Homi Jehangir Bhabha जिन्हें लोग प्यार से “भाभा” के नाम से पुकारते हैं एक बहुत ही अच्छे वैज्ञानिक और एक महान स्वप्नदृष्टा थे। डॉ भाभा को हमारे देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का शिल्पकार भी कहा जाता है। भाभा ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर हमारे देश में परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य किए थे।
मार्च 1944 में होमी जहांगीर भाभा ने नाभिकीय ऊर्जा पर कार्य करना शुरू किया था। भारत के पास आज जो सैन्य और असैन्य परमाणु ऊर्जा है वह होमी जे भाभा के प्रयासों का ही फल है। होमी जहांगीर भाभा को परमाणु कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है। भाभा के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस जीवनी को पूरा पढ़ें।
डॉ होमी जहांगीर भाभा
हमारे देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक के तौर पर प्रसिद्धि हासिल करने वाले “होमी जहांगीर भाभा” के बारे में आज भी अनेक लोग जानते है। अपने कार्यकाल के दौरान वह इंडिया के बहुत ही बड़े और लोकप्रिय साइंटिस्ट थे।
यह इन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि वर्तमान के समय में आज हमारा देश परमाणु संपन्न कंट्री की लिस्ट में शामिल है।
होमी जहांगीर भाभा ने परमाणु की फील्ड में रिसर्च का काम सिर्फ कुछ साइंटिस्ट के साथ ही स्टार्ट किया था और आगे चलकर इन्होंने इस क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
होमी जहांगीर भाभा जीवनी
जन्म | 30 अक्टूबर 1909 मुंबई |
मौत | 24 जनवरी 1966 मोंट ब्लांक, फ्रांस |
आवास | भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जातीयता | पारसी |
क्षेत्र | परमाणु वैज्ञानिक |
संस्थान | भारतीय विज्ञान संस्थान |
शिक्षा | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
डॉक्टरी एडवाइजर | पॉल डिराक, रॉल्फ एच फाउलर |
डॉक्टरी शिष्य | बी भी श्रीकांतन |
होमी जहांगीर भाभा व्यक्तिगत परिचय
मुंबई शहर के एक अमीर पारसी परिवार में साल 1909 मे 30 अक्टूबर को होमी जहांगीर भाभा का जन्म हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के जो पिता थे, उन्होंने अपनी एजुकेशन कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से हासिल की थी। इसके अलावा इनके पिताजी जाने-माने वकील भी थे और इनके पिताजी ने एक समय में टाटा एंटरप्राइज के लिए भी वर्क किया था।
होमी जहांगीर भाभा की मां भी एक अच्छे संपन्न, प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखती थी। जब होमी जहांगीर भाभा छोटे थे तो इनकी पढ़ाई के लिए इनके पिताजी ने घर में ही एक लाइब्रेरी की स्थापना की थी, जहां पर साइंस से संबंधित तथा अन्य सब्जेक्ट से संबंधित विभिन्न प्रकार की किताबें मौजूद थी।
अपने बचपन में जब रात को होमी जहांगीर भाभा सोने के लिए जाते थे तो उन्हें नींद ही नहीं आती थी और इसकी वजह किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं बल्कि उनके दिमाग में चलने वाले विचार थे। सिर्फ 15 साल की उम्र में ही आइंस्टाइन के थिअरी ऑफ रिलेटिविटी के सिद्धांत को होमी जहांगीर भाभा ने समझ लिया था।
होमी भाभा शिक्षा
भारतीय वैज्ञानिक होमी जहांगीर बाबा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कैथ्रेडल स्कूल से पूरी की थी और उसके बाद अपनी आगे की एजुकेशन पाने के लिए वे जॉन कैनन चले गए।
जॉन केनन के बाद रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और एल्फिस्टन कॉलेज, मुंबई से होमी जहांगीर भाभा ने बैचलर ऑफ साइंस की एग्जाम को पास आउट किया था और बैचलर ऑफ साइंस के एग्जाम को पासआउट करने के बाद होमी जहांगीर भाभा इंग्लैंड चले गए, जहां पर जाकर उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्राप्त किया और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
होमी भाभा ने साल 1930 में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद साल 1934 में होमी जहांगीर भाभा ने डॉक्टरेट की उपाधि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से ही प्राप्त की।
आपको यह जानकर काफी आश्चर्य होगा कि होमी जहांगीर भाभा का डिसीजन इंजीनियरिंग की एजुकेशन हासिल करने का नहीं था, बल्कि यह उनके परिवार की इच्छा थी कि होमी जहांगीर भाभा एक अच्छे इंजीनियर बने और इसी के लिए होमी जहांगीर भाभा ने अपने परिवार की इच्छा का मान रखते हुए इंजीनियरिंग की एजुकेशन हासिल तो की परंतु उन्होंने अपने पसंदीदा सब्जेक्ट फिजिक्स को भी अपने साथ जोड़ कर रखा और इसीलिए उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के दौरान ही भारत में रहने वाले अपने पिता को लेटर लिखकर यह बता दिया था कि फिजिक्स ही उनका आखिरी मिशन और लक्ष्य है।
होमी जहांगीर भाभा नागरिकता/धर्म
इंडियन साइंटिस्ट होमी जहांगीर भाभा का जन्म भारत में हुआ था। इस प्रकार यह भारतीय नागरिकता रखते थे और यह पारसी समुदाय से संबंध रखते थे।
होमी जहांगीर भाभा रिसर्च
जब होमी जहांगीर भाभा ने इंग्लैंड में अपनी एजुकेशन पूरी कर ली तो उसके बाद यह भारत वापस आए। यह चाहते तो भारत आकर किसी भी नौकरी के लिए अप्लाई कर सकते थे परंतु होमी जहांगीर भाभा ने अपने देश की सेवा करने का फैसला किया।
इन्होंने अंतरिक्ष में पृथ्वी के वायुमंडल में इंटर करने वाली कॉस्मिक किरणों पर वर्क किया और कॉस्मिक किरणों पर कार्य करके इन्होंने ‘कॉस्केटथ्योरी ऑफ इलेक्ट्रान’ को पेश किया।
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न होने के कारण डॉक्टर होमी भाभा को “नोबेल पुरस्कार” विजेता सर सीवी रमन भारत का “लियोनार्दो द विंची” बुलाते थे। भाभा न सिर्फ महान वैज्ञानिक थे बल्कि वह शास्त्रीय, संगीत, नृत्य और चित्रकला में भी न केवल गहरी रूचि रखते थे बल्कि इन कलाओं के अच्छे जानकार भी थे।
टाटा इन्सट्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च
देश में साइंटिफिक रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए JRD टाटा ने होमी जहांगीर भाभा से मोटिवेशन प्राप्त करके टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च को स्थापित किया।
होमी जहांगीर भाभा ने काफी पहले ही परमाणु ऊर्जा के महत्व को पहचान लिया था इसीलिए उन्होंने काफी तेजी के साथ इस फील्ड में रिसर्च कार्य को स्टार्ट किया। ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य यह था कि भारत अपनी एनर्जी की आवश्यकता को पूरा कर सकें, साथ ही काफी सस्ती एनर्जी हम प्राप्त कर सकें।
होमी जहांगीर भाभा कैरियर
साल 1940 में जब दूसरा वर्ल्ड वार चालू हुआ था, तब होमी जहांगीर भाभा इंग्लैंड से वापस भारत आ गए थे, हालांकि तब तक यह पूरी दुनिया में काफी ज्यादा प्रसिद्ध हो चुके थे।
जब यह इंग्लैंड से वापस भारत आए तो भारत आते ही इन्होंने बेंगलुरु के इंडियन स्कूल ऑफ साइंस को ज्वाइन किया और साल 1940 तक यह इसी में रीडर के पद पर रहे और यही से होमी जहांगीर भाभा के साइंस के कैरियर की स्टार्टिंग हुई।
होमी जहांगीर भाभा ने यहीं से कॉस्मिक किरणों की खोज की और खुद के लिए एक पर्सनल डिपार्टमेंट को स्थापित किया।
साल 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना होमी जहांगीर भाभा ने जेआरडी टाटा की सहायता लेकर की इस इंस्टीट्यूट में यह निदेशक के पद पर कार्यरत थे।
इसके 2 साल के बाद ही भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना होमी जहांगीर भाभा ने साल 1948 में की, साथ ही उन्होंने इंटरनेशनल परमाणु ऊर्जा फोरम में इंडिया को रिप्रेजेंट किया।
यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा आयोजित “शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग” के पहले सम्मेलन में होमी जहांगीर भाभा को साल 1955 में जिनेवा में सभापति का पद दिया गया।
होमी जहांगीर भाभा पुरस्कार और सम्मान
- इंडियन और फॉरेन की कई यूनिवर्सिटी के द्वारा होमी जहांगीर भाभा को मानद डिग्री मिली थी।
- सिर्फ 31 साल की उम्र में डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने वर्ष 1941 में रॉयल सोसायटी का मेंबर बनने में कामयाबी हासिल की थी।
- 5 बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित होने का श्रेय भी होमी जहांगीर भाभा को प्राप्त है।
- एडम पुरस्कार भी वर्ष 1943 में होमी जहांगीर भाभा को मिला था।
- हापकिंस अवार्ड से वर्ष 1948 में होमी जहांगीर भाभा को सम्मानित किया गया था।
- डॉक्टर ऑफ साइंस का पुरस्कार साल 1959 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के द्वारा डॉक्टर जहांगीर भाभा को प्रदान किया गया था।
- डॉक्टर भाभा को इंडियन गवर्नमेंट ने साल 1954 में पद्म भूषण सम्मान से नवाजा था।
होमी जहांगीर भाभा मृत्यु
भारत के महान साइंटिस्ट और कला प्रेमी डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु एक विमान दुर्घटना में साल 1966 में 24 जनवरी को फ्रांस में हुई थी और इस प्रकार भारतीय विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एक वैज्ञानिक को भारत ने खो दिया।
होमी जहांगीर भाभा से जुड़े उपयोगी तथ्य
- होमी जहांगीर भाभा दूसरा विश्व युद्ध चालू होने से पहले ही साल 1939 में इंडिया वापस आ गए थे।
- इन्हें सिर्फ 31 साल की उम्र में रॉयल सोसायटी का मेंबर चुना गया था।
- इन्हें साल 1944 में रॉयल सोसायटी का प्रोफेसर बनने का मौका मिला।
- इन्होंने साल 1945 में मुंबई शहर में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की।
इनके बारे में एक रोचक फैक्ट यह है कि इन्हें साइंस के साथ-साथ मूर्तिकला, चित्रकला, भारतीय शास्त्रीय संगीत और डांस जैसी फील्ड भी काफी इंटरेस्ट था।
FAQ:
Qquestion: होमी जहांगीर भाभा कौन थे?
Answer: होमी जहांगीर बाबा हमारे देश के महान परमाणु वैज्ञानिक थे।
Question: होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु कहां हुई थी?
Answer: होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु फ्रांस देश में हुई थी।
Question: होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु कैसे हुई थी?
Answer: होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु प्लेन दुर्घटना में हुई थी।
Question: होमी जहांगीर भाभा किस मजहब/धर्म को मानते थे?
Answer: इंडियन साइंटिस्ट होमी जहांगीर भाभा पारसी मजहब को मानते थे।
Question: होमी जहांगीर भाभा ने अपनी एजुकेशन कहां से हासिल की थी?
Answer: इन्होंने अपनी एजुकेशन कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से हासिल की थी।
Question: होमी जहांगीर भाभा ने ग्रेजुएशन कब पूर्ण की थी?
Answer: इन्होंने अपनी शिक्षा साल 1930 में कंप्लीट की थी।
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