Hindi Kahani, Story in Hindi जिंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ, मगर किसी की मजबूरी और भरोसे का नहीं
इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो किसी व्यक्ति की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। किसी की मजबूरी का फायदा उठाना गलत ही नहीं बल्कि नैतिकता के विरोध में भी है। अगर कोई व्यक्ति परेशान है, मजबूर है, तो हमे उसकी मजबूरी का लाभ उठाने की बजाए उस व्यक्ति की मदद करनी चाहिए।
याद रखे, बुरा वक्त किसी पर भी आ सकता है। आज आप जिस व्यक्ति के साथ गलत कर रहे हैं, कल आपके भी साथ कोई ग़लत कर सकता है। कोई भी व्यक्ति अपने शौक से मजबुर नहीं होता, ये तो हालात ही ऐसे हो जाते है कि उसे दूसरो के सामने हाथ फैलाने पड़ते है।
Best Hindi Kahani on Never take advantage of someone’s Compulsions in Hindi
प्रकृति का नियम है कि आप जैसा बीज आज बोओगे, वैसा ही फल आपको भविष्य में मिलेगा। कहने का अर्थ है, आपके कर्म आपके लिए एक अच्छे भविष्य का निर्माण करते हैं और किसी मजबूर व्यक्ति की मजबूरी का फायदा उठाना कोई अच्छा कर्म नहीं है।
कोई व्यक्ति नौकरी पाने के लिए मजबूर है, तो कोई पैसों के लिए मजबूर है, ऐसे में अगर हम उनकी मजबूरी का फायदा उठाएं यानि उनको वो काम करने के लिए मजबूर करें, जो वह करना ही नही चाहते है, तो ऐसे में हम ना सिर्फ उस व्यक्ति के मन में घृणा उत्पन्न कर रहे हैं, बल्कि सभ्य समाज के विरुद्ध काम कर रहे हैं। हमें ऐसा काम कभी नहीं करना चाहिए।
आज की इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ऐसी कहानी सुनाने जा रहे है, जिसका सीधा सम्बन्ध हमारे आज के समाज से है। इस कहानी के माध्यम से हम आपको बतायेंगे कि लोग किस प्रकार मजबूर व्यक्ति की मजबूरी का फायदा उठाते है और कहानी के अंत में हम आपको इस कहानी से मिली सीख के बारे में बतायेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं
एक गांव में रमेश और शोभा नाम के पति- पत्नी रहते थे। उनका एक बेटा था, जिसका नाम रोहन था। रमेश और शोभा गरीब होने के बावजूद भी अपने बेटे की हर इच्छा को पूरा करते थे।
उस गांव मे नारायणदास नाम का एक अमीर जमींदार रहता था। वह गांव में सबसे अमीर था, लेकिन नियत का बिल्कुल अच्छा नहीं था। एक दिन नदी के किनारे शोभा पानी भरने गई, तब उस जमींदार की नजर शोभा पर पड़ी और वह उसे पसंद करने लग गया।
उसके दूसरे दिन वह जमींदार शोभा के घर गया और उसके पति रमेश से बोला-
जमींदार :- रमेश और शोभा तुम दोनों बहुत ही नेक दिल इंसान हो। कभी भी किसी चीज की जरूरत पड़े, तो मुझे कह देना।
वे दोनो जमींदार की इस बात पर खुश हो जाते हैं।
कुछ दिनों बाद रोहन को सीने में दर्द होने लगा और वह बेहोश होकर गिर गया। इतने में शोभा दौड़कर आई और उसे अस्पताल ले गई।
जब डॉक्टर ने रोहन का चेकअप किया और रिपोर्ट देखी, तब शोभा से कहा
डॉक्टर :- रोहन के दिल मे छेद है। अगर जल्दी ही Operation नही करवाया, तो रोहन मर जायेगा।
यह सुनते ही शोभा अंदर से टुट जाती है और वही पर रोने लगती है।
शोभा :- डॉक्टर साहब, आप मेरे रोहन की जान बचा लीजिए। आप उसका ऑपरेशन शुरू कर दीजीए।
डॉक्टर :- पहले आपको एक लाख रुपये जमा करवाने होंगे, तभी आपके बेटे का ऑपरेशन शुरू होगा। आपके बेटे के पास सिर्फ 5 दिनों का ही समय है। इसलिए जल्दी पैसे जमा कर दीजिए, ताकि ऑपरेशन शुरू हो सके।
शोभा :- डॉक्टर साहब, इतने पैसे मै इतनी जल्दी कहा से लाऊगी। आप ऑपरेशन शुरू कर दीजीए, मै धीरे-धीरे आपके सारे पैसे लौटा दूंगी।
डॉक्टर :- मैं आपकी मजबूरी समझता हूँ। लेकिन बिना पैसों के आपके बेटे का ऑपरेशन नही हो सकता।
इतना सुनते ही शोभा ओर उदास हो गई और अपने घर वापिस आ गई। शोभा ने सारी बात अपने पति रमेश को बताई।
रमेश :- इतना सब कुछ हो गया और तुम मुझे अब बता रही है। मुन्ना (रोहन) अब कैसा है?
शोभा :- मुन्ने की तबियत अभी भी बहुत खराब है। आप किसी भी तरह एक लाख रुपये का इंतजाम कीजीए, नहीं तो मुन्ना बच नहीं पाएगा।
इसके बाद रमेश अपने मालिक के पास जाता है और अपने मालिक से पैसे उधार मांगता है।
मालिक :- देखो रमेश, मैं तुम्हारी मजबूरी समझता हूं। लेकिन मुझे माफ कर दो, मेरे पास अभी इतने पैसे नहीं है।
रमेश दुखी हो जाता है और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और अन्य कई लोगों से पैसे उधार मांगता है। लेकिन किसी के पास भी इतना पैसा ना होने के कारण कोई रमेश की मदद नहीं कर पाता है।
रमेश खाली हाथ ही घर लौट आता है ।
रमेश :- मुझे माफ कर दो, शोभा। मैनें बहुत कोशिश की, पर मै पैसों का इंतेजाम नहीं कर पाया।
यह सुनकर शोभा उदास हो जाती है। तभी उसे अचानक नारायणदास की कही हुई बात याद आती है।
उसके बाद शोभा जमींदार के घर जाती है।
शोभा :- जमींदार साहब, मेरे बेटे के दिल में छेद हो गया है और जल्द से जल्द उसका ओपरेशन करवाना होगा, नही तो मेरा बेटा मर जायेगा। ऑपरेशन के लिए एक लाख रुपये की जरूरत है।
जमींदार साहब, आप कृपया करके मुझे एक लाख रुपये दे दीजीए। मैं जल्दी ही आपका उधार चुका दूंगी।
जमींदार :- तुम्हारे बेटे के बारे में सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा, लेकिन मैं इतनी बड़ी रकम बिना गारंटी के कैसे दे सकता हूँ। तुम्हें मुझे कुछ तो देना ही पड़ेगा।
शोभा :- जमींदार साहब, मेरा विश्वास कीजीए। मैं आपको छः महिने में सारे पैसे लौटा दूंगी।
जमींदार :- देखो शोभा, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हों। मैं तुम्हे पैसे दे दूंगा, लेकिन उसके लिए तुम्हे मेरी एक शर्त माननी होगी। अगर तुम आज के लिए मेरी हों जाओ और मुझे खुश कर सकती हो, तों मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा।
शोभा :- मुझे आपसे यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी। मै तो आपके पास मदद के लिए आई थी, लेकिन आप तो बहुत घटिया आदमी निकले। मेरा बेटा अस्पताल में जीवन और मौत के बीच लड़ रहा है और आप इस समय इतनी घिनौनी बात कर रहे है। आपको शर्म नहीं चाहिए।
जमींदार :- ऐसी बात है, तो चली जाओ यहां से, अब मैं देखता हूँ, तू कैसे अपने बेटे का इलाज करवाती है।
शोभा गुस्से मे जमींदार के घर से चली आई और अपने बेटे को घर पर देखकर हैरान हो जाती है।
शोभा (रमेश से) :- आप रोहन को घर क्यों ले आए। इसे तो अभी अस्पताल में होना चाहिए था।
रमेश :- पैसे ना होने के कारण डॉक्टर ने रोहन का इलाज नहीं किया और रोहन को घर ले जाने के लिए कहा।
इस बात से शोभा बहुत ज्यादा दुःखी हो गई और उसने जमींदार की बात मानने का फैसला कर लिया। उसके पास इसके अलावा कोई उपाय नहीं बचा था। शोभा वैसे तो बहुत स्वाभीमानी और इज्जतदार लड़की थी। लेकिन हालातों के आगे उसे झुकना पड़ा। शोभा जमींदार के घर गई।
शोधा :- जमीनदार साहब, मुझे आपको सारी बातें मंजूर है।
जमींदार :- हा हा हा! देखा मुझे पता था, तू जरूर आएगी।
इसके बाद जमीनदार ने शोभा की मजबूरी का फायदा उठाते हुए उसके साथ यौन संबंध बनाए।
शोभा :- जमीनदार साहब, आपने जैसे कहा, मैंने वैसे ही किया। अब तो मुझे पैसे दे दीजीए।
जमींदार :- अरे तू पागल तो नहीं है। इतनी बड़ी रकम अभी कैसे दे सकता हूँ | 2 हफ्ते बाद आकर पैसे ले जाना और हां, जो कुछ भी हमारे बीच हुआ, उसके बारे में किसी को बताना मत बताना। अब तुम यहां से जाओ।
शोभा :- जमींदार साहब, ऐसा मत कीजीए। 2 हफ्ते तो बहुत दूर है, इतने दिन में तो मेरा बेटा मर जाएगा । कृप्या करके मुझे पैसे दे दीजीए।
जमींदार ने जबरदस्ती शोभा को बाहर निकाल दिया। शोभा बहुत रोने लगती हैं। तभी राह से गुजर रहे एक भले व्यक्ति की नजर शोभा पर पड़ी और शोभा को रोते देख वह उसके पास आया और पूछा।
आदमी :- क्या हुआ आप रो क्यों रही है?
उसके बाद शोभा ने उसे सारी बात बताई।
आदमी:- बहनजी, आप चिंता मत कीजीए। मैं एक NGO का मेम्बर हुँ और हमारे NGO में दिल के मरीजों का मुक्त इलाज होता है। हम आपके बेटे का इलाज मुफ्त में कर देंगे।
शोभा इस बात से बड़ी खुश होती है और उस व्यक्ति को धन्यवाद कहते नहीं थकती है।
उसके बाद वह आदमी रोहन को अस्तपाल ले जाता है और मुफ्त में उसका इलाज करवाता है। कुछ दिनों बाद रोहन बिल्कुल ठीक हो जाता है। अपने बेटे को स्वस्थ देखकर शोभा बहुत खुश हो जाती है।
शोभा (आदमी से) :- बहुत बहुत शुक्रिया आपका भाईसाहब। आप ना होते तो मेरा बेटा आज जिंदा ना होता। मै आपकी हमेशा आभारी रहूंगी।
आदमी : शुक्रिया की कोई जरूरत नहीं है, बहनजी। वैसे इस गांव में हमारे NGO का एक और मेम्बर नारायणदास भी तो रहता है। आपने उससे मदद क्यों नहीं मांगी?
उस आदमी की इस बात से शोभा हैरान हो जाती कि वह जमींदार NGO का मेम्बर है। इसके बाद शोभा ने उस जमींदार की सारी सच्चाई उस आदमी को बता दी। आदमी को बहुत सा आया और पुलिस लेकर नारायणदास को गिरफ्तार करवाया।
अब शोभा और उसका पति रमेश अपने बेटे रोहन के साथ खुशी से रहते हैं।
निष्कर्ष :
इस कहानी के जरिये एक बात तो साफ हो गई है कि अगर किसी व्यक्ति ने किसी के साथ बुरा किया है, तो निश्चित रूप से उसके साथ भी बुरा होगा। यह कहानी सिर्फ कहानी ही नहीं है बल्कि इस कहानी ने हमारे समाज के दोनो पहलुओं को दिखाया है।
एक ओर नारायणदास, जो शोभा के गांव का होकर भी उसकी मजबूरी का फायदा उठाता है और उसके साथ घिनौना काम करता है। जिसके लिए बाद में उसे सजा भी भुगतनी पड़ती है। वही दुसरी ओर एक अजनबी व्यक्ति, जिसने शोभा की इतनी मदद की, कि उसकी सारी समस्या हल हो गई।
अब फैसला आपके ऊपर है। आपको क्या बनना पसंद करोगे? नारायणदास या फिर वो अजनबी व्यक्ति? किसी और का बुरा चाहकर खुद का कभी भला नहीं हुआ है। कोई व्यक्ति आपके पास मदद मांगने के लिए आता है, तो आप उसकी मजबूरी का फायदा ना उठाये। आपको नहीं पता कि वह व्यक्ति किस हाल में होगा। इसलिए जहां तक संभव हों लोगों की मदद किजीए।