महाभारत प्रकरण : यक्ष-युधिष्ठिर संवाद, युधिष्ठर यक्ष संवाद, यक्ष और युधिष्ठिर के बीच हुआ संवाद, अध्यात्म, दर्शन और धर्म से जुड़े प्रश्न और युधिष्ठिर द्वारा दिए गए उनके सटीक उत्तर
Mahabharata Yaksha Prashna In Hindi
दोस्तों महाभारत के एक वर्तान्त में, जलाशय में पानी पीने गए नकुल, सहदेव, अर्जुन व भीम यक्ष के प्रश्नों की परवाह न करते हुए पानी पीने गए और मर गए, काफी देर तक अपने भाइयों को न आता देख युधिष्ठिर व्याकुल हो उठे और खोजते हुए उसी विषैले जलाशय के किनारे पहुचें, जिसका जल पीकर चारो भाई मृत पड़े थे।
उनकी मृत्यु का कारण सोचते हुए प्यास से व्याकुल तालाब में उतरने लगे, इतने में उन्हें एक वाणी सुनाई दी सावधान तुम्हारे भाइयो ने मेरी बात न मानकर पानी पिया हैं यह तालाब मेरे अधीन हैं मेरे प्रश्नों का उत्तर दो और फिर प्यास बुझाओ।
युधिष्ठिर समझ गए की कोई यक्ष बोल रहा हैं उन्होंने कहा आप प्रश्न कर सकते हैं।
यक्ष ने प्रश्न किये:
यक्ष – कौन हूं मैं?
युधिष्ठिर – तुम न यह शरीर हो, न इन्द्रियां, न मन, न बुद्धि, तुम शुद्ध चेतना हो, वह चेतना जो सर्वसाक्षी है और कालातीत हैं।
यक्ष – जीवन का उद्देश्य क्या है?
युधिष्ठिर – जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है जो जन्म-मरण से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है।
यक्ष – जन्म का कारण क्या है?
युधिष्ठिर – अतृप्त वासनाएं, कामनाएं और कर्मफल ये ही जन्म का कारण हैं।
यक्ष – जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है?
युधिष्ठिर – जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है।
यक्ष प्रश्न- वासना और जन्म का सम्बन्ध क्या है?
युधिष्ठिर – यदि वासनाएं पशु जैसी तो पशु योनि में जन्म होगा और यदि वासनाएं मनुष्य जैसी तो मनुष्य योनि में जन्म।
यक्ष – संसार में दुःख क्यों है?
युधिष्ठिर – संसार के दुःख का कारण लालच, स्वार्थ और भय ही हैं।
यक्ष – तो फिर ईश्वर ने दुःख की रचना क्यों की?
युधिष्ठिर – ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की।
यक्ष – क्या ईश्वर है? कौन है वह? वह स्त्री है या पुरुष?
युधिष्ठिर – यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो इसलिए वह भी है उस महान कारण को ही आध्यात्म में ईश्वर कहा गया है। वह न तो स्त्री है न ही पुरुष।
यक्ष – उसका (ईश्वर) स्वरूप क्या है?
युधिष्ठिर – वह सत्-चित्-आनन्द है, वह निराकार ही सभी रूपों में अपने आप को स्वयं को व्यक्त करता है।
यक्ष – वह अनाकार (निराकार) स्वयं करता क्या है?
युधिष्ठिर – वह ईश्वर संसार की रचना, पालन और संहार करता है।
यक्ष – यदि ईश्वर ने संसार की रचना की तो फिर ईश्वर की रचना किसने की?
युधिष्ठिर – वह अजन्मा अमृत और अकारण है
यक्ष – भाग्य क्या है?
युधिष्ठिर – हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम होता है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है। आज का प्रयत्न कल का भाग्य है।
यक्ष – सुख और शान्ति का रहस्य क्या है?
युधिष्ठिर – सत्य, सदाचार, प्रेम और क्षमा सुख का कारण हैं। असत्य, अनाचार, घृणा और क्रोध का त्याग शान्ति का मार्ग है।
यक्ष – चित्त पर नियंत्रण कैसे संभव है?
युधिष्ठिर – इच्छाएं, कामनाएं चित्त में उद्वेग उत्पन्न करती हैं। इच्छाओं पर विजय चित्त पर विजय है।
यक्ष – सच्चा प्रेम क्या है?
युधिष्ठिर – स्वयं को सर्वव्याप्त देखना सच्चा प्रेम है। स्वयं को सभी के साथ एक देखना सच्चा प्रेम है।
यक्ष – तो फिर मनुष्य सभी से प्रेम क्यों नहीं करता?
युधिष्ठिर – जो स्वयं को सभी में नहीं देख सकता वह सभी से प्रेम नहीं कर सकता।
यक्ष – आसक्ति क्या है?
युधिष्ठिर – प्रेम में मांग, अपेक्षा, अधिकार आसक्ति है।
यक्ष – नशा क्या है?
युधिष्ठिर – आसक्ति।
यक्ष – मुक्ति क्या है?
युधिष्ठिर –अनासक्ति ही मुक्ति है।
यक्ष – बुद्धिमान कौन है?
युधिष्ठिर – जिसके पास विवेक है।
यक्ष – चोर कौन है?
युधिष्ठिर – इन्द्रियों के आकर्षण, जो इन्द्रियों को हर लेते हैं चोर हैं।
यक्ष – नरक क्या है?
युधिष्ठिर – इन्द्रियों की दासता ही नरक है।
यक्ष – जागते हुए भी कौन सोया हुआ है?
युधिष्ठिर – जो आत्मा को नहीं जानता वह जागते हुए भी सोया है।
यक्ष – कमल के पत्ते में पड़े जल की तरह अस्थायी क्या है?
युधिष्ठिर – यौवन, धन और जीवन।
यक्ष – दुर्भाग्य का कारण क्या है?
युधिष्ठिर – मद और अहंकार
यक्ष – सौभाग्य का कारण क्या है?
युधिष्ठिर – सत्संग और सबके प्रति मैत्री भाव।
यक्ष – सारे दुःखों का नाश कौन कर सकता है?
युधिष्ठिर – जो सब छोड़ने को तैयार हो।
यक्ष – मृत्यु पर्यान्त यातना कौन देता है?
युधिष्ठिर – गुप्त रूप से किया गया अपराध।
यक्ष – दिन-रात किस बात का विचार करना चाहिए?
युधिष्ठिर – सांसारिक सुखों की क्षण-भंगुरता का।
यक्ष – संसार को कौन जीतता है?
युधिष्ठिर – जिसमें सत्य और श्रद्धा है।
यक्ष – भय से मुक्ति कैसे संभव है?
युधिष्ठिर – वैराग्य से।
यक्ष – मुक्त कौन है?
युधिष्ठिर – जो अज्ञान से परे है।
यक्ष – अज्ञान क्या है?
युधिष्ठिर – आत्मज्ञान का अभाव अज्ञान है।
यक्ष – दुःखों से मुक्त कौन है?
युधिष्ठिर – जो कभी क्रोध नहीं करता।
यक्ष – वह क्या है जो अस्तित्व में है और नहीं भी?
युधिष्ठिर – माया।
यक्ष – माया क्या है?
युधिष्ठिर – नाम और रूपधारी नाशवान जगत।
यक्ष – परम सत्य क्या है?
युधिष्ठिर – ब्रह्म
यक्ष – सूर्य किसकी आज्ञा से उदय होता है ?
युधिष्ठिर – परमात्मा यानी ब्रह्मा की आज्ञा से
यक्ष – कौन सा शास्त्र (विद्या) है, जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है ?
युधिष्ठिर – कोई भी ऐसा शास्त्र नहीं है। महान लोगों की संगति से ही मनुष्य बुद्धिमान बनता है।
यक्ष – भूमि से भारी चीज क्या है ?
युधिष्ठिर – संतान को कोख़ में धरने वाली मां, भूमि से भी भारी होती है।
यक्ष – आकाश से भी ऊंचा कौन है ?
युधिष्ठिर – पिता
यक्ष – घास से भी तुच्छ चीज क्या है ?
युधिष्ठिर – चिंता
यक्ष – मरणासन्न वृद्ध का मित्र कौन होता है ?
युधिष्ठिर – दान, क्योंकि वही मृत्यु के बाद अकेले चलने वाले जीव के साथ-साथ चलता है।
यक्ष – बर्तनों में सबसे बड़ा कौन-सा है ?
युधिष्ठिर – भूमि ही सबसे बड़ा बर्तन है जिसमें सबकुछ समा सकता है।
यक्ष – सुख क्या है ?
युधिष्ठिर – सुख वह चीज है जो शील और सच्चरित्रता पर आधारित है।
यक्ष – मनुष्य का कौन साथ देता हैं?
युधिष्ठिर – धैर्य ही मनुष्य का साथ देता हैं।
यक्ष – यश लाभ का एकमात्र उपाय क्या हैं?
युधिष्ठिर – दान
यक्ष – हवा से भी तेज चलने वाला कौन हैं?
युधिष्ठिर – मन
यक्ष – विदेश जाने वाले का कौन साथी होता हैं?
युधिष्ठिर – विधा
यक्ष – किसे त्याग कर मनुष्य प्रिय हो जाता हैं?
युधिष्ठिर – अहंभाव से उत्पन्न गर्व के छूट जाने पर।
यक्ष – किस चीज के छूट जाने पर दुःख नहीं होता?
युधिष्ठिर – क्रोध
यक्ष – किस चीज को गवाकर मनुष्य धनी बनता हैं?
युधिष्ठिर – लोभ
यक्ष – ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर हैं? जन्म पर, विधा पर, शीलस्वभाव पर ?
युधिष्ठिर – शीलस्वभाव पर
यक्ष – कौनसा ऐसा एकमात्र उपाय हैं, जिससे जीवन सुखी हो सकता हैं?
युधिष्ठिर – अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय हैं।
यक्ष – सर्वोतम लाभ क्या हैं?
युधिष्ठिर – आरोग्य
यक्ष – धर्म से बढ़कर संसार में और क्या हैं?
युधिष्ठिर – उदारता
यक्ष – कैसे व्यक्ति के साथ की गई मित्रता कभी पुरानी नहीं पड़ती?
युधिष्ठिर – सज्जनों के साथ की गई मित्रता।
यक्ष – इस जगत में आश्चर्य क्या हैं?
युधिष्ठिर – रोज हजारो लोग मर रहे हैं फिर भी लोग चाहते हैं कि वे अन्नतकाल तक जिए, इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता हैं।
इसी प्रकार यक्ष ने कई प्रश्न किये और युधिष्ठिर ने उन सबके ठीक-ठाक उत्तर दिए। अन्त में यक्ष बोला राजन मैं तुम्हारे मृत भाइयो में से किसी एक को जिला सकता हूं तुम जिसे कहो वह जीवित हो जायेगा।
युधिष्ठिर ने पल भर सोचा और कहा “नकुल जी उठे”।
युधिष्ठिर के इस प्रकार बोलते हुए यक्ष सामने प्रकट हुआ और बोला “दस हज़ार वाले हाथियों के बल वाले भीम” को छोड़ कर तुम नकुल को जिलाना क्यों ठीक समझा? भीम नहीं तो अर्जुन को ही जिला लेते, जिसकी रण-कुशलता सदा ही तुम्हारी रक्षा करती रही हैं।
युधिष्ठिर ने कहा, – महाराज मनुष्य की रक्षा न तो भीम से होती हैं और न अर्जुन से, धर्म ही मनुष्य की रक्षा करता हैं और धर्म से विमुख हो जाने पर मनुष्य का नाश हो जाता हैं। मेरे पिता की दो पत्नियों में से कुंती का एक पुत्र मैं बचा हूं और मैं चाहता हूं की माद्री का भी एक पुत्र जीवित रहे।
“पक्षपात से रहित मेरे प्यारे पुत्र, तुम्हारे चारो ही भाई जी उठे”- यक्ष ने वर दिया और महाभारत की जीत का वरदान देकर वह अपने धाम लौट गए।
“यक्ष प्रश्न” एक हिन्दी कहावत भी है, आधुनिक युग में भी जब कोई समस्या होती है और उसका किसी के पास समाधान नहीं होता तो उसे यक्ष-प्रश्न की संज्ञा दी जाती है।
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6 Comments
Answer to question no.#4 is wrong… Pls do the needful. Thanks!
Kailash Ji,
Are you referring the below question and answer?
यक्ष – विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है?
युधिष्ठिर – विद्या।
I have checked on some other website and in some books and found that it is correct. Share your views, what is wrong, so that I’ll correct ASAP.
Dear Mahesh
As I wanted to see all questions but got little disappointed please don’t make it in a short way.what you r doing is nobel so god bless.
. Rajiv
.
Rajeev ji, will try my best to make you no more disappointed, Will take care your point in future, Thanks a lot for your kind review.
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Which “SANSKRIT SHLOK” you want TRANSLATION??