आज नेहा बहुत खुश थी क्योंकि उसे ऑफिस में एक ऊंचे ओहदे पर प्रमोशन जो मिला था। इस प्रमोशन को पाना उसका सपना था। जब से उसने इस नौकरी को ज्वाइन किया था तभी से वह चाहती थी कि इसी कंपनी में वह अच्छे पोजीशन पर आ जाए। इस मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करना एक बहुत बड़ा सपना नेहा का था। आज वह खुशी-खुशी अपने ऑफिस से निकली क्योंकि वह इस खुश खबर को अपने पति और परिवार के साथ बांटना चाहती थी। घर पहुंचते ही-
नेहा- सचिन, मां जी सब लोग कहां हैं? मुझे कोई दिखाई क्यों नहीं दे रहा? ( उत्सुकता से)
सास- अरे क्या बात है क्यों चिल्लाए जा रही हो? कितनी बार तुम्हें कहा है धीमी आवाज में बात किया करो लेकिन तुम्हें समझ में नहीं आता। तुम अपने ऑफिस में बॉस होगी लेकिन यहां एक बहू की मर्यादा में ही रहना होगा। ( डांटते हुए)
नेहा इतनी खुश थी कि उसे सास की बात का बुरा नहीं लगा और वह दौड़ कर सास के पैर पड़ने लगी|
सास- अरे यह क्या कर रही हो? दूर हटो पहले जाकर मुंह हाथ धो लो उसके बाद ही मेरे पास आओ।
सास का ऐसा व्यवहार उसे कुछ अजीब सा लगा लेकिन वह कुछ नहीं बोली और धीरे से उसने कहा- माँ जी आज मेरा प्रमोशन हो गया। मुझे आज वह पोजीशन मिल गई जिसे मैं बरसों से हासिल करना चाहती थी।
सास (सिर पर हाथ रखते हुए)- इसका मतलब तुम्हारा ध्यान अब घर के कामों में बिल्कुल नहीं लगने वाला है सिर्फ और सिर्फ तुम्हें ऑफिस ही नजर आएगा।
नेहा कुछ कह पाती उसके पहले ही उसका पति सचिन आ जाता है और जब वह सचिन को भी खुशखबरी सुनाती है, तो मानो सचिन का तो चेहरा ही उतर जाता है और वह थोड़ा नाराज होते हुए कहता है- हम दोनों ही मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते हैं। ऐसे में अगर तुम घर की तरफ ध्यान नहीं दोगी तो यह सही नहीं है।
कल तक नेहा को जिस पति पर गर्व हुआ करता था क्योंकि वह सचिन ही था जो उसे लगातार आगे बढ़ने की बात करता था। आज वही उसे इस प्रकार की बातें कह रहा था यह सब सुनकर और सोचकर नेहा को बहुत दुख होता है लेकिन वह चुपचाप अपने कमरे की ओर चली जाती है।
दूसरे दिन जब नेहा ऑफिस जाती है, तो उसे नया कैबिन मिलता है साथ ही साथ पूरे ऑफिस वाले उसके लिए क्लैपिंग करते हैं। जिसे देखकर नेहा बहुत खुश होती है और वह मन ही मन सोचती है- जिन्हें मैं अपना समझती थी वे लोग तो मेरी कामयाबी पर नाराज हो रहे थे और यह जो मेरे लिए अजनबी हैं, आज यह सब मेरी कामयाबी पर कितने खुश हैं।
तभी वहां पर नेहा कि कलीग आ जाती है, जो उसे बधाई देते हुए कहती है- पिछले 2 वर्षों से तुम्हारा काम बहुत अच्छा रहा। इस वजह से आज तुम इस प्रमोशन की हकदार हो। उम्मीद करती हूं तुम आगे भी अच्छा काम करोगी और इससे तुम्हारे घर वालों को भी खुशी मिलेगी।
नेहा मन ही मन को सोचने लगती है तभी पीछे से दूसरे स्टाफ मेंबर आकर उससे पार्टी की डिमांड करते हैं और नेहा हंसते हुए उन सभी को पार्टी के लिए हां कर देती है।
धीरे-धीरे नेहा का काम ऑफिस के सभी लोगों को अच्छा लगने लगता है और वह कंपनी के प्रोग्रेस की बात सोचते हुए लगातार अपने मन को काम में लगाने लगती है। रोज घर जाने से पहले उसे एक ही समस्या होती है कि कहीं उसके घर वाले फिर से कोई ऐसी बात ना कर दें जिससे उसे दुख पहुंचे।
1 दिन नेहा के ऑफिस में कुछ जरूरी मीटिंग होती है जिसमें उसका होना आवश्यक है लेकिन घर में भी पूरा काम बिखरा हुआ होता है क्योंकि आज काम वाली नहीं आई और उसके बेटे की भी थोड़ी तबीयत ठीक नहीं थी। ऐसे में वह सुबह जल्दी उठ जाती है और सारा काम निपटा कर अपने बेटे को दवाई देकर घर से निकलती है। रास्ते में ही उसे याद आता है कि आज तो उसने कुछ खाया ही नहीं लेकिन वह मीटिंग के बारे में सोचते हुए आगे बढ़ जाती है।
मीटिंग के बीच में ही उसे लगातार चार से पांच कॉल आते हैं लेकिन वह ध्यान नहीं दे पाती है जब वह ध्यान देती है तब वह तुरंत अपने पति सचिन को फोन करती है- क्या बात है तुमने इतने फोन क्यों किए?
सचिन- मैडम जी आपकी मीटिंग खत्म हो गई। हम यहां फोन पर फोन लगा रहे थे लेकिन तुम्हें होश नहीं था कि हमारा फोन हीं अटेंड कर लिया जाए।
नेहा- यह तुम क्या बोले जा रहे हो? मैंने मां जी को बताया तो था कि मेरी जरूरी मीटिंग है।
सचिन- अब तुम बहस मत करो और जल्दी घर आ जाओ मुन्ने की तबीयत ठीक नहीं है। उसे लगातार उल्टियां हो रही है। लगता है डॉक्टर के यहाँ ले जाना पड़ेगा।
नेहा को कुछ समझ नहीं आया जब से उसने मुन्ने की तबीयत खराब होने की बात सुनी उसका मन ही नहीं लग रहा था। वह जल्दी से घर पहुंच गई, तब वह देखती है कि उसका मुन्ना अकेले कमरे में लेटा हुआ है और उसके पति और सास बैठकर टीवी देख रहे हैं।
नेहा- क्या हुआ मेरे बच्चे को, बेटा तुम्हारी तबीयत कैसे खराब हो गई? ( प्यार से)
मुन्ना- मम्मा मुझे बहुत भूख लग रही है। सुबह से दादी को बोल रहा हूं कि मुझे बिस्किट दे दो वह सुन ही नहीं रही है। कह रही है तुम्हारी मम्मा आएगी, तब दे देगी और पापा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
नेहा को तो बहुत गुस्सा आया लेकिन अपने मुन्ने को देखकर दया आ गई और जल्दी से उसने दूध और बिस्किट लाकर मुन्ने को दिया और जाकर अपनी सास से कहने लगी- माँ जी मुन्ने की तबीयत खराब है और आप लोग ध्यान ही नहीं दे रहे। ( गुस्से से)
सास- अब तो आ गई हो ना तुम ही ध्यान दे दो आखिर वह बेटा भी तुम्हारा है।
नेहा- तो क्या मुन्ना आपका कुछ भी नहीं लगता?
सचिन- मां से ऊंची आवाज में बात मत करो। ( डांटते हुए)
नेहा को गुस्सा बढ़ गया था और वह तेज आवाज में कहती है- कैसे बाप है आप? आपका बेटा बीमारी से तड़प रहा है उसे बुखार है लेकिन आपने उसे एक गिलास दूध देना जरूरी नहीं समझा। उस बेचारे को भूख लगी थी अगर मैं नौकरी करती हूं और मेरा प्रमोशन हो गया तो इसमें आप लोगों को क्यों चिढ़ होने लगी? यह मेरी काबिलियत है कि मैं लगातार आगे बढ़ रही हूं।
सास- अपनी कामयाबी का घमंड हमें मत दिखाओ बहू। ( डांटते हुए)
नेहा- यह घमंड नहीं माँ जी आत्मसम्मान है। क्यों एक बहू जब अच्छे पोस्ट में जाती है, तो उसके लिए खुशी नहीं मनाई जाती बल्कि हमेशा यह उम्मीद की जाती है कि वह घर में ही रहे और लोगों का ध्यान रखें। आज की महिला हर तरह से सक्षम है वह ऑफिस के साथ-साथ घर को भी बखूबी संभाल सकती है।
आज आप लोगों ने मुझे बहुत निराश किया है। मैंने सोचा था कि अगर मैं घर में नहीं हूं, तो मेरे बच्चे को मेरी जरूरत नहीं क्योंकि उसकी दादी और पापा तो उसके पास ही हैं लेकिन अब मुझे आप लोगों से कोई उम्मीद नहीं क्योंकि मैं अपने बच्चे को खुद संभाल लूंगी।
इतना बोलते ही नेहा अपने बच्चे को उठाकर डॉक्टर के यहां ले जाती है और 2 घंटे बाद वापस आकर उसके लिए गरमा गरम खिचड़ी बना कर देती है। नेहा की बात से सास और पति को अकल आती है लेकिन अब नेहा उन्हें माफ नहीं करना चाहती।
दोस्तों, कई बार हम महिलाओं के आगे बढ़ने से खुश नहीं होते और हमेशा उन्हें पीछे रखने की बात करते हैं अगर एक महिला समाज में लगातार आगे बढ़ती है, तो इससे परिवार और समाज दोनों का ही पुनर्निर्माण हो सकता है और नई सोच का विकास भी होता है। ऐसे भी हमें हमेशा महिलाओं का साथ देना चाहिए ना कि उन्हें पीछे रखना चाहिए।
आज के समय में महिलाएं जितनी आगे बढ़ेगी, समाज और समाज के प्रकृति भी आगे बढ़ेगा। हम सबको जहां तक और जितना हो सके उतना महिलाओं को सपोर्ट करना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए और उनको उनके सपनों के लिए प्रेरणा देनी चाहिए।
और हर कदम पर उनके साथ रहना चाहिए इसकी शुरुआत हम अपने घर से ही कर सकते है। अपनी घर के बहनों और बेटियां को उनके पैरों पर खड़ा कर के हम जितना ज्यादा उनको सपोर्ट करते रहेंगे, वो आगे बढ़ेगी।