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तारे अकसर अंधेरे में ही चमकते हैं

Taare ki kahani in Hindi

वास्तविक जीवन में हम अक्सर यह देखते हैं कि जिन लोगों की जहां पर जरूरत पड़ती है वे लोग वहीं पर निखर आते हैं, इनमें से कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जिनकी प्रतिभा का अनुमान लोगों को पहले से ही होता है और वे उनकी प्रतिभा में विश्वास करते हैं।

परंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपना रंग पहले नहीं दिखाते हैं, जिस प्रकार तारे अक्सर अंधेरे में चमक उठते हैं वैसे ही प्रतिभाशाली लोग जरूरत के वक्त अपनी प्रतिभा के बल पर निखर कर सामने आते हैं।

बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं इनके अंदर तरह तरह की प्रतिभाएं भरी रहती है परंतु उन्हें दिखाने का मौका नहीं मिल पाता इसलिए वे सदैव अपनी प्रतिभाओं को दबाए रखते हैं इसका कारण उनकी आर्थिक समस्या उनके बुरे हालात कुछ भी हो सकते हैं।

परंतु फिर भी ईश्वर उन्हें एक न एक दिन उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए मौका देता है।

किसी को इतना बड़ा मौका देता है कि वह अपनी प्रतिभा के बल पर ही अपने जीवन में कुछ ऊंचाइयों को छू लेता है।

हर किसी इंसान में एक नेक प्रतिभा जरूर होती है इसलिए हमें सोच समझ कर अपनी प्रतिभा का अंदाजा लगाते हुए उसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। जिस क्षेत्र के लिए हम एक सही व संपूर्ण हो।

यह समझना बहुत मुश्किल है परंतु हम फिर भी थोड़ा बहुत अनुमान लगा सकते हैं कि हम किस क्षेत्र में अपना विकास कर सकते हैं और अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं।

जैसे-जब भी किसी किसान का बेटा उम्र के साथ बड़ा होता है तो वह अपने पिता के साथ खेतों में जाकर वैसे ही काम सीखता है जैसे उसके पिताजी करते हैं। यहां पर यह अनुमान लगाना तो साधारण सी बात है कि किसान का बेटा भी बड़ा होकर किसान बन सकता है।

परंतु तब अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है जब किसान का बेटा अपने पिता के साथ खेतों में जाता ही नहीं और ना ही अच्छे ढंग से पढ़ लिख सकता है।

तो ऐसी स्थिति में अनेक प्रश्न उसके जीवन पर प्रश्न चिन्ह लगा देते है, जैसे वह आगे क्या करेगा? कौन से क्षेत्र में वो अपना जीवन यापन कर सकता है।

ऐसे तमाम प्रश्न!

फिर भी किसान के बेटे में कुछ न कुछ ऐसी प्रतिभाएं जरूर होगी जहां से वह आसानी से आगे बढ़ सकता है।

लेकिन जब तक वह कुछ कार्य अपनी प्रतिभा के बल पर न कर सके तब तक उसकि काबिलियत का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

हम आपको एक ऐसे होनहार बालक के बारे में बताएंगे, जिसे खुद तो अपनी प्रतिभा पर विश्वास होता है पर वह उसे अन्य लोगों के सामने उसे प्रदर्शित करने में असमर्थ रहता है और 1 दिन ऐसा आता है जब वह अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए मजबूर हो जाता हैं।

एक छोटे से गांव में अपने माता-पिता के साथ एक बालक रहता था जो किस्मत से खुद को बहुत ही धनवान समझता, क्योंकि वह हमेशा अपने माता-पिता व अपने से सभी बड़े लोगों का सम्मान करता, इसलिए उसके मां-बाप द्वारा उसे किसी भी कार्य के लिए रोका नहीं जाता।

इसका कारण बच्चे का बचपन से ही समझदार होना और हमेशा सही निर्णयों का चयन करना था। बच्चे द्वारा जो भी निर्णय लिए जाते थे। वे हमेशा से ही उसके परिवार के लिए लाभदायक रहे और उसके माता-पिता उससे प्रसन्न हुआ करते।

वह बच्चा बचपन से ही मेहनती था, वह तरह-तरह की जिम्मेदारियों को अपने सिर पर उठा लेता इससे उसके मां-बाप अपने उस बालक से बहुत ही खुश रहते हैं।

वह छोटा सा बच्चा उम्र से जितना छोटा था, काम करने में अपनी रफ्तार से उतना ही तेज था, क्योंकि वो अपने घर के छोटे-मोटे काम अपने मां-बाप के कहने पर तुरंत कर लिया करता था।

ऐसे ही छोटे मोटे कामों को भाग-भागकर करते हुए वह लड़का प्राकृतिक रूप से अपनी दौड़ बना चुका था, और छोटी-मोटी दौड़ प्रतियोगताओं में हिस्सा लेने लगा।

प्राकृतिक रूप से अच्छी दौड होने के कारण वह छोटी मोटी दौडों को ऐसे ही जीत लिया करता था।

जब वह बालक अपनी दसवीं क्लास में पढ़ रहा था तो उसने मैराथन दौड़ में हिस्सा लिया और उसमें बेहतरीन धावकों को हराकर दूसरा स्थान हासिल किया।

पर इस दौड़ में पहला स्थान हासिल न कर पाने की वजह से उस लड़के का दिल टूट सा गया और उसने सोच कि आज के बाद वह किसी भी दौड़ में हिस्सा लेगा ही नहीं।

कुछ समय बीता, बहुत सारी दौड़ आयोजित हुई परंतु उनमें से एक भी दौड़ में उस बालक ने हिस्सा नहीं लिया।

उस बालक के माता-पिता भी नहीं समझ पा रहे थे कि उनके बच्चे ने इतनी जल्दी हार कैसे मान ली? उसने और भी बहुत सारी रेसों को जीतना था परंतु उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, उनकी भी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।

परंतु उनका बच्चा अपनी जिद पर अड़ा रहता कि मुझे किसी भी दौड़ में प्रतिभाग नहीं करना है, कोई नहीं जानता था उस बालक के मन में ऐसे कौन से विचार आ रहे होंगे? जिसके कारण वह किसी भी दौड़ में प्रतिभाग करने से मना कर रहा हो।

इस बालक के दोस्त भी अब उदास होने लगे क्योंकि जिस दौड़ को हमेशा उनका दोस्त जीता करता था उसी दौड़ को अब कोई अनजान जीतने लगा था।

उस लड़के के दोस्त भी उसे खूब समझाते परंतु वह किसी की बात सुनने को तैयार होता ही नहीं और अपनी हर बार वही बात बोलता, कि मुझे किसी भी दौड़ में शामिल नहीं होना।

बहुत समय पश्चात एक दिन जिस क्षेत्र में वो बालक रहता था, उसी क्षेत्र में एक बड़े नेता द्वारा 800 मीटर दौड़ का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम आने वाले को ₹5,000 का नकद पुरस्कार दिया जाना था।

जब यह बात उस बालक के दोस्तों को पता चली तो वे लोग बहुत खुश हो गए और अपने दोस्त के पास चल दिये, वे जल्दी-जल्दी अपने दोस्त को बताते हैं कि हम तुझे ₹5000 देंगे बस तुझे हमारा एक काम करना पड़ेगा।

वह बालक अपने दोस्तों की यह बात सुनकर बहुत खुश हो जाता है और उनसे पूछता है कि वह काम क्या है जिसे करने पर तुम मुझे ₹5000 दोगे।

जब उसके दोस्त उसे बताते हैं कि तुझे एक 800 मीटर दौड़ में भाग लेना होगा, और उस दौड को हमारे लिए जीतना होगा, पहले तो वह लड़का मना कर देता है परंतु जब उसे सारी जानकारी दी जाती है तो वह इस दौड़ में भाग लेने के लिए तैयार हो जाता है और उस दौड़ की तैयारी में जुट जाता है।

जल्दी ही वह दिन आ गया जब मैदान में सभी धावक पूरी तैयारी के साथ दौड मैं प्रतिभाग करने के लिए तैयार रहते है, इससे पहले इस बालक को लोगों ने किसी भी दौड़ में प्रतिभाग करते हुए नहीं देखा था।

इसलिए उस बालक की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं रहा और यह उम्मीद तो बहुत दूर थी कि यह बालक इस दौड़ को जीत सकता है।

जब दौड़ प्रारंभ हुई, वह बालक सभी को पछाड़ते हुए सबसे आगे दौड़ता है लेकिन बाद में वह गिर जाता है और उसके दोस्तों को ऐसा लगता है जैसे वह रेस जीत ही नहीं सकता, वह फिर उठकर अपने पूरे जोश के साथ आगे बढ़ता है और दौड़ समाप्त होने तक सभी धावकों को पीछे कर सबसे आगे पहुंचकर इस रेस को जीत लेता है।

वहां बैठे कई लोगों को अपनी आंखों पर यकीन नहीं होता क्योंकि लोगों की नजर में इसे रेस को जीतने वाले दावेदार रेस से बाहर हो चुके थे और एक ऐसा बच्चा इस रेस को जीत चुका था जिसे कई ने तो आज तक कहीं दौड़ते नहीं देखा था।

पर चूंकि वह बच्चा अपनी क्षमताओं से भलीभांति अवगत था, भले ही उस पर किसी का भी विश्वास में था उसे खुद पर विश्वास था कि वह अपनी शारीरिक क्षमता की बदौलत इस रेस को जीत सकता है।

अतः रेस शुरू होने के बाद जब मैदान में वह गिर जाता है, तब भी उसने हार नहीं मानी और फिर से दौड़कर अंततः रेस जीत लेता है।

बालक को रेस जीतने के लिए नेता जी द्वारा सम्मान के साथ मंच से ₹5000 का पुरस्कार दिया गया। वहां उपस्थित सभी लोगों ने इस बालक के लिए तालियां बजाई, इस तरह अब क्षेत्र के लोग उसे सबसे तेज धावक के रूप में जानने लगे।

अतः इस प्रकार इस बालक ने अपनी प्रतिभा सिर्फ तब प्रदर्शित कि जब उसे और उसके साथियों को उसकी जरूरत थी। जरूरत के वक्त अपनी प्रतिभा दिखाने के कारण वह लोगों की नजरों में एक चमकता हुआ तारा बन पाया।

सीख-
हमें कहानी संदेश देती है कि हमें कभी भी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए। हमें हमेशा अपनी मंजिल की ओर कदम पे कदम बढ़ाए चलते रहना चाहिए।

खुद पर इतना विश्वास होना चाहिए कि दूसरे हमारे बारे में हमारी कमजोरी ना बता सके। हमें अपनी प्रतिभा को जरूरत के वक्त दिखाना चाहिए इससे आपकी असल काबिलियत का अंदाजा लोगों को वक्त आने पर हो ही जाता है।

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