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Top Motivational Poem In Hindi ~ कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

Motivational Poem In Hindi, Koshish karne walo ki haar nahi hoti, Sohan lal dwivedi motivational hindi poem
दोस्तों, निराशा में जिया जीवन निरर्थक हैं आखिर लोग निराश क्यों होते हैं?

हार गए इसलिए? पैसा डूब गया? प्यार नहीं मिला? सफल नहीं हो पाएं?

अगर इसमें से ही कोई कारण हैं तो निराश होने की कोई आवश्यकता ही नहीं हैं, बस अपने आप को दोबारा खड़ा करो, आत्मविश्वाश भरों और जीत लो संसार को, इतिहास गवाह हैं

कुछ लोग मुश्किलों में टूट जाते हैं और कुछ रिकॉर्ड तोड़ देते हैं ये वो जिद्दी और हठी लोग होते हैं जिनके लिए असफलता का सामना और प्रयत्न कितनी बार किया हो और कितने समय से लगातार किया गया हो यह मायने नहीं रखता, मैंने ऐसे लोगो की कई Success Stories पब्लिश करी हैं, जो कि काफी प्रेरणादायी हैं इनमें से कुछ निम्न हैं

जब आप इनकी जीवनी पढोगे और अपने आप को और अपनी असफलताओं को उनकी असफलताओ से compare करोंगे तो पाओगे, कि आपने तो उनकी तुलना में कुछ भी नहीं खोया और आप उनसे कहीं बेहतर हो? तो फिर निराश क्यों हो, एक बार पुन: प्रयत्न करके देखो, क्या पता इस बार वाला प्रयास ही सफ़लता देने वाला हो

क्योंकि

“Every problem has (n+1) solutions,where n is the number of solutions that you have tried and 1 is that which you have not tried. That’s life.

हर एक समस्याओं के n+1 समाधान होते हैं, यहाँ पर n वह संख्या हैं जितनी बार आप प्रयत्न कर चुके हो

अथार्थ जब तक हमें सफलता प्राप्त नहीं होती, एक बार और प्रयास करके देख लेना चाहिए।

सोहनलाल द्विवेदी जी की यह बहुत ही सुन्दर रचना भी इसी चीज और एक बार और प्रयास करने की भावना को स्पष्ट करती हैं
आइये दोहराते हैं

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों मे साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

डुबकियां सिन्धु मे गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोंती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।

जब तक ना सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम।
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

दोस्तों, सोहनलाल द्विवेदी जी की इस बहुत ही सुन्दर रचना और इस POST के बारे में हमे अपने विचार नीचे comments के माध्यम से अवश्य दे। हमारी पोस्ट को E-mail से पाने के लिए आप हमारा फ्री ई-मेल Subscription प्राप्त कर सकते है।

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