Amazing Health Benefits of Sesame and Sesame oil (in Hindi)
बड़ा गुणकारी है तिल का तेल, जानिए उसके बेहतरीन फायदे, स्वास्थ्य लाभ, तिल का तेल और तिल में छिपे हैं हजारो गुण, फायदे जानकर चौंक जाएंगे
यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएग, इसके फायदे, गुण और स्वास्थ्य सम्बन्धी तथ्यो के आधार पर तिल के तेल (Seasame Oil) को पृथ्वी का अमृत भी कहा जाय तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।
आयुर्वेद के अनुसार तिल बलवर्धक होता हैं सर्दी के दिनों में उसकी उपयोगिता बढ़ जाती हैं। तिल तीन प्रकार के होते हैं काले, सफ़ेद और लाल। काले तिल सर्वोत्तम और बल वीर्यवर्धक होते हैं सफ़ेद तिल मध्यम और लाल तिल हीन गुण वाले होते हैं।
जन्म, मरण, परण, यज्ञ, जप, तप, पित्र, पूजन आदि में तिल और तिल का तेल के बिना संभव नहीं है। काले तिल तंत्र-मंत्र, हवं पूजा आदि धार्मिक कार्यों के साथ साथ औषधीय कार्यों में भी उपयोगी होते हैं।
तिल में पोषक तत्वों का खजाना हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स पाया जाता हैं जिसके कारण यह भूख बढाता हैं भोजन को भली भाति हज़म करता हैं तन्त्रिका तंत्र को बल प्रदान करता हैं।
तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है, आइये प्रयोग करके देखते हैं।
आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा
लेकिन, अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये। 2 दिन बाद आप देखेंगे कि तिल का तेल पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा। यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों को पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।
तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता हैं। तिल का तेल ऐसा तेल है, जो सालों तक खराब नहीं होता है, यहाँ तक कि गर्मी के दिनों में भी वैसा की वैसा ही रहता है, इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है।
तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है, तब उसे किसी भी कंपनी का तेल (रिफाइंड तेल) खरीदने की आवश्यकता ही नही होगी।
तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।
वास्तव में तो, तैल शब्द की व्युत्पत्ति ही तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है “तिल का तेल”
तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए संजीवनी औषधि की तरह काम करता है.. चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता (रोग प्रतिरोधक क्षमता) विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी भी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता।
आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञानं के अनुसार तिल स्निग्ध, मधुर और उष्ण होने से वात का शमन करता हैं यह कफ़ और पित्त को नष्ट करता हैं। बालों के लिए इसका तेल बहुत अच्छा होता हैं जाड़ों के दिनों में इसके तेल कि मालिश बहुत अच्छी रहती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से बुढ़ापा, थकावट दूर होती हैं दृष्टि बढती हैं, प्रसन्नता, पुष्टता और आयु, निद्रा में वृद्धि होती हैं यह त्वचा की सुन्दरता बढ़ाने तथा रूखापन दूर करने में उपयोगी हैं। सर्दी के दिनों में इसका नित्य उपयोग तिल्कूटा, चटनी, लड्डू, तिलपट्टी गजक के रूप में किया जाता हैं।
सौ ग्राम सफेद तिल 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। “बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम है।”
काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।
तिल के तेल के फायदे – Benefits Of Sesame Oil और घरेलू उपयोग इस प्रकार हैं।
- तिल में कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं जैसे, प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि।
- इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों तक में नहीं होते।
- ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।
- तिल का तेल बहुत गुणकारी होता है। वैद्यक में तिल भारी, स्निग्ध, गरम, कफ-पित्त-कारक, बलवर्धक, केशों को हितकारी, स्तनों में दूध उत्पन्न करनेवाला, मलरोधक और वातनाशक माना जाता है।
- दाँतों के लिए तिल बहुत लाभदायक हैं सुबह मंजन करने के बाद काले तिल बिना कुछ खायें-पिए चबा चबा कर खायें इससे दांत मजबूत होते हैं तथा दाँतों कि कुदरती चमक एवम स्वास्थ्य बरक़रार रहता हैं।
- त्वचा सम्बन्धी विकारो में तिल के तेल की मालिश की जानी चाहिए इससे त्वचा की खुश्की दूर होकर यह रेशम सी चिकनी व कांतिपूर्ण बन जाती हैं।
- बालों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए तिल का तेल अमृत हैं सिर पर नियमित तेल की मालिश करने से बालों का स्वस्थ विकास होता हैं एवम बालों का झड़ना, सफ़ेद होना गंजेपन की शिकायत दूर होती हैं।
- सूखी ख़ासी होने पर 3/4 चम्मच तिल तथा इतनी ही मात्र में मिश्री मिलाकर एक गिलास पानी में उबालें आधी मात्र रह जानें पर पी लें।
- पेट दर्द हो तो एक चमच काला तिल चबाकर पानी पी लें।
- कमर और जोड़ो के दर्द में हींग और सौंठ डालकर गर्म किये हुए तिल के तेल से मालिश करने से आराम मिलता हैं।
- खुनी बवासीर में खून बंद करने के लिए 10 ग्राम काले तिल को पानी के साथ पीस कर इसमें एक चम्मच मक्खन मिलाकर चाटें इसमें मिश्री भी मिला सकते हैं इसे सुबह शाम ले।
- मोच आ जाने पर तिल की खल-पीसकर गर्म पानी में मिलाकर मोच पर बांधने से लाभ होता हैं।
- कब्ज़ की शिकायत होने पर 50 ग्राम तिल भुनकर गुड मिलाकर खाने से कब्ज़ दूर हो जाता हैं।
- जले हुए स्थान पर तिल पीसकर शुद्ध घी और कपूर मिलाकर लगायें, राहत मिलेगी।
- तिल में मौजूद फॉलिक एसिड प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बहुत अच्छा होता है। इससे उनके फीटस (गर्भ) की हेल्दी ग्रोथ में मदद मिलती है। सिर्फ तिल के बीज ही नहीं, बल्कि इसका तेल या इससे बनी चीज़ें भी प्रेग्नेंट महिलाओं को फायदा पहुंचाती हैं।
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तिल का सेवन करना चाहिए इससे दूध में बढ़ोतरी होती हैं।
- अगर किसी को बिच्छू ने काट लिया हो तो तिल के पत्ते को पीसकर डंक वाले स्थान पर लगाने से जहर उतर जाता है।
- रिसर्च से पता चला है कि तिल में सेसमीन (sesamin) नाम का एन्टीऑक्सिडेंट (antioxidant) होता है, जिस वजह से लंग कैंसर, कोलोन कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और पैन्याक्रिटिक कैंसर आदि से प्रोटेक्ट करता है। इतना ही नहीं, यह कैंसर होने के खतरे को भी कम करता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर में न सिर्फ कैंसर सेल्स को बनने से रोकता है, बल्कि कैंसर बढ़ाने वाले केमिकल्स से भी बचाता है।
- तिल में ज़रूरी मिनरल जैसे कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड (mono-unsaturated fatty acid) होता है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रोल को कम करके गुड कोलेस्ट्रोल यानि एच.डी.एल. (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। यह हृदय रोग, दिल का दौरा और Atherosclerosis के संभावना को कम करता है।
तिल में विटामिन सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। सीधा अर्थ यह है कि यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप के बीमार होने की संभावना ही ना के बराबर रह जाएगी।
जब शरीर बीमार ही नही होगा तो उपचार की भी आवश्यकता नही होगी और यही आयुर्वेद है, आयुर्वेद का मूल सिद्दांत यही है कि उचित आहार विहार से ही शरीर को स्वस्थ रखिए ताकि शरीर को औषधि की आवश्यकता ही ना पड़े।
तिल के तेल उपयोग करने सम्बन्धी सलाह
- तिल का सेवन करने का एक आम दुष्प्रभाव एलर्जी है। अगर आप तिल के प्रति संवेदनशील हैं तो संभावना है कि आपको विभिन्न प्रकार की एलर्जी हो सकती हैं, जैसे कि, पाचन से संबंधित, आंख में सूजन, बहती नाक, दमा आदि।
- यदि आप स्कन्दनरोधी (anti-coagulant) या कोई ऐसी दवा खा रहें है जो रक्त को पतला करती है, तो आपको अपने आहार में तिल या तिल का तेल इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इस अवस्था में यह आपके रक्तचाप को कम और रक्त को पतला करता है जो कि आपके शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है।
एक बात का ध्यान अवश्य रखिए कि बाजार में कुछ लोग तिल के तेल के नाम पर अन्य कोई तेल बेच रहे हैं। जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा। ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें. यह काम थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है किन्तु असंभव नहीं।
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