Business Tips in Hindi by successful business personality & entrepreneur Ashish Tulsian & Sakshi Bhasin Tulsian
संयोग से जयपुर स्टार्टअप द्वारा आयोजित (Jaipur StartUps Meet – Episode 3) में जाने का अवसर मिला।
सबसे पहले Jaipur Start Ups के founders को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाईयाँ, ऐसा आयोजन जयपुर में करने के लिए। ऐसे आयोजन से काफी लोगो को बहुत फायदा मिलेगा, खासकर युवाओ को जिनमें में इंटरप्रेन्योर बनने की होड़ सी मची हुई हैं इससे उनको successful entrepreneur से सही प्रेरणा मिलेगी और सही दिशा भी।
यहाँ Mr. Ashish Tulsian (a serial entrepreneur (currently Co-founder & CEO at POSist) and a prominent Angel investor, already funded number of Startups in India) जो कि Chief Guest और Mentor थे और उनकी वाइफ Sakshi Bhasin Tulsian, से मिलने का मौका मिला, जैसा कि मुझे पहले लग रहा था कि ये भी वही पुरानी अपनी कहानी कहेंगे, मैंने ये किया, ऐसे-ऐसे किया और ऐसे-ऐसे मैं आगे बढ़ा, आज मैं यहाँ इस पोजीशन पर हूँ।
ऐसा उन्होंने किया लेकिन ये सब बताना भी तो जरुरी था, कि वो क्या हैं और क्या-क्या उन्होंने अपना जीवन में देखा, किया और क्या क्या उनसे गलतियाँ हुई और उन सब से क्या क्या सबक लिया और आज हम सब उन्होंने जो कुछ experience लिया हैं उनसे क्या क्या सीख सकते हैं?
Hotel Kalyan, Jaipur के Roof-Top पर लगभग 100 की संख्या में बहुत सारे entrepreneur ने इनको सुना, अपने सवाल पूछे और आशीष सर ने भी इन सब की बहुत सारी जिज्ञासाओं को शांत किया और समाधान बताया।
उस पुरे व्यक्तव्य को शब्दों में बयां करना थोडा मुश्किल हैं but उसका सार लगभग आपको इस POST में मिल जायेगा।
सबसे पहले उन्होंने Ideas के बारें में बताया
Ideas कोई भी ख़राब नहीं होता बस ये check कर लेना चाहिए कि आप उस आईडिया में कितना फिट बैठते हो। जिस काम या आईडिया में आपका दूर दूर से कोई relation नहीं हैं उस काम को आप as a business करना चाहते हैं तो यह थोडा risky रहेगा। ऐसे आईडिया को execute करने में आपको टाइम और बहुत मेहनत तो करनी पड़ेगी ही, साथ ही हो सकता हैं कि आपको असफलता भी हाथ लगे। इसलिए बेहतर यह हैं कि आप ऐसे आइडियाज पर वर्क करो जिस पर कि आपको सबसे बेहतर knowledge हो।
अगर आपको अपने आईडिया पर सलाह मांगनी हैं या फिर यह चेक करना हैं कि क्या यह आईडिया या business work करेगा, तो पहले आप उसके target audience को पहचानो। टारगेट ऑडियंस वह हैं जो कि आपका product अथवा सर्विस को use करने वाली हैं।
अपने दोस्तों, मित्रो relative से पूछ कर कि भाई यह मेरी बिज़नस आईडिया हैं बोलो क्या कहते हो चलेगा या नहीं चलेगा और अगर यह आपका दोस्त और भाई हैं तो यह oblivious हैं कि वह यही बोलेगा आईडिया मस्त हैं 100% चलेगा।
Mr. Ashish Tulsian एक सफल restaurant सर्विस प्रोवाइडर APP/Software Company POSist के मालिक हैं और बहुत सारे restaurant को service provide करके उन्होंने उनके जीवन को आसान बना रखा हैं उन्होंने काफी नए स्टार्टअप में इन्वेस्ट करके उनकी help भी करी हैं वो बता रहे थे कि एक बार मेरे एक फ्रेंड ने अपने एक फ्रेंड से बात करवाई।
उसने कहा की मेरे mind में एक बहुत ही जबरदस्त आईडिया आया हैं
आशीष तुलसियन – कहो”
बहुत सारे metro cities जिनमें कि पति-पत्नी अपने परिवार से दूर रहते हैं और किसी कम्पनी सर्विस करते हैं उन लोगो के पास काफी कम समय होता हैं – खाना बनाने के लिए और कभी-कभी तो बिलकुल भी समय नहीं होता।
आशीष तुलसियन – “हाँ ठीक हैं, आगे कहो”
कई बार इनको कुछ अच्छा खाने का और बनाने का मन तो करता ही होगा।
आशीष तुलसियन – “हाँ बिलकुल सही कहा, फिर”
हो सकता हैं कि इनको कुछ अच्छा बनाने का मन भी करता हो और क्युकि इनके पास time की कमी होती हैं तो ये लोग बाज़ार से सामना नहीं ला पाते होगे या फिर अगर सामन भी ले आयें तो इनको वो चीज बनानी नहीं आती होगी।
आशीष तुलसियन – “हाँ यह भी सही हैं, फिर”
क्यों न इनको एक ऐसी kit provide करवा दे online या offline जिससे कि
- इनको बाज़ार से सामान लाने की जरुरत ही नहीं पड़े।
- इनको कुछ सीखने की जरुरत नहीं पड़ेगी, क्यों अपनी किट में वो सब बनाने की विधि दी जाएगी।
- उनको कौनसा मसाला कितना डालना हैं वो सब उतनी ही quantity में kit में दिया जायेगा, जैसे की अगर 4 आदमी का कुछ बनाना हैं तो मसाला और अन्य केवल उसी के according दिया जायेगा।
आशीष तुलसियन – “ठीक हैं अब ये बताओ की आप ये service कहाँ शुरू करने का plan कर रहे हो। मतलब आप कहाँ के ऑडियंस/लोगो को ये सर्विस provide करने की सोचते हो”
गुडगाँव, क्योकि वह पर ही ऐसी family, सिंगल्स ज्यादा रहती हैं और मेट्रो सिटी हैं मेरे according अगर यहाँ से शुरुआत की जाये तो बेहतर रहेगा बाकी आप कहो।
हाँ, यह भी सही हैं, लेकिन क्या तुम्हे किसी से इस आइडियाज के बारें में पूछा या बताया।
हाँ मैंने अपने दोस्तों से पूछा था।
क्या कोई सर्वे टाइप किया क्या? अपने आईडिया के बारें में?
हाँ मैंने लगभग 20 लोगो को बताया हैं और सबने ये कहा हैं कि जबरदस्त आईडिया हैं मस्त चलेगा!!
हालाकि यह संख्या बहुत कम हैं but क्या तुम ये बताओगे कि ये 20 लोग कौन हैं मेरा मतलब हैं कि क्या तुम पहले से उनको जानते हो?
हाँ, इनमें से 10 मेरे दोस्त हैं
और बाकी 10?
वो मेरे दोस्त के दोस्त हैं
हा हा हा हा :-), चलो कोई नहीं एक बात बताओ, तुम अपने kit की price कितना रखना चाहते हो कोई आईडिया
500 तो at-least होनी ही चाहिए, उसने जबाब दिया
ठीक हैं एक काम करो जिन 20 की तुम बात कर रहे हो, उन सबको एक किट बनाकर दो और कीमत 250 रखो और अगर 10 भी आपकी यह किट ले ले तो अपने इस आईडिया पर work कर लेंगे।
अगले दिन फ़ोन आया कि मेरी एक भी किट नहीं बिकी, सबने मना कर दिया सब ये बोलते हैं कि आईडिया अच्छा हैं but हमें इसकी जरुरत नहीं हैं।
दोस्तों ऐसा ही हम लोगो के साथ होता हैं, हमें आईडिया आता हैं अच्छा लगता हैं दोस्तों से पूछते हैं दोस्त लोग बोलते हैं
भाई जबरदस्त आईडिया हैं मस्त चलेगा छा जायेगा तू!!
लेकिन fact यह हैं कि वो आपके टारगेट audience हो, ऐसा जरुरी तो नहीं हैं इसलिए अपने आईडिया को पूरा analysis करने के लिए टारगेट audience से पूछो। क्या वो आपका आईडिया accept करेगी? क्या आप जो सर्विस देना चाहते हैं वो लेगी भी या नहीं?
हाँ- अगर आप जो सर्विस देना चाहते हैं अगर उसकी audience को need हैं तो आपको निश्चित रूप से अपने आईडिया को आगे ले जाने की जरुरत हैं नहीं तो BIG NO.
या तो आईडिया को implement मत करो या फिर ऐसी जगह तलाश करो, जहाँ की लोगो को आपके आईडिया / product अथवा सर्विस की जरुरत हो।
कोई भी आईडिया ख़राब नहीं होता बस आईडिया को ढंग से analysis करना बहुत ज्यादा जरुरी हैं, अगर आप उस आईडिया पर वर्क करना चाहते हैं।
कई बार यह भी हो सकता हैं कि आपको यह लगे। यार, यह तो बिलकुल unique हैं किसी ने try भी नहीं किया होगा, अगर आप ऐसा सोचते हैं तो बिलकुल गलत सोचते हैं। हो सकता हैं कि उस आईडिया में काफी लोगो ने काम किया हो और असफल होने के कारण छोड़ दिया हो।
आशीष ने एक और कहानी बताई, उन्होंने बताया कि एक युवा student ने उनसे संपर्क किया और अपना business idea बताया।
उसने कहा कि, अपने फ़ोटोस्टेट करवाते हैं और एक तरफ का पेज खाली रह जाता हैं क्यों न उस खाली पेज पर विज्ञापन करवा ले और विज्ञापन/advertiser से पैसे ले लिए जाएँ और जो फ़ोटोस्टेट करवाए उसे फ़ोटोस्टेट के पैसे न देने पड़े।
आशीष ने कहा Idea अच्छा हैं but इसको अच्छे से analyze करना बहुत जरुरी हैं।
तुम ऐसा करो कि photo-stat की 50-100 दुकानों पर जाओ और अपने आईडिया बताओ और उन सबके विचार नोट करते रहो, वो क्या सोचते हैं? अगर मना करते हैं, तो क्यों मना करते हैं? और अगर हाँ करते हैं तो क्यों करते हैं?
उसने वैसा ही किया, वह फोटो-स्टेट की दुकानों पर गया और अपना आईडिया बताया कि फोटो-स्टेट के पेज की RIM अगर मैं आपको दूँ और आपको पैसे भी दूँ तो क्या आप अपने किसी ग्राहक को फ्री में फोटो-स्टेट करके देंगे उसने ये बात लगभग 50-100 दुकान वालो के सामने दोहराई और सभी ने उसे भगा दिया।
वह आया और उसने आशीष को बताया कि, वो तो बात तक करने तक को राजी नहीं हैं इस बारें में क्या करू मैं?
आशीष ने बताया की पहले ये सोचो की सबसे ज्यादा फोटो-स्टेट कहाँ की जाती हैं? उसने कहा कि स्कूल और कॉलेज के बाहर वहां स्टूडेंट औसतन 10 सीट प्रति महिना तो जरुर करवाता हैं।
आशीष के कहाँ – ठीक हैं सारे शहर के, सारे कॉलेज का डाटा निकालो और देखो की कितनी Total फोटो-स्टेट की दुकान हैं।
उस युवा ने वैसा ही किया और यह सब करके, उसने उन सबसे से संपर्क किया। मेहनत का परिणाम आया और 10 जनों ने उससे बात करी और उसके आईडिया को समझा।
और पूछा बात तो सही हैं लेकिन Sir, इसको implement कैसे करोगे?
युवा के कहा कि एक साइड students के नोट्स और दूसरी साइड advertisement, जो कि मैं लाकर दूंगा।
दुकान वाले ने बताया भाई ऐसा नहीं चल पायेगा इसके पीछे दो कारण हैं।
पहला यह, कि जैसा आप बता रहे हो की स्टूडेंट्स को नोट्स फोटो-स्टेट्स फ्री मिलेंगे तो ये 90% स्टूडेंट के लिए कोई ज्यादा matter नहीं करता।
दूसरा ये कि, बहुत सारे स्टूडेंट number of pages कम करने के लिए पेज के दोनों तरफ फोटो-स्टेट करवाते हैं अगर एक ही साइड फोटो-स्टेट होगा तो notes का weight ज्यादा हो जायेगा, जो कि कोई भी स्टूडेंट पसंद नहीं करेगा वो भी चंद पैसो के लिए।
युवक ने आशीष को वह एक बहुत ही बड़ा और important पॉइंट बताया, काफी analysis के बाद यह सोचा गया कि क्यों न पेज के एक ही तरफ footer में विज्ञापन दिखाए जाएँ।
काफी मसक्कत के बाद सोचा गया कि A4 साइज़ की सीट को थोडा बड़ा कर advertise के लिए स्पेस निकाले और ऐसा किया गया। एक नई रिम (नई साइज़ की जिसमें की notes के बाद advertise के लिए space) हो बनवाई गई।
नई साइज़ की RIM लेकर यह युवा उन दुकानदारो के पास गया और बताया की ऐसे –ऐसे अपने ये सब किया जा सकता हैं।
Ahhh.. दूकानदार के बताया – भाई ये possible नहीं हैं photo-stat की मशीन के sizes फिक्स हैं A1, A3, A4, custom-size के paper ये मशीन accept नहीं करती और अगर ये सब try भी किया गया तो शायद मशीन में पेपर फस जायेगा और फिर mechanic को बुलाना पड़ेगा इसलिए इसे try भी नहीं किया जा सकता।
युवा के आशीष को समस्या बताई, हर एक problem का solution होता हैं युवा ने सोचा और बताया की क्यों न A4 साइज़ के पेपर को ही use किया जाये और footer में ही advertise add कर दे और print का साइज़ 90% कर दे तो शायद सब कुछ सही हो जायेगा। 90% कोई बहुत जयादा छोटा भी नहीं होगा। अपने लिए विज्ञापन का स्पेस भी निकल जायेगा। पेपर भी एक ही साइड/print रहेगा और ad. भी prominent रहेगा।
और समस्या हल हो गई, युवा student ने फिर फोटो-स्टेट दुकानदारो से सम्पर्क किया और अपना idea share किया इस बार दुकानदार तैयार हो गया।
अब बात आई, हमें advertise कौन देगा। आशीष ने राय दी कि बहुत दूर और बड़ी कम्पनी में मत जाओ। अपने ही शहर के छोटी कम्पनी से संपर्क करो और उन्हें इसका फायदा उनके बिज़नस में कैसे हो सकता हैं बताओ।
और ऐसा उसने वैसा ही किया, काफी ने मना किया, और अंत में 2-4 कम्पनी तैयार हो गई और पैसे भी दिए.. और ऐसे एक सफल बिज़नस की शुरुवात हुई।
आज उस युवा के पास बड़ी कम्पनी के advertisements हैं और सफलतापूर्वक अपने Business को आगे बढ़ा रहा हैं।
आशीष और साक्षी ने बहुत सारे नए entrepreneur के प्रश्नों का जबाब भी दिया उनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
एक युवा और नए entrepreneur ने बहुत ही अच्छा प्रश्न पूछा?
मुझे अपने कार्य को बढ़ाने के लिए कर्मचारियों की आवश्यता हैं, मुझे experience बन्दे/कर्मचारी रखने चाहिए या फिर fresher? अगर मैं fresher रखता हूँ तो मुझे उनको ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे जैसा कि मैं बता रहा हूँ की मेरा start-up नया हैं तो मैं इतने पैसे देने में असमर्थ हूँ।
और अगर मैं fresher रखता हूँ तो मुझे उनसे काम करवाने की लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी और यह भी हो सकता हैं की 4-5 महीने में जैसे ही वो expert हो जाते हैं वो मेरे start-up/company को छोड़ कर चले जाएँ।
आशीष ने जबाब दिया आपको fresher ही रखने चाहिए। पहला यह कि आपके पास बजट कम हैं दूसरा मेहनत आपको जयादा तो वैसे भी करनी ही हैं Start-Up चालू करना मेहनत का ही काम हैं तो यह सब तो करना ही हैं। रही बात छोड़ कर जाने कि तो आप उनको hire करते समय उनका motivation चेक करो।
काम करते समय उन पर विश्वास करो, उनको ढंग से treat करो और अच्छा करने के लिए हमेशा मोटीवेट करों अगर वो काम अच्छा करते हैं तो उनकी तारीफ करो।
एक युवक ने पूछा कि, मैंने एक स्कूल का software बनाया हैं..अब मुझे आगे क्या करना चाहिए मेरे पास अभी 4 clients हैं।
उसमें आगे नए features डालने चाहिए या फिर marketing करू या फिर अभी जो clients बने हैं उनसे contact करके और clients बनने का try करू।
आशीष ने पूछा कि आपके ये clients/स्कूल आपने अपने आप चल कर बनाये हैं या फिर ये आगे से आपके पास आये हैं क्या इनमें से कोई आपको पहले से भी जनता था क्या ?
क्या इनमें आपको कोई relative तो नहीं हैं?
तीन को मैंने approach किया था और एक अपने आप आया हैं, युवक ने जबाब दिया।
यह तो बहुत ही अच्छी बात हैं आपने एक महीने से भी कम समय में 4 क्लाइंट जोड़ दिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती हैं मेरी राय में आपको उन clients से contact करते रहना चाहिए बजाय marketing या अन्य काम के।
हो सकता हैं कि स्कूल ने आपका सॉफ्टवेर ऐसे ही चेक करने के लिए डाला हो?
हो सकता हैं कि डाल तो लिया हो but features समझ नहीं आ रहे हो?
हो सकता हैं कि कोई feature नहीं चल रहा हो, या फिर किसी feature में बदलाव चाहा गया हो?
तो मेरी राय में आपको किसी भी कीमत में इन चारो clients में किसी भी भी जाने नहीं देना चाहिए और अगर आप किसी और काम में लग जाते हो तो इनमें से किसी के जाने की probability बढ़ जाएगी।
आशीष ने इसके अलावा बहुत सारे Business Tips बताए, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
- बहुत सारे Start-ups खुलते है और 6 महीने या फिर 8-10 महीने में बंद हो जाते हैं, ऐसा नहीं करें और अपने आप को समय दे। अपना बेस्ट दे, क्या पता आपका बिज़नस 8-10 महीनो बाद ही गति पकडे।
- व्यक्ति को हमेशा सीखते रहने चाहिए, यह एक ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए जो कभी भी बंद न हो क्योकि अगर आपने सीखना बंद कर दिया तो समझ ले कि आपने अपने विकास में बाधा डालना शुरू कर दिया हैं।
- अगर आपका खुद का start-up हैं अथार्थ आप CEO हैं तो भी सीखना बंद न करें आपको पता होना चाहिए की बड़े बड़े कम्पनी के सीईओ गोल्फ खेलने जाते है इसके पीछे यह भी एक उद्देश्य होता हैं कि क्या पता उनके पास कुछ ऐसा ज्ञान हो या ऐसा फंडा हो जो मेरे बिज़नस को रफ़्तार पकड़ने में सहायक हो, क्योकि उन्हें अपनी कम्पनी में बहुत कम सीखने को मिल पाता हैं।
- कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि अपने पास तो काफी पैसा हैं या काफी पैसा कमा लिया हैं तो अब हमें काम करने की क्या जरुरत हैं हम क्यों मेहनत करे क्यों सीखे , आशीष ने बताया कि हाँ ये सब सही हैं कि आप जो सोचते हैं और ऐसो-आराम की जिंदगी की कल्पना करते हैं वो ज्यादा से ज्यादा 5-7 करोड़ में सब पूरी हो जाती हैं लेकिन जिंदगी अच्छे से जीने के लिए आपको कार्य तब भी करना पड़ेगा और अच्छा रुतबा पाने के लिए सीखना भी।
- कोई भी कर्मचारी/Employee आपकी कम्पनी में काम करता हैं इसके पीछे काफी कारण हो सकते हैं इसलिए कभी यह न सोचे की आपका स्टार्ट-अप अच्छा हैं आपकी कम्पनी अच्छी हैं यह सिर्फ एक कारण हैं की employee आपकी कम्पनी में काम कर रहा हैं और हाँ वो employee हैं इसलिए उसे employee की तरह ही treat करें। वो co-founder नहीं हैं, जो रात-दिन आपके लिए काम करेगा। इसलिए employee के साथ professional रहे, जहाँ तक हो सके उन्हें company timing में ही कोई Tasks assign करें।
- आप किसी मुश्किल में हैं तो help मांगिये, आपकी मुश्किल का, आपकी समस्या का, हल किसी न किसी के पास जरुर मिलेगा और अगर आप दुसरो की help करते हैं, तो हर कोई आपकी मुश्किल समय में साथ खड़ा रहेगा और आपकी समस्या का हल भी निकल देगा। अत: help मांगने में शर्माए नहीं, कोई भी व्यक्ति सभी कार्यों में perfect नहीं हो सकता इसलिए हर किसी को किसी न किसी में काम में help तो चाहिए ही होती हैं।
- अगर आप service provider कम्पनी चलाते हैं और अगर आपके company की सर्विस किसी व्यक्ति या कम्पनी को चाहिए तो कोशिश करे, वह सब देने की और अगर आप निश्चित समय में वह सब नहीं दे पाएं तो सारे पैसे लौटा कर Sorry बोले। केवल Sorry शब्द आपके client के गुस्सा काफी हद तक कम कर देगा, और अगर उसे उसी service की requirement हुई जो कि obviously उसको हैं और उसके लिए return किये गए पैसे matter नहीं करेंगे और वह आपको कुछ समय और दे देगा, इसलिए अपनी गलतियो पर सॉरी कहे।
- अगर आपका नया start-up हैं तो अपने business-card/visiting-card में अपन designation कभी भी CEO न लिखवाए, बजाय CEO के Business Development Manager या सिम्पली Manager भी काफी effective रहेगा।
- क्योकि अगर आप as a CEO हो और client पर अच्छा impression अगर नहीं जमा पाएं तो उसके भविष्य में आपसे जुड़ने की सम्भावंये काफी कम हो जाएगी, client को अच्छे से अच्छे बात करने की कोशिश करें। उनसे मिले उनसे उनका फ्री टाइम पूछे, मिलने का समय ले और meeting फिक्स करें। घबराएं नहीं वो ज्यादा से ज्यादा आपकी सर्विस लेने से मना ही करेगा।
- अगर आप किसी Business Development Manager को hire करने की सोच रहे हैं तो कोशिश करें कि वो एक लड़की हो एक सर्वे के मुताबिक, यह सही हैं लड़की का फ़ोन बिना सुने या 1-2 seconds में फ़ोन बहुत कम deny किये जाते हैं हर कोई at-least उसकी बात जरुर सुनता हैं, उनसे client meeting करवाने के लिए कहो और जब meeting फिक्स हो जाये तो meeting में ज्यादा से ज्यादा क्लाइंट का आपकी सर्विस use करने के होने वाले फायदे के बारें में बताओ।
- आप ऐसी सर्विस देने की कोशिश करें की, आपकी सर्विस आपके clients की जरुरत बन जाएँ, और बिना आपकी सर्विस या प्रोडक्ट्स उसे किए उसे uncomfortable महसूस हो।
- हम चाहे से कितनी ही बड़ी कम्पनी में काम करें और location भी कितनी ही अच्छी हो, work environment अच्छा हो फिर इस बात बात को नकारा नहीं जा सकता कि – Money is always a big motivation for all, behind all the reason there is a reason that we all work for money. इसलिए समय-समय employee की performance के according उनका increment/appraisal करते रहे।
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Note: मित्रो, यधपि मैंने POST बड़ी ही सावधानी से लिखा हैं फिर भी यदि आपको किसी भी वाक्य में आपको कोई त्रुटि मिले, या वाक्य गलत मिले, तो कृपया क्षमा करें और comments के माध्यम से अवगत कराएं।
दोस्तों, मैंने वो Session काफी enjoy किया था और जो भी मेरे मित्र वह मेरे साथ उपस्थित थे आशा हैं, उन्होंने भी किया होगा। जयपुर स्टार्ट-अप को बहुत बहुत, धन्यवाद। यह POST आपको कैसे लगी और इस बारे में हमे अपने विचार नीचे comments के माध्यम से अवश्य दे। हमारी पोस्ट को E-mail से पाने के लिए आप हमारा फ्री ई-मेल सब्सक्रिप्शन प्राप्त कर सकते है। अगर आपको पोस्ट अच्छी लगे तो दोस्तों के साथ Social Media पर share करें।
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