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भारतीय राजनीति के सबसे बड़े किंग मेकर ताऊ देवी लाल का जीवन परिचय

भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा किंग मेकर यानी चौधरी देवीलाल

चौधरी देवी लाल जिन्हें हरियाणा में ताऊ देवी लाल के नाम से पुकारा जाता है हरियाणा के मसूर राजनेताओं में से एक माने जाते हैं। 1989 से 1991 चौधरी देवी लाल भारत के उप प्रधानमंत्री थे। हरियाणा के ताऊ दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे थे। चौधरी देवीलाल भारत के महान राजनेताओं में से हैं वे भारत की आजादी से पूर्व व आजादी के बाद भी राजनीतिक गतिविधियों में क्रियाशील थे।

बता दें देश की आज़ादी के बाद जब चुनाव लड़ा गया तब चौधरी देवीलाल विधायक बनने वाले हरियाणा के पहले व्यक्ति थे। हरियाणा के ताऊ के बारे में जानने के लिए इस जीवनी को पूरा पढ़ें।

चौधरी देवीलाल की जीवनी

चौधरी देवीलाल को किसानों का मसीहा कहा जाता था। इनका जन्म साल 1914 में 25 सितंबर को हरियाणा राज्य में हुआ था। हरियाणा राज्य को पंजाब से अलग राज्य बनाने के लिए चौधरी देवीलाल ने हरियाणा के निवासियों के साथ काफी संघर्ष किया था परिणाम स्वरूप साल 1966 में हरियाणा राज्य बना।

चौधरी देवी लाल किसानों के हित के बारे में हमेशा विचार करते थे। इसीलिए उन्होंने कई योजना किसानों के लिए चालू की थी, जिसका बाद में केंद्र सरकार ने भी अनुसरण किया। चौधरी देवी लाल को हरियाणा राज्य का जन्मदाता भी कहा जाता है।

चौधरी देवीलाल व्यक्तिगत परिचय

पूरा नाम चौधरी देवी लाल
जन्म 25 सितंबर, 1914
जन्म भूमि ज़िला सिरसा, हरियाणा
मृत्यु 6 अप्रॅल, 2001
अभिभावक चौधरी लेखराम (पिता), श्रीमती शुंगा देवी (माता)
पत्नी श्रीमती हरखी देवी
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि किसानों के मसीहा, हरियाणा के जन्मदाता
पद भूतपूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा
भाषा हिन्दी, हरियाणवी
जेल यात्रा जन आन्दोलन और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल यात्राएँ कीं।
पॉलीटिकल पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल
धर्म हिंदू
जाति जाट
गोत्र सिहाग
बेटा ओम प्रकाश चौटाला

चौधरी देवी लाल का प्रारंभिक जीवन

जाट घराने से संबंध रखने वाले चौधरी देवी लाल का जन्म साल 1914 में देश के हरियाणा राज्य के सिरसा जिले के तेजा खेड़ा गांव में 25 सितंबर को चौधरी लेख राम और श्रीमती सुंगा देवी के परिवार में हुआ था। चौधरी देवीलाल आगे चलकर हमारे देश के उपप्रधानमंत्री के पद पर भी विराजमान हुए थे।

चौधरी देवी लाल का विवाह

चौधरी देवीलाल की शादी हरकी देवी से हुई थी। लोग प्यार से देवीलाल को चौधरी देवीलाल कहते थे। चौधरी देवीलाल अक्सर अपने भाषणों में कहते थे कि भारत देश की तरक्की तभी संभव है, जब हमारे देश का किसान खुशहाल होगा क्योंकि भारत के डेवलपमेंट का रास्ता किसानों के खेतों से होकर ही जाता है।

जब तक हमारे देश का किसान गरीब रहेगा तब तक हमारा भारत देश ना तो तरक्की कर सकता है ना ही संपन्न बन सकता है। देवी लाल हमेशा किसानों की भलाई के बारे में सोचते थे और अपनी इसी सोच को साकार करने के लिए जब चौधरी देवीलाल उपप्रधानमंत्री के पद पर विराजमान हुए तब उन्होंने किसानों के हित के लिए कई काम किए, क्योंकि खुद एक हरियाणवी किसान परिवार में पैदा होने के कारण यह किसानों के दुख दर्द को अच्छी तरह से जानते थे।

भारतीय पॉलिटिकल इतिहास में चौधरी देवीलाल

भारतीय राजनीति के इतिहास में चौधरी देवी लाल जैसे संघर्षशील नेता के गुण किसी अन्य पॉलिटिकल नेता के अंदर नहीं दिखाई देते है। वर्तमान में भी हरियाणा राज्य के अंदर चौधरी देवी लाल को किसान हर साल याद करते हैं।

आज के टाइम में भले ही चौधरी देवीलाल हमारे बीच में नहीं है, परंतु उनकी जो किसानों के प्रति सोच थी, वह आज भी लोगों को चौधरी देवीलाल को अपने जहन में जिंदा रखने के लिए मजबूर करती है।

चौधरी देवी लाल का कैरियर

दसवीं कक्षा की एजुकेशन को छोड़कर चौधरी देवीलाल ने साल 1938 में पॉलीटिकल एक्टिविटी में भाग लेना स्टार्ट कर दिया। कांग्रेस के द्वारा लाहौर में आयोजित किए गए कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने एक सच्चे सेवक के तौर पर पार्टिसिपेट किया और इसके बाद चौधरी देवीलाल ने साल 1930 में आर्य समाज के स्वामी केशवानंद के द्वारा बनाई गई नमक की पुड़िया को खरीदा।

जिसके परिणाम स्वरूप चौधरी देवीलाल को स्कूल से निष्कासित कर दिया गया इस घटना से चौधरी देवीलाल काफी ज्यादा प्रभावित हुए और कुछ बाद वह भारत के स्वाधीनता संग्राम से जुड़ गए।

फिर यहां से चौधरी देवीलाल ने कभी भी अपनी जिंदगी में पीछे मुड़कर नहीं देखा जहां जहां पर आंदोलन या फिर सत्याग्रह होता था चौधरी देवीलाल वहां वहां अवश्य जाते थे और पुरजोर तरीके से जुल्मी हुकूमत का विरोध करते थे कई बार आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार भी किया गया।

और उन्हें कई महीनों तक जेल में भी रखा गया परंतु चौधरी देवीलाल का हौसला टस से मस ना हुआ।

चौधरी देवी लाल द्वारा हरियाणा को पंजाब से अलग राज्य बनाने में की गई भूमिका

देश की आजादी के बाद जब हरियाणा के लोगों ने यह मांग की कि उन्हें पंजाब राज्य से अलग कर दिया जाए और हरियाणा को एक नए राज्य का दर्जा दिया जाए, तब देवीलाल जी ने हरियाणा के कई लोगों के साथ मिलकर साल 1962 से लेकर लगातार पंजाब राज्य को हरियाणा से अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष किया।

जिसके परिणाम स्वरूप साल 1966 में हरियाणा राज्य अस्तित्व में आया।

हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल

साल 1987 में चौधरी देवी लाल जी को हरियाणा राज्य का मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने यह पद साल 1987 से लेकर सन 1989 तक संभाला और हरियाणा के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने कई कल्याणकारी नीतियां हरियाणा राज्य में चालू की।

इनमें से अधिकतर योजनाओं को आगे चलकर सेंट्रल गवर्नमेंट ने भी लॉन्च किया और चौधरी देवीलाल के द्वारा बनाई गई इन योजनाओं को अन्य राज्यों ने भी विभिन्न राज्यों में लांच किया।

चौधरी देवीलाल जिंदगी भर जनता की सेवा करते रहें और किसानों के लिए तो चौधरी देवी लाल जी के दिल में बहुत ही ज्यादा प्यार था।इसीलिए इन्हें “किसानों का मसीहा” कहा जाता था।

चौधरी देवीलाल का उप प्रधानमंत्री बनने के बाद का दौर

जब चौधरी देवीलाल इंडिया के उप प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान हुए, तो कुछ समय तक उनका कार्यकाल बेहतरीन तरीके से चलता रहा।

चौधरी देवीलाल ने साल 1991, साल 1996 और साल 1998 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ हरियाणा की रोहतक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और दुर्भाग्यवश इन तीनों इलेक्शन में चौधरी देवीलाल को हार का सामना करना पड़ा। और कुछ ही समय बाद में सत्ता डगमगाने लगी।

इसके बाद साल 1998 में इनके पुत्र ओमप्रकाश चौटाला ने चौधरी देवीलाल को राज्यसभा का मेंबर बनवा दिया और राज्यसभा का मेंबर रहते हुए ही साल 2001 में चौधरी देवीलाल ने इस दुनिया में आखिरी सांसे ली।

चौधरी देवीलाल के कुछ किस्से

कई लोग चौधरी देवीलाल के बारे में ऐसा कहते हैं कि जब साल 1989 में चौधरी देवीलाल को प्रधानमंत्री बनाने की बात चली तो उन्होंने भारत का प्रधानमंत्री बनने से साफ इंकार कर दिया।

उन्होंने बाद में कहा कि भारत के लोग मुझे ताऊ कह कर बुलाते हैं, इसीलिए मुझे ताऊ ही रहने दिया जाए। मेरी जगह पर इंडिया के प्रधानमंत्री का पद बी पी सिंह को प्रदान किया जाए जब चौधरी देवीलाल ने यह बात कही तो वहां पर मौजूद सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए।

चौधरी देवी लाल जी की यही खूबी लोगों को उनकी तरफ आकर्षित करती है। जब बी पी सिंह इंडिया के प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान हुए़, तब उनकी गवर्नमेंट में चौधरी देवीलाल उप प्रधानमंत्री बने।

इसके बाद जब चंद्रशेखर ने जनता दल का विभाजन कर दिया और राजीव गांधी का समर्थन प्राप्त करके वह प्रधानमंत्री बने तो चौधरी देवीलाल ने भी बिना देरी किए हुए अपना समर्थन से चंद्रशेखर जी को जिता दिया और वह चंद्रशेखर जी की गवर्नमेंट मे उप प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान हुए।

आपातकाल के दरमियान चौधरी देवीलाल

इंदिरा गांधी द्वारा जब इंडिया में आपातकाल की घोषणा की गई, तो इस घोषणा के होते ही इंदिरा गांधी के आदेश पर पुलिस के द्वारा कई इंदिरा गांधी विरोधियों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें अलग-अलग जेल में रखा गया है।

इसी प्रकार चौधरी देवीलाल को भी पुलिस के द्वारा गिरफ्तार करके महेंद्रगढ़ के किले में बंद कर दिया गया। इन्हें जिस काल कोठरी में बंद किया गया था, वहां पर ठीक से सोने की व्यवस्था नहीं थी। इनकी कालकोठरी में सिर्फ एक ही छेद था, जहां से थोड़ी ही रोशनी इनकी कालकोठरी में आ सकती थी, वही जिस काल कोठरी में इन्हें रखा गया था, वहां पर मच्छरों की काफी ज्यादा भरमार थी।

इसीलिए अक्सर देवीलाल अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते थे। इतना ही नहीं इन्हें दैनिक क्रिया करने के लिए भी परेशान होना पड़ता था क्योंकि वहां पर शौचालय की भी व्यवस्था नहीं थी।

इतनी सब तकलीफे झेलने के बावजूद भी चौधरी देवीलाल ने हिम्मत नहीं हारी और वह लगातार संघर्ष करते रहे।

चौधरी देवी लाल की मृत्यु

साल 2001 में 6 अप्रैल को चौधरी देवीलाल ने राज्यसभा का मेंबर रहते हुए इस दुनिया को अलविदा कह दिया और इस प्रकार किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी देवीलाल की जीवन लीला समाप्त हो गई।

इनकी जीवनी भी पढ़ें

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