Hindi Poems, Hindi Poetry, Hindi Kavita, Poem By Rajkumar Yadav
ऐसा क्यों होता है? न मैं जानूँ, न तुम..
कोई पहली नजर में भा जाता है
कोई देखते-देखते दिल में आ जाता है
ऐसा क्यों होता है? न मैं जानूँ, न तुम..
ऐसा क्यों होता है, कोई चुपके से दिल में उतर जाता है, न मैं जानू, न तुम
ऐसा क्यों होता है? कोई अकसर विचारों से गुजर जाता है, न मैं जानू, न तुम
कुछ भी न कह के भी सबकुछ कह जाता है कोई,
नजर न आने वाला नजरों में रह जाता है कोई
क्यों दिल को विश्वास हो जाता है अजनबी पे
क्यों रिश्ता एकदम खास हो जाता है, अजनबी से
ऐसा क्यों होता है, न मैं जानू, न तुम
ऐसा क्यों होता है? न मैं जानूँ, न तुम..
ऐसा क्यों होता है? दिल किसी के लिए कसमों से मुकर जाता है, न मैं जानू ना, न तुम
ऐसा क्यों होता है? कोई अकसर विचारों से गुजर जाता है, न मैं जानू, न तुम
मेरे एहसास बेखबर है, प्यार के नारों से
इसे उम्मीद है कोई आएगा दूर तारों से
जिसके लिए दिल जीने मरने के सपने सजाय
उसी से अपना हालात कहने से कतराय
ऐसा क्यों होता है? न मैं जानू, न तुम
ऐसा क्यों होता है, किसी के लिए बिगड़ैल दिल सुधर जाता है, न मैं जानू, न तुम
ऐसा क्यों होता है? कोई अकसर विचारों से गुजर जाता है, न मैं जानू, न तुम
– राजकुमार यादव (Raj Kumar Yadav)
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3 Comments
wah gajab. nice post
Kafi achhi kavita hai. I liked it. Thank you for sharing this poem with us.
waah bahut achha likhte ho congratulation