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निकालने वाले तो स्वर्ग में भी कमी ढूंढ लेंगे | Moral Hindi kahani

Nikaalne wale to swarg mein bhi kami nikaal lenge Hindi Kahani

Best Hindi Story with Moral, निकालने वाले तो स्वर्ग में भी कमी ढूंढ लेंगे

अगर कोई इंसान ना चाहे तो वह कभी भी किसी भी चीज में खूबसूरती नहीं देख सकता। हमारी इस कहानी का मुख्य नायक धीरज है।वह भी एक ऐसी सोच रखने वाला इंसान है।

ऐसा क्या हुआ धीरज के साथ जो उसकी सोच बिलकुल बदल गई। यह जानने के लिए हमे धीरज के बचपन में जाना होगा।

धीरज न तो पढ़ाई में अच्छा था ना ही उसे अन्य चीजों में ख़ास दिलचस्पी थी। वह बचपन से ही एक शांत और शर्मिला बच्चा था, इसलिए उसे हर छोटे बड़े कार्यों को अंजाम देने में काफी परेशानी होती थी।

यहां तक की उसकी सौतेली मां भी उसके किसी काम से खुश नहीं होती थी।

दरअसल धीरज की मां और धीरज के पिता एक दूसरे को कॉलेज के समय से एक दूसरे से प्यार करते थे और किस्मत का खेल तो देखो धीरज के पिता की शादी भी धीरज की माँ से ख़ुशी ख़ुशी हो गयी।

परन्तु धीरज को जन्म देने कुछ सालों बाद ही वह स्वर्ग सिधार गयी। अपने बच्चे की जिंदगी सुधारने के लिए धीरज के पिता ने दूसरी शादी कर ली।

धीरज की सौतेली मां जब प्रेगनेंट थी, वह सीढ़ियों से फिसल गयी और उसे अपने पहले बच्चे को खोना पड़ा। परन्तु धीरज की सौतेली मां को धीरज को सीढ़ी पर खड़ा देखने की वजह से यह गलतफहमी हो गई थी कि वह धीरज की वजह से ही सीढ़ी से गिरी।

जबकि वह तो सीढ़ी से खुद ही फिसल गई थी। इसीलिए धीरज की सौतेली मां धीरज को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी‌ और उसे बेइंतहा नफरत करती थी।

जबकि उसे धीरज अपनी सौतेली मां नहीं बल्कि अपनी मां समझकर बेहद प्यार करता था। हालाँकि धीरज के पिता अपने बेटे से बेहद प्रेम करते थे।

और इसी बात से उसकी सौतेली माँ को बेहद जलन होती थी और वह हमेशा उसके कामों में नुक्स निकालती रहती थी। पढ़ाई में अच्छा ना होने के कारण भी धीरज को हमेशा अपने टीचर से काफी डांट पड़ती थी।

लेकिन धीरज बचपन से ही एक अलग सोच रखने वाला लड़का था। उसे हमेशा यही लगता था कि एक दिन सब सही हो जाएगा। वह 1 दिन सभी का दिल जीत लेगा।

अपनी इसी सोच के साथ धीरज पढ़ाई में पहले से अधिक मेहनत करने लगा। साथ ही वह दूसरी चीजें जैसे ड्राइंग और डांस की भी प्रैक्टिस किया करता था।

वह हमेशा इसी आशा में मेहनत करता था कि 1 दिन उसकी मां को उसका काम अच्छा लगेगा। और उसके टीचर उसकी सराहना करेंगे।

और सचमुच धीरज ने अपनी कड़ी मेहनत से एक दिन वह कर दिखाया जो नामुमकिन प्रतीत होता था। एक बहुत ही खराब स्टूडेंट होने के बाद भी धीरज ने दसवीं की परीक्षा में बहुत ही अच्छे नंबर प्राप्त किये।

उसने सोचा कि अब उसकी सौतेली मां और उसके टीचर उसकी सराहना करेंगे। उसे कहेंगे –

“वाह धीरज! तुमने सचमुच कर दिखाया। ऐसे ही कड़ी मेहनत करते रहो, हमें तुम पर नाज है।”

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जब धीरज ने अपनी मां और अपने टीचर को रिजल्ट दिखाया तो उसकी सराहना करने की जगह उसकी सौतेली मां और टीचर ने धीरज को खूब डांटा।

क्यों?… क्योंकि धीरज अपने क्लास में 1st नहीं आया था।

इतने अच्छे अंक लाने के बाद भी धीरज को सिर्फ यही सुनने को मिला कि वह 1st क्यों नहीं आया। अपने टीचर और अपनी सौतेली मां की बातों को सुनकर धीरज का जैसे दिल ही टूट गया था। लेकिन धीरज भी हार मानने वाला कहा था।

धीरज ने और मेहनत करने की ठान ली और उसने मेहनत की भी। उसने ना सिर्फ 12वी बल्कि अपनी कॉलेज की परीक्षा में भी अच्छे नंबर लाने के लिए कड़ी मेहनत और लगन से पढाई की।

लेकिन फिर से हर बार की तरह ना तो धीरज की सौतेली मां को उसकी मेहनत दिखी और ना ही उसके टीचर को उसके अथाह प्रयास दिखे।

उसकी सौतेली मां और उसकी टीचर दोनों ही धीरज को हमेशा यही कहते थे कि वह हमेशा अपने दोस्तों से पीछे ही रहेगा। चाहे वह कितनी मेहनत क्यों ना कर ले। उसकी सौतेली मां और टीचर हमेशा धीरज के नंबर उसके दोस्तों से Compare करते थे।

और जिस विषय में धीरज के कम अंक थे वह हमेशा उसी पर ज्यादा ध्यान देते थे। उन्होंने कभी भी यह ध्यान नहीं दिया कि धीरज कुछ विषयों में अन्यों के मुकाबले बेहद अच्छा था ।

ऐसे ही धीरज की पढ़ाई पूरी हो गई और अब धीरज काम करने के लिए तैयार था। धीरज मेहनती होने के साथ-साथ सपने देखने वाला लड़का था। उसके कई बड़े-बड़े सपने थे और वह अपना हर सपना अपने बल पर पूरा करना चाहता था।

उसने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपना सपना पूरा किया और एक अच्छा डॉक्टर बन गया। अब धीरज इतना काबिल था कि वह अपने साथ-साथ अपने परिवार को भी एक अच्छी जिंदगी दे सकता था।

लेकिन इतना काबिल होने के बाद भी उसकी सौतेली मां का बर्ताव उसके प्रति बिल्कुल भी नहीं बदला।

जहां पहले उसकी सौतेली मां उसे अपने किसी भी काम को ठीक से ना करने और पढ़ाई में अच्छे नंबर न लाने के लिए कोसती थी। वहीं अब धीरज की सौतेली मां उसे उसके पैसे के लिए ताना कसने लगी।

डॉक्टर बनने के बाद धीरज अपनी मां के लिए हमेशा अच्छी-अच्छी साड़ियां और गहने लाया करता था। लेकिन उसकी सौतेली मां को उसके द्वारा लाए गए Gifts कभी अच्छे नहीं लगते थे। उसकी सौतेली मां हमेशा धीरज द्वारा लाए गए Gift की नुक्स निकालती रहती थी।

धीरज कुछ भी क्यों ना कर ले, उसकी सौतेली मां कभी उससे खुश नही होती। यह सब देखते देखते पता नहीं कब धीरज के अंदर अपनी मां के लिए जो भी उम्मीद थी सब खत्म हो गई। अब धीरज को अपनी मां से किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं थी।

धीरज इस कदर टूट चुका था कि वह अब खुद भी अपनी सौतेली मां की तरह ही हो गया। चूँकि धीरज एक जाना माना डॉक्टर था तो वह अब दूसरों के साथ भी वहीं करने लगा जो कभी उसके साथ होता था।

धीरज अपने सहयोगियों के साथ बड़े गुस्से से बात करता था और मन ही मन घमंड में रहता था।

धीरज के अंदर काम करने वाले लोग कितना ही अच्छा काम क्यों ना कर दे। धीरज कभी उनकी तारीफ नहीं करता था और हमेशा उन पर गुस्सा करता था।

शाम को वह घर आता तो उसे अपनी सौतेली माँ के मुंह से निकले कडवे शब्द ही सुनने को मिलते थे, यह सिलसिला ऐसे ही चलता गया।

धीरज अपनी सौतेली मां से बहुत ज्यादा प्यार करता था इसीलिए उसने हमेशा अपनी मां की फिक्र की और हमेशा उनके साथ रहा। परन्तु धीरज की सौतेली माँ द्वारा उसके साथ किया गया बर्ताव न सिर्फ धीरज की निजी जिन्दगी को बत्तर बना रहा था बल्कि इससे उसके पेशवर जीवन में भी नकरात्मक प्रभाव दिखाई देने लगा था!

निष्कर्ष – कुछ लोग जिंदगी में ऐसे होते हैं जिन्हें हर खूबसूरत चीज भी खराब ही दिखाई देती है।

धीरज की सौतेली मां ऐसी ही एक इंसान थी। अगर धीरज उनके सामने स्वर्ग लाकर भी रख देता तब भी उसकी सौतेली मां स्वर्ग में भी नुक्स निकालने से पीछे नहीं हटती।

लोगो के अच्छे को अच्छा बताएं और ख़राब को ख़राब होने की वजय बताएं, प्रेरणा दे, आगे बढ़ने को प्रेरित करें, आपके विचार और प्रेरणा उनको आगे बढ़ने में सहायक बने, कुछ भी और कोई भी काम 100% नहीं होता, इसलिए थोड़ी Progress को भी दिल से स्वीकारें,

अगर आप हर किसी कार्य में नुक्स निकालेंगे तो एक तो आप स्वयं, अपने आप को, अपनी Personality को बिगाड़ रहे हैं और यह एक मानसिक रोग की तरफ भी आपको बढ़ा सकता हैं साथ ही साथ दूसरों की नज़रो में भी आप ख़राब हो जायेंगे।

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