Inspirational thoughts, जीवन को प्रेरणा देने वाले विचार,Why you fear? क्यों व्यर्थ चिंता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो? (गीता- सार)
डर ही सफलता का सबसे बड़ा शत्रु हैं, हम अमीरी के बीच रहते हुए भी गरीबी से डरते हैं, हम बुरी सेहत से डरते हैं, हालाँकि प्रकृति ने हमें ऐसा कुशल तंत्र दिया हैं जिससे शरीर अपने आप सरंक्षित होता हैं, अपनी मरम्मत करता हैं और अच्छी स्थिति में भी रहता हैं।
याद रखिये ‘डर’ की समाप्ति ही खुशी का रास्ता है, और ये रास्ता आपके मन से होकर गुज़रता है।
हम आलोचना से डरते हैं, जबकि उस आलोचना के सिवाय किसी अन्य आलोचना का कोई महत्व नहीं होता, जिसे हम अपनी कल्पनाशक्ति के नकारात्मक प्रयोग द्वारा अपने मस्तिष्क में स्थापित कर लेते हैं।
हम मित्रो और रिश्तेदारों का प्रेम खत्म होने से डरते हैं, हालाँकि हम अच्छी तरीके से जानते हैं कि सभी सामान्य परिस्थितियों में हमारा अच्छा व्यवहार ही प्रेम को बनाए रखने के लिए पर्याप्त हैं।
हम बुढ़ापे से डरते हैं, जबकि हमें यह मानना चाहिए कि बुढ़ापे का अर्थ अधिक बुद्धि और समझ से हैं।
हम स्वतंत्रता छिनने से डरते हैं, हालाँकि हम जानते हैं कि स्वतंत्रता दुसरो के साथ सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध बनाने से मिलती हैं।
हम मौत से डरते हैं, जबकि हम जानते हैं कि वह अवश्यंभावी हैं और हमारे नियंत्रण से परे हैं।
हम असफलता से डरते हैं और यह नहीं जानते कि हर असफलता में समान लाभ का बीज छिपा होता हैं
और हम बिज़ली से तब तक डरते थे, जब तक की फ्रेंक्लिन, एडिसन और कई अन्य लोगो ने अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण करके यह साबित कर दिया कि बिजली भौतिक उर्जा का एक ऐसा रूप हैं, जिसका दोहन और प्रयोग मानव जाति के लाभ के लिए किया जा सकता हैं।
आस्था द्वारा अपने मस्तिष्क को असीम बुद्धि के मार्गदर्शन के लिए खोलने के बजाय हम अपने मस्तिष्क को कसकर बंद कर लेते हैं और अनावश्यक डरो पर आधारित सीमायें तय कर लेते हैं।
हम जानते हैं की इंसान इस पृथ्वी के बाकी सभी प्राणीयो पर शासन करता हैं Actually हम अपने चारो तरफ ठीक से नहीं देख पाते हम हवा में उड़ने वाले पक्षियों और जंगल में रहने वाले जानवरों को देख कर यह नहीं सीखते हैं कि दैवी योजना द्वारा मूक जानवरों को भी सब कुछ दिया गया हैं, जानवरों को भी भोजन और उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक सभी चीजे दी गई हैं इससे हम यह नहीं सीखते हैं की हमारा डर आधारहीन और मूर्खतापूर्ण हैं।
हम अवसरों की कमी की शिकायत करते हैं और उन लोगो के खिलाफ़ मौर्चा संभाल लेते हैं, जो अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण कर लेते हैं हम यह नहीं पहचानते की दृढ मस्तिष्क वाले व्यक्ति के पास यह अधिकार और शक्ति हैं कि वह अपनी जरुरत की हर भौतिक चीज हासिल कर ले।
हम शरीर के दर्द से डरते हैं और यह नहीं पहचानते कि दर्द ही वह शाश्वत भाषा हैं, जिसके द्वारा हमें उन बुराइयों और खतरों की चेतावनी दी जाती हैं, जिनमे सुधार की जरुरत होती हैं।
अपने डरो के कारण हम ईश्वर से छोटी-छोटी समस्याओं के सम्बन्ध में प्रार्थना करते हैं, जिन्हें हम खुद ही सुलझा सकते हैं और हमें सुलझाना भी चाहिए फिर जब हमें मनचाहे परिणाम नहीं मिलते हैं तो हम हार मान लेते हैं और आस्था गवा देते हैं, हम मस्तिष्क की शक्तियों के रूप में मिले वरदानो के लिए प्रार्थना या धन्यवाद देने के अपने कर्तव्य को भी नहीं पहचानते हैं।
हम पाप के बारे में बातें करते हैं और भाषण झाड़ते रहते हैं, Actually हम यह नहीं समझ नहीं पाते हैं कि सबसे बड़ा पाप यह हैं कि हम परम बुद्धिमान ईश्वर में आस्था खो दे, उसने अपने सभी बच्चो को इतने ज्यादा वरदान दिए हैं जो इस पृथ्वी का कोई भी पिता अपने बच्चो को देने के बारे में नहीं सोच सकता हैं।
हम अविष्कारों की दैवी प्रेरणा को युद्ध द्वारा विनाश के औजारों में बदल देते हैं फिर जब प्रतिफल का नियम हमें अकाल और व्यवसायिक मंदी के रूप में परिणाम देता हैं तो हम उसकी शिकायत करते हैं।
हम मस्तिष्क के शक्ति का असंख्य तरीको से दुरूपयोग करते हैं क्योकि हम यह नहीं पहचानते हैं कि आत्म-अनुशासन से इस शक्ति का दोहन किया जा सकता हैं और अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता हैं।
हम जिन्दगी भर यही करते रहते हैं, हम भूसा खाते हैं और अनाज के दानो को दूर फेंक देते हैं, यह सब सोचनीय हैं अगर गहराई से इन सभी बिन्दुओ पर विचार किया जाए तो हम यह निष्कर्ष पर पहुचेंगे कि हम व्यर्थ ही चिंता कर रहे थे और डर रहे थे।
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Note: The above “Inspirational Quotes in Hindi on why you fear” is not my original creation; I have read it from one of the book & found it is very good to share with you.
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1 Comment
बहुत खूब, उत्साह्वेध्क पोस्ट.