Hindi Kahani, Story in Hindi, भगवान के भरोसे मत बैठो क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो?
कुछ लोग अपनी अच्छाई से और कुछ लोग अपनी बुराई से जाने जाते हैं। लेकिन यह बात भी बिल्कुल सच है कि अक्सर बुरा हमेशा अच्छे लोगों के साथ ही होता है और अच्छे लोग बुरा करने से पहले सौ बार सोचते हैं। आप माने या ना माने लेकिन जब तक जिंदगी में आप खुद के लिए कुछ नहीं बोलेंगे। तब तक लोग आपको सिर्फ दबाते रहेंगे।
ऐसा ही कुछ हमारे इस कहानी के मुख्य किरदार के साथ भी होता है। भगवान की भक्ति करना और अपने जीवन का हर एक फैसला भगवान पर छोड़ देना कितना सही है और कितना गलत इसका पता भी आपको इस कहानी में चलेगा।
यह कहानी 21वीं सदी की एक लड़की की है। जिसका नाम श्रेया है। श्रेया एक मध्यम वर्गीय परिवार में रहने वाली लड़की है। श्रेया के परिवार में उसके मम्मी पापा और एक छोटा भाई और बहन थी। श्रेया एक समझदार और बहुत ही खूबसूरत लड़की थी। लेकिन उसका मन तो उसके चेहरे से भी कई गुना ज्यादा खूबसूरत था।
श्रेया और उसका परिवार एक पक्के मकान में रहते थे। श्रेया के पापा रेलवे में टीटी का काम करते थे। जिस वजह से श्रेया के घर की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी। क्योंकि श्रेया के घर में केवल उसके पापा ही काम करते थे। 5 लोगों के इस माध्यम वर्गीय परिवार को चलाने में उन्हें काफी समस्या होती थी।
कई सारे घरों में ऐसा होता है कि मां बाप, बड़े बच्चे से ज्यादा अपने छोटे बच्चों को प्यार करते हैं। श्रेया के घर की भी परिस्थितियां कुछ ऐसी ही थी। श्रेया के माता पिता भी श्रेया से ज्यादा उसके भाई बहन को प्यार करते थे। जबकि श्रेया सभी बच्चों में सबसे समझदार लडकी थी। श्रेया को उसके पड़ोसी और आसपास के लोग काफी ज्यादा पसंद करते थे। क्योंकि श्रेया सबके साथ हंसती बोलती थी।
श्रेया के मां-बाप को उससे कोई शिकायत नहीं थी। लेकिन उन दोनों का झुकाव अपने छोटे बच्चों के प्रति ज्यादा था। इसलिए वे श्रेया को हमेशा दबा कर रहते थे। श्रेया के घर में उसकी कोई भी बात नहीं सुनी जाती थी। श्रेया को हमेशा वही करना पड़ता था जो उसके मम्मी पापा चाहते थे।
श्रेया पढ़ाई में काफी अच्छी थी। और वह बचपन से ही पढ़ाई में हमेशा टॉप करती थी। पढ़ाई के साथ-साथ श्रेया को लिखने और पेंटिंग करने का बहुत शौक था। श्रेया काफी सुंदर सुंदर कविताएं लिखती थी। इतना ही नहीं अपने दर्द को श्रेया अपने लफ्जों में पिरो कर काफी अच्छी शायरी भी करती थी। श्रेया को डायरी लिखना काफी अच्छा लगता था। इसीलिए वह अपनी सोच को हमेशा पेपर में उतार देती थी। और रंगों के साथ तो उसका बहुत ही अनोखा रिश्ता था।
श्रेया जब भी कोई ड्राइंग बनाती थी। तो ऐसा लगता था जैसे वह ड्राइंग अभी बोल पड़ेगी। उसके हाथ में कुछ अलग ही जादू था। वह जिस भी काम को करती वो हमेशा अच्छा ही होता था। ऐसा नहीं था कि श्रेया में कोई जादू था। उसके सभी काम के सही होने के पीछे का कारण उसका तेज दिमाग था। क्योंकि श्रेया अपने सभी काम बहुत ही ध्यान लगाकर करती थी इसलिए उसके काम हमेशा सही होते थे।
इतनी अच्छी और टैलेंटेड होने के बाद भी श्रेया को उसके मां-बाप से कभी भी कोई प्यार नहीं मिला। श्रेया के पिता चाहते थे कि श्रेया डॉक्टर बने। इसीलिए उन्होंने बिना श्रेया से पूछे ही उसका एडमिशन MBBS कॉलेज में करने का निश्चय कर लिया। जबकि श्रेया को तो हमेशा से ही पेंटिंग और राइटिंग की दुनिया में कुछ करना था।
लेकिन अपने पिता की बात रखने के लिए श्रेया ने कुछ नहीं कहा और अपनी किस्मत को भगवान के ऊपर छोड़ दिया। श्रेया को हमेशा यही लगता था कि 1 दिन भगवान उसकी जिंदगी में सब कुछ सही कर देंगे।
श्रेया हमेशा सभी चीजें भगवान के ऊपर छोड़ देती थी और अपने लिए कभी कुछ नहीं कहती थी। श्रेया ने अपनी मन की बात कभी अपने मां बाप के साथ सांझा तक करने की कोशिस नहीं की। क्योंकि श्रेया अपनी मां-बाप के बातों को सबसे ज्यादा अहमियत देती थी।
देखते ही देखते श्रेया ने 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ली और अब उसका एडमिशन भी इंदौर के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में हो गया था। पढ़ाई में अच्छी होने की वजह से श्रेया को सरकार की तरफ से पढ़ने के लिए एक अच्छी खासी रकम मिली थी। जिससे अब उसका कॉलेज का खर्च निकलने वाला था। मेडिकल में कोई खास इंटरेस्ट ना होने के बाद भी श्रेया बस अपने पिता की इच्छा की खातिर डॉक्टर बनने के लिए तैयार हो गई।
लोग सही ही कहते हैं! कॉलेज की जिंदगी और उसमें प्यार ना हो तो कॉलेज लाइफ ही अधूरी है। श्रेया के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वैसे तो वह कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए ही गए थी। लेकिन उसका दिल भी एक बहुत ही सुंदर और हैंडसम डॉक्टर के लिए धड़कने लगा। इस खूबसूरत डॉक्टर का नाम अर्जुन था।
अर्जुन एक एक्सपर्ट सर्जन था और अपने काम में काफी माहिर भी था। साथ ही साथ अर्जुन श्रेया के कॉलेज में भी पढ़ाता था क्योंकि अधिकतर उच्च मेडिकल कॉलेज में अक्सर बड़े-बड़े डॉक्टर पढ़ाया करते हैं।
इसलिए कॉलेज की सभी लड़कियां अर्जुन के लिए पागल थी। हालाँकि ऐसा बिल्कुल नहीं था कि अर्जुन श्रेया से बहुत साल बड़ा है बल्कि वह तो श्रेया से सिर्फ 4 साल ही बड़ा था। जीनियस होने के वजह से अर्जुन ने बहुत ही कम उम्र में बहुत तरक्की हासिल कर ली थी।
जहां सभी लड़कियों का ध्यान क्लास में सिर्फ अर्जुन पर ही लगा रहता था। वही श्रेया का ध्यान पूरी तरह पढ़ाई में होता था। पढ़ाई के प्रति श्रेया के लगाव को देखकर अर्जुन के दिल में भी भावनाएं पैदा होने लगी। वैसे तो श्रेया अर्जुन को मन ही मन काफी पसंद करती थी लेकिन उसने अर्जुन के सामने ये कभी जाहिर नहीं किया कि वह उसे पसंद करती हैं।
कुछ महीने ऐसे ही बीत गए! श्रेया और अर्जुन एक दूसरे को और अच्छी तरह से जानने लगे थे। अर्जुन को अब श्रेया से प्यार हो गया था। श्रेया का हाल भी कुछ ऐसा ही था। अर्जुन ने श्रेया को अपने दिल की बात बता दी! अर्जुन की बात सुनकर श्रेया ने भी उसे अपने दिल की बात बता दी और वह दोनों रिलेशनशिप में आ गए थे।
अर्जुन के साथ रिलेशनशिप में आने के बाद श्रेया बहुत ज्यादा खुश रहने लगी। और होती भी क्यों ना उसे इससे ज्यादा प्यार कभी भी किसी से नहीं मिला था। श्रेया अर्जुन को बेइंतेहा प्यार करने लगी थी। लेकिन कहते हैं ना कि खुशी को नजर लगती है देर नहीं लगती। श्रेया के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।
एक दिन श्रेया और अर्जुन कॉलेज के बाद जब एक रेस्टोरेंट में लंच कर रहे थे। तब श्रेया के पिता ने उसे अर्जुन के साथ देख लिया था। श्रेया जब शाम को घर आई तो उसने देखा कि घर में कई सारे मेहमान हैं। पहले तो श्रेया को कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन जब अंदर गई तो उसे पता चला कि यहां उसके रिश्ते की बात हो रही है।
यह सब देख कर श्रेया पूरी तरह से हिल चुकी थी। श्रेया अर्जुन के अलावा किसी और से शादी करने का ख्याल तक दिमाग भी नहीं लाती थी। श्रेया यह सब देखकर पूरी तरह भड़क चुकी थी और उसने अपने माता – पिता से कहा कि आप मुझसे पूछे बिना मेरी शादी की बात कैसे कर सकते हैं। श्रेया के पिता ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसे कहा कि मैं जैसा कहता हूं वैसा ही करो।
श्रेया ने सबके सामने कहा कि मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगी। श्रेया की बात सुनकर उसके माता-पिता काफी गुस्सा हो गए और उसे घर से निकल जाने को कहा।
श्रेया ने भी घर छोड़ दिया। वैसे तो आज तक इससे पहले श्रेया ने कभी भी अपने माता-पिता के खिलाफ कुछ नहीं कहा था। लेकिन ये अर्जुन के प्यार की ताकत थी। जिसकी वजह से श्रेया ने इतना बड़ा कदम उठाया। उससे पहले हमेशा भगवान भरोसे ही बैठी रहती थी लेकिन यह पहली बार था श्रेया ने खुद के लिए कुछ किया था।
घर छोड़ने के कुछ महीने बाद अर्जुन और श्रेया ने शादी कर ली। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रेया ने अर्जुन का सपोर्ट पाकर अपने सपने को पूरा करने का निश्चय किया और कुछ ही समय में श्रेया एक बहुत अच्छी राइटर बन गई। अब श्रेया के पास ना सिर्फ प्यार था बल्कि वो आप अपना सपना भी जी रही थी। अपने लिए उठाए उसके एक कदम ने उसकी जिंदगी बदल दी।
Moral – जैसा कि आपने इस कहानी में देखा कि श्रेया ने जब तक भगवान के भरोसे बैठकर अपनी किस्मत और अपनी जिंदगी भगवान के ऊपर छोड़ दी थी। तब तक उसके जीवन में कोई भी परिवर्तन नहीं आया। जैसे ही उसने अपने जीवन का फैसला खुद लिया तब उसके जीवन में बदलाव आना भी शुरू हो गए। इसीलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि भगवान के भरोसे मत बैठो क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हूं!
लेखक के शब्द
कई बार हम भी जिंदगी में कुछ ऐसे ही गलती कर देते हैं। हम सभी के जीवन में कोई ना कोई परेशानी आती रहती है और कुछ ना कुछ बुरा भी होता रहता है। लेकिन वह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम अपने बुरे वक्त पर उस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं?
बुरे वक्त में हमारे पास केवल दो ही ऑप्शन होते हैं- या तो हाथ पर हाथ धरे भगवान के करिश्मा का इंतजार करना या फिर अपनी लड़ाई खुद लड़ना। मेरे प्यारे पाठको हाथ पर हाथ रखकर भगवान के भरोसे बैठे रहने पर आपको कभी कुछ नहीं मिलता लेकिन वही अगर आप वह निरंतर प्रयास करते हैं। तो हो सकता है कि आपके अनेक प्रयासों में कोई एक प्रयास काम कर जाए।