इस संसार में हर किसी के जीवन का लक्ष्य (Goal of life) अलग-अलग है परंतु लक्ष्य क्या है? यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है, जिस व्यक्ति ने अपना लक्ष्य चुन रखा हो।
कई लोग अपने जीवन में एक निश्चित लक्ष्य नहीं बना पाते है, वे अपनी जिंदगी को उसके हाल पर छोड़ देते हैं अतः जिंदगी का रुख जिस तरफ मुड़ता है वे उसी ओर चल देते हैं।
हालांकि एक अच्छा जीवन जीने की इच्छा शक्ति उनके अंदर भी होती है। क्योंकि जीवन में छणिक भी विश्वास नहीं किया जा सकता कि कब हमारे साथ कौन सी घटना व्यतीत हो सकती है। न जाने हमें कौन सी घटना से क्या समस्याएं मिल सकती हैं इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ ना कुछ लक्ष्य तो बना ही लेता है।
परंतु वह इस बात की जिम्मेदारी नहीं ले सकता कि मैं उस लक्ष्य तक पहुंच ही जाऊंगा, वह लक्ष्य निश्चित ही प्राप्त करूंगा या नहीं।
अपने जीवन में हर व्यक्ति सिर्फ अपने लक्ष्य की कल्पना कर सकता है और कल्पना में ही वह अपने उस लक्ष्य में जाता हुआ खुद को महसूस कर पाता है।
बेहद कम लोग अपने जीवन में सफलता के शिखर पर चढ़ पाते है।
अपने लक्ष्य तक पहुंचने में लोगों को ऐसी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिन्हें सहन करते करते कई लोग अपने जीवन में हिम्मत ही खो देते हैं।
उन्हें इस बात से डर लगने लगता है कि जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना भी उचित नहीं है क्योंकि इस जीवन में हर एक लक्ष्य पाना नामुमकिन है अब सवाल आता है कि आखिर
जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
वैसे तो अपनी इच्छाओं और आवश्यकता के अनुरूप मानव अपने जीवन में कोई भी लक्ष्य निर्धारित कर सकता है।
परंतु हमारी राय में व्यक्ति का सर्वप्रथम लक्ष्य जीवन में शांति प्राप्त करना होना चाहिए। क्योंकि इस मार्ग पर चलकर ही चलकर मनुष्य उन्नति कर सकता है।
मनुष्य को चाहिए कि वह इस संसार में मौजूद सभी प्राणियों को समान भावना से देखें। एक मनुष्य की भांति ही अन्य जीव-जंतुओं के दुख दर्द उनकी भावनाओं को समझें।
अपने स्वार्थ के लिए क्रूरता के साथ मासूम जानवरों एवं जीवो की हत्या करना उन्हें चोट पहुंचाना की इजाजत ईश्वर द्वारा मनुष्य को नहीं दी गई है।
हमें संसार में भगवान ने समान रूप से बनाया है, अतः किसी भी दूसरे प्राणी को ठेस पहुंचाना और उसका नुकसान कर हम इस मानव जीवन का दुरुपयोग कर रहे है।
एक मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप लक्ष्य बना सकता है। जैसे ढेर सारा धन कमाना हो, पद- सम्मान प्राप्त करना हो, या दुनिया घूमना हो।
परंतु सुख शान्ति का अनुभव पाने के लिए कुछ नैतिक मूल्य हैं जिन्हें पहले उसे अपने लक्ष्य में जरूर शामिल करना चाहिए।
वह कभी भी अन्य लोगों के जीवन के लिए परेशानी ना बने और ना ही उसके कार्यों से अन्य लोगों के जीवन में परेशानियां हो सके।
मुझे लगता है यह एक सामान्य परंतु उपयोगी लक्ष्य हर किसी के जीवन का होना चाहिए।
जीवन में लोगों के लक्ष्य ?
इस संसार में हर एक इंसान का लक्ष्य अलग-अलग है कोई व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करना चाहता है तो कोई धन-दौलत परंतु वास्तविक लक्ष्य क्या होना चाहिए इसका किसी को भी ज्ञान नहीं है,क्योंकि जिन्हें इस संसार में जिस चीज की जरूरत होती है वह उसी चीज को प्राप्त करने का लक्ष्य बना जाते है।
परंतु जब उसे वह चीज हासिल हो जाती है तो वह फिर उसके बाद कोई दूसरी वस्तु या अन्य आवश्यक चीज को अपना लक्ष्य समझ बैठता हैं ।
कोई अपनी पसंदीदा वस्तु को पाना ही अपना अंतिम लक्ष्य समझता है तो वहीं कुछ लोग सिर्फ अपना जीवन यापन करने यानी दो वक्त की रोटी खाकर अपना पेट भरने को ही अपना लक्ष्य समझ बैठते हैं।
परंतु सिर्फ जिंदा रहने के लिए अपना पेट भरना ही लक्ष्य होना उचित नहीं हो सकता। यह हमारे जीवन का लक्ष्य है ही नहीं, क्योंकि यह हमारी जरूरत है और मनुष्य यदि कर्म करेगा तो उसकी जरूरत अवश्य पूरी होगी।
अतः हमें अपने जीवन का लक्ष्य अपने अंदर के ज्ञान को जानना तथा उस ज्ञान की बदौलत अपनी कमियों को दूर करना व उस ज्ञान को लोगों के साथ बांटना होना चाहिए l
क्योंकि हम इंसान संवाद के जरिए अपने विचारों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचा सकते और अपने जीवन में निराश लोगों का सही मार्गदर्शन कर उनके जीवन में फैले अंधकार को मिटाने का काम कर सकते है।
परंतु वर्तमान समय में हर कोई इंसान सिर्फ धन दौलत कमाना ही अपना लक्ष्य समझ बैठते हैं। जिससे अंततः मनुष्य की हानि होती है, वह अपने पास मौजूद धन का सही प्रयोग नहीं कर पाता और अपना जीवन दुख में व्यतीत करता है।
लोगों के लक्ष्य अलग-अलग क्यों होते हैं?
जीवन में हर किसी के लक्ष्य अलग-अलग होते हैं। इसका कारण उन्हें वास्तविक ज्ञान का बोध न हो पाना है। जब लोगों को वास्तविक जीवन का ज्ञान नहीं होता तो वे लोग अपने जीवन का लक्ष्य उन्हीं चीजों को समझते हैं जिनसे उनका जीवन आसानी से गुजर सके।
जैसे एक छोटा सा बालक अपना लक्ष्य एक डॉक्टर बनना बना लेता है परंतु वह कभी भी यह नहीं सोचता कि वह डॉक्टर बनके लोगों को स्वस्थ बनाने की कोशिश करेगा।
उसका लक्ष्य सिर्फ यह होता है कि वह डॉक्टर बनेगा और ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा कर अपनी जिंदगी पूर्ण सुख सुविधाओं के साथ व्यतीत करेगा।
इस प्रकार इस संसार में जो भी व्यक्ति जिस क्षेत्र में पैसे देखता है उसी क्षेत्र में कुछ बनना उसका लक्ष्य हो जाता है और उसके जीवन का उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना रह जाता है
इस संसार में पैसों से भले ही हम अपनी आवश्यकताओं की चीजों को खरीद सकते हैं परंतु लोगों के सुख-दुख वह अपने अंदर के अच्छे गुणों को कभी भी नहीं पहचान पाते और ना ही खुद के अंदर अच्छे गुण ला पाते हैं।
ऐसे ही लोग ज्ञान के अभाव के चलते अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं परंतु इन्हें वास्तविक लक्ष्य का बोध हो ही नहीं पाता।
सफल लोगों के जीवन के क्या लक्ष्य होता है?
जो लोग अपने जीवन में सफल हैं वह आज अन्य व्यक्ति की नजरों में भी सफल व्यक्ति बन चुके हैं। सफल लोगों में यह खासियत होती है कि वह लोग कभी भी अपने लक्ष्य का घमंड किसी को महसूस नहीं करवाते।
वो अपनी जिंदगी में एक लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उस रास्ते पर चल कर वह मुकाम हासिल करते है
और प्रयास करते हैं कि वे अधिक से अधिक लोगों को खुशी दे सकें, लोगों की सहायता कर सकें यही उनकी खूबी व सफलता का राज होता हैं।
वह प्रत्येक व्यक्ति आज सफल बन चुका है जिसने सबके हित के बारे में सोच कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश की, उसने अपने लक्ष्य के सफर में किसी भी अनजान व्यक्ति को कभी दुख नहीं पहुंचाया और सबको साथ लेकर वह व्यक्ति आगे बढ़ा, वह अक्सर आखिर में अपनी मंजिल में पहुंच गया।
प्रत्येक सफल व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य सिर्फ यही राज है कि भले ही उसे उसकी मंजिल मिले या ना मिले परंतु वो कभी भी किसी व्यक्ति का दिल नहीं दुखाएगा और ना ही उसे दुखी होने का कोई कारण देगा।
उदाहरण के तौर पर आज हम बिजनेस में सफल में लोगों का जीवन देखें तो आप पायेंगे उन लोगों ने अपने बिजनेस की शुरुआत लोगों की किसी मुख्य समस्या को हल करने के साथ की थी।
अतः दूसरों की मदद करने का यह फार्मूला हमें जिंदगी में मान सम्मान पैसा धन-दौलत और सुख शांति देता है।
जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए~लोगों के विचार?
जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए बहुत सारे लोग अपने अलग-अलग विचार रखते हैं एक छोटे से बालक का विचार यह होता है कि वह अपने जीवन में वह प्रत्येक खुशी हासिल कर सके जिसके कारण उसे समस्याओं का सामना करने का मौका ही ना मिले उसका मानना होता है।
उसे जीवन में प्रत्येक छोटी से बड़ी खुशी मिल सके, वह हमेशा अपने कामों में व्यस्त रह सके और साथ ही वह अपने प्रत्येक शौक पूरे कर सके।
परंतु एक व्यक्ति के विचार जो 25 से 30 वर्ष के बीच में जॉब करता है। उसका मानना होता है कि जीवन का लक्ष्य इतनी धन दौलत कमा सके जिससे वह अपने परिवार को एक अच्छे जीवन का गुजारा करा सके।
वहीं एक वो व्यक्ति है जो 60 साल की उम्र पार कर चुका हो उसका मानना है कि जीवन का लक्ष्य सिर्फ मोक्ष प्राप्त करना होना चाहिए। वह व्यक्ति बोलता है कि हमें कभी भी अन्य लोगों को दुखी नहीं करना चाहिए ना ही उनके दुखों का कारण बनना चाहिए जितना भी हो सके हमें लोगों को सांत्वना देने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें यह समझाना चाहिए कि इस जीवन में कोई भी वस्तु हमारे लिए मायने नहीं रखती।
क्योंकि हमें जीवन में जिस वस्तु की जरूरत नहीं है, यदि उस वस्तु की लालसा रखते है, तो हम बाद में उसे आवश्यक समझकर उसे अपनाने का प्रयत्न करते हैं।
अतः संक्षेप में कहा जाए तो उम्र के अनुसार व्यक्ति के लक्ष्य बदलते रहते हैं। लेकिन यह बात कदापि सत्य है कि जीवन का लक्ष्य सिर्फ अधिक से अधिक सुख सुविधाओं का भोग करना नहीं हो सकता। बल्कि जीवन सच्चाई इन सबसे परे है और बिना जीवन की वास्तविकता को जाने वह अपने जीवन को नहीं समझ सकता।
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि मानव जीवन का एकमात्र लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार करना होना चाहिए। मनुष्य की आत्मा परम सत्य (ईश्वर) को जानने के बाद जीवन मुक्ति की अधिकारी हो जाती है और मनुष्य इस संसार भवसागर से पूर्णतया मुक्त होकर पुनः संसार चक्र में नहीं फँसता।
अध्यात्म ही हमारे जीवन की दिशा बदलता है और हमें आत्मा की उन ऊँचाइयों तक ले जाता है जो अकथनीय और अव्यक्त है।