट्रोल को अच्छे कोलेस्ट्रोल में तब्दील का सकते हैं।
हाई कोलेस्ट्रोल के कारण
इसे चिकित्सा की भाषा में Hypercholesterolemia या Hyperlipidemia भी कहा जाता हैं। दिल के दौरे के लिए यह गंभीर संकेत हैं इसकी वजह से धमनियां जब संकरी होती हैं तो उसे एथरोसक्लेरोसिस कहते हैं। यह एक तरह से धमनी में मैल के तरह से जमी रहती हैं और इससे रक्त प्रवाह सुचारू नहीं रह पाता हैं। आहार जैसे मासांहार, दूध के बने उत्पाद, अंडा आदि कोलेस्ट्रोल के प्रमुख स्त्रोत माने जाते हैं फिर भी हाइपरलिपिडेमिया का प्राथमिक कारण तो जेनेटिक ही हैं घर में किसी को यह तकलीफ हैं तो यह जीन्स के द्वारा दूसरों में आ सकती हैं।
दूसरी बीमारिया भी
कोलेस्ट्रोल के कारण केवल हृदय रोग ही नहीं होता इसके कारण पक्षाघात, लीवर या किडनी की बीमारी, महिलाओं को Polycystic ovary syndrome, थायराइड का ठीक काम नहीं करना और महिलाओं के अनेक हार्मोन्स प्रभवित होने की आशंका रहती हैं।
पता कैसे चलेगा
इसके कोई संकेत नहीं हैं इसको ब्लड टेस्ट के जरिएं ही जाना जा सकता हैं। 20 की उम्र के बाद हर पांच साल में कोलेस्ट्रोल की जांच करवा लेनी चाहिएं इसकी जांच भूखे पेट की जाती हैं करीब 9 से 12 घंटे तक कोई खाना-पीना या दवा नहीं लेनी होती हैं। हालांकि नई जांच में भूखे पेट रहने की जरुरत नहीं हैं इससे सटीक LDL, Triglyceride और HDL का पता चल जाता हैं।
कोलेस्ट्रोल की स्वीकार्य मात्रा क्या है?
एक सामान्य रक्त जांच आपको आपके शरीर के कोलेस्ट्रोल लेवल से अवगत करा सकती है। यह लिपिड प्रोफाइल के नाम से जाना जाता है, इसमें यह दिखाया जाता है कि क्या आप पर कोरोनरी ह्रदय रोगों का खतरा है।
- कुल कोलेस्ट्रोल < 200 mg/dL वांछित है।
- ट्राइग्लिसराइड < 150mg/dL सामान्य है।
- HDL 60 mg/dL और इससे अधिक को ह्रदय रोगों के विरुद्ध रक्षात्मक माना जाता है।
- HDL < 40 mg/dL ह्रदय रोगों के लिए जोखिम हो सकता है।
- LDL (bad cholesterol) कोलेस्ट्रोल के थक्के बनाने में अहम् भूमिका निभाता है। LDL < 100 mg/dL सामान्य है। LDL 160–189 mg/dL पर्याप्त से बहुत अधिक माना जाता है।
- सामान्य VLDL कोलेस्ट्रोल लेवल का अर्थ है आपके ट्राइग्लिसराइड लेवल का पांचवा भाग, जो 2 से 30 mg/dL के बीच होता है।
- कोलेस्ट्रोल/HDL का अनुपात 5।0 अधिकतम सीमा के करीब माना जाता है जबकि 6।0 खतरे के निशान के ऊपर होता है।
कोलेस्ट्रोल कम करने के उपचार
जीवनशैली में बदलाव पहली शर्त हैं। दिल के दौरे और अन्य बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए औषधि भी ली जा सकती हैं। व्यायाम से यह खराब कोलेस्ट्रोल अच्छे में तब्दील हो जाता हैं। धुम्रपान बंद करना होगा। कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए स्टेटिन नामक ड्रग (दवाई) दी जाती हैं।
स्टेटिन से उपचार में ये फायदा
इससे बीमारी का जोखिम नहीं रह जाता। यह भी देखने में आया हैं कि इसका कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं होता हैं इसमें 1985 से लेकर 2013 तक के मामलो के 135 अध्ययन को समाहित किया गया हैं तो यह देखने में आया हैं कि ऐसे व्यक्ति को अगले दस सालों में दिल के दौरे के आशंका हो सकती हैं इसका अनुपात ज्यादा देखने में आया हैं।
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