आज राधिका को घर से ऑफिस जाने में काफी लेट हो गया था उसकी लगातार दो-तीन मीटिंग थी। जिस वजह से वह समय पर घर नहीं पहुंच पा रही थी और ऐसे में उसे बार-बार घर से फोन आ रहे थे।
ना चाहते हुए भी उसे फोन को उठाना पड़ रहा था और परेशानी में ही कार भी ड्राइविंग करना पड़ रहा था। रात लगातार बढ़ती जा रही थी लेकिन उसकी परेशानी कम नहीं हो रही थी क्योंकि जैसे ही वह घर पहुंचेगी तो पति के द्वारा भी उसे ताने मारे जाएंगे क्योंकि उसकी तनख्वाह पति से कहीं ज्यादा थी और घर का पूरा दारोमदार उसके ही कंधों पर था।
हमारे समाज द्वारा बनाए गए ढांचे में यह फिट नहीं बैठता हैं कि लड़की लड़के से ज्यादा कमाई करे।।
यहां पुरुष प्रधान समाज में इस चीज को स्वीकार करना ही काफी मुश्किल हो जाता है।
वैसे तो राधिका एक अच्छे इंस्टीट्यूट से एमबीए कर चुकी थी लेकिन उसके बाद भी उसके पढ़ाई की ललक कम नहीं हो रही थी लेकिन उसके बाद भी परिवार को संभालने के लिए उसे नौकरी स्वीकार करना पड़ा क्योंकि उसका पति जतिन बिल्कुल भी परिवार की ओर ध्यान नहीं देता था और हमेशा राधिका के पैसों पर ही ऐश करने के बारे में सोचा करता था।
वह अपनी जिम्मेवारियों से भाग रहा था लेकिन ऐसे हालात में वह कर भी क्या सकती थी। बस इस चीजों पर वह अब ध्यान देना नही चाहती थी।
राधिका अपने अतीत की ओर चली जाती है जब वह जतिन के साथ कॉलेज में पढ़ती थी और जतिन का व्यक्तित्व उसे बहुत पसंद आया था। जतिन देखने में काफी आकर्षक और फिट था। ना चाहते हुए भी उसके परिवार वालों को जतिन के साथ शादी करनी पड़ी थी क्योंकि राधिका जतिन को छोड़ना नहीं चाहती थी और जतिन के घरवालों ने भी राधिका के साथ हां कर दी थी क्योंकि घर वालों को पता था कि राधिका कहीं ज्यादा काबिल थी।
वह अपने ख्यालों से तब बाहर आती है जब पीछे से उसे दूसरी कार का हार्न सुनाई देता है और वह अचानक अपनी गाड़ी को वहीं पर रोक देती है।
इतनी भारी ट्रैफिक के बाद उसे घर पहुंचने में काफी टाइम लग जाता है और वह लगभग रात के 10:00 बजे घर पहुंचती है। ऐसे में उसके पति जतिन का गुस्सा सातवें आसमान पर रहता है लेकिन वह बिना कुछ कहे ही सारे काम को निपटाती है।
जतिन उसके पास आकर कहता है— “कल मेरे कुछ दोस्त आने वाले हैं साथ में उनकी पत्नियां भी होंगी। तुम सबके लिए खाना तैयार कर देना क्योंकि सभी यहां आना चाहते हैं और तुमसे मिलना भी चाहते हैं।”
राधिका— “कल नहीं हो पाएगा क्योंकि कल मेरी एक बहुत ही इंपॉर्टेंट क्लाइंट के साथ मीटिंग है।”
जतिन— “तुम यह सब बोल कर क्या साबित करना चाहती हो कि तुम मुझसे ज्यादा कमाती हो और तुम्हारे पास मेरे लिए कोई समय नहीं है?”
राधिका– मैं ऐसा बिल्कुल नहीं कह रही हूं तुमने मुझे गलत समझ लिया।
उसके मन में जतिन के लिए प्यार तो था लेकिन कहीं ना कहीं इज्जत कम हो रही थी क्योंकि जतिन बिल्कुल उसे समझने की कोशिश नहीं करता जबकि जतिन पूरे दिन अपने काम में लगा रहता और इनके बीच में झगड़ा हो जाता और दोनों की एक दूसरे से कई दिनों तक बातें नहीं होती थी।
यह एक ना एक दिन होना ही था, प्यार एक जगह पर सही है, लेकिन सामने वाले में समझदारी भी होनी चाहिए। अब मुझे पता नहीं, जतिन जान बूझ कर यह करता था, यह अपने पौरुष के चलते।
कहीं न कहीं एक स्त्री का उसके पति से ज्यादा कमाना, पुरुष को नकारा दिखाती है। लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ होता नहीं है।
इसका सीधा असर राधिका के काम में भी पड़ने लगा क्योंकि अब वह परेशान रहने लगी थी। एक दिन वह अपनी सहेली के घर जाती है जहां वह अपने आंसुओं को रोक नहीं पाती और ऐसे में सहेली उसे ढाढस बंधाते हुए कहती है— खुश किस्मत है कि तू खुद को व्यस्त अपने काम के माध्यम से रख सकती है वरना न जाने कितनी ऐसी औरतें हैं जो घर में रहकर परेशान होती है।
राधिका कुछ ही देर में अपनी सहेली के घर से आ जाती है लेकिन अब उसका मन घर में नहीं लगता क्योंकि जिस इंसान के लिए वह कड़ी मेहनत करती है उसने कभी भी उसकी सराहना नहीं की और ना ही उसका साथ दिया।
कहने को तो राधिका के घर में ज्यादा लोग नहीं थे लेकिन फिर भी उसे सुकून महसूस नहीं होता था और वह दिन रात गुमसुम रहती थी। उसके सारे शौक भी खत्म हो रहे थे क्योंकि अब जतिन ने घर आना कम कर दिया और वह ज्यादा समय अपने ऑफिस में ही बिताता था। जतिन अंदर से कुंठा से ग्रसित हो रहा था, उसे इन सबसे ध्यान हटा कर चीजों को बेहतर बनाने में ध्यान देना चाहिए। ताकि यह रिश्ता और मजबूत हो सके।
एक बार अचानक राधिका के पड़ोस में एक उसकी हमउम्र सुनैना रहने आती है जो धीरे-धीरे राधिका की सहेली बन जाती है। ऐसे में राधिका भी खुश होकर हमेशा उसका स्वागत करती और उसके मान सम्मान का पूरा ख्याल रखती थी 1 दिन दोनों सहेलियां आपस में बात करती हैं और राधिका अपनी समस्या सुनैना को बताती है।
ऐसे में सुनैना उसे कुछ उपाय देती है और कहती है कि यह उपाय उसे जरूर अपने रिश्ते को मजबूत करने के काम आएगा।
जब एक दिन जतिन के घर आने का समय होता है तब राधिका हाफ डे लेकर घर में ही उपस्थित रहती है और घर का दरवाजा खुला रहता है जिसे देखकर जतिन को किसी अन्य का अंदाजा होता है और वह दौड़ कर अंदर की ओर आता है तभी वह देखता है कि राधिका के हाथों में फोन है जिसमें वह अपनी सहेली से बात करती रहती है और कहती है “न जाने जतिन को क्या हो गया है मैं तो उनका कितना ख्याल रखती हूं और उनके लिए ही इस घर में रुकी हुई हूं लेकिन उन्हें इस बात की बिल्कुल कदर नहीं है।
उनके अलावा मेरा है ही कौन?
अगर उन्होंने मेरा साथ नहीं दिया तो मेरे नौकरी करने का क्या फायदा? मैं यहां से अपनी मम्मी के घर चली जाऊंगी क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि जतिन को मेरा यहां रहना बिल्कुल पसंद नहीं है। यह सारी बातें फोन पर हो रही थी।
जतिन यह बात चुपचाप सुन रहा था अब उसे मन ही मन खराब लगने लगता है कि जो भी व्यवहार उसने राधिका के साथ किया उसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार है और वह दबे कदमों से राधिका की ओर आता है और उससे अपने किए की माफी मांगने लगता है।
इस बात से राधिका बहुत खुश होती है और जतिन से अपने दिल की बात बताती है। समय रहते चीजों को समझना बहुत जरूरी है। समाज में बराबरी का हक चाहिए। स्त्री और पुरुष दोनों के लिए।
अब जतिन को समझ में आ जाता है कि राधिका ने उसके लिए क्या कुछ नहीं किया। जब दोनों कॉलेज में थे तब राधिका ने हमेशा उसका साथ दिया और जब शादी की बात आई उस समय भी राधिका ने घरवालों के खिलाफ जाकर उससे शादी रचाई और आज तक उसका साथ देते आई है।
क्या हो गया पत्नी पति से ज्यादा कमाने लग जाए आखिर दोनों मिलकर ही एक सुखद परिवार का निर्माण कर सकते हैं और आगे बढ़ कर एक दूसरे का सहारा बन सकते हैं।
इसके बाद मन ही मन राधिका ने अपनी सहेली का धन्यवाद किया जिसने इतना अच्छा उपाय उसे दिया था और जतिन को अपनी गलती का एहसास भी हो गया था।
अब तो राधिका और जतिन के बीच में सब कुछ नॉर्मल हो गया था और दोनों ही एक दूसरे का बहुत अच्छे से ध्यान रखने लगे थे। ऐसे में दोनों को ही अपनी गलती समझ में आ चुकी थी और अब दोनों लंबी छुट्टियों का प्लान बनाकर एक दूसरे के साथ समय व्यतीत करना चाहते थे।
दोस्तों, दांपत्य जीवन में कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जहां पर एक दूसरे की परवाह करना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर किसी एक ने लापरवाही भरा व्यवहार दिखाया तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं और दांपत्य जीवन में अड़चन आ सकती है।
कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि स्त्री अपने घर को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश करती है लेकिन अपने दिल की बात नहीं बोल पाती है। ऐसे में अगर वह खुलकर अपने दिल की बात करें तो निश्चित रूप से ही अपने रिश्ते को सुखमय बनाया जा सकता है जहां किसी तीसरे की कोई जरूरत नहीं होती और आगे बढ़कर अपने परिवार की जिम्मेदारी ली जा सकती है।
बहुत जरूरी है कि चीजों को बिगड़ने से पहले ही संभाल लिया जाए. बहुत जरूरी है कि किसी अपने को छोड़ के जाने के पहले ही उसे रोक लिया जाए। बहुत जरूरी है कि समय रहते ही माफी मांग ली जाए।
तब जा कर चीजे सही तरीके से काम करेगी। वह चाहे दांपत्य जीवन हो (Housewife), चाहे कामकाजी जीवन (Working lady)। दोनो जगह पर समय रहते सुधार की गुंजाइश बनी रहती है।
धन्यवाद
अन्य कहानियां पढने के लिए नीचे दिए गए links पर click करें
- भाई-बहन का प्रेम ~ Heart Touching Story
- दो दोस्तों की कहानी एक सफल दूसरा विफल क्यों?
- Hindi Moral Story इस बार बड़ी तेज सर्दी पड़ने वाली हैं
- Akbar Birbal Kahani | अकबर के पांच प्रश्न
- बारह में चार निकल गए, क्या बचा? Akbar Birbal Hindi Stories