मनोविज्ञान और मानव प्रवृत्ति से जुड़े खोजकर्ताओं के अनुसार इंसान का मन एक ही चीज का नाम है लेकिन उसकी तीन हालतों के एतबार से तीन अलग नाम रख दिए गए हैं।
एक मन ऐसा होता है जो सांसारिक सुख एवं समृद्धि के जाल में नहीं उलझता। ऐसा मन आध्यात्मिक संसार की ओर आकर्षित होकर नेकी की ओर अपने कदम बढ़ाता रहता है। ऐसे व्यक्ति के मन को नेकी और उपकार के काम करने के बाद अंदर से शांति एवं सुकून का आभास होता है।
दूसरा मन वह है जो बुराइयों की ओर अधिकतर आकर्षित रहा करता है। ऐसे मन के भोगी व्यक्ति को अपने विचारों पर कोई वश नहीं होता। उसके मन में ख्वाहिशात का एक समंदर होता है जिसे हासिल करने की कोशिश में वह हर समय लगा रहता है। इसलिए एक ऐसा व्यक्ति जिसके मन में बुराई के विचार ज्यादा आते हैं, उसके मन पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता। ऐसे व्यक्ति का मन पहले तो खेल और मजेदार चीजों में डूबा होता है और नेकी व उपकार के कामों को करने के बीच ऐसे मन के लोगों को काफी आलस्य महसूस होता है।
तीसरा मन वह होता है जो बुराई और अच्छाई दोनों की ओर झुका रहता है। ऐसा व्यक्ति जब कोई पाप या गुनाह के काम करता है तो उसका मन उसे उसके गुनाह पर कोसता है और फिर वह नेकी एवं परोपकार की ओर वापस पलट आता है। अगर इंसान की फितरत और प्रवृत्ति बिलकुल सही है तो खुद उसका मन उसे बुराई और गुनाह पर आगे बढ़ने से रोकता है जिससे वह केवल गुनाह से ही नहीं बल्कि गुनाह के विचार से भी नफरत करने लगता है। वह पाप से नफरत करने लगता है और फिर परोपकार की ओर अपने कदम बढ़ा देता है।
क्या होता है ये मन
मन (Mind) हमारे मस्तिष्क का ही एक प्रकार है जिसमें किसी व्यक्ति की यादें, स्मरण शक्ति, भाव, व्यवहार, आचरण, गुण और ज्ञान इत्यादि इकट्ठा रहते हैं। इस मन में अच्छे बुरे तमाम गुणों का भंडार होता है जिन्हें काम में लाकर या तो इंसान उपकार के मार्गों पर चलता है या फिर बुराई की राह पर कहीं भटक जाता है।
जब इंसान कोई अच्छा कार्य करता है तो यह इस बात की निशानी है कि उसका मन उसके नियंत्रण में है। क्योंकि जब भी वह कोई अच्छा कार्य करने की नीयत करता है तो उसके मन में एक विचार ऐसा भी आता है जो उसे उपकार के काम को अंजाम न देने की ओर आकर्षित करता है।
यदि उस व्यक्ति का अपने मन पर काबू है तो वह उन विचारों को धता बताकर उन्हें कोई महत्व नहीं दिया करता।
हिंदी में एक कहावत है कि मानवों का मन पीपल के पत्ते से भी हल्का होता है जिसे विचारों की आंधियां कहीं भी उड़ा कर पटक सकती है। इसलिए इस मन को काबू पाने का हमें आजीवन प्रयास करते रहना चाहिए।
ऐसे मन को नियन्त्रण में लेने के बाद जीवन में सुख, शांति और सुकून का वास्तविक एहसास जागृत होता है। मन की एक विशेषता यह भी है कि यह हल्का होता है और अक्सर स्थिर नहीं रह पाता। इसी स्थिरता को खोकर वह इधर उधर भटकता रहता है। मन में मौजूद बुद्धि और विलक्षणता को काम में लाकर हम किसी विषय पर गौर भी करते हैं और अपने लिए जीवन में सकारात्मक रास्ते तलाश करते हैं।
कैसे पता करें कि आप अपने मन के मालिक हैं या नौकर
मन में विचार सबको आते हैं। कोई व्यक्ति ऐसा भी होता है कि उन विचारों पर नतीजों की परवाह किए बिना चल पड़ता है और कोई शख्स ऐसा भी होता है जो अपने विचार पर सोच समझ कर चलने का प्रयास करता है।
अगर काम अच्छा है तो मनुष्य के मन में आलस्य और परिणाम से डरने के विचार ज़्यादा आते हैं जिसके कारण उसे भारी कठिनाइयों और दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है।
आप अपने मन के मालिक हैं या नौकर इस बात का सीधा और स्पष्ट जवाब यह है कि अगर विचार अच्छे हैं और आप उस पर अमल नहीं कर पा रहे हैं तो समझ लीजिए कि आप अपने मन के मालिक नहीं हैं। अगर विचार बुरे हैं और आप उस पर मजबूर होकर अमल करने लगे हैं तो इसका आशय यह है कि आप अपने मन के नौकर और गुलाम हैं।
मन रूपी घोड़े की लगाम अपने हाथ में कैसे करें
मन की मिसाल एक शरारती ऊंट जैसी है जिसे पहली बार बिठाने में किसी सवार को काफी मुश्किलों का सामना होता है। फिर दूसरी और तीसरी बार उससे कम कठिनाई होती है। इस तरह जब सवार ऊंट को बिठाने का आदी हो जाता है तो यही ऊंट धीरे धीरे उसका गुलाम बनकर उसके आदेशों के अधीन हो जाता है।
फिर सवार जिस तरह चाहता है, अपनी मंशा के अनुसार ऊंट से काम लेता रहता है। बिल्कुल यही हाल आपके मन का भी है। कोई अनर्गल या विपरीत विचार आपके मन में आया और आप उस पर चिंतन करने लगे तो वह विचार आपके मन में सोच का रूप धारण कर लेती है।
अगर आपने उस विपरीत सोच पर जल्द ही काबू न पाया तो यही सोच विचारधारा बन जाती है। फिर व्यक्ति अपनी विचारधारा के अधीन होकर गलत या पाप के काम करने लगता है और चाहकर भी वह उन गुनाहों से छुटकारा नहीं ले पाता।
उसके लिए अपनी विचारधारा से आजादी बहुत मुश्किल से मिल पाती है। गुनाह चाहे कोई भी हो, उससे दिल विचलित और बेचैन होता है। आपके जीवन में भी आपके कर्मों का सबसे अधिक असर पड़ता है। इसलिए अगर आप शुरुआती चरण में ही अपने मन में आ रहे विचार पर यदि काबू पा लें, तो आने वाले दिनों में आपको ये विचार नहीं सताएंगे और आपके मन को शुरूआत में थोड़ी कठिनाई उठाने के बाद परम सुख एवं शांति का आभास होगा।
इस तरह मन रूपी घोड़े की लगाम पूरी तरह से आपके हाथ आ जायेगी और आप जिस तरीके से चाहेंगे उस घोड़े को अपने मर्जी के मुताबिक सही और सकारात्मक दिशा में दौड़ा सकेंगे।
मन को शांत कैसे करें
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारा मन अक्सर अनर्गल विचारों की वजह से बेचैन और परेशान रहा करता है जिससे हमारे मन को वह सुख और शांति नहीं मिल पाती जिसका वह सही मायनों में हकदार है।
बहुत से लोगों का अपने मन पर काबू नहीं होता और जो भी विचार उनके मन में आ गया, वह उसके पीछे ही दौड़ लगा देते हैं। मन को शांत रखने के लिए सुबह उठकर ईश्वर का गुणगान करना सबसे बेहतर और जांचा परखा माध्यम माना गया है।
जब आप सुबह जल्दी उठते हैं तो शांत और स्वच्छ माहौल के चलते आपके मन पर नकारात्मक और बुरे विचार हावी नहीं होते। इसीलिए इस समय को ईश्वर के गुणगान और उसकी पूजा के लिए सबसे बेहतर समय करार दिया गया है। जब आप ईश्वर से संपर्क साधते हैं तो उसी दौरान आप इस भौतिक संसार से कटकर आध्यात्मिक दुनिया में कदम रख देते हैं जिससे आप उस दिन को परम सुख, शांति और सुकून के माहौल में गुजार सकते हैं।
आप सुबह उठकर व्यायाम भी कर सकते हैं जिससे आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होगा। इसके अलावा अगर आप अपने विरोधियों को ज्यादा महत्व न देकर उन्हें भुलाए रखते हैं तो इससे भी आपके मन पर बुरे विचार हावी नहीं होते और आपका मन आपके नियंत्रण में रहता है।
जब भी आप यह समझे कि आपके विरोधियों की तादाद बढ़ रही है तो भौतिक विज्ञान के उस सिद्धांत पर गौर करें कि यदि जमीन किसी का विरोध ना करें तो उसका जमीन पर चलना फिरना दूभर हो जाएगा। मतलब ये कि भौतिक विज्ञान के दृष्टिकोण से जमीन जब किसी चक्के का विरोध करती है तो ही वह आगे बढ़ सकता है।
इसी सिद्धांत को अपने जीवन में भी लागू करें। इसका आशय यह नहीं यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप जीवन में अपने दुश्मनों की तादाद बढ़ाते चलें बल्कि इसका आशय यह है कि आपके दुश्मन या आपके प्रति नकारात्मक विचार रखने वाले लोग अगर बढ़ रहे हैं तो इशारा यह है कि आप सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। आपको लोगों की निंदा की आलोचना की कोई परवाह नहीं होनी चाहिए क्योंकि पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं जो फलों से लदा हुआ हो।
खुश रहने की डालें आदत
अपने जीवन में आ रही विपत्तियों और मुसीबतों से कभी ना घबराएं। यह याद रखें कि जब आपने इस संसार में कदम रख ही दिया है तो किसी मुसीबत से पूरी तरह छुटकारा नहीं पा सकते।
इसी के साथ यह भी याद रहे कि उतार चढ़ाव जीवन का हिस्सा का हिस्सा हैं जिससे दुनिया का हर इंसान कम बेशी प्रभावित रहा करता है। इसलिए मुसीबतों के लिए आप कोई नए नहीं हैं। विपत्तियों का सकारात्मक पहलू यह है कि वह इंसान के हौसले और आत्मविश्वास की जांच कर उसे और अधिक सुदृढ़ एवं मजबूत बना देती हैं।
आप अगर विपत्तियों से घबराने लगेंगे तो यह आपको अंदर से तोड़ कर रख देंगी। आप केवल सब्र एवं संयम का प्रर्दशन करते हुए इसके बेहतर पहलुओं पर गौर करने और जीवन के कठोर से कठोर हालात का मुकाबला करने का प्रयास करते रहें।
क्योंकि धीरज और संयम वो हथियार हैं जिन्हें इस्तेमाल में लाकर हम किसी भी चुनौती का साहस के साथ मुकाबला कर सकते हैं।