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Self Motivation Poem In Hindi – कब का वक्त गुजर गया है तेरा

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कब का वक्त गुजर गया है तेरा
तु कहां खोया है अभी ..बन्देया

देख दरिया में कितना पानी टघर गया..
देख चढ़ता दिन भी उतर गया
बिखरा फूल भी अब संवर गया
खाली गगन भी तारों से भर गया

अब भी तुम किस का इंतजार कर रहे हो
कब का वक्त गुजर गया है तेरा
तु कहां खोया है अभी ..बन्देया

आज कल करते करते पूरा महीना बीत गया
हारने वाला भी देखो जीत गया
तैरने वाला धारा के विपरीत गया
छोड़ कर अपना कोई मीत गया

क्यों अतीत के खिड़की से भविष्य का दीदार कर रहे हो?
कब का वक्त गुजर गया है तेरा
तु कहां खोया है अभी ..बन्देया

नहीं होने वाला है कुछ भी यहां तेरे अनुसार
दिख नहीं रहा है बातचीत का आसार
तु चल एक एक बार उसे पुकार
जो तुम्हारे सामने है ,उस पार

इजहार करने के लिए कितना खुद को तैयार कर रहे हो
कब का वक्त गुजर गया है तेरा
तु कहां खोया है अभी ..बन्देया

एक बार चली गई तो फिर नहीं है कभी आनी
पगली ये रुत इतनी सुहानी-मस्तानी
और तेरी मस्त मस्त अलबेली जवानी
किताबों में दब कर रह जाएगी कहानी

अपनी मुहब्बत को खुद ही तुम आजकल शर्मसार कर रहे हो
कब का वक्त गुजर गया है तेरा
तु कहां खोया है अभी ..बन्देया

– राज यादव ( Raj Yadav )

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