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Getting Things Done ~ डेविड एलन Book Summary in Hindi

Getting Things Done (GTD) ~ David Allen

Time management और Productivity एक बहुत ही Rare skill है। काम को सही समय पर पूरा करना बहुत से लोगों के लिए बहुत ही मुश्किल होता है David Allen ने अपनी बुक Getting things done में कुछ ऐसे तरीके बताए हैं जिसे फॉलो करके कोई भी टाइम मैनेजमेंट की यह रेयर स्किल सीख सकता है।

और अपने काम को सही समय पर पूरा कर सकता है साथ ही साथ अपनी प्रोडक्टिविटी को भी कई गुना बढ़ा सकता है।

लोग कई बार कहते हैं कि मैं बहुत बिजी हूं। लेकिन इतना बिजी होने के बाद भी उनके जरूरी काम अक्सर बाकी रह जाते हैं सुबह से रात तक काम करने के बाद भी रात में यहीं देखने को मिलता है बहुत सारे काम बचे रह जाते हैं। जिसकी वजह से प्रेशर बढ़ता चला जाता है।

हम हमेशा यही कोशिश करते हैं कि हम अपने सभी जरूरी काम सही समय पर पूरी कर ले लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी यह चीज पूरी नहीं हो पाती हैं।

ऐसा तो बहुत से लोगों के साथ होता हैं। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है। अगर आपका जवाब हां है तो आप को यह Book Summary जरूर पढ़नी चाहिए क्योंकि इस किताब में आपको ऐसे तरीके बताए गए हैं जिससे आप अपने इस परेशानी को ठीक कर सकते हैं।

David Allen ने अपनी किताब में पांच ऐसे तरीके बताएं हैं जिसे Follow करके कोई भी अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकता हैं।

ऑथर 30 सालो से लोगों की Productivity को बढ़ाने के बारे में ट्रेनिंग दे रहे हैं और उनके फॉर्मूला से बहुत से लोगों को बहुत फायदा हुआ है।

Introduction

आपको क्या लगता है? अगर आप सुबह से लेकर रात तक काम करेंगे तो क्या आपको आराम करने का मौका मिलेगा? आप बोलेंगे नहीं; लेकिन ऐसा हो सकता है।

हमें एक ऐसे सिस्टम की जरूरत है जो काम करने के बाद हमें रिलैक्स करने का भी मौका दें।

आज हमारे काम करने का तरीका बदल गया है हमारे ऊपर बहुत से जिम्मेदारी होती और हमें उन सभी को पूरा करना होता है लेकिन कौन से काम को पहले करना है और कौन सा बाद में, यह समझ पाना ही कई बार बहुत Difficult हो जाता है इसकी वजह से दिन खत्म होते होते वह काम ही पूरा नहीं होता।

इसीलिए अगर अपने काम में बदलाव लाना चाहते है तो सबसे पहले हमें खुद में बदलाव लाना होगा। आपको यह जानना होगा कि आप कौन सा काम करना चाहते हैं और ये काम करने के लिए आपको कौन-कौन सी चीजों की जरूरत है।

जब आप पहले से इस बात का पता लगा लेंगे कि आपको क्या करना है तब आपका मन बेकार की चीजों में नहीं भटकेगा।

अपने काम को सही समय पर पूरा करने के लिए आपको अपने फोकस को Increase करना होगा। Author का तो यह भी कहना है कि आपको अपना फोकस लेसर(Laser) की तरह शार्प कर लेना चाहिए और यह काम तभी पॉसिबल हो पाएगा जब आपका माइंड पूरी तरह से क्लियर हो।

अब तक आपने जितना भी पढ़ा, क्या उसे पढ़ते समय आपका मन भटक रहा है अगर हां तो जरूर आपके दिमाग में कोई ना कोई ऐसा काम बचा हुआ है जो आपके लिए जरूरी है और अब तक आपने उसे पूरा नहीं किया है। मान लीजिए आप के 10 काम बाकी है तो आपका स्ट्रेस बढ़ जाता है।

इस स्ट्रेस की वजह से आपका काम पूरा नहीं हो पाता हैं। और आप बार-बार चिंता करते रहते हैं। अगर आप मेरी बातों को रिलेट कर पा रहे हैं तो आपको सबसे पहला काम यह करना है कि आप एक पेपर लीजिए और उसमें अपने दिमाग में चल रहे विचारों को लिख दीजिए।

अपने दिमाग में चल रहे कामों को पेपर पर लिखने के बाद आपको उसमें डेडलाइन भी सेट करनी चाहिए। आपको ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि जब तक आप अपना एक काम पूरा नहीं कर लेते तब तक आपके दिमाग में बार-बार उस आधे काम के ही विचार घूमते रहते हैं।

डेडलाइन (काम खत्म करने की अनुमानित दिनांक) के साथ कामों को लिखने पर बनने वाली लिस्ट को टू डू लिस्ट (To do list) कहते हैं। अपने कामों की एक क्लियर लिस्ट पर आने के बाद आप आसानी से अपने काम पूरे कर पाएंगे। कामयाब लोगों के द्वारा अपने काम को सही समय पर पूरा करने का यही सीक्रेट तरीका है।

लेकिन कई बार टू डू लिस्ट बनाने के बाद भी लोग अपने दिमाग में चल रहे अच्छे आईडिया को इस To do लिस्ट में नहीं लिखते जिसकी वजह से उनका यह लिस्ट अधूरा रह जाता है। इसीलिए Author कुछ ऐसे तरीके बताते हैं जिसका यूज़ करके कोई भी अपने आप को बहुत इफेक्टिव बना सकता है और अपने काम को भी बेहतरीन तरीके से पूरा कर सकता है।

इन तरीकों के बारे में हम Book Summary में आगे जानेंगे।

The five phases of project planning

सिर्फ एक आईडिया सोच लेने से या फिर एक गोल बना लेने से आपका काम पूरा नहीं होता है। अपने गोल्स को पूरा करने के लिए आप को प्लानिंग के साथ साथ सही एक्शन लेना होगा। लेकिन अपने गोल को पूरे करने के लिए आप तब तक कदम नहीं बढ़ा सकते जब तक आप सही तरह से प्लानिंग ना करें और प्लानिंग भी कई अलग-अलग तरह की होती है।

Horizontal planning जब आप किसी काम को इस तरह से प्लान करते हैं तब आपके काम को पूरा करने का चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि इस तरह के प्लानिंग में आपको बार-बार अपना काम याद आते रहता है जिससे आपके दिमाग में बार-बार काम को पूरा करने की बात चलती है और इस तरह से काम पूरा भी हो जाता है।

इस तरह की प्लानिंग से अपने टास्क को आप आसानी से ट्रैक कर सकते हैं।

Vertical planning के अंतर्गत आपको चीजों को थोड़ा डिटेल में लिखना होता है मान लीजिए आपकी कोई प्रॉब्लम है तो उस प्रॉब्लम के Solution के लिए आपको हर पॉसिबल स्टेप्स उस पेपर पर लिखना होगा आप इसके लिए सॉफ्टवेयर भी यूज कर सकते हैं लेकिन लिखना ज्यादा अच्छा है।

जैसा कि आप भी जानते हैं कि हर इंसान एक दूसरे से अलग सोचता है इसलिए प्लानिंग का कोई भी एक तरीका फॉलो करना उतना इफेक्टिव नहीं माना जाता है। लोग अपने काम तब सही ढंग से पूरा कर पाते हैं जब वह Natural तरीके से प्लानिंग करते हैं Natural तरीके से की गई प्लानिंग में आप सभी आईडियाज और थॉट्स को सही तरह से एक्सप्रेस कर पाते हैं।

अपने गोल को पूरा करने के लिए जब आप पूरी प्लानिंग कर लेते हैं तो उसके बाद आपको अपने प्लांस को ऑर्गेनाइज करना पड़ता है।

मान लीजिए डिनर करना आपका गोल है सबसे पहले आपको किसी रेस्टोरेंट में अपनी सीट बुक करानी होगी। उसके बाद आपको सभी को बताना होगा कि आप डिनर पर जाने की सोच रहे हैं और आपको सभी को समय बताना होगा, समय बताने के बाद आपको ठीक समय पर अपने घर से रेस्टोरेंट के लिए निकलना होगा।

रेस्टोरेंट पहुंचने के बाद जब आप अपनी सीट पर बैठ जाएंगे। तब जाकर आपका काम पूरा होगा मतलब आप का गोल कंप्लीट होगा। इस तरह से आपको अपने हर छोटे-बड़े गोल्स को सही तरह से डिजाइन करके उसे पूरा करना पड़ता है।

Getting started : Setting up the time space and tools

कभी कभी लाइफ में कुछ सिंपल चीजें अपना लेने से आपकी जिंदगी आसान हो जाती है। आज तक जितने भी सक्सेसफुल लोग हो गए हैं उन्होंने सक्सेसफुल बनने के लिए कोई ना कोई जबरदस्त तरीका अपनाया है।

अगर आप अपने दिमाग से अच्छा परफॉर्मेंस चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने दिमाग को clear रखना होगा क्योंकि दिमाग में बहुत सारी चीजें भरकर रखने से आपका मन Distract होता रहेगा।

अपने मन को अपने कंट्रोल में कैसा लाना है। इसके बारे में भी Author बताते हैं उनका कहना है कि अगर आप अपना मन अपने काबू में करना चाहते हैं तो आपको समय, जगह और कुछ Tools की जरूरत होगी।

अपने मन को अपने कंट्रोल में करने के लिए जो तरीका लेखक बताते हैं उसके लिए आपको कम से कम 2 दिनों की जरूरत होगी। इसलिए इस तरीके को अपने वीकेंड पर शुरू कीजिए। यहां जगह का मतलब आप के पास आपका एक पर्सनल डेस्क होना चाहिए जहां पर आप अपने काम को लिखकर ऑर्गेनाइज कर सकें।

यहां Tools का मतलब वो चीजे है जिसका यूज़ आप अपने Idea को लिखने के लिए Use करेंगे जैसे पेपर, पेन, मार्कर। आप अपनी जरूरत के मुताबिक अपने डेस्क को सजा सकते हैं।

इन टूल्स का इस्तेमाल सही तरह से करके सिस्टम बनाने के लिए आपको सबसे पहले एक कैलेंडर लेना है। कैलेंडर इसलिए क्योंकि कैलेंडर का काम होता है आपको जरूरी कामों की याद दिलाना। जैसे डॉक्टर की अपॉइंटमेंट, टाइम पर Assignment जमा करना या और कुछ।

Collection : Corralling their stuff

अपने डेस्क पर सभी जरूरी चीजें जमा कर लेने के बाद आप को अब अपना काम ऑर्गेनाइज करना होगा। इस काम को करने के लिए कम से कम 2 से 6 घंटे का समय लग जाता है। सभी चीजों को एक जगह को एक जगह करने के लिए आपको अपने घर में फेंके हुए सभी चीजों को एक साइड पर रखिए।

सिर्फ फिजिकल ही नहीं आपको अपने दिमाग में भी यह चीज करना होगा और अपने दिमाग में चल रहे ढेर सारी चीजों को एक जगह एक बास्केट में रखना होगा।

ऐसा इसीलिए है क्योंकि जब लोग अपने आसपास चीजें बिखेर कर रखते हैं। तब उनका दिमाग भी कूड़े के ढेर की तरह बिखरा रहता है। लेकिन चीजों को इकट्ठा करने के बाद आपको उसे सही तरह से ऑर्गेनाइज करना होगा।

Processing : Getting in to Empty

पिछले चैप्टर में आपने जाना कि अपने अधूरे कामों को एक जगह करने के बाद आपको उसको या तो खुद पूरा करना है या फिर किसी और से करवाना होगा। मान लीजिए सारे कामों को इकट्ठा करने के बाद आपके सामने बहुत सारे काम आ गए हैं। तो ऐसे में आपको अब यह देखना होगा कि कौन सा काम आप खुद कर सकते हैं और कौन सा नहीं।

कुछ काम बहुत ही मुश्किल होते हैं जो शायद आप ना कर सके। ऐसे में आपको अपने काम को उस इंसान से करवाना चाहिए जो उस काम में बेहतर हो। आपने बहुत सारे कामों में से कुछ काम को Delegate कर देने से आपके पास सिर्फ वही काम बचेंगे जो आप कर सकते हैं।

ऐसे में अब आपके सामने जो काम बैठे हैं उसके लिए आप प्लानिंग कीजिए और फिर प्लानिंग करने के बाद उसे ऑर्गेनाइज कीजिए क्योंकि काम को प्लान करके ऑर्गेनाइज करने के क्या फायदे हैं वह तो हमने आपको पहले ही बता दिए हैं साथ ही यह भी बताया है कि यह काम आपको कैसे करना है।

Doing : making the best action choice

काम को ऑर्गेनाइज करने के बाद आपको कुछ इस तरह से चीजें तैयार करनी होंगी कि आप कुछ Steps लेकर ही इसे पूरा कर सकते हैं। कैलेंडर में अपने काम लेकर पेपर में सही से प्लानिंग करके आप अपने सभी कामों को एक लाइन से सिस्टम के अनुसार या यूं कहें कि चैन बना लेते हैं।

जब आप सिस्टम बना लेंगे तो आपको सभी कामों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं होगी और आप सीधे उस काम पर फोकस कर पाएंगे जो आपके लिए अभी करना जरूरी है। हर काम को लिखने के साथ उसकी डेडलाइन सेट करने से आप का काम छोटे छोटे गोल में बदल जाएगा।

और जैसा कि आप जानते हैं कि किसी बड़ी चीज को करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन छोटी छोटी चीजों को करना आसान होता है। जब आपके बड़े से बड़े गोल छोटे हो जाते हैं तब आप चीजों को आसानी से कर लेते हैं।

शायद ऐसा हो कि हर दिन का काम लिखने की वजह से आपके पास पूरे कामों की फोल्डर तैयार हो जाए लेकिन आपको उससे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह हर दिन के काम है और इन कामों को पूरा करने के लिए आपको बस लिस्ट पर अपनी नजर गड़ा कर रखनी है।

निष्कर्ष

दोस्तों इस बुक समरी में अपने जाना कि काम को कैसे छोटे छोटे गोल में डिवाइड करना है और उसे कैसे पूरा करना है। तो आप इस बुक में बताई गई जानकारी को फॉलो कीजिए और खुद को प्रोडक्टिव बनाइए।

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