Divorce का सबसे आम कारण
आज अभिनव पूरे 10 वर्ष का हो चुका है, जहां उसे अपने जन्मदिन आने की खुशी थी तो उसके दिल में यह कशमकश बना हुआ था कि आने वाले बर्थडे पार्टी में उसके पापा मम्मी साथ होंगे या नहीं?
अभिनव अपने पापा और मम्मी दोनों को ही बराबर प्यार करता है और वह दोनों को एक साथ देखना चाहता है लेकिन उसके चाहने से कुछ नहीं होता क्योंकि उसके पापा मम्मी को ही एक दूसरे को साथ रहने में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
आज से लगभग 15 साल पहले अभिनव के माता-पिता सुरभि और विनय की शादी हुई। यह उनकी लव मैरिज थी दोनों के ही घर वालों ने हामी नहीं भरी थी उसके बावजूद भी वे एक दूसरे के साथ जीवन बिताने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे थे।
दोनों की ही जाति अलग थी लेकिन उसके बावजूद उन दोनों ने इस बात की परवाह नहीं की और हमेशा एक दूसरे का साथ दिया।
जब घर वालों ने देखा कि दोनों के बीच में सच्चा प्यार है तो उन्होंने खुशी-खुशी सुरभि और विनय की शादी करा दी थी। दोनों एक साथ जीवन बिता रहे थे कि और लगभग 5 साल के बाद उनके जीवन में अभिनव ने प्रवेश लिया था। शुरू में तो सब कुछ बिल्कुल ठीक था लेकिन धीरे-धीरे स्थितियां बदलने लगी थी जिसका जिम्मेदार कौन है यह कोई भी समझने को तैयार नहीं था।
विनय अपने परिवार को खुश रखना चाहता था और ज़्यादा पैसा कमाने कि सोच कर वह अपने ही परिवार से दूर जा रहा था और ज्यादा समय ऑफिस में बिताता और कहीं ना कहीं खुद को काम में लीन कर चुका था।
घर में रहकर सुरभि पूरा दिन काम करती और यहां तक कि अभिनव को भी संभालती। शुरू शुरू में अभिनव को संभालने के लिए उसने एक मेड रखी थी लेकिन बाद में उस मेड के काम सही नहीं करने की वजह से उसे भी निकाल दिया गया था।
धीरे धीरे सुरभि के मन में भी चिड़चिडा़हट होने लगी और वह विनय से इस बात को लेकर बहस करने लगी थी।
बात धीरे-धीरे बढ़कर यहां तक पहुंच गई थी कि अब विनय अपने घर में रहना पसंद नहीं करता था और कई बार अपने बेटे से मिलने भी नहीं आ पाता था। सुरभि को यह दर्द अंदर ही अंदर खाए जा रहा था कि वह अभिनव को अकेले कैसे संभाल पाएगी क्योंकि उसने देख लिया था कि अभिनव अब उसकी तरफ दिलचस्पी नहीं ले रहा था।
थोड़े ही दिनों में अभिनव का जन्मदिन आने वाला था और वह पूरे 10 साल का होने वाला था लेकिन किसी के मन में भी कोई खास खुशी नहीं थी। सुरभि ने अपने काम को जारी रखा और अपने बेटे के लिए एक शानदार पार्टी का आयोजन बेहतरीन रेस्टोरेंट में किया जहां पर उसने अपने परिवार वालों के साथ विनय को भी बुला लिया था।
जैसे ही विनय उस हॉल में अंदर आता है, तो अभिनव जाकर उसे गले लग जाता है क्योंकि आज वह अपने पिता को बहुत याद कर रहा था। अभिनव लगभग रोता कहता है “पापा अच्छा हुआ आप आ गए आज स्कूल में सब मुझे चढ़ा रहे थे यह बोलकर कि आप मेरे बर्थडे में नहीं आएंगे क्योंकि आप तो मेरी मम्मी के साथ नहीं रहते हैं।”
यह सब सुनते हुए सुरभि अभिनव को अपने पास ले लेती है लेकिन अभिनव अपने पापा के पास से नहीं जाना चाहता है। अब वह अपने पापा के साथ ही केक कटिंग करता है और अपने दोस्तों से भी मिलवाता है।
यह देखकर विनय को बहुत अच्छा लगता है लेकिन जैसे ही वह सुरभि की और देखता है, तो सुरभि मानो उसे बुरी तरह से इग्नोर कर देती है।
इसी तरह से अभिनव की बर्थडे पार्टी खत्म हो जाती है लेकिन उसके पापा मम्मी के बीच में दूरियां बढ़ती जा रही थी। घर के सभी लोग भी इस तैयारी में लगे हुए थे कि कहीं ना कहीं उस बच्चे की वजह से दोनों एक हो जाएं लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था
और एक दिन अचानक विनय उनके घर आकर तलाक के पेपर दे जाता है जिसे देखकर सुरभि अचानक रोने लगती है और अभिनव को कुछ समझ नहीं आता है।
अभिनव अपनी मम्मी के पास जाकर कहता है– “मम्मी रोते नहीं मैं पापा से बात करूंगा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
यह सुनकर वह और जोर से रोने लगती है और अभिनव को गले लगाते हुए कहती है “अब कुछ भी ठीक नहीं होगा बेटा और अब हम इस शहर को भी छोड़ देंगे क्योंकि यहां हमारा कुछ है ही नहीं।”
अभिनव के लिए यह समझना आसान नहीं था लेकिन उसने उन तलाक के पेपर को देख लिया और कुछ कुछ समझने की कोशिश की। आधुनिक समय में तलाक का नाम हर कोई जानता है और उस छोटे से बच्चे को भी इसकी समझ हो चुकी थी कि उसके पापा ने मम्मी से अलग होने का निश्चय कर दिया है।
इस बात को दो ही दिन हो पाए थे कि अचानक उनके घर में विनय आ जाता है और विनय का हाथ पकड़कर अभिनव उसे सोफे में बैठता है और प्यार से कहता है “पापा आखिर तलाक क्यों लिया जाता है?”
मम्मी तो कुछ बता नहीं रही है आप ही बता दीजिए। अब तो मैं बिग बॉय हो गया हूं और मैं घर की हर जिम्मेदारी उठा सकता हूं लेकिन फिर भी बिग बॉय को भी गॉडफादर की जरूरत पड़ती है और मेरे गॉडफादर तो आप ही हैं।
मैंने कहीं पढ़ा है कि जब तक बच्चे के सिर पर माता-पिता का हाथ नहीं होता तब तक वह सफलता प्राप्त नहीं करता है और मैं अपने जीवन में सफल होना चाहता हूं और आप लोगों का नाम रोशन करना चाहता हूं। ऐसे में अगर आप हमसे अलग हो गए और हम दूसरे शहर चले गए तो मैं सफल नहीं हो पाऊंगा।
उसकी प्यार भरी बातों को सुनकर विनय की आंखों में आंसू आ गए और विनय ने मन में सवाल खुद से किया आखिर तलाक क्यों?
दूर से खड़ी खड़ी सुरभि अपने बेटे की बात को सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी कि उसके कोमल से मन में क्या असर हो रहा है और जिसका असर आने वाले फ्यूचर में ही दिखाई देगा।
अचानक विनय सुरभि के पास जाता है और बड़े ही सहज स्वभाव से कहता है “मैं जानता हूं कि कमी हम दोनों में थी और गलती भी हम दोनों की लेकिन हम अपनी गलती की सजा इस मासूम से बच्चे को नहीं दे सकते क्योंकि न जाने क्यों इसकी प्यारी बातों से आज मेरा दिल भर दिया और मैं कुछ कहने के लायक नहीं रहा। हमें इस बारे में फिर से सोचना होगा।”
सुरभि ने भी हां में सिर हिलाया और कहा “तुम सही कहते हो आखिर यह तलाक क्यों होना चाहिए? तुम्हें याद है हम ने कड़े संघर्ष के बाद एक दूसरे का साथ प्राप्त किया था और फिर हम कितना खुश थे। अचानक यह बात कहां से आ गई कि हम एक दूसरे से दूर हो गए और आज इस मुकाम पर खड़े हैं कि हमें एक दूसरे से अलग होना पड़ेगा?
तभी उनकी बात में शामिल होकर अभिनव ने कहा “मुझे भी समझ नहीं आ रहा है आखिर तलाक होता क्या है और क्यों मेरे मम्मी पापा एक साथ नहीं रह सकते?”
अब दोनों पति-पत्नी उस मासूम से बच्चे के सवाल का जवाब नहीं दे पाते और फैसला लेते हैं कि अपनी जिंदगी को उस बच्चे के लिए एक साथ बिताएंगे। जब दोनों एक साथ रहने लगे तो उन्होंने यह महसूस किया की गलती चाहे किसी की भी हो लेकिन उसमें भागीदार दोनों ही थे।
अगर दोनों ही बैठ कर अपने सारे गिले-शिकवे दूर कर लिए होते तो कोई भी दिक्कत नहीं होती और इस प्रकार का समय नहीं देखना पड़ता। आज अभिनव बहुत खुश है क्योंकि वह अपने मम्मी पापा के साथ छुट्टियों में बाहर घूमने जाने वाला है और फिर हमेशा वे लोग साथ में ही रहेंगे।
कई बार ऐसा होता है कि हमारे सामने स्थिति को हम समझ नहीं पाते और उसके सही तरीके से फैसले नहीं ले पाते। ऐसे में बाद में हमें गलती का पछतावा होता है और हम कुछ भी नहीं कर पाते हैं।
आज के समय में तलाक के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिसका सीधा असर परिवार पर पड़ता है। ऐसे में अगर समझदारी से काम लिया जाए तो होने वाली किसी भी परेशानी से पहले ही निपटा जा सकता है और एक दूसरे के बीच सामंजस्य बिठाकर भरोसा जीता जा सकता है।