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जीवन में सुकून केवल अच्छे कर्मों से ही आता है

Hindi Kahani on Karma

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जीवन में सुकून का समबन्ध केवल धन दौलत से खरीदी जाने वाली आरामदायक वस्तु से नहीं है क्योंकि अक्सर देखा गया है जिनके पास धन दौलत होती हैं उनके पास सुकून की कमी होती है, ऐसे लोग हमेशा परेशान रहते हैं और सुकून की तलाश में लाखों रूपये खर्च करते हैं, फिर भी उन्हें सुकून हासिल नहीं हो पाता।

क्योंकि वे लोग अच्छे या बुरे काम करके पैसा तो बहुत इकट्ठा कर लेते हैं लेकिन फिर भी सुकून प्राप्त नहीं कर पाते, इसलिए कहां गया है कि जीवन में सुकून केवल अच्छे कर्मों से आता है न कि अच्छे पैसों से, अच्छे कर्म कुछ भी हो सकते हैं।

आज हम इस कहानी में आपको ऐसे दो युवकों के जीवन के बारे में बताइएगें जिनमें से एक बड़ी ही सुकून की जिंदगी जीता है और दूसरा सुकून की तलाश में इधर उधर भटकता फिरता है।

इनमें से जो युवक सुकून भरी जिंदगी जीता है उसे अपने जीवन के सारे अनुभवों का ज्ञान होता है क्योंकि उसने अपना बचपन गरीबी में गुजारा था, जिस कारण वह अच्छे बुरे कर्मों में फर्क जानता था और हमेशा ही अच्छे विचारों के साथ अच्छे कर्म करने के लिए तत्पर रहता है।

जो दूसरा युवक होता है उसका जन्म एक संपन्न परिवार में होता है इस कारण उसका बचपन सम्पन्नता के साथ बीतता है, उसे सुख और दुख के बीच में कुछ भी फर्क पता नहीं होता है क्योंकि उस बच्चे को बचपन में उसके मां बाप ने उसकी वह सभी ख्वाहिशें पूरी की जिनकी वह इच्छा रखता था।

दोनों लड़के एक ही कस्बे में रहते थे परंतु वे एक दूसरे को नहीं जानते थे और उन दोनों बच्चों ने अपनी पढ़ाई भी अलग-अलग स्कूलों में की, संपन्न परिवार में जन्मा लड़का एक अच्छे खासे प्राइवेट स्कूल में अपनी पढ़ाई कर रहा था तथा गरीब परिवार में जन्मा लड़का एक सरकारी स्कूल में अपनी शिक्षा पूरी कर रहा था।

गरीब परिवार में रहने वाला वह बच्चा ज्यादातर समय अपने मां-बाप के साथ बिताया करता था इस कारण वह अपने मां-बाप द्वारा दिए गए सारे संस्कारों को अपना चुका था तथा दूसरा बच्चा ज्यादातर समय सिर्फ अपने दोस्तों के साथ व्यतीत किया करता था इस कारण वह नैतिक मूल्यों से अछूता रह गया ।

वे दोनों बच्चे अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते थे परंतु एक ही क्लास में थे। उन्होंने एक साथ अपने विद्यालय की पढ़ाई पूरी की और फिर कॉलेज में एडमिशन लेकर ग्रेजुएशन की पढाई पूरी की।

दोनों युवकों की उम्र अब नौकरी करने लायक हो गई थी और एक अच्छी जॉब की तलाश में थे। एक दिन दोनों को पता चला कि एक कंपनी में नौकरी के लिए कुछ वैकेंसी आई है। तो वे दोनों तुरंत उस नौकरी में इंटरव्यू देने के लिए उस कंपनी में चले गए और दोनों का सलेक्शन हो गया।

यूँ ही नौकरी करते करते कुछ महीने बीते, और एक दिन संपन्न परिवार में जन्मा युवक अपनी योग्यता के अनुसार प्रमोशन के कारण कम्पनी में ऊँचा पद पा चुका था। अब वह सिर्फ प्रोफेशनल्स के साथ उठता-बैठता और एक ऊँचे दर्जे का लाइफस्टाइल जीने लगा था।

वहीँ दूसरा लड़का कम योग्यताओं की वजह से अपने पद पर ही सीमित रह गया। फिर भी वह बहुत संतुष्ट दिखाई देता था क्योंकि वह अक्सर गरीबों की बहुत मदद करता था और सुकून से अपनी जिंदगी जी रहा था।

संपन्न परिवार में जन्मा हुआ युवक पैसों से तो बहुत धनी था परंतु उसके जीवन में सुकून नाम की चीज ही नहीं थी वह हर वक्त उदास दिखाई पड़ता था।

धीरे धीरे दोनों युवकों की उम्र बढ़ती गई और संपन्न परिवार में जन्मा हुआ युवक कम्पनी का मैनेजर बन चुका था, उसे अपने बड़े औदे पर घमंड होने लगा था जो उसके व्यवहार से झलकता था।

उसकी तुलना में गरीब परिवार में जन्मा युवक बहुत युवक धीरे धीरे सफलता की सीढियां चढ़ रहा था उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता है कि वह किस पद पर है क्योंकि वह हमेशा अपने घर वालों के साथ खुश रहता था और वह हमेशा खुशी के लिए ही कार्य करता था।

गरीब युवक हर वक्त खुश नजर आता था क्योंकि उसे बहुत कम पैसों में ही सुकून नसीब होता था वह हर वक्त असहाय लोगों की सहायता करता था।

दोनों युवकों की उम्र अब शादी करने लायक हो गई गरीब परिवार में जन्मा वह युवक सुकून भरी जिंदगी में संपन्न था और शादी करने के लिए तैयार था उसके घर वाले भी उसकी शादी के लिए तैयार हो गए क्योंकि उसके पास एक अच्छी नौकरी थी जिससे वह अपने परिवार का पालन- पोषण कर सकता था। इस तरह उसकी शादी हो गयी।

संपन्न परिवार में जन्मा हुआ लड़का हर वक्त उलझनों में फंसा रहता था और उलझनों को सुलझाने में लगा रहता था उसकी उलझनों का कारण उसकी धन दौलत ही थी। क्योंकि ऐसा लगता था जैसे वह व्यक्ति अपनी धन दौलत के लिए ही जीता था और उसे बढ़ाने की सोचता रहता था।

ऐसा लगता था जैसे उस युवक के लिए उसकी सारी जिंदगी उसकी कमाई गयी पूँजी में ही समा चुकी है।

क्योंकि उसे इस बात का ध्यान ही नहीं था कि सुकून सिर्फ अच्छे कर्मों से मिलता है न कि धन दौलत से वह दूसरे युवक को सुकून में देखकर अक्सर उलझन में पड़ जाता था की आखिर लोग ऐसे में सुकून भरी जिंदगी कैसे जी लेते हैं?

संपन्न परिवार में जन्में उस लड़के की अभी तक शादी भी नहीं हुई थी और वह ज्यादातर अपने परिवार वालों से भी दूर रहा करता था। उसके मां-बाप ने उसे बचपन से ही सारी सुख सुविधाएं दिला रखी थी उसके पास अपनी गाड़ी, बंगला और नौकरी सब कुछ थी परंतु वह कभी भी किसी गरीब की सहायता नहीं करता।

वह व्यक्ति अपने सुख के लिए जीवन जीता और अपने लिए ही कमाता था। कहे तो वह व्यक्ति मात्र अपनी जिंदगी गुजार रहा था न कि जी रहा था।

क्योंकि वह कभी भी अपने परिवार में सुख-दुख के कार्यों में हिस्सेदार नहीं रहा ऐसे ही अनेक कारण थे जिनसे वह व्यक्ति न तो अच्छे विचार सोच पाता था और न ही कर पाता था।

धीरे-धीरे जब वे दोनों युवक एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे तब दोनों युवक एक साथ घूमने जाते थे और एक साथ ही काम किया करते थे। एक दिन जब वह दोनों युवक घूमने के लिए निकले तो उनसे एक गरीब बच्चा भीख मांगता है, बच्चे की एक आंख और एक हाथ नहीं था।

उस बच्चे को देखकर वह युवक जो बचपन में गरीबी में पला हुआ था, वह बहुत ही गंभीरता से सोचने लगता है और उस बच्चे को जेब से कुछ पैसे निकाल कर दे देता है।

परंतु दूसरा युवक जो संपन्न परिवार में पैदा हुआ उसके जेब में बहुत सारे पैसे होने के बाद भी वह उस बच्चे को बिना कुछ दिए ही आगे बढ़ जाता है।

जब वे दोनों युवक कुछ आगे जाते हैं तो उन्हें फिर एक गरीब लाचार आदमी दिखाई देता है जो अंधा होता है और सड़क पार करने के लिए सड़क के दूसरे कोने में खड़ा रहता है उस रोड में ट्रैफिक भी बहुत ज्यादा होता है ट्रैफिक अधिक होने के कारण भी वह युवक फिर रोड को पार करते हुए दूसरी तरफ जाता है और उस अंधे को रोड के इस तरफ ले आता है।

दूसरा युवक सिर्फ उस युवक को देखता है और आगे बढ़ जाता है फिर दोनों आपस में बातें करते- करते आगे बढ़ते हैं और संपन्न परिवार में जन्मा हुआ युवक उस गरीब परिवार में जन्मे युवक से बोलता है

कि तुम यह सब काम क्यों करते हो तुम्हें इन सब कामों से क्या मिलता है और तुम्हारे इतने सुकून से जीने का क्या कारण है तुम्हें कभी किसी भी चीज की कमी महसूस क्यों नहीं होती?

तब दूसरा युवक बोलता है कि मुझे इन कामों से मिलता तो कुछ भी नहीं है सिर्फ मेरा मन करता है और मैं ऐसा कर लेता हूं मैं जब भी ऐसे काम करता हूं मेरी आत्मा को शांति महसूस होती है और रही बात मेरी खुशी की मुझे यह खुद पता नहीं है कि मैं इतना खुश क्यों रहता हूं।

तब खुश रहने वाला युवक उस अमीर युवक से पूछता है कि तुम्हारी यह उलझनओं का क्या कारण है तुम मुझे हर वक्त उलझन में पड़े हुए क्यों दिखाई देते हो?

उत्तर देने के लिए इस युवक के पास कुछ भी नहीं होता है क्योंकि दूसरा युवक इसकी उलझनो का सब कारण जानता था।

सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इस दुनिया में सुकून मात्र अच्छे कर्मों से ही मिलता है इसलिए हमें अपनी जिंदगी में जितने भी अवसर मिले, हमें सदैव अच्छे कर्म करते रहने चाहिए क्योंकि बुरे कर्मों से हमारे पास धन दौलत जैसी चीजें तो होती हैं पर सुकून हमें दूर से ही सलाम करता है।

बिना सुकून की जिंदगी हमें शांति से जीने नहीं देती वह हर वक्त हमें एक न एक उलझन में डालती रहती है इससे जीवन जीने का आनंद भी नहीं मिल पाता और जीते जी जिंदगी हमें मार डालती है।

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