AchhiBaatein.com

Best Health Tips अच्छी सेहत और स्वास्थ्य पाने के कुछ नियम

Health Tips in Hindi, Achhi Sehat ke Raaz, अच्छा स्वास्थ्य आज के समय में सभी वर्ग के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या हैं

सभी लोग अच्छा सुखमय जीवन जीना चाहते है, उनकी जिन्दगी में सदा खुशिया बनी रहे, उनमे से स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा Role अदा करता है। अगर आपके पास बहुत सारी धन दौलत है और दुनिया भर की सारी खुशी है लेकिन शरीर स्वस्थ नही है तो वो सारा धन और खुशिया बेकार है।

कहा भी गया हैं  – “पहला सुख निरोगी काया”

बीमार भला कौन होना चाहता हैं जब कोई बीमार होता हैं तो बहुत परेशानी होती है, डॉक्टर का खर्चा, शरीर भी सही काम नहीं करता और कुछ भी अच्छा नहीं लगता। न ही काम और पैसा कमाना तो दूर, हम घरवालों की मदद तक नहीं कर सकते।

उलटा शायद उन्हें हमारी देखभाल करनी पड़े। लेकिन एक कटु सत्य हैं, कि हम खुद शरीर को स्वस्थ नहीं रहने देते।

जब हम युवा होते है हमें लगता हैं हम स्वस्थ है, तंदुरुस्त है, मुझे क्या होगा भला? लेकिन क्या आपने अपनी लाइफस्टाइल खाने-पीने पर ध्यान दिया? क्या यह सब आपके शरीर के अनुसार हो रहा हैं व्यायाम के लिए समय निकाला, यदि नहीं तो क्या आपने कभी सोचा है कि 40-45 की उम्र तक पहुचने पर क्या होगा?

युवा अवस्था में हम बाहर से तो स्वस्थ दिखते है लेकिन अगर हम स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमो का पालन नहीं करते तो अन्दर ही अंदर हमें कई बीमारियाँ घेर लेती है, जो कि उम्र के साथ बढती हैं,

पहले हम सब कुछ (शरीर का ध्यान भी) छोड़ कर बहुत सा धन कमाते हैं और फिर उस शरीर को सही रखने के लिए बहुत सा धन खर्च कर देते हैं यह एक बहुत बड़ी समस्या हैं और आज की युवा पीढ़ी की  lifestyle का सच भी

कहा जाता है कि उपचार से परहेज बेहतर हैं, हम ऐतिहात बरतने चाहिए ताकि हम बीमार ही न हों। खैर बीमारियों से हम शत प्रतिशत बच तो नहीं सकते, क्योकि यह हमारे वश की बात नहीं हैं लेकिन कुछ ऐसे कदम ज़रूर उठा सकते हैं, जिन्हें अपनाने से बीमारी होने का खतरा जरुर कम हो सकता है।

यह सही हैं कि खानपान तथा स्वास्थ्य रक्षा के अन्य नियमों में त्रुटि आने पर ही शरीर में रोग का जन्म होता है

यदि स्वास्थ्य रक्षा संबंधी सभी नियमों का यथाविधि पालन किया जाए तो कभी बीमार होने की नौबत ही नहीं आएगी।
आइए ऐसी ही बातों पर गौर करते हैं जिन्हें ध्यान में रखने से आप अच्छी सेहत पा सकते हैं।

  1. व्यक्ति को हमेशा सूर्य निकलने से पहले उठ जाना चाहिए और उठकर भूमि को हाथ से छुकर प्रणाम करना चाहिए साथ ही अपने इष्टदेव को याद करते हुए शयन कक्ष से बाहर निकलना चाहिए। यदि गगन मंडल में तारें दिखाई दे तो उसे अवश्य देखा चाहिए, क्योंकि तारों को देखना, नक्षत्र को देखना अच्छा माना गया हैं।
  2. स्वच्छ जल से हाथ मुहं और आँखें आदि को धोकर रात्रि में ताबें के पात्र आदि में रखा हुआ जल, जिसमें दो चार ग्राम त्रिफला चूर्ण एवम दो चार तुलसी की पत्तियों वाले जल शौचालय जाने से पहले नियमित रूप से अवश्य पीना चाहिए, इसके नियमित सेवन से पेट के अनेक रोग, आँखों के रोग आदि को दूर करने में मदद मिलती हैं।
  3. शौचालय के उपरान्त हाथो को साबुन से अच्छी तरह से साफ़ करें।
  4. तत्पश्चात स्नानादि से निवर्त होकर घर से बाहर पार्क आदि में जाकर थोडा सा शारीरिक व्यायाम अवश्य करते रहना चाहिए। व्यायाम करते समय यह अवश्य ध्यान रखा चाहिए कि व्यायाम शारीरिक क्षमता अनुसार ही करें।
  5. स्नान से पूर्व शरीर पर धीरे-धीरे तेल मालिश किया करें। गर्मी के दिनों में सरसों का और जाड़े के दिनों में तिली का तेल प्रयोग करना चाहिए। तेल मालिश एक बड़ा ही उपयोगी व्यायाम है।
  6. दांतों को दातुन/मंजन/पेस्ट/कुल्ला आदि से साफ़ करना चाहिए, जिव्य्हा को (जीभ कुरेदनी) आदि से भली-भाति साफ़ करना चाहिए।
  7. घर से बाहर जूते पहन कर निकलना चाहिए।
  8. ऋतु के अनुसार घर से बाहर कपडे पहना कर निकलना चाहिए।
  9. यदि देर रात घर से बाहर निकलना पड़े तो हाथ में टॉर्च व एक डंडा साथ लेकर निकले।
  10. नाख़ून को सप्ताह में एक बार अवश्य काटना चाहिए, बार बार नाक, कान, आँख आदि में उंगली नहीं डालनी चाहिए।
    हमेशा जेब में एक स्वच्छ रुमाल रखना चाहिए।
  11. घर में टीवी देखने समय कभी भी टीवी में पास बैठकर या टीवी के पास आँखे गढ़ाकर नहीं देखना चाहिए क्योकि इससे आँखे जल्दी ख़राब हो जाती हैं व लेटकर कभी भी टीवी न देखे। कभी भी पढाई लेट कर न करें, यदि पढना होतो भली भाति कुर्सी मेज पर बैठकर पढाई करें, पढाई करते समय प्रकाश का विशेष ध्यान रखे।
  12. खाना खाते समय व खाना खाने के बाद तुरंत बाद पढाई न करें।
  13. खाना खाते ही तुरंत न भागें, यदि हो सके तो थोडा लेट भी जाएँ, भोजन के बाद लेटते समय बायीं करवट लेटे व कुछ समय बाद सीधा लेट सकते हैं।
  14. भोजन के बीच में हमेशा थोडा स्वच्छ जल जरुर पीना चाहिए। इसके पीने से पाचक अग्नि अथार्थ हाजमा दुरस्त होता हैं जिससे भोजन शीघ्र ही पच जाता हैं भोजन समाप्त करने के पश्चात थोडा पानी भी अवश्य पीना चाहिए, जिससे भोजन नलिका स्वच्छ हो जाती है।
  15. भोजन में नमक मिर्च, मसाले खटाई आदि की मात्रा बहुत ही कम रखें क्योकि नमक ज्यादा प्रयोग करने से उच्च रक्तचाप की बिमारी का खतरा हो जाता हैं और पेट में जख्म ओने का भी खतरा हो जाता हैं।
  16. हमेशा मौसमी फल, सब्जियों का प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए जैसे गर्मी में खीरे, खरबूजे, आम आदि का प्रयोग करना चाहिए। अच्छे किस्में के आम खाने से हृदय के लिए अच्छा होता हैं इसके अतिरिक्त लस्सी व नीबूं की शिकंजी व दही का प्रयोग करें। सर्दियों में हरी सब्जियों का अधिक से अधिक प्रयोग करें जैसे:- मैथी, सरसों, पालक, बथुआ आदि का प्रयोग करें तथा गाजर मूली, चुकंदर, जमीकंद, सकरकंदी, पत्तागोभी, मशरूम, शिमला मिर्च, शलगम को सलाद व् सब्जियों आदि में हमेशा प्रयोग करना चाहिए।
  17. चाय, तम्बाखू, भाँग, अफीम, गाँजा, शराब आदि नशीली चीजों से, हींग, गरम मसाला, मिर्च, लहसुन आदि उत्तेजक गरम, पदार्थों से तथा माँस मछली आदि अभक्ष खाद्य वस्तुओं से बचते रहना चाहिए। यह चीजें स्वास्थ्य को बिगाड़ने वाली हैं। इनका पूर्णतया त्याग करना, न बन पड़े तो भी जितना कम किया जा सके करते चलना चाहिए।
  18. जो भोजन देखने में एवम स्वाद में अच्छा न लगे उसे न खाएं, कभी भी बासी खाना नहीं खाएं व पीतल के पात्र में रखा हुआ दही व् खटाई युक्त पदार्थ नहीं खाएं।
  19. भूख से कम खाओ अथवा आधा पेट खाओ, चौथाई पानी के लिए एवम् चौथाई पेट हवा के लिए खाली छोड़ दे।
  20. सभ्यजनों की सभा में कभी भी शरीर के अंगो को जैसे हाथ, पाँव की अंगुलियों की हड्डियों को नहीं चटकाना चाहिए व अपशब्दों को भी नहीं बोलना चाहिए।
  21. हमेशा सोच-समझकर व नापतोल कर, समय के अनुरूप ही बोलना चाहिए।
  22. हमेशा अपने गुरुजनों व अपने से अधिक ज्ञान रखने वाले व्यक्ति का आदर व् सम्मान करना चाहिए।
  23. समाज में कभी भी झूठी अफवाह नहीं फैलाएं और यदि कोई ऐसा कार्य करता हो, तो उसे भी समझाएं व मना करें। हमेशा अपने आप से भली प्रकार सुनकर और देखकर किसी बात पर विश्वास करें।
  24. हमेशा भोजन समय पर करें, भोजन के समय शांतचित होकर व एकांत में ही भोजन करें और भोजन के समय किसी से बात न करें। दोपहर का भोजन 12:00 से 1:30 बजें व सायंकाल का भोजन 7:00 से 8:00 बजे तक के बीच में ही करने का प्रयास करें।
  25. हमेशा काम, क्रोध, मद लोभ व मोह के वेग को दबाकर रखें।
  26. किसी के यहाँ देहांत हो जाएँ तो वहां पर कभी भी ख़ुशी न मनाएं। यदि किसी के यहाँ ख़ुशी का माहौल हो वहां पर गम का माहौल न पैदा करें।
  27. शरीर के अन्दर कुछ ऐसे वेग हैं जैसे की मल का वेग, मूत्र का वेग, छींक का वेग, डकार का वेग। इनको न रोकना ही लाभप्रद होगा।
  28. कारखानों आदि में कार्य करने वाले पुरुष को चाहिए कि हमेशा मुख व नाक पर कपडा या मास्क का प्रयोग करें। जहाँ पर धुल उडती हो, इससे बचाव हो सकता हैं तथा सोते समय थोडा सा गुड का सेवन लाभकारी माना गया हैं।
  29. अधिक धुल, धूप, धुवें का हमेशा बचाव करें अथार्थ सेवन न करें, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
  30. सर्दियों में अगर धूप में बैठना हो तो हमेशा सूर्य की और पीठ करके बैठे।
  31. हिंसकविचारो का हमेशा परित्याग करें, दयावान बने व क्षमावान बने अपने अधीनस्थ कर्मचारी पर बार-बार क्रोध न करें, उन्हें धीरजपूर्वक समझाने का प्रयत्न करें।
  32. दुष्ट बुद्दी वाले व नीच पुरुष के साथ कभी दोस्ती न करें।
  33. काम, क्रोध व मोह के कभी भी वशीभूत न हों
  34. हिंसक जंतुओं के पास कभी न जाएँ।
  35. अपवित्र पात्र व गंदे बर्तन में भोजन न करें।
  36. कभी भी घी और शहद का उपयोग एक साथ न करे! क्योंकि दोनों मिलकर विष बनाते है।
  37. किसी पर अधिक विश्वास व किसी पर अधिक शंका न करें।
  38. शरीर को टेढ़ा करके न छीके और न भोजन करें।
  39. कभी स्नान करने के उपरान्त बालो को जोर जोर से न झटकें।
  40. दिन में सोना एवम रात्रि में जागना सैदव हानिकारक होता हैं।
  41. चित्त को प्रसन्न, चेहरे को हँसमुख, मस्तिष्क को शान्त रखने का बार-बार प्रयत्न करना चाहिए। दिन में कई बार ऐसा प्रयत्न किया जाएं तो प्रसन्न रहने की आदत पड़ जाती है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है।
  42. जल ही जीवन हैं इसको व्यर्थ न बहने दे स्वच्छ जल का सेवन करें, जहां हैंडपंप, दरिया कुएं का जल पीना पड़े तो उसे उबाल कर ही पीना चाहिए क्योकि बिना उबाले पीने से पीलिया रोग, पेट में कीड़े होने की सम्भावना बनी रहती हैं।
  43. बरतन में पानी भरने या उससे पानी लेने से पहले हाथ धोइए और पीने के पानी में हाथ या उँगलियाँ मत डालिए।
  44. व्यक्तियों को अपने जिंदगी में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए तथा हमेशा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए तभी शरीर का स्वास्थ्य बना रह सकता है।
  45. बढ़ती उम्र के साथ यदि यह भावना मन में आ गई हैं कि मैं बूढ़ा हो रहा हूं, तो व्यक्ति अपने इसी मंतव्य के कारण जल्दी बूढ़ा होने लग जाता है। क्रोध, चिंता, तनाव, भय, घबराहट, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या आदि भाव बुढ़ापे को न्यौता देने वाले कारक हैं। हमेशा प्रसन्नचित्त रहने का प्रयास करें। उत्साह, संयम, संतुलन, समता, संतुष्टि व प्रेम का मानसिक भाव हर पल बना रहे।
  46. कमजोर और बीमारों को कुछ समय पूर्ण विश्राम करने के लिए समय निकालने का प्रयत्न करना चाहिए। नित्य के कामों में काफी शक्ति खर्च होती रहती है। उसे बचा लिया जाए तो वह बची हुई शक्ति रोग दूर करने में सहायक सिद्द होगी।

आजकल की भाग-दौड़ वाली लाइफस्टाइल में रोगमुक्त शरीर हर किसी की चाहत होती है। किसी का भी एक दिन के लिए बीमार होना भारी नुकसानदेह साबित होता है चाहे फिर वो Student हो, Businessman या फिर नौकरी करने वाला व्यक्ति, थोडा सा समय अगर हम शरीर को नियमित रूप से दे, तो यह हमें ज़िन्दगी भर वह सब देगा जो हम चाहते हैं


दोस्तों, कैसी लगी यह Health सम्बन्धी ज्ञानवर्धक POST, इस बारे में हमे अपने विचार नीचे comments के माध्यम से अवश्य दे। हमारी पोस्ट को E-mail से पाने के लिए आप हमारा फ्री ई-मेल Subscription प्राप्त कर सकते है।

यदि आपके पास Hindi में कोई Inspirational or motivational story, best quotes of famous personalities, Amazing Facts या कोई अच्छी जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया mahesh.achhibaatein@gmail.com हमे E-mail करें पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ AchhiBaatein.com पर PUBLISH करेंगे।

अन्य प्रेरणादायी विचारो वाली (Inspirational Hindi Post) POST भी पढ़े।

Exit mobile version