• Business Ideas
  • Success Stories
  • व्यक्तित्व विकास
  • सफलता के रहस्य
  • Book Summary
  • Health Tips
Facebook Twitter Instagram LinkedIn Reddit RSS
Most Liked Posts
  • तेरे मेरे इर्द गिर्द : पुस्तक समीक्षा
  • Share Market में नुकसान होने के बावजूद भी लोग पैसा क्यों लगाते हैं?
  • Share market से पैसे कैसे कमाए? Profit बुक करें, मुश्किल नहीं हैं
  • Probo Earning App से पैसे कैसे कमाएं
  • Gyan Kamao का इस्तेमाल करके Gyankamao से पैसे कैसे कमाएं?
  • Freelancing से पैसे कमाने के आसान तरीकें
  • Facebook Ads (FB Advertisements) से कैसे करें कमाई?
  • मोटरसाइकिल (Bike) से पैसे कैसे कमाएं जा सकते हैं ?
Facebook Twitter Instagram Pinterest LinkedIn Reddit RSS
AchhiBaatein.Com
  • Business Ideas
  • Success Stories
  • व्यक्तित्व विकास
  • सफलता के रहस्य
  • Book Summary
  • Health Tips
AchhiBaatein.Com
लोक व्यवहार 8 Mins Read

जिम्मेदारी को बोझ न समझें

Mahesh YadavBy Mahesh YadavNo Comments8 Mins Read
जिम्मेदारियों का बोझ in Hindi
साझा करें
Twitter LinkedIn Pinterest Tumblr Reddit WhatsApp

हमें अपनी जिम्मेदारी (Responsibility) को कभी बोझ नहीं समझना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारी जिंदगी है। इसका मतलब यही है कि अगर हम अपनी जिम्मेदारियों को बोझ समझेंगे तो इसका मतलब हम अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं हैं।

एक जिम्मेदारी ही ऐसी चीज होती है जो उम्र के साथ बढ़ती जाती है जो लोग अपनी जिम्मेदारीयों को नही समझ पाते उनकी उम्र भले ही अन्य लोगों की तुलना में बड़ी क्यों ना हो उनके पास अनुभव बिल्कुल भी नहीं होते।

एक अच्छा जीवन जीने के लिए हमें अपने जीवन में छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिश करनी चाहिए। हमारे जीवन में प्रत्येक उपयोगी कार्य जिससे हमारे ज्ञान तथा अनुभव का विकास हो सके वह एक जिम्मेदारी ही होती है।

हमें अपने प्रत्येक कार्यों को बड़े ही आनंद के साथ पूरे करने की ठाननी चाहिए। एक जिम्मेदारी का मतलब सिर्फ अपने परिवार वालों की आवश्यकताओं को पूरी करना ही नहीं बल्कि अपने जीवन में खुद का विकास करना भी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है।

जो लोग खुद के जीवन में जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम रहते हैं। वे कभी भी अपने घर परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पीछे नहीं हटते और ना ही उन्हें जिम्मेदारियां बोझ लगती हैं।

अपने जीवन में जिम्मेदारियां सिर्फ उन्हीं लोगों को बोझ लगती है जो लोग अपने जीवन में कुछ करना ही नहीं चाहते और एक सरल साधारण सा जीवन यापन करने के लिए सिर्फ वही छोटे-मोटे कार्य करते हैं जिन कार्यों को करने के पश्चात उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके।

ऐसे ही लोगों को इस जीवन से ना तो अनुभव मिल पाते हैं और ना ही इनका ज्ञान बढ़ पाता है। ये लोग अपने इस जीवन में छोटे से ज्ञान के बल पर ही अपना जीवन गुजार देते हैं।

जो लोग जिम्मेदारियों के तले दबे नहीं रहते ऐसे लोग हमेशा आनंदमई जीवन जी कर अपने जीवन को एक संघर्ष वाले जीवन की तरफ ले जाते हैं।

यह लोग वक्त पर अपनी जिम्मेदारियों को समझ नहीं पाते और अपने बुढ़ापे के वक्त में बहुत ही पछताते हैं, अपने इस उम्र भर किए गए कार्यों से।

जो लोग वक्त रहते ही अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगते हैं उन्हें वक्त भी बहुत कुछ सिखा देता है और जिम्मेदारियां भी।

एक जिम्मेदारी होती क्या है?

जिम्मेदारी सिर्फ उन कार्यों को नहीं कहते जब हमें अन्य लोगों द्वारा बताए गए कार्य करने पड़ते हैं। हमारे जीवन में वह प्रत्येक कार्य एक जिम्मेदारी होती है, जिस कार्य को करने कि हम योग्य हैं या जिसे करना हमारा फर्ज है।

जिम्मेदारी की शुरुआत बचपन से ही हो जाती है, एक बच्चा जिसे रोज विद्यालय जाना पड़ता है, विद्यालय में पढ़ना पड़ता है और टीचरों द्वारा दिया गया होमवर्क करना पड़ता है यह भी एक जिम्मेदारी ही है।

जो लोग ऐसी छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को समझ जाते हैं, वे अपने जीवन में कभी असफल नहीं हो सकते।

क्योंकि जिम्मेदारियों को निभाने के साथ साथ उनका ज्ञान और अनुभव बढ़ता रहता है। एक व्यक्ति जिम्मेदार अपनी छोटी सी उम्र से ही बन सकता है। जब वह अपनी प्रारंभिक स्कूल के कार्यों को जिम्मेदारी समझकर पूरा करता है l

यहां से उम्र के साथ बढ़ते बढ़ते ही एक इंसान अपनी बढ़ती हुई जिम्मेदारियों को समझता है और सफलता की ओर निरन्तर बढ़ता रहता है। अर्थात हमारे जीवन में हमें अपने गुजारे के लिए जो भी कार्य करने पड़ते हैं वही जिम्मेदारी होती है।

एक घर के मुखिया की जिम्मेदारी सिर्फ अपने घरवालों को खुश रखना ही नहीं है, ना ही उनके जरूरत ही प्रत्येक वस्तु को लाना है। उसकी सबसे पहली जिम्मेदारी है कि वह स्वयं स्वस्थ रहें और अपने प्रत्येक कार्य से संतुष्ट रहें।

क्योंकि यदि वह अपने लिए या अपने परिवार के लिए निरंतर कार्य करता है। खुद का ख्याल नहीं रखता तो ऐसे में वह बीमार हो सकता है और परिवार को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

यदि किसी घर के मुखिया को उसके बच्चों द्वारा कोई महंगी चीज खरीदने के लिए कहा जाता है तो उसकी जिम्मेदारी यह नहीं बनती कि वह अपने बच्चों को, वह महंगी चीज खरीद कर दे।

क्योंकि वह अपने सिर्फ एक बच्चे को खुश नहीं करना चाहता बल्कि वह सबसे पहले खुद की खुशी देखेगा कि वह जब इस कीमती वस्तु को लाएगा तो उसे क्या फायदा होगा, उसके परिवार के अन्य सदस्यों को इससे क्या लाभ मिल पाएगा ?

वह अपनी स्थितियों के हिसाब से ही अपनी जिम्मेदारी निभाता है। इसलिए हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाने वक्त हर किसी को खुश नहीं रख सकते परंतु अपने विचारों से उन्हें संतुष्ट जरूर कर सकते हैं।

इस प्रकार एक घर के मुखिया की जिम्मेदारी अपने संपूर्ण जीवन में संतुष्ट रहना और अपने परिवार को संतुष्ट करना होती है।

यह जिम्मेदारियां उसकी आर्थिक स्थिति के हिसाब से ही तय की जा सकती हैं। अगर किसी घर का मुखिया ही अपनी सारी जिम्मेदारियों को बोझ समझने लग जाए और अपने परिवार वालों को खुश ना रख पाएगा।

जिससे उसके परिवार के सदस्य भी आने वाले वक्त में अपनी जिम्मेदारियों को न तो समझ पाएंगे और ना ही जिम्मेदारियों के जिम्मेदार रह पाएंगे।

क्या कोई जिम्मेदारी वास्तव में बोझ ही लगती है?

कई बार ऐसा भी होता है बहुत सारी जिम्मेदारियां लोगों को बोझ लगने लगती हैं ऐसा इस कारण होता है कि या तो वे जिम्मेदारियां बहुत भयानक होती है या फिर वह व्यक्ति जिसके पास यह जिम्मेदारी जाती हैं वह उस जिम्मेदारी को निभाने लायक नहीं होता।

ऐसी दो स्थितियों में ही हमें एक जिम्मेदारी बोझ लगती है।

जब कोई किसान अपनी खेती बाड़ी का काम करता है तो उसे यह जिम्मेदारी बोझ नहीं लगती और वह बहुत ही कठिन परिश्रम करके अपने खेतों में फसल उगाने से लेकर फसल खड़ी करने तक जिम्मेदार रहता है।

अगर इस बीच के वक्त में वह कोई गलती कर बैठता है तो उसकी फसल अच्छे ढंग से खेत में खड़ी नहीं हो पाएगी, यह सोचकर ही वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरे मन से निभाता है l

परंतु जब किसान का छोटा बच्चा खेती के काम में इंटरेस्ट दिखाता ही नहीं और वह एक अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए शहर चला जाता है, तो ऐसी स्थिति में वह खेती-बाड़ी के कार्य से अनजान हो जाएगा।

यदि किसी कारणवश किसान की तबीयत खराब हो जाए या वो गुजर जाए तो उसका बेटा जब शहर से गांव में खेती बाड़ी का कार्य करने की जिम्मेदारी लेता है। तो उसे यह जिम्मेदारी बोझ लगती है और किसान का बेटा इस जिम्मेदारी को निभाने में सक्षम नहीं रहता। ऐसी स्थितियों में अक्सर जिम्मेदारियां भी बोझ लगने लगती है।

जिम्मेदारियों को बोझ क्यों नहीं समझना चाहिए?

जब भी हम जिम्मेदारियों को बोझ समझते हैं तो वह जिम्मेदारियां हमारे लिए बहुत कठिन हो जाती हैं जिस कारण ना तो हम उसे हल कर पाते हैं और ना ही हमारे पास उसे हल कर पाने के मौके रहते हैं।

यदि हम अपनी जिम्मेदारियों को जिम्मेदारी समझकर करने की कोशिश करते हैं तो अवश्य ही वह जिम्मेदारियां हम एक दिन पूरी कर लेते हैं।

इंसान को जन्म के वक्त किसी भी चीज का ज्ञान नहीं होता और ना ही वह उस वक्त किसी जिम्मेदारी में दबा रहते है परन्तु वक्त के बढ़ते बढ़ते इंसान जिम्मेदारियों को उठाना प्रारंभ करता है और उस जिम्मेदारी को सही ढंग से सीख पाता है।

इसीलिए हमें भी अपने जीवन में किसी भी जिम्मेदारी को बोझ नहीं समझना चाहिए और उस जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश करनी चाहिए जिसके तले हम दबे रहते हैंl

प्रत्येक जिम्मेदारी का कोई न कोई हल होता है भले ही वह हल हमें देर में समझ आता हो परंतु कुछ समय पश्चात प्रत्येक जिम्मेदारी का हल मिल ही जाता है।

बस एकमात्र जिम्मेदारियों को निभाते वक्त हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस जिम्मेदारी के अंत में क्या परिणाम होंगे? बहुत सारे लोग जिम्मेदारियों के पूरा करने के लिए होने वाले संघर्ष को देखकर पहले ही डर जाते हैं और उन जिम्मेदारियों को उठाने से कतराते हैं।

हम अक्सर जीवन में ऐसे उदाहरणों को देखते हैं जहां पर व्यक्ति जिसे कम उम्र में ही आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से ही घर की जिम्मेदारी मिल जाती है। उनके लिए जिम्मेदारी को उठाना आसान नहीं होता।

परंतु यदि वे अपने ज्ञान और कौशल से घबराते नहीं और मुसीबत से निपटने के लिए तैयार है। अतः कुछ वर्षों के निरंतर संघर्ष के बाद आने वाले समय में वे अपने घर की आर्थिक तंगी को दूर कर जीवन में बड़ा मुकाम हासिल करते है।

अतः हमें कठिन समय में जरूरत है, बस धैर्य, मेहनत और मुश्किलों से न हारने का जज्बा जिनकी बदौलत हम किसी भी परेशानी से पार पा सकते है।

इसलिए हमें जिम्मेदारियों से भागकर नहीं बल्कि जिम्मेदारियों को निभा कर आगे बढ़ना चाहिए। जिम्मेदारियां सिर्फ वक्त और जरूरत के साथ ही समझ आती हैं और इन जिम्मेदारियों को वक्त के साथ ही अनुभव कर पाते हैं।

सीख-

हमें इस लेख से सीख मिलती है जिम्मेदारियां कभी वास्तव में बड़ी नहीं होती, सिर्फ हमारे आलस के कारण हमें अपनी जिम्मेदारियां विशाल प्रतीत होती है। और कभी-कभी हमें उस चीज का ज्ञान न हो पाने के कारण भी ऐसा महसूस होता है लेकिन वास्तविक जीवन में जिम्मेदारियां सिर्फ एक जिंदगी है न कि बोझ।

इसलिए हमें अपनी जीवन में आने वाली प्रत्येक जिम्मेदारी एक सरल स्वभाव से निभानी चाहिए।

Previous Articleज्ञान की बात~ आपके दोस्त नहीं चाहते कि आप सफल हो
Next Article भगवान से क्या मांगना चाहिए ~ मेरे विचार
Mahesh Yadav
  • Website
  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn

Mahesh Yadav is a software developer by profession and likes to posts motivational and inspirational Hindi Posts, before that he had completed BE and MBA in Operations Research. He has vast experience in software programming & development.

यह भी पढ़े

9 Mins Read

कैसे बने एकअच्छी बड़ी बहन?

पूरा पढ़े
8 Mins Read

Story Telling कहानीकारी भी हैं कला

पूरा पढ़े
8 Mins Read

लड़की को मोटिवेट कैसे करें, हौसला कैसे बढ़ाएं

पूरा पढ़े

Leave A Reply Cancel Reply

Popular Posts
5 Mins ReadJul 25, 2020

छोटे Business Man के लिए Financial Planning के कुछ Tips

9 Mins ReadMar 9, 2025

भारत के राज्य, राजधानी और मुख्यमंत्री

7 Mins ReadAug 16, 2020

विश्व के प्रमुख देश उनकी राजधानी एवं मुद्राएँ | Country, Capital & Currency

6 Mins ReadDec 31, 2022

Blog, Blogging क्या हैं? क्या मुझे ब्लॉगिंग करनी चाहिए?

8 Mins ReadAug 15, 2020

जानिए पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क के बारें में About Trademark, Copyright & Patent

Latest Posts
5 Mins ReadOct 13, 2024
तेरे मेरे इर्द गिर्द : पुस्तक समीक्षा
9 Mins ReadAug 6, 2023
Share Market में नुकसान होने के बावजूद भी लोग पैसा क्यों लगाते हैं?
9 Mins ReadAug 6, 2023
Share market से पैसे कैसे कमाए? Profit बुक करें, मुश्किल नहीं हैं
15 Mins ReadJul 17, 2023
Probo Earning App से पैसे कैसे कमाएं
1 2 3 … 184 Next
Categories
  • Blogging Tips (8)
  • Book Summary (35)
  • Business Ideas & Earn Money (31)
  • General (13)
  • General Knowledge (55)
  • Health Tips (53)
  • Hindi Essay (2)
  • Hindi Quotes (59)
  • Hindi Thoughts (39)
  • Let's Laugh (8)
  • Motivational Hindi Songs (47)
  • Motivational Hindi Stories (25)
  • Personality Development (50)
  • Success Stories (17)
  • अमर कहानियाँ (7)
  • चाणक्य नीति (19)
  • चुटकुले (9)
  • जीवनी (63)
  • धार्मिक परंपरा व आस्था (12)
  • प्रेरक प्रसंग (10)
  • महत्वपूर्ण जानकारियां (9)
  • रोचक घटनाये (3)
  • रोचक तथ्य (8)
  • लोक व्यवहार (33)
  • श्रीमदभागवत गीता अंश (9)
  • सफलता के मंत्र (73)
  • सफलता के रहस्य (54)
  • हिंदी कहानियाँ (93)
  • हिंदी दोहे और उक्तिया (1)
  • हिंदी शेर और शायरी (6)
  • हिन्दी कविताएं (40)
About Us

अच्छी बातें डॉट कॉम

AchhiBaatein is a famous Hindi blog for Famous Quotes and Thoughts, Motivational & Inspirational Hindi Stories and Personality Development Tips

DMCA.com Protection Status

Recent Comment
  • Sahil Solanki on आसान तरीकों से रोज 200 रूपए कैसे कमाए?
  • Rohini on खुद को सोने के सिक्के जैसा बनाइए अगर नाली में भी गिर जाए तो भी कीमत कम नहीं होती
  • Manisha mer on भीड़ हौंसला तो देती है, लेकिन पहचान छीन लेती है | Never follow the crowd
  • Umang pasaya on Free Fire Game खेलकर पैसे कैसे कमाएं?
Subscribe to Updates
सभी नए Posts अपने E-Mail पर तुरंत पाने के लिए यहाँ अपनी E-mail ID लिखकर Subscribe करें।

कृपया यहाँ Subscribe करने के बाद अपनी E-mail ID खोलें तथा भेजे गये Verification लिंक पर Click करके Verify करें

Powered by ® Google Feedburner

Copyright © achhibaatein.com 2013 - 2025 . All Rights Reserved
  • About Us
  • Contact Us
  • Advertise
  • Guest Column
  • Privacy Policy
  • Sitemap

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.