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ज्ञान की बात~ आपके दोस्त नहीं चाहते कि आप सफल हो

Your Friends Do not Want You to Succeed, आपकी सफलता और आपके मित्र (Your Success & Your Friends)

भले ही हमारी दोस्ती एक इंसान से कितनी ही घनिष्ट क्यों ना हो, कितनी ही मजबूती हमारी दोस्ती के बीच हो। लेकिन फिर भी एक दोस्त के मन में यह विचार जरूर आते हैं कि कहीं उसका साथी या उसका दोस्त उससे ज्यादा तरक्की कर लेगा तो उसे समाज में लोगों के सामने झुकना पड़ेगा।

और वास्तव में अगर दो दोस्तों में से एक दोस्त सफल हो जाए तथा दूसरा दोस्त असफल हो जाए तो लोग सफल व्यक्ति को ज्यादा भाव देने लगते हैं।

वह व्यक्ति जो असफल हो अपने उस सफल दोस्त से कितनी ही कड़ी मेहनत क्यों ना करें परंतु लोग उसकी मेहनत नहीं देखते, लोग सिर्फ उस सफल व्यक्ति को देखते हैं और वहीं उन्हें नजर आता है।

मतलब लोगों को सफल होने वाला व्यक्ति ही नजर आता है अन्य कोई भी व्यक्ति भले ही कितनी मेहनत क्यों ना करे परंतु वह अंत में असफल हो जाए, उन्हें कभी भी उसके प्रयास नजर नहीं आते!

लोग कभी किसी सफल व्यक्ति की मेहनत नहीं बल्कि सिर्फ लोगों की सफलताओं को देखते हैं। उनकी सफलताओं से ही लोग अपने मन के विचारों को बदलकर उनकी तरफ आकर्षित होने लगते हैं।

ऐसे बहुत सारे कारण हैं, जिसके कारण सच्चे मित्रों के बीच हमेशा एक बात तनाव के रूप में रहती है कि उसका दोस्त उससे ज्यादा सफल ना हो सके और हमेशा एक दोस्त अपने दूसरे दोस्त को सफल होते हुए देख तो लेता है, परंतु सहन नहीं कर पाता ।

कहे तो प्रत्येक दोस्त अपने दोस्त को भले ही कितनी अच्छी बातें क्यों ना सिखाएं, परंतु उसके मन में यह विचार हमेशा रहता है कि उसका दोस्त उससे ज्यादा सफल ना हो पाए।

इसीलिए जहां पर भी सफल होने की बात आती है वहा दो दोस्तों के बीच टकराव हो जाता है। अपनी इज्जत बचाने के लिए दो सच्चे मित्र भी कभी-कभी बहुत बडे शत्रु बन जाते हैं।

बस इसका कारण यही है कि उनमें से एक दोस्त सफल हो जाता हैं और दूसरा दोस्त असफल रह जाता है। इसलिए चाहे लोगों के बीच कितनी ही सच्ची दोस्ती क्यों ना हो फिर भी वे लोग एक दूसरे को अपने लक्ष्य की बातें नहीं बताते।

Aapki success & aapke friends

उन्हें पता है कि अगर वे अपने मित्रों को अपने लक्ष्य की बातें बताएंगे तो अवश्य वे लोग हमें उस लक्ष्य तक पहुंचने से रोकेगें, कुछ ऐसी हरकते करेंगे जिसके कारण हम असफल हो जाएंगे।

इसलिए दो मित्र अपने लक्ष्य की तैयारी जब भी करते हैं तो वे लोग अपने लक्ष्य को भेद बनाकर हमेशा ही छुपाए रखते हैं।

एक मित्र कभी भी नहीं चाहता कि उसका मित्र समय पर अपनी मंजिल पर पहुच जाए और वह अपनी जगह पर ही रह जाए।

यह एक ज्ञान की बात भी है कि हमें अपने सच्चे मित्र को यह बात नहीं बतानी चाहिए कि हम अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं, हम इसके लिए कौन सा मार्ग तय कर रहे हैं?

ऐसा बताने से हमें भी नुकसान हो सकता है। हमारा मित्र हमें उस मार्ग में असफल बनाने के लिए कारगर साबित हो सकता है, जिसके कारण हमारे बीच दोस्ती में भी तनाव उत्पन्न हो जाए।

इसीलिए हमें अपने लक्ष्य को हमेशा भेद बनाकर उसकी तैयारी करनी चाहिए। हम आगे आपको विस्तार से इसके बारे में बताएंगे

एक दोस्त दूसरे दोस्त से जलता क्यों है?

1. दो दोस्तों के बीच टकराव की यह स्थिति जब आती है जब एक आर्थिक रूप से संपन्न हो और दूसरे दोस्त की आर्थिक स्थिति कुछ कमजोर हो।

जिससे प्रायः उन दोनों दोस्तों में दोस्ती तो अच्छी बनी रहती है। परंतु दोनों की आर्थिक स्थितियाँ एक दूसरे के विपरीत होने के कारण उनके मन में हमेशा कुछ विचार ऐसे आते हैं।

जिसके कारण वे लोग एक दूसरे से मन ही मन जलते रहते हैं। अब हो सकता है उनमें से कोई भी दोस्त अपने दूसरे दोस्त से जलता हो क्योंकि जलन हमेशा उसी व्यक्ति को होती है जो दूसरे व्यक्ति से कमजोर हो परंतु उसे खुद पर विश्वास ना हो

ऐसा कहना मुश्किल ही होगा कि जिस लड़के की आर्थिक स्थिति सही हो, वही जलता हो या फिर वह लड़का जलता हो जिसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो।

क्योंकि इन दोनों लड़कों में से एक लड़का या तो अपनी संपन्नता की वजह से या फिर दूसरा आत्मविश्वास की कमी के चलते एक दूसरे से जलेगा।

परंतु यह बात निश्चित ही हम कह सकते हैं कि दोनों दोस्तों में से दोनों के दोनों दोस्त एक दूसरे को खुद से आगे बढ़ते हुए नहीं देख सकते।

क्योंकि यह वास्तविकता है। हमेशा ही हमारे दोस्त हमें आगे बढ़ने से रोकते हैं, जब भी हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं तो वे हर वक्त हमारे पैर पकड़ने की कोशिश करते हैं।

हालांकि बहुत सारे मित्र अपने दोस्तों को दिल से तो आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं परंतु मजाक मजाक में उनकी धज्जियां उड़ा देते हैं।

परंतु अपने निजी अनुभव के आधार पर मै यह दावे से कह सकता हूं हमारे दोस्त वास्तव में हमें आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते और ना ही आगे बढ़ने देते हैं।

एक दोस्त दूसरे दोस्त को सफल क्यों नहीं होने देता?

हम बात कर रहे हैं ऐसे दो दोस्त जिन्होंने अपना बचपन गांव में एक साथ बिताया, जो लोग बचपन में एक-दूसरे के बिना रह भी नहीं पाते।

और जब भी उन दोस्तो में से एक दोस्त अपने रिश्तेदारों के घर जाता है तो दूसरा दोस्त भी उसी के साथ उसके रिश्तेदारों के वहां चला जाता।

इतनी भयानक दोस्ती शायद आप लोगों ने आज तक देखी न होगी या सिर्फ कहानी में सुनी होगी। इनकी दोस्ती को देखकर ऐसा लगता था कि जैसे ये लोग उम्र भर एक दूसरे के साथ ही रहेंगे, एक साथ जिएंगे, एक साथ मरेंगे।

किसी को भी इनकी इतनी भयानक दोस्ती में यकीन नहीं हो पाता। वे दोनों दोस्त दिल के सच्चे थे और हमेशा एक दूसरे के बारे में अच्छा ही सोचते।

वे एक-दूसरे को अच्छी बातें भी सिखाते हैं, परंतु कहते हैं ना वक्त के साथ ही इंसान को अकल आती है और अक्ल के साथ ही इंसान को घमंड आता है।

अतः स्कूली पढ़ाई के दौरान जब एक दोस्त अपने दूसरे दोस्त से ज्यादा मेहनत करके अपने विद्यालय में अच्छे अंकों के साथ प्रतिवर्ष पास होता है तो दूसरा दोस्त उसका समर्थन तो करता है परंतु उसके खुद से ज्यादा अंको को देख कर वह घमंडी होने लगता है।

हालांकि वह हमेशा जरूरत के वक्त अपने होशियार दोस्त की सहायता करता पर उसके सामने कभी भी अपने घमंड को प्रदर्शित नहीं करता।

परंतु अंत समय में वह अपने उस दोस्त का साथ छोड़ देता है और उसकी उन्नति से उसे घमंड होने लगता है।

घमंड इंसान के लिए बहुत ही हानिकारक साबित होता है। इसलिए हमें घमंड अपने जीवन में अपनाना नहीं चाहिए  परंतु कुछ हालात ही ऐसे होते हैं, कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जिनके कारण मनुष्य घमंडी हो ही जाता है।

परंतु यह घमंड कब और क्यों आता है? इसका पता बहुत कम लोगों को रहता होगा। घमंड भी इंसान का एक गुण ही है। भले ही यह इंसान के लिए फायदेमंद ना हो परंतु यह उसके लिए पल भर की खुशी का कारण बन जाता है। इंसान को अंदर से हमेशा चिड़चिड़ा हुआ महसूस कराता है। वह हमेशा उसकी तुलना सफल लोगों से करता है ।

ऐसा ही उम्र के साथ इन दोनों दोस्तों की दोस्ती के बीच होता है। जब एक दोस्त दूसरे दोस्त को छोड़कर कुछ उन्नति के शिखर पर चलना चाहता है।

पहले उसका दोस्त उसका समर्थन करते हुए उसे उन्नति के शिखर पर पहुंचाने की हर एक कोशिश करता है ।

परंतु जब उसका दोस्त उन्नति के शिखर पर चढ़ जाता है तो उसके दोस्त द्वारा यह देखा नहीं जाता और उसके मन में भी घमंड आने लगता है, वह अपने इस दोस्त को धीरे-धीरे उस उन्नति के शिखर से नीचे गिराना चाहता है।

शायद ही वह घमंड के कारण यह सब कुछ करने के लिए उतावला हो जाता हो । वह अंतिम समय तक कुछ ऐसी हरकतें करने के लिए मजबूर हो जाता है जिसके कारण उसका दोस्त उस उन्नति के शिखर से नीचे गिर जाए।

जो दोस्त अपने दोस्त को उन्नति के शिखर से नीचे गिराना चाहता है उसके मन में यह विचार सिर्फ तब आता है जब उसका दोस्त उससे ज्यादा उन्नति करता है।

जब एक दोस्त दूसरे दोस्त से आगे बढ़ जाता है, तो फिर पीछे रहने वाले दोस्त के मन में घमंड के विचार आने लगते हैं, उससे यह देखा नहीं जाता।

उसका दोस्त तो उससे कई कदम आगे बढ़ गया है और वह अब अपने दोस्त से कम इज्जत का पात्र बनेगा। हर कोई उसके उस दोस्त को ज्यादा इज्जत देंगे जो आज उन्नति के शिखर पर पहुंचा है।

इसलिए कहा भी जाता है कि चाहे दोस्ती कितनी ही मजबूत क्यों ना हो। परंतु अपने लक्ष्य का मार्ग सिर्फ अकेले ही तय करना पड़ता है,उस मार्ग को अकेले ही बनाना पड़ता है।

हमें कभी भी अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए दोस्तों का सहयोग नहीं लेना चाहिए। क्योंकि दोस्त इतनी अच्छी दोस्ती निभाते हैं कि वे लोग पहले हमें उस मंजिल तक पहुंचाते हैं और फिर हमें उस मंजिल से नीचे गिराने की हर कोशिश करते हैं।

हमारे दोस्त यह कभी भी नहीं चाहते कि उनका दोस्त सफल हो इसलिए हमें दोस्ती भी बहुत ही समझदारी के साथ निभानी चाहिए क्योंकि प्रत्येक दोस्त एक खूंखार शेर होता है जो हमें हमेशा पीछे से अपने खतरनाक नाखून नोचता है।

सीख-

हमें इस कहानी से सीख मिलती है कि भले ही हमारे कितने ही सच्चे दोस्त क्यों ना हो। हमें उन्हें अपनी सफलता का राज कभी नहीं बताना चाहिए, ना ही अपनी मंजिल तक पहुंचने का सफर उनके सामने रखना चाहिए और हमेशा अपनी मंजिल का सफर खुद ही तय करना चाहिए।

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