एक बार दो यात्री पैदल यात्रा कर रहे थे, उनका लक्ष्य था धन कमाना और सफलता और यश प्राप्त करना।
क्योकि ईश्वर के द्वारा उन्हें एक वरदान मिला था कि यात्रा के दौरान असीमित धन मिल सकता हैं। परन्तु वे हर काम सावधानी से करें, शर्त यह भी थी कि वे कभी भी अपने स्थान से एक फुट से अधिक पीछे नहीं जा सकेंगे, नहीं तो तुरंत वही गिरकर ढेर हो जायेंगे।
दोनों ने अपने आपको खाने-पीने की चीजों से लाद लिया क्यों पीछे तो वापस आ नहीं सकते थे और आगे का क्या पता खाने के लिए भी कुछ मिले न मिले और चल दिए बहुत सारा धन प्राप्त करने के लिए।
काफी दूर चलते रहने के बाद उनको अचानक एक पथरीली सड़क पर चलना पड़ा। वहां पर कई बोर्ड लगे थे, जिन पर लिखा था “जो इन पत्थरों को उठाएगा, वह अंत में पछताएगा।”
एक यात्री गुस्से से बडबडाया, “यह अजीब निर्देश हैं की उठाओ तो रोना पड़ेगा, और न उठाओ तो भी रोना पड़ेगा लेकिन फिर भी मैं तो एक छोटा सा कंकर उठाकर जेब में रख ही लेता हूँ। ”
दूसरा बोला, “जब दोनों हालत में ही रोना ही हैं, तो मैं भला क्यों उठाऊ?”
फिर दोनों चल पड़े बीच-बीच में अच्छी सड़क हो जाती और कहीं कहीं बोर्ड दिखाई पड़ते यात्रा काफी कठिन थी लेकिन अंत में वो आखिरी चरण पर पहुच गए और सड़क एकदम अच्छी हो गई।
कुछ और आगे चलने पर लिखा था, ”आपकी यात्रा समाप्त हो गई हैं।”
उसके नीचे छोटे अक्षरों में लिखा था, “यात्रियों तुमने अपने रास्ते में पड़े पत्थर देखे थे, वो अमूल्य हीरे थे यदि तुमने कुछ उठा लिए हैं तो जाकर उनको बेच कर धन और यश दोनों कमाओ, परन्तु जो अवसर तुमने गवा दिया, वह अब वापस नहीं मिल सकता। ”
जिसने एक भी पत्थर नहीं उठाया, वह बोर्ड पर लिखे शब्दों को पढ़कर दहाड़े मार कर रोने लगा और बोला, ”भगवान की कृपा से मेरे कपड़ो में कई जेबे थी और मेरे तो पीठ पर भी कई थैले थे, उसके बाद भी मैंने एक भी पत्थर नहीं उठाया और जिस चीज की चाह में निकला था, उसे ही पहचान नहीं पाया। चाहता तो में भी थैलों में भर सकता था परन्तु मैं तो जेब में भी नहीं रखा पाया। ”
जिसने एक छोटा सा कंकर उठाया था, वह भी छाती पीट-पीट कर रोने लगा, ”हे प्रभु जब मुझे उठाना ही था, तो क्यों मैंने सिर्फ एक कंकर उठाया? मैं अपना थैला भर सकता था और अपनी सारी जेबे भी भर सकता था। ”
बाद में क्या होता? अब यात्रा तो समाप्त हो चुकी थी और इस तरह दोनों यात्री कुए के पास आकर भी प्यासे रह गए।
Friends भगवान, हमें हर जगह और अकसर हमें कई अवसर देता हैं। हमें केवल उनको पहचानना होता हैं कई बार हम उन अवसरों को बेकार समझ कर गवा देते हैं। और बाद में अफ़सोस करते हैं कि काश हम वह कर लेते लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती हैं अत: अवसरों को पहचानो। भगवान हमें अवसर दे और हम उसकी पहचान कर सही दिशा में परिश्रम करें, तो सफलता खुद-ब-खुद मिलती चली जायेगी।
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Note: The above story is not my original creation; I have read it from one of the books & found it is very good to share with you.
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