शीला को काम करना बहुत अच्छा लगता था और यही वजह थी कि वह कभी भी बीबी जी का घर नहीं छोड़ सकी थी क्योंकि उसे वहां से बहुत ही प्यार और सम्मान मिल रहा था।
जब बीबीजी के बेटे की शादी हुई उस समय वह बहुत ज्यादा खुश हुई और बारात में खुलकर डांस भी किया था। नई बहू के आने पर शीला ने खुद को उसके प्रति समर्पित कर दिया था उसे जो भी सामान चाहिए होता था वह तुरंत लाकर देती थी और कभी भी नई बहू को शिकायत का मौका नहीं देती थी।
हालांकि बीबीजी को कभी भी शीला का इतना ध्यान रखना बुरा नहीं लगता था लेकिन हमेशा वो कहा करती थी कि शीला तुम्हे भी अपना ध्यान रखना चाहिए।
अब नई बहू, नई नहीं रही उसकी शादी को भी लगभग 3 साल हो चुके थे। इस बीच शीला ने पूरी कोशिश की थी कि जो प्यार और सम्मान बीवी जी ने उसे दिया था वही वह उस नई बहू को लौटा सके लेकिन कहते हैं ना नियति को कुछ और ही मंजूर था।
एक दिन अचानक जब बीवी जी रात को सोने गई तो सुबह उनकी आंखें ही नहीं खुली और पता चला कि भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया हैं। अब शीला का रो रो कर बुरा हाल हो चुका था क्योंकि शीला ने बचपन से लेकर जवानी तक बीवी जी के अलावा किसी और के साथ अपना समय नहीं बिताया था।
शीला ने जो भी काम सीखा था, सब कुछ उन्होंने ही तो सिखाया था और इतनी जल्दी बीवीजी शीला को छोड़कर चली जाएंगी वह समझ नहीं पा रही थी। अंतिम यात्रा में शीला ने भी फूट फूट कर बीबी जी को याद किया लेकिन बहू सुकन्या ने यह बोलते हुए शीला को पीछे कर दिया
कि बहू मैं हूं तुम नहीं जो इतने आंसू बहा रही हो। जाने वाला तो जाएगा ही तुम क्यों परेशान हो रही हो?
पहले तो शीला को समझ में नहीं आया कि आखिर बहू कहना क्या चाहती हैं लेकिन धीरे-धीरे उसे समझ में आ रहा था कि अब समय बदल चुका हैं। जिस घर में सालों से शीला ने काम किया था वहां काम छोड़ना अब उसे गवारा नहीं लग रहा था। ऐसे में बहू ने भी उसे परेशान करना शुरू कर दिया था। वैसे तो शीला भी अब 45 पार हो चुकी थी फिर भी वह हर काम दौड़ दौड़ कर करती थी जैसे 20 साल की हो।
अब शीला का बेटा भी बड़ा हो गया था और उसे कॉलेज में एडमिशन लेना था और इसीलिए वह बहू के पास जाकर कहती हैं- मुझे कुछ पैसों की जरूरत थी क्या आप दे सकती हैं? अगर बीवी जी होती तो मैं उनसे ले लेती लेकिन अब वह तो हमारे बीच नहीं रही।
बहू- देखो मैं तुम्हारी बीवी जी नहीं हूं जो तुम पर पैसे लूटाती रहूं और एक बात याद रखना तुम्हारी सैलरी के अलावा तुम्हें एक पैसा नहीं मिलेगा।
पहले तो शीला को बिल्कुल भरोसा नहीं हुआ कि वही बहू हैं जिसे उसने सिर आंखों पर बैठाया था और इतनी इज्जत की थी। जब उसे जरूरत आन पड़ी हैं तो वह उसे ऐसा जवाब दे रही हैं। बुझा हुआ मन लेकर शीला वहां से चली जाती हैं और अपने काम में व्यस्त हो जाती हैं। अब तो वह बात भी नहीं करती और बार-बार बीबी जी को याद करके रोने लगती हैं।
1 दिन बहू आकर शीला से कहती हैं- शाम को मेरे तीन-चार सहेलियां मुझसे मिलने आ रही हैं तुम आज दोपहर को घर मत जाना और उनके लिए कुछ स्वादिष्ट सा पकवान बना देना। मैं तो बहुत बिजी रहूंगी इसलिए तुमसे कह रही हूं।
शीला- लेकिन मुझे तो आज जल्दी घर जाना था आज मेरे बेटे का जन्मदिन हैं।
बहू- यह सब मुझे कुछ नहीं पता तुम तो घर की नौकरानी हो और चली जन्मदिन मनाने जो काम मैं कह रही हूं पहले उसे सुनो।
नौकरानी शब्द सुनते ही शीला के आंखों में आंसू आ गया क्योंकि कभी भी उसे इस घर में नौकरानी का एहसास हुआ ही नहीं। वह तो हमेशा उस घर को अपना समझती रही लेकिन यह दिन भी देखना पड़ेगा उसने सोचा नहीं था।
अब वह समझ चुकी थी कि यह घर उसकी बीवी जी का नहीं बल्कि उनकी बहू का हो चुका हैं और वह चुपचाप जाकर पकवान बनाने की तैयारी करने लगती हैं।
थोड़ी ही देर में शीला के पास उसके बेटे का फोन आ जाता हैं और वह कहता हैं- मां अब तक तुम नहीं हो आपने तो कहा था ना कि आप मेरे दोस्तों के लिए समोसे और कचोरी बना देंगी। मेरे दोस्त तो बहुत पहले आ चुके हैं लेकिन आप ही नहीं आ रही हैं।( उदास होते हुए)
शीला- बेटा जो चावल का डब्बा हैं ना उसके अंदर मैंने ₹500 रखे हैं तू जाकर उससे समोसा और कचोरी खरीदकर अपने दोस्तों को खिला दे मुझे आने में देर हो जाएगी।
बेटा- लेकिन मां बोलो तो तुम्हारे हाथ का खाना खाना चाहते हैं ना तो फिर मैं उन्हें कैसे बाजार से लाकर खिला सकता हूं?
शीला ना चाहते हुए भी अपने बेटे को मना कर देती हैं क्योंकि आज वह बहू के लिए तरह-तरह के पकवान बना रही हैं जो उसकी सहेलियों को पसंद आ सके। काम करते-करते वह इतनी थक चुकी हैं कि घर जाने की इच्छा भी नहीं हो रही हैं।
जब घड़ी की ओर देखती हैं तो रात के 11:00 बज रहे थे और वह अपने बच्चे के मासूम चेहरे को याद करके कहती हैं- बेचारा अब तक तो सो भी गया होगा पिछले बार बीवी जी ने उसके लिए 2 जोड़ी कपड़े भिजवा दिए थे कितना खुश हो गया था वह देखकर। अब मैं उसके लिए क्या लेकर जाऊं?
खैर वह दिन तो निकल जाता हैं लेकिन एक ऐसा दिन भी आता हैं जब बीबीजी की बहू को शीला की कदर होने लगती हैं। दरअसल एक दिन की बात हैं जब शीला घर में काम निपटा रही थी उसी समय अचानक बहू बेहोश होकर गिर जाती हैं जिससे पता चलता हैं कि वह मां बनने वाली हैं।
इस बात से शीला बहुत खुश होती हैं और बार-बार बहू का ध्यान रखते हुए कहती हैं- अगर आप बीवी जी हमारे बीच होती तो बहुत खुश होती क्योंकि आपने वह खुशी दी है जिसकी तमन्ना वह सालो से कर रही थी।
शीला दिन-रात बहू की सेवा करने में लगी रहती लेकिन बहू को तो इस बात की फिक्र ही नहीं थी और वह अपने मजे से रहने लगती। एक दिन जब शीला सुबह-सुबह घर आती हैं तब घंटी बार-बार बजाने के बाद ही दरवाजा नहीं खुलता। ऐसे में वह फोन लगाने लगती हैं लेकिन बहु फोन नहीं उठाती। बीबी जी का बेटा भी आज दूसरे शहर गया हुआ हैं क्योंकि उसे जरूरी मीटिंग करना हैं।
बार-बार वह बाहर से ही आवाज लगा रही थी लेकिन बहू को तो आवाज सुनाई नहीं दे रही थी क्योंकि वह अंदर बेहोश हो चुकी थी। जैसे-तैसे शीला ने खिड़की के द्वारा अंदर पैर रखा और जल्दी से कमरे में जाकर देखा तो बहु जमीन पर पड़ी हुई थी और उसे होश भी नहीं था।
उसी समय शीला को याद आता हैं कि एक बार बीवी जी ने उससे कहा था कि हर इंसान को एक दो मोबाइल नंबर जरूर याद होना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वह मदद कर सके। ऐसे में बीवी जी ने ही शीला को हॉस्पिटल, एंबुलेंस, पुलिस और खुद का नंबर याद करवा दिया था।
अब जल्दी से ही शीला ने एंबुलेंस को फोन करके घर बुला लिया और वह बहू को लेकर हॉस्पिटल चली गई।
डॉक्टर- अगर आपने 10 मिनट की देर किया होता तो इनके साथ-साथ इनके बच्चे की जान को भी खतरा होता। आप जल्दी से ऑपरेशन की फीस जमा कर दीजिए हम तैयारी शुरू करते हैं वरना मां और बच्चे दोनों को ही नुकसान हो जाएगा।
शीला को ऐसे में ज्यादा को समझ नहीं आया लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह हॉस्पिटल में जमा कर सके। इतने में उसने जल्दी से ही अपने कान में पहने हुए इयररिंग्स को उतारकर डॉक्टर के हाथ में थमा दिया और उसने कहा- यह सोने के हैं।
मेरी नानी ने मुझे दिया था। आज तक यह मुझे अपने नानी की याद दिलाता हैं लेकिन आज जब बीबीजी के घर की इज्जत का सवाल हैं तो मैं पीछे नहीं हटने वाली। आप इसको अपने पास रख लीजिए और बहू का इलाज शुरू कर दीजिए मैं इनके पति को भी बुलाने की कोशिश करती हूं।
डॉक्टर एकटक उसे देखता रहा और इस सोच में डूबा रहा कि आज से पहले कभी किसी नौकरानी ने अपने कान के ईयररिंग्स को उतारकर मालिक के ऑपरेशन के लिए नहीं दिया था लेकिन देरी होने की वजह से वह जल्दी-जल्दी ऑपरेशन की तैयारी में व्यस्त हो गए और फिर थोड़े ही देर में ऑपरेशन हो गया। जल्द ही बीवी जी का बेटा भी वहां आ गया और इस वजह से तभी बहुत खुश थी।
जब बहू अपने नन्हे से बच्चे को लेकर घर प्रवेश करती हैं तब उन्हें आरती की थाल सजाते हुए शीला दिखाई देती हैं जिससे वह भड़क कर कहती हैं- यह नौकरानी मेरे बच्चे की आरती उतारेगी इसे कहो यहां से चली जाए। यह मेरी सास तो नहीं हैं कि हर बात में सामने आ जाती हैं।
आज शीला को उनकी बातें बुरी नहीं लग रही थी लेकिन बीबीजी के बेटे ने ही अपनी पत्नी को यह सब बोलने से रोका और धीरे से अंदर लाते हुए कहा- आज अगर तुम और यह बच्चा जिंदा हो तो सिर्फ शीला की वजह से।
अरे तुम तो बेसुध होकर गिर गई थी तुम्हारा बीपी इतना ज्यादा बढ़ गया था कि यह बच्चे के लिए नुकसानदायक हो चुका था। ऐसे में शीला ने तुम्हें अस्पताल पहुंचाया और अपने कान के इयररिंग को डॉक्टर को देते हुए तुम्हारा ऑपरेशन करने को कहा तुम्हें तो उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए नहीं तो आज तुम और यह बच्चा दोनों ही खतरे में होते।
इतना सुनते ही बहू की आंखों में पानी आने लगता हैं और वह सुबक सुबक कर रोने लगती हैं। अगर ऐसा हैं तो आप मुझे माफ कर दीजिए आपने मेरे लिए इतना कुछ किया लेकिन मैंने कभी भी आपकी इज्जत नहीं की।
आपने मेरे बच्चे की जान बचा ली मुझे और कुछ नहीं चाहिए आपने तो हमेशा ही हमारा ध्यान रखा लेकिन मैं हमेशा आपको गलत समझती रही।
शीला- नहीं नहीं ऐसा मत बोलिए यह तो मेरा फर्ज हैं बीवीजी का प्यार और सम्मान के बदले अगर मैं उनके घर की इज्जत बचा सकूं तो मेरे लिए इससे बड़ी कोई बात नहीं होगी। अगर आपने मुझे नौकरानी कहा तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं आखिर हूँ तो मैं नौकरानी ही।
इतने में ही वह रोने लगती हैं लेकिन बहू और बेटा मिलकर उसे चुप कराते हैं और अपना बच्चा उसके हाथों में देकर कहते हैं- अब यह भी आप की ही जिम्मेदारी हैं। इसे भी वही प्यार और इज्जत देना सिखाइएगा जो आपने दूसरों के लिए किया हैं।
इसके बाद शीला को ही बच्चे की सारी जिम्मेदारी दे दी जाती हैं और अब बहू का रवैया भी काफी हद तक बदल चुका था। अपने पति से वह कहती हैं कि इस बार की दिवाली में शीला के लिए कुछ अच्छे से कान के रिंग दे दे ताकि उसे कमी महसूस ना हो।
इस बात पर उसके पति ने भी हामी भरी थी और अब दोनों ही शीला के साथ अच्छा व्यवहार करने लगे क्योंकि उन्हें समझ में आ गया था कि अच्छा इंसान पैसे से नहीं बल्कि नियत और दिल से माना जाता हैं।
अब सभी मिलकर हंसी खुश रहने लगते हैं और शीला को वहां अब किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती हैं।
दोस्तों, ऐसा कई बार होता हैं कि हम नीचे तबके के लोगों को अपना नहीं मानते और हमेशा उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। ऐसे में अगर उनके साथ भी थोड़ा प्यार और इज्जत से बात कर ली जाए तो वह बहुत खुश हो जाते हैं। हमें हमेशा हर व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए फिर चाहे वह हमारे घर में ही काम करने वाली कोई पुरुष या महिला ही क्यों ना हो?
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