झूठ बोलने का परिणाम बहुत बुरा होता हैं, झूठ बोलने वाला व्यक्ति अपने को चतुर और दुसरे को बेवकूफ समझता हैं, उसका झूठ कुछ समय के लिए ही छुप पाता हैं और सच सामने आने के बाद उसे उसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं, आइये एक Moral Story In Hindi के द्वारा समझते हैं।
एक बार की बात हैं, रमेश और सुरेश दो मित्र थे। सुरेश बचपन से ही बहुत मेहनती था और वह बहुत खुबसूरत चित्र भी बनाता था। वह दोनों सुंदरनगर में ही रहते थे। रमेश कोई विशेष काम नहीं करता था, वही सुरेश लगन से बेपनाह विचित्र और सुन्दर चित्र बनाता था।
लापरवाह रवैये को देखकर रमेश के घरवालों ने कहा कि उसे अपना आलस छोड़कर कोई काम ढूंढ लेना चाहिए ताकि घर चल सके, रमेश एक दिन सुरेश के घर गया और कहा कि “तुम क्या कर रहे हो?” सुरेश दिन में तो अपने खेतों पर काम करता और रात को चित्र बनाता था।
सुरेश ने कहा “बस चित्र बना रहा था”, रमेश ने कहा कि “अगर तुम्हारी सहमति हो तो मैं इन चित्रों को बेचना चाहता हूँ”। सुरेश ने कहा “क्या? कहाँ बेचोगे?” यह चित्र अगर कोई खरीद ले तो मैं उसका कुछ हिस्सा बेचने वाले को दान में दे दूंगा।
रमेश ने कहा “क्या! अच्छा ठीक है” तुम ऐसा करो, दो-तीन तस्वीर मुझे दे दो। मैं बेचने की पूरी कोशिश करूँगा।
सुरेश ने रमेश को तीन लाजवाब तस्वीरें दे दी, सुरेश को रमेश पर पूरा विश्वास था।
रमेश ने तीन चित्रों को बीस हज़ार रुपये में बेच दिया। रमेश ने गांव लौटकर सुरेश से कहा की “मुझे इन् चित्रों के 10000 रुपये मिले हैं। सुरेश यह सुनकर खुश हो गया, उसने कहा “शुक्रिया तुमने इतना अच्छा सोचा, रमेश तुम 5000 रुपये रख लो। रमेश ने कहा “हाँ ठीक है धन्यवाद! दोस्त ही दोस्त के काम आता है…और क्या”
इसी तरीके से सुरेश अपनी सारी तस्वीरें धीर धीरे रमेश को देने लगा और रमेश उनको अच्छे दामो में बेचता चला गया और हमेशा की तरह सुरेश से झूठ कहता गया, तस्वीर जितने की भी बिकती, रमेश सुरेश को उसकी आधी कीमत में बेचा, कह देता और सुरेश उसको उसका आधा पैसा रमेश को दे देता।
एक बार रमेश को एक बहुत बड़े व्यापारी से मुलाकात का अवसर मिला। व्यापारी चित्र देखकर बहुत खुश हुआ और हमेशा की तरह रमेश ने बड़ी चतुराई से कहा कि यह अनोखे चित्र उसने बनाये है। व्यापारी बहुत खुश हुआ और उसकी सराहना की।
यह सारी बातें रमेश ने सुरेश को नहीं बताई, क्यों कि वह जानता था कि सुरेश गांव में रहने वाला सीधा-साधा इंसान है और उसे तो यह बातें कभी भी पता ही नहीं चलेगी। देखते-देखते एक साल बीत गया। रमेश ने सुरेश के चित्रों से झूठ बोलकर व्यापारी से काफी पैसा कमाया, अच्छे पैसे कमाते देख रमेश के घरवाले बहुत खुश हुए।
रमेश की असलियत का पता किसी को न था, वह बड़ी चालाकी और धूर्तता से सभी को चुना लगा रहा था।
एक बार व्यापारी ने रमेश को डिनर का न्योता दिया, रमेश यह सुनकर बेहद खुश हुआ। उसके तो पैर जैसे ज़मीन पर टिक ही नहीं रहे थे, क्योकि व्यापारी उसके चित्रों की बहुत प्रशंसा करता था और मुहमांगी कीमत भी दे देता था।
न्योते वाले दिन रमेश सज-धज कर व्यापारी के घर पंहुचा। वह व्यापारी का आलिशान घर देखकर मंत्र-मुग्ध हो गया था।
व्यापारी ने कहा- “तुम एक चित्र कितने घंटे में बना लेते हो”
रमेश ने कहा – “सर सिर्फ तीन -चार घंटे में”।
व्यापारी ने कहा -“ठीक है बहुत बढ़िया! तुम ऐसा करो अभी मेरी एक तस्वीर बना दो!
रमेश का चेहरा यह सुनकर सफ़ेद हो गया, लेकिन उसने बड़ी चतुराई से बात को दबाते हुए कहा -“क्या! अभी? लेकिन चित्र बनाने के सामान तो घर पर है”।
व्यापारी ने कहा -” कोई बात नहीं यहाँ मेरे घर पर चित्र बनाने से संबधित सभी सामान उपलब्ध है”
रमेश जैसे ही चित्र बनाने बैठा, उसके हाथ कापने लगे, व्यापारी इंतजार करता रहा। एक घंटे बाद भी चित्र में कुछ नहीं था।
व्यापारी को यह साफ़ समझ में आ गया था कि रमेश कितने समय से उससे झूठ बोल रहा था और ठग रह था।
व्यापारी ने कहा -” रमेश झूठ की अवधि बहुत ज़्यादा दिनों की नहीं होती है। सच-सच बताओ! ये सब चित्र किसने बनाए है? क्योकि मैं उस चित्रकार से मिलना चाहता हूँ।”
रमेश ने डरकर कहा -” जी मैंने नहीं सुरेश ने यह सुन्दर चित्र बनाये है। मैंने पैसो की लालच में आपसे झूठ बोला करता था”
व्यापारी चित्रकार का नाम जानकार काफी खुश हुआ उसने रमेश से कहा “झूठ की उम्र ज़्यादा लम्बी नहीं होती है। अपने दोस्त रमेश का पता दो।”
रमेश ने कहा -“जी मैं सुरेश का पता दे दूंगा”
सुरेश के घर का पता मिलते ही व्यापारी अगले दिन सुबह सुरेश से मिलने उसके गांव चला गया। उसके सुरेश के काम की खूब सराहना की और रमेश की सारी सच्चाई बता दी। रमेश ने सुरेश से माफ़ी मांगी, सुरेश ने कहा -“मैंने तुम्हे माफ़ तो कर दिया है परन्तु विश्वास कभी नहीं कर पाउँगा। अगर पैसो की ज़रूरत थी, तो मुझसे मांग लेते। मैं तुम्हे कभी मना नहीं करता, क्या तुझे मेरे ऊपर विश्वास नहीं था?”
व्यापारी ने सुरेश को अपने काम पर रख लिया और उसके चित्रों की काफी प्रशंसा की । सुरेश की आँखों में आंसू आ गए।
इस कहानी से हमने यह शिक्षा मिलती हैं कि इंसान को किसी भी और किसी भी परिस्थति में झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योकि एक न एक दिन उसका झूठ सबके सामने आ ही जाता है और उस दिन उसे नीचा देखना पड़ता हैं। रमेश के झूठ बोलने की वजह से उसके सुरेश के साथ दोस्ती हमेशा के लिए ख़त्म हो गयी।
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Badhiya post likhi hai..