फर्डिनेंड मैगेलन इतिहास में एक विशेष स्थान रखते हैं। फर्डिनेंड मैगेलन पुर्तगाल के पहले ऐसे नाविक थे जिन्होंने अपनी नाव में बैठकर पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाया था। पृथ्वी का चक्कर लगाने के साथ ही साथ मैगेलन ने पृथ्वी के आकार की बात भी दुनिया के सामने रखी थी।
उन्होंने यह कहा कि चर्च का मानना है कि पृथ्वी चपटी है जबकि मैंने चंद्रमा पर पृथ्वी की परछाई देखी है और मैं चर्च से ज्यादा परछाई पर विश्वास रखता हूं। उनके इस कथन के द्वारा लोगों के मन में पृथ्वी के आकार के विषय में कई सारे सवाल पैदा हुए।
यही कारण है कि फर्डिनेंड मैगेलन का नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में देखने को मिलता है। इस लेख में आपको इस महान व्यक्तित्व के बारे में विस्तार पूर्वक जानने को मिलेगा।
फर्डिनेंड मैगलन जीवनी
फर्डिनेंड मैगलन का जन्म पुर्तगाल में हुआ था। इनके बारे में सबसे खास बात यह है कि यह दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने नाव का इस्तेमाल करते हुए पूरी दुनिया का चक्कर पूरा किया था।
मैगलन ने 15वी सेंचुरी में अपनी यात्रा चालू की थी और लगभग पूरी दुनिया को नाव के द्वारा घूम डाला था। फर्डिनेंड मैगलन का जन्म जिस खानदान में हुआ था, वह पहले से ही पुर्तगाल के राजा के साथ अच्छे संबंध रखता है। जब फर्डिनेंड मैगलेन के पिताजी की मृत्यु हो गई, तो उसके बाद यह रानी के बहुत ही वफादार और खास नौकर बन गए।
फर्डिनेंड मैगलन का व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम | फर्डिनेंड मैगलन |
जन्म साल | 1480 |
जन्मदिन | 3 फरवरी |
जन्म स्थान | पुर्तगाल |
पारंपरिक बिजनेस | नाविक |
धर्म | क्रिश्चियन |
मृत्यु दिन | 27 अप्रैल |
मृत्यु साल | साल 1521 |
फर्डिनाण्ड मैगलन का प्रारंभिक जीवन
वर्ष 1480 में 3 फरवरी को फर्डिनाण्ड मैगलन का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। मैगलन जिस परिवार में जन्मे थे उसका पारंपरिक व्यवसाय नाव चलाने का था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इनके पिताजी और इनके पूरे खानदान का पुर्तगाल के किंग से बहुत ही अच्छा संबंध था, क्योंकि इनके पिताजी उनके वहां पर बिजनेस का काम करते थे।
फर्डिनाण्ड मैगलन के अद्भुत विचार
आपने वास्कोडिगामा का नाम सुना ही होगा। वास्कोडिगामा ने “केप ऑफ गुड होप” का रास्ता खोजा था और इसी रास्ते से फर्डिनेंड मैगलन भी भारत आए थे। भारत आने के बाद फर्डिनेंड मैगलन कुछ दिनों तक यही रहे और उसके बाद वह वापस पुर्तगाल चले गए।
जब फर्डिनेंड मैगलन पुर्तगाल पहुंचे, तो उनके मन में यह विचार आया कि अगर यह पृथ्वी गोल है, तो यूरोप से भारत अथवा चीन में जाने के लिए पश्चिम की दिशा से होकर के भी जाया जा सकता है।
जब फर्डिनेंड मैगलन के मन में यह विचार आया, उस टाइम तक अमेरिकी महाद्वीप की जानकारी नाविक कोलंबस के कारण पता चल चुकी थी।
फर्डिनेंड मैगलन अपने इस विचार को लेकर के पुर्तगाल देश में राज करने वाले राजा रानी के पास गए, परंतु जब मैगलन ने अपने इस विचार को राजा रानी के सामने प्रस्तुत किया, तो उन्होंने मैगलन की इस बात को बहुत ही बेतुका करार दिया और राजा तथा रानी ने मैगलन को इस यात्रा के लिए पैसे देने से और आदमी देने से इनकार कर दिया।
पुर्तगाल में अपनी यात्रा की मनाही होने के बाद मैगलन स्पेन के शाही खानदान के पास गए और वहां पर जाकर उन्होंने अपनी व्यथा बताई, जिसके बाद स्पेन के राजा ने मैगलन को यात्रा करने के लिए पैसे और आदमी देने का वादा किया और उन्हें यात्रा करने के लिए पैसे तथा आदमी उपलब्ध करवाएं।
फर्डिनेंड मैगलन की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत
स्पेन के राजा के द्वारा यात्रा करने के लिए पैसे और आदमी देने के बाद फर्डिनेंड मैगलन ने 5 जहाजों में तकरीबन 270 आदमियों के साथ अपनी यात्रा प्रारंभ की। फर्डिनेंड मैगलन की इस यात्रा का उद्देश्य पूर्वी एशिया जाने वाले दूसरे रास्तों की खोज करना था।
यात्रा प्रारंभ होने के बाद कुछ दिन तक चलने रहने के बाद फर्डिनेंड मैगलन का काफिला अटलांटिक महासागर से होते हुए दक्षिण अमेरिका की तरफ आगे बढ़ता है। इसके बाद फर्डिनेंड मैगलन का सफ़र दक्षिण अमेरिका की सीमा के साथ होते हुए दक्षिण दिशा की ओर आगे बढ़ता है,परंतु दक्षिण दिशा की ओर थोड़ा सा आगे बढ़ने पर तेज ठंडी और खराब वातावरण के कारण फर्डिनेंड मैगलन के काफिले को काफी ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ा था।
इन समस्याओं के कारण फर्डिनेंड मैगलन के काफिले में शामिल कुछ मेंबर फर्डिनेंड मैगलन के खिलाफ विद्रोह करने के बारे में सोचने लगते हैं और उस एक योजना बनाने लगते हैं, जिसका एक कारण यह भी था कि मैगलन के काफिले में जो लोग थे, उनमें से अधिकतर लोग स्पेनिश थे और इसीलिए वह पुर्तगाली फर्डिनेंड मैगलन पर ज्यादा ट्रस्ट नहीं करते थे।
अपनी योजना को तैयार करने के बाद स्पेनिश नाविक फर्डिनेंड मैगलन के टोटल 5 जहाजों में से तीन जहाजों को अगवा करने की कोशिश करते हैं, परंतु फर्डिनेंड मैगलन को उनकी इस योजना के बारे में पता चल जाता है, जिसके बाद वह उसकी योजना को असफल कर देते हैं और जो सैनिक इस योजना में शामिल थे, उन सभी को पकड़ लिया जाता है और फर्डिनेंड मैगलन के आदेश पर उन्हें मौत की सजा दे दी जाती है।
प्रशांत महासागर
विद्रोही सैनिकों को मौत की सजा देने के बाद फर्डिनेंड मैक्लीन एक बार फिर अपने काफिले को लेकर दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हैं, जिसके कुछ दिनों के बाद फर्डिनेंड मैग्नल का संगठन चिल्ली और उसके बाद अर्जेंटीना के सागर पर पहुंचता है। अर्जेंटीना के सागर में पश्चिम दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए फर्डिनेंड मैगलन का काफिला प्रशांत महासागर में पहुंच जाता है और इस प्रकार फर्डिनेंड मैगलन अटलांटिक सागर को प्रशांत महासागर से कनेक्ट करने वाले रास्ते की खोज करने में सफलता हासिल करते हैं।
अपने द्वारा खोजे गए इस रास्ते को फर्डिनेंड मैगलन ने ‘All Saints’ Channel’ का नाम दिया था और आज के समय में इसे ‘Straits of Magellan’ कहा जाता है। हालांकि जब फर्डिनेंड मैगलन प्रशांत महासागर पहुंचे थे, तो उनके पास 5 जहाजों में से सिर्फ 3 जहाज ही बचे हुए थे और बाकी का एक जहाज समुंदर में डूब गया था तथा एक जहाज खो गया था।
प्रशांत महासागर पहुंचने के बाद फर्डिनेंड मैगलन को यह लगने लगा था कि उन्हें प्रशांत महासागर को पार करने में कुछ ही दिन लगेंगे परंतु फर्डिनेंड मैगलन की यह सोच और अनुमान बिल्कुल गलत साबित हुआ।
प्रशांत महासागर को पार करने में फर्डिनेंड मैगलन को 10 या 20 दिन नहीं बल्कि टोटल 4 महीने का टाइम लग गया और इन 4 महीनों के दौरान उनके जहाजों पर खाने-पीने की सामग्रियों की काफी कमी होने लगी, जिसके कारण सभी लोगों का बहुत ही बुरा हाल होने लगा।
खाने की कमी होने के कारण जहाज पर मौजूद लोग जहाज में मौजूद चूहे खाने लगे और लकड़ी का बुरादा भी खाने लगे और ऐसे कठिन हालातों में वह अपना गुजारा करने लगे।
फर्डिनेंड मैगलन की मृत्यु
काफी समस्याओं और खराब मौसम का सामना करते हुए फर्डिनेंड मैगलन का काफिला मरियाना आइसलैंड पहुंचने में कामयाबी हासिल करता है और इस प्रकार पश्चिम दिशा की ओर यात्रा चालू करके पूर्व दिशा की ओर पहुंचने का फर्डिनेंड मैगलन का विचार बिल्कुल सच साबित होता है।
मरियाना आइसलैंड पहुंचने के बाद फर्डिनेंड मैक्लेन फिलीपींस पहुंचते हैं, परंतु मैगलन को शायद ही यह पता था कि फिलीपींस देश ही वह जगह है, जहां पर उनकी मौत हो जाएगी। फिलीपींस में पहुंचने के बाद वहां के लोकल आदिवासी लोगों से फर्डिनेंड मैगलन का किसी बात को लेकर विवाद हो जाता है, जिसके बाद फर्डिनेंड मैगलन और उनके साथियों का फिलीपींस के लोकल आदिवासियों से काफी तगड़ा संघर्ष होता है।
और इस संघर्ष में फिलीपींस के भी कई आदिवासी लोग मारे जाते हैं और इसी संघर्ष में 40 लोगों के साथ फर्डिनेंड मैगलेन की भी मौत हो जाती है, वही फर्डिनेंड मैगलन के कुछ साथी भागने में सफल हो जाते हैं।
बचे हुए लोगों की स्पेन वापसी
फर्डिनेंड मैगलन के कुल 270 में से सिर्फ 18 साथी बचे थे, जो 3 साल के बाद साल 1522 में वापस स्पेन देश में पहुंचते हैं। इस प्रकार बचे हुए 18 लोग वह लोग होते हैं, जिन्होंने सबसे पहली बार पूरी पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाया था, परंतु इसमें अफसोस की बात यह थी कि इनका कप्तान फर्डिनेंड मैगलेन इस सफलता को देखने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं था।
स्पेन वापस जाते समय जुआन सेबेस्टियन डेल कैनो नाम के व्यक्ति ने जहाजों की कमान संभाली थी। स्पेन वापसी होने पर 5 मे से सिर्फ एक ही जहाज बचा था, जिसका नाम विक्टोरिया था। इस जहाज ने टोटल 68000 किलोमीटर की समुद्री यात्रा को पूरा किया था।
फर्डिनेंड मैगलन से जुड़े रोचक तथ्य
- फर्डिनेंड मैगलन, पहले ऐसे यूरोपियन थे जिन्होंने प्रशांत महासागर को क्रॉस किया था।
- यूरोपीय नागरिक के अलावा यह पहले ऐसे पुर्तगाली नागरिक थे, जिन्होंने नाव की यात्रा करके पृथ्वी का चक्कर लगाने में सफलता हासिल की थी।
- वर्ष 1519 में मैगलन ने अपनी यात्रा चालू की थी और 3 साल के बाद वह उसी जगह लौटे जहां से उन्होंने अपनी यात्रा चालू की थी।
- जब फर्डिनेंड ने अपनी यात्रा चालू की थी तब उनके साथ बहुत सारे लोग थे परंतु वापसी में 270 लोगों में से सिर्फ 18 लोग ही बचे थे।
- मैगलन ने चर्च की इस बात को भी स्वीकार करने से इंकार कर दिया था जिसमें चर्च के द्वारा यह कहा गया था कि हमारी पृथ्वी चपटी है। फर्डिनेंड मैगलन ने अपने कथन में यह कहा था कि मैंने खुद चंद्रमा पर पृथ्वी की परछाई देखी है और मैं परछाई पर चर्च से ज्यादा ट्रस्ट करता हूं।