अपनी मीठी आवाज की बदौलत संगीत की दुनिया में विशेष स्थान बनाने वाली लता मंगेशकर जी सदा याद रखी जाएंगी। उनके गीत ऐसे हैं जिन्हे सुनकर लोग आज भी पुरानी यादों में खो जाते हैं! लता मंगेशकर के गीतों के मीठे बोल को लोग बहुत पसंद करते हैं।
फैंस प्यार से लता मंगेशकर को लता दीदी कह कर बुलाते हैं! लता मंगेशकर को उनके गीतों के लिए भारत का सबसे सम्मानित अवार्ड भारत रत्न और पद्म विभूषण जैसे अवार्ड से सम्मानित किया गया है। आज हम इस महान गायिका की जीवनी आपके समक्ष लेकर आए है।
लता मंगेशकर: स्वर कोकिला
भारतीय इतिहास में अब कि सर्वश्रेष्ठ गायिकाओं की सूची में अपना विशेष स्थान बनाने वाली लता मंगेशकर के नाम से आज हम सभी परिचित है। बता दें लता मंगेशकर को भारत रत्न अवार्ड प्राप्त है। इन्हें स्वर कोकिला भी कहा जाता है। इन्होंने अपने करियर में तकरीबन अब तक 28,000 से भी अधिक गाने गाए हैं, जो कि अलग-अलग भाषाओं में है।
लता मंगेशकर व्यक्तिगत परिचय
• पूरा नाम:लता दीनानाथ मंगेशकर
• जन्म:28 सितंबर, 1929, इन्दौर
• पिता का नाम:पंडित दीनानाथ मंगेशकर
• माता का नाम:शेवंती मंगेशकर
• बहन:आशा भोंसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर
• भाई:ह्रदयनाथ मंगेशकर
• विवाह:अविवाहित
• राष्ट्रीयता:भारतीय
• पेशा:प्लेबैक सिंगर, म्यूजिक कंपोजर
लता मंगेशकर का जन्मस्थान, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन
देश के मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर शहर में 28 सितंबर को साल 1929 में एक मराठा परिवार में इंडिया की स्वर कोकिला कहीं जाने वाली और सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। जिस प्रकार लता मंगेशकर ने आगे चलकर गायकी के क्षेत्र में नाम कमाया, उसी प्रकार लता मंगेशकर के पिता भी उस टाइम में काफी अच्छे क्लासिकल सिंगर थे।
इसके साथ ही वह एक थिएटर एक्टर भी थे। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर को संगीत का ज्ञान उनके पिता के द्वारा प्राप्त हुआ था। लता मंगेशकर के पिताजी ने दो शादियां की थी और वह अपने पिता की दूसरी पत्नी की संतान थी।
लता मंगेशकर की माता का नाम सुधामती था, बता दें उनके पिता जी ने अपने गृह नगर के नाम पर अपने सरनेम को हर्डीकर से बदलकर मंगेशकर कर लिया था। लता मंगेशकर जी का जन्म इंदौर शहर में हुआ था। हालांकि इनके जन्म के कुछ समय बाद ही लता मंगेशकर के पिताजी ने पूरी फैमिली सहित महाराष्ट्र राज्य को अपना ठिकाना बना लिया।
जिस प्रकार बचपन में लोग छोटे बच्चों को अपनी अपनी पसंद के नाम से बुलाते हैं, उसी प्रकार बचपन के टाइम में लताजी को कई लोग हेमा के नाम से बुलाते थे, परंतु बाद में लता मंगेशकर के पिता जी ने भाव बंधन से प्रेरित होकर लता मंगेशकर का नाम लता रखा और अपने इसी नाम के साथ लता मंगेशकर ने आगे चलकर संगीत की दुनिया में काफी नाम कमाया और पूरी दुनिया में वह अपने स्वरों के कारण प्रसिद्ध हुई।
लता मंगेशकर के कुल चार भाई बहन थे। लता मंगेशकर अपने माता पिता की पहली और सबसे बड़ी संतान थी। इनकी बहनों के नाम आशा और मीना तथा उषा भोंसले था, वही इनके भाई का नाम हृदयनाथ था
लता मंगेशकर का सिंगिंग कैरियर
म्यूजिक की फील्ड में आगे बढ़ने का प्रयास कर रही लता मंगेशकर को उस समय बहुत ही ज्यादा सदमा पहुंचा था, जब साल 1942 में लता मंगेशकर के पिताजी पंडित दीनानाथ मंगेशकर की मौत हो गई, जिसके बाद लता मंगेशकर पूरी तरह से टूट गई।
पिता की मौत के बाद उनके परिवार की आर्थिक हालत ज्यादा खराब हो गई थी, जिसके बाद घर की आर्थिक हालत को सही करने की जिम्मेदारी लता मंगेशकर के ऊपर आ गई थी।
जब इनके पिताजी की मौत हुई थी, तब लता मंगेशकर की उम्र सिर्फ 13 साल थी, जिसके बाद इनके पिताजी के करीबी मित्र विनायक दामोदर कर्नाटकी ने लता जी की फैमिली को सपोर्ट दिया और उन्होंने लता मंगेशकर को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और लता मंगेशकर को म्यूजिक और एक्टिंग की फील्ड से परिचित करवाया।
नवयुग चित्रापट की फिल्म “पहीली मंगाला गौर” मे साल 1942 में लता मंगेशकर ने एक छोटा सा किरदार निभाया था। इस फिल्म के एक गाने में लता मंगेशकर ने मराठी भाषा में अपनी आवाज दी थी। हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगले वर्ष 1943 में लता मंगेशकर ने अपना पहला हिंदी गाना मराठी फिल्म गाजा भाव में “माता एक सपूत की किस्मत बदल तू” गाया था।
लता मंगेशकर का मुंबई सफर
जब वर्ष 1945 में मास्टर विनायक ने अपनी कंपनी के हेड क्वार्टर को मुंबई सिटी में शिफ्ट कर लिया, तो उसके बाद लता मंगेशकर ने भी मुंबई शहर जाने का डिसीजन लिया, जिसके बाद वह मुंबई पहुंची और वहां पर भिंडी बाजार से संबंध रखने वाले उस्ताद अमन अली खान से लता मंगेशकर ने म्यूजिक की बारीकियों को और म्यूजिक के गुणों को सीखने के लिए वह हिंदुस्तान क्लासिकल म्यूजिक में शामिल हुई।
म्यूजिक के गुणों को सीखने की इसी प्रक्रिया के दौरान। राह 1946 के आसपास लता मंगेशकर जी ने “आपकी सेवा मे” के गाने “पा लगू कर जोरी” को अपनी आवाज दी।
सिंगर लता मंगेशकर और गुलाम हैदर
वर्ष 1948 में मास्टर विनायक की मौत हो जाने के बाद गुलाम हैदर की मुलाकात लता मंगेशकर से हुई और गुलाम हैदर ने फिर लता मंगेशकर की मुलाकात प्रोड्यूसर सशाधर मुखर्जी के साथ करवाई, जिसके बाद गुलाम हैदर ने सशाधर मुखर्जी की आने वाली फिल्म शहीद में लता मंगेशकर को गाना गाने का मौका देने के लिए सशाधर मुखर्जी से रिक्वेस्ट किया।
हालांकि सशाधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की पतली आवाज होने के कारण उन्हें मौका देने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद गुलाम हैदर बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोध में ही कह दिया कि 1 दिन ऐसा आएगा, जब पूरा भारत लता मंगेशकर की आवाज का दीवाना होगा और आगे चलकर हुआ भी यही।
लता मंगेशकर ने कई बार यह स्वीकार किया है कि गुलाम हैदर ही ऐसे व्यक्ति थे, जो मेरी आवाज पर मुझसे भी ज्यादा भरोसा करते थे। एक प्रकार से वह मेरे लिए भगवान थे।
लता मंगेशकर का पहला हिट गाना
गुलाम हैदर के द्वारा सशाधर मुखर्जी को कही हुई वह बात उस समय सही साबित हो गई, जब साल 1949 में बनी हुई फिल्म “महल” में लता जी ने आवाज दी और फिर जब फिल्म के गाने रिलीज हुए तो लता जी की आवाज का ऐसा जादू चला कि हर कोई लता जी के द्वारा गाए गए गाने का दीवाना हो गया और लता जी रातों-रात पूरे भारत भर में प्रसिद्ध होने लगी।
लोग इनके बारे में जानने के लिए उत्साहित होने लगे। कई लोग तो घंटों रेडियो पर इनकी आवाज सुनने के लिए तरसते रहते थे।
50 के दशक में लता मंगेशकर
साल 1950 के आसपास लता मंगेशकर ने कई हिट फिल्मों में अपनी आवाज दी थी, जो निम्नानुसार है।
- बड़ी बहन (1950)
- मीना बाजार (1950)
- अफसाना (1951)
- उड़न खटोला (1955)
- श्री 420 (1955)
- देवदास (1955)
- मदर टेरेसा (1957)
- अदालत (1958)
फिल्म मधुमति जो कि साल 1958 में रिलीज हुई थी, उसमें लता मंगेशकर के द्वारा गाए गए गाने “आजा रे परदेसी” के लिए लता मंगेशकर को फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया था।
लता मंगेशकर का गोल्डन समय
साल 1950 के बाद से तो लगातार लता मंगेशकर को विभिन्न फिल्मों में गाना गाने का ऑफर मिलने लगा। उस टाइम जितनी भी फिल्में रिलीज होती थी, उनमें से अधिकतर फिल्मों में फीमेल वॉइस के तौर पर लता मंगेशकर की ही आवाज होती थी और ऐसा कहा जाता था कि उस टाइम जिस फिल्म में लता मंगेशकर ने गाना गाया होता था, वह फिल्म हिट ही होती थी।
साल 1960 के दशक में जब ब्लॉकबस्टर फिल्म मुग़ल-ए-आज़म रिलीज हुई, तो इस फिल्म में लता मंगेशकर के द्वारा गाया गया गाना “जब प्यार किया तो डरना क्या” लोगों को काफी पसंद आया और आज के टाइम में भी इस गाने को सुनने के लिए लोग बेताब रहते हैं।
साल 1960 में रिलीज़ हुई फ़िल्म हवाइयां में लता मंगेशकर ने “अजीब दास्तां है यह” गाना गाया था, जो आज के टाइम में भी लता मंगेशकर के द्वारा गाए गए एवरग्रीन गानों की लिस्ट में शामिल है।
जब नेहरू रोए लता मंगेशकर के गाने पर
जब साल 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था, तो उस टाइम चीन भारत पर बहुत ही ज्यादा हावी था। इस युद्ध में भारत हार गया था और भारत ने देश के कई नौजवान सैनिकों को भी खो दिया था, जिसके कारण देश में हर तरफ दुख का माहौल था।
और इसी दुख को कम करने के लिए लता मंगेशकर ने “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाना गाया, जिससे देश के लोगों को हौसला मिला और उनका दुख कम हुआ।
लता मंगेशकर के द्वारा गाए गए इस गाने को सुनकर एक इंटरव्यू में खुद नेहरु जी ने यह बात स्वीकार की थी कि उस टाइम उन्हें काफी ज्यादा रोना आ गया था।
मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बनी लता मंगेशकर
लता मंगेशकर को साल 1999 में राज्यसभा का मेंबर सिलेक्ट किया गया था। हालांकि उन्होंने संसद के किसी भी सत्र में पार्टिसिपेट नहीं किया था, जिसके कारण शबाना आज़मी और प्रणब मुखर्जी ने उनकी काफी आलोचना की थी, जिसके जवाब में लता मंगेशकर ने यह कहा था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। इसलिए वह हिस्सा नहीं ले पाई।
इसके अलावा लता मंगेशकर ने दिल्ली गवर्नमेंट की तरफ से दिए गए घर और सैलरी को भी लेने से मना कर दिया था।
भारत रत्न लता मंगेशकर
संगीत की दुनिया में अभूतपूर्व प्रसिद्धि पाने वाली लता मंगेशकर जी को इंडियन गवर्नमेंट के द्वारा साल 2000 में भारत रत्न अवार्ड दिया गया था। अभी तक तकरीबन 28000 से भी अधिक गाने वाली लता अब तक कई भाषाओं में स्वर दे चुकी हैं।
लता मंगेशकर को प्राप्त अवार्ड
- पद्म भूषण: 1969
- पद्म विभूषण: 1999
- जी सीने पुरुस्कार: 1999
- दादा सहेब फालके पुरुस्कार: 1989
- महाराष्ट्र भूषण पुरुस्कार: 1997
- NTR राष्ट्रीय पुरुस्कार: 1999
- भारत रत्न: 2000
- ANR राष्ट्रीय पुरुस्कार: 2009
- लीजेन ऑफ ऑनर (फ्रांस): 2009
आउटलुक इंडिया मैगजीन के द्वारा टॉप 10 महान इंडियन की लिस्ट में लता मंगेशकर को 10वें स्थान पर भी रखा गया था।
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उनकी आवाज ही पहचान है