आचार्य चाणक्य नीति, आचार्य चाणक्य (Chanakya) भारतीय इतिहास के सर्वाधिक प्रखर कुटनीतिज्ञ माने जाते है, Chanakya द्वारा कुछ नीति/नियमों Chanakya Niti का प्रतिपादन किया गया। आचार्य चाणक्य की ‘चाणक्य नीति’ के सत्रह अध्याय है, जो कि इस प्रकार हैं
सम्पूर्ण चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय Complete Chanakya Neeti [In Hindi] Chapter 1
जिस देश में धनी-मानी व्यापारी, कर्म कांड को मानने वाले पुरोहित ब्राहमण, शासन व्यस्था में निपुण राजा, सिंचाई अथवा जल की आपूर्ति के लिए नदियां और रोगों से रक्षा के लिए वैध आदि चिकित्सक न हों अथार्त जहां पर ये पांचो सुविधांए प्राप्त न हो वहां व्यक्ति को एक दिन के लिए भी रहना उचित नहीं हैं। चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय Complete Chanakya Neeti [In Hindi] Chapter 2
यदि पुत्र हो तो पिता का भक्त हो अथार्त माता-पिता के दुखों को दूर करने में जो सहायक होता है, वही पुत्र कहलाने का अधिकारी होता हैं इसी प्रकार संतान का भरण-पोषण करने वाला, उनके सुख-दुःख का ध्यान रखने वाला व्यक्ति ही सच्चे अर्थो में पिता कहला सकता हैं। विश्वास करने योग्य व्यक्ति को ही अच्छा मित्र कहा गया है और अपने पति को सुख देने वाली स्त्री को ही सच्चे अर्थो में पत्नी माना गया हैं। चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : तृतीय अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 3
निर्धनता अथवा गरीबी हटाने का अचूक उपाय है निरंतर परिश्रम, परिश्रमी व्यक्ति कभी निर्धन नहीं रह सकता, उधम करने वाले को ही प्रारंभ में लिखा धन मिलता हैं सोते सिंह के मुंह में पशु अपने आप नहीं आते, परिश्रम के बिना तो उसे भी भूखे मरना पड़ता हैं। चाणक्य नीति : तृतीय अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : चतुर्थ अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 4
केवल एक गुणवान और विद्वान बेटा सैकडो गुणहीन निकम्मे बेटों से अच्छा होता हैं, जिस प्रकार एक ही चाँद रात्रि के अंधकार को दूर करता हैं असंख्य तारे मिलकर भी रात्रि के गहन अंधकार को दूर नहीं कर सकते, उसी प्रकार एक गुणी पुत्र ही अपने कुल का नाम रोशन करता हैं, उसे ऊँचा उठाता हैं। चाणक्य नीति : चतुर्थ अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : पंचम अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 5
ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए, दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए, पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आए उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए। चाणक्य नीति : पंचम अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : षष्ठ अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 6
पक्षियों में सबसे अधिक दुष्ट और नीच कौआ होता हैं इसी प्रकार पशुओ में कुत्ता और साधुओ में वह व्यक्ति नीच व चांडाल माना जाता हैं। जो अपने नियमों को भंग करके पाप-कर्म में प्रवृत हो जाये, सबसे अधिक चांडाल दूसरों की निन्दा करने वाला व्यक्ति होता हैं। चाणक्य नीति : षष्ठ अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : सप्तम अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 7
दो ब्राहमणों, अग्नि और ब्राह्मण, पति और पत्नी, स्वामी और सेवक तथा हल और बैल के बीच में से नहीं गुजरना चाहिए।
अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी कन्या, बूढ़े और बच्चे को कभी पैर नहीं लगाने चाहिए उन्हें पैर से छुना अनुचित हैं। चाणक्य नीति : सप्तम अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : अष्टम अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 8
बुढ़ापे में पत्नी का मर जाना, भाई बन्धुओ द्वारा धन का हड़प लेना तथा भोजन के लिए दुसरे के अधीन रहना – ये तीनो बातें पुरुषो के लिए अत्यंत दुःखदायक होती हैं। चाणक्य नीति : अष्टम अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : नवम अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 9
यह विधि की विडम्बना हैं कि स्वर्ण में गन्ध, गन्ने में फल और चन्दन में फूल नहीं होते, इसी प्रकार विद्वान धनी नहीं होते और राजा दीर्घायु नहीं होते। चाणक्य नीति : नवम अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : दशम अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 10
जिनके पास इनमे से कुछ नहीं है – विद्या, तप, ज्ञान, अच्छा स्वभाव, गुण, दया भाव।
वो धरती पर मनुष्य के रूप में घुमने वाले पशु है, धरती पर उनका भार है। चाणक्य नीति : दशम अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : एकादश अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 11
घर के सुखो अथवा परिवार में मोह रखने वाला कभी विधा प्राप्त नहीं कर सकता, मांस खाने वाले के मन में कभी दया का भाव नहीं उपज सकता, धन का लोभी कभी सत्यभाषण नहीं कर सकता, स्त्रियों में आसक्ति रखने वाला कामी पुरुष पवित्र सदाचारी नहीं रह सकता। चाणक्य नीति : एकादश अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : द्वादश अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 12
एक अजनबी ने एक ब्राह्मण से पूछा.”बताइए, इस शहर में महान क्या है?”.ब्राह्मण ने जवाब दिया कि खजूर के पेड़ का समूह महान है। अजनबी ने सवाल किया कि यहाँ दानी कौन है? जवाब मिला के वह धोबी जो सुबह कपडे ले जाता है और शाम को लौटाता है। प्रश्न हुआ यहाँ सबसे काबिल कौन है.जवाब मिला यहाँ हर कोई दुसरे का द्रव्य और दारा हरण करने में काबिल है, प्रश्न हुआ कि आप ऐसी जगह रह कैसे लेते हो? जवाब मिला की जैसे एक कीड़ा एक दुर्गन्ध युक्त जगह पर रहता है। चाणक्य नीति : द्वादश अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : त्रयोदश अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 13
मनुष्य जैसे कार्य करता हैं, उसके विचार उसकी बुद्धि, उसकी भावनाए वैसी ही बन जाती हैं यह निश्चित हैं कि मनुष्यों को उसके पूर्वजन्मों के अच्छे-बुरे कर्मो के अनुरूप ही सुख-दुःख मिलता हैं इसी प्रकार फल-प्राप्ति कर्मो के अधीन हैं और जैसे कर्म होते हैं वैसा ही फल मिलता हैं उस समय बुद्धि भी वैसी ही बन जाती हैं, तथापि बुद्दिमान पुरुष अपनी ओर से सोच-विचार कर काम करता हैं। चाणक्य नीति : त्रयोदश अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : चतुर्दश अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 14
जल में तेल, दुर्जन के पास गुप्त रहस्य, सत्पात्र को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया गया उपदेशरूप में शास्त्र का ज्ञान थोडा होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं। चाणक्य नीति : चतुर्दश अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : पंचदश अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 15
इस संसार में ऐसा कोई मूल्यवान पदार्थ नहीं हैं। जिसे गुरु को अर्पण करके शिष्य गुरु के इस ऋण (एकाक्षर का ज्ञान अथार्त मिथ्या मायामोह से हटाकर ब्रह्म से साक्षात्कार कराना) से उऋण हो सके। चाणक्य नीति : पंचदश अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : षोडश अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 16
आज तक न तो किसी ने सोने का मृग बनाया हैं और न पहले से बना हुआ देखा और सुना ही हैं, फिर भी श्रीराम उसे पाने के लिए उत्सुक हो उठे और उसके पीछे भाग खड़े हुए। सच तो यह हैं की विनाश-काल आने के समय मनुष्य के सोचने की शक्ति जाती रहती हैं। चाणक्य नीति : षोडश अध्याय read more…
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सम्पूर्ण चाणक्य नीति : सप्तदश अध्याय Complete Chanakya Niti [In Hindi] Chapter 17
शक्तिहीन पुरुष प्रायः ब्रह्मचारी बन जाता हैं और निर्धन और आजीविका कमाने में अयोग्य व्यक्ति साधू बन जाता हैं। उसी प्रकार असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति देवों का भक्त बन जाता हैं और बूढी स्त्री पतिव्रता बन जाती हैं। चाणक्य नीति : सप्तदश अध्याय read more…
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