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महाराज आपके लिए सेब काट दूँ? Hindi Kahani

Interesting Hindi Kahani, Hindi Story of a King, Ghar mein kiski chalti hain Indian Story

सुंदरता का दूसरा नाम स्त्री है। जिस तरह हम प्रकर्ति के सुंदरता का वर्णन किये बगैर नहीं रह सकते, उसी तरह नारी की सुंदरता को भी नकारा नहीं जा सकता। प्रेम, धैर्य, त्याग, सर्मपण और लज्जा का दूसरा नाम ही नारी हैं, नारी कभी अपनी कोमलता के कारण तो कभी अपने शक्तिस्वरूपा के रूप में पहचान कराती हैं।

हर शादीशुदा स्त्री में एक ताकत छिपी होती है आइए एक छोटी सी और बहुत ही मज़ेदार कहानी पढ़ते हैं 🙂 🙂
सभी शादीशुदा मर्दों को समर्पित

एक समय की बात हैं एक राजा था। उसने अपने प्रदेश में एक सर्वे  करवाने की सोची, कि मेरे राज्य के लोगों की घर-गृहस्थि पति से चलती है या पत्नि से, मतलब की किसकी बात मानी जाती हैं और घर में किसकी चलती हैं??

उसने इस बड़ी पहेली के लिए इनाम भी बड़ा रखा कि “जिसके घर में पति का हुकम चलता हो उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नि की सरकार हो वह एक सेब ले जाए।

एक के बाद एक सभी नगर के लोग सेब उठाकर जाने लगे। राजा को चिंता सताने लगी.. क्या ऐसा हैं मेरा राज्य, क्या मेरे राज्य में सभी सेब ही हैं, यानी की सभी के घरो में औरतो की ही चलती हैं?

इन्ही सभी के बीच, एक लम्बी लम्बी मुछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल आखों वाला जवान आया और बोला “राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुकम चलता है लाओ  यह घोडा़ मुझे दे दिजीए”

राजा यह बात सुनकर बहुत ही खुश हो गया और कहा जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जा, मैं तेरे से बहुत खुश हूँ तूने आज प्रदेश की लाज बचा ली। जवान अपने मन पसंद काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया ।

घर गया और फिर थोडी़ ही देर में दरबार में वापिस लौट आया।

राजा- “क्या हुआ जवा-मर्द? वापिस क्यों आया।
जवान- “महाराज, घरवाली कहती है कि काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतिक होता है तो आप ऐसा कीजिए, मुझे सफेद रंग का घोडा़ दिजिए।

राजा- “घोड़े को यहीं छोड़ जा…और सेब लेकर चलती पकड़, बड़ा आया मर्द बनने।

इसी तरह बारी-बारी लोग आते गए और रात हो गई… दरबार खाली हो गया सभी आने वाले लोग लोग सेब लेकर चले गए।
आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया।

राजा “बोलो महामंत्री इतनी रात गए कैसे आना हुआ, सब खैरियत तो हैं?

महामंत्री- “महाराज आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा, इसकी जगह एक मण अनाज या सोने की मोहरें दी होती तो लोग लोग कुछ दिन खा सकते या जेवर बना सकते थे।

राजा  “मुझे तो ईनाम में यही रखना था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा।
महामंत्री  “महाराज आपके लिए सेब काट दूँ?

राजा को हँसी आ गई। और पुछा अच्छा यह तो ठीक हैं परन्तु यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पुछ सकते थे। तो आधी रात को क्यों आये ??

महामंत्री- “मेरी धर्मपत्नि ने कहा अभी जाओ और पुछ के आओ सच्ची घटना का पता चले।
राजा (बात काटकर)- “हा हा हा हा”,  महामंत्री जी, सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए।”

“समाज चाहे पुरुषप्रधान हो लेकिन संसार हमेशा से ही स्त्रीप्रधान है”

🙂 🙂 दोस्तो आपका यह दोस्त भी अभी सेब खा रहा है  🙂 🙂

यह कहानी केवल, हँसी-मजाक के उद्देश्य से PUBLISH की गई हैं, कृपया इसे अन्यथा न लेवे।

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