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मई का महीना ~ Hindi Poem, Summer Season Poetry

Summer Poem, Mai Ka Mahina Hindi Poem, Summer Kavita

मई का महीना में

खिड़की पे बैठ कर चाय पीते हुए

भींगते हुए मौसम को देखना,
हाए,सुकून से भर जाता है दिल को।

हरियाली की खुशबू खिड़की से
कमरे पे आती है,
और खिड़की पे पड़ती बारिश की बूंदें, और उसके आवाज से
मैं रोमांच से भर जाता हूं।

चाहता हूं मैं बाहर जाऊं
नंगे पैर में थोड़े से गीली मिट्टी लग जाए भले,
मेरी 500 रुपए की टी शर्ट भींग जाए भले
लेकिन किसी मैं भींगू,
थोड़ा सा मैं कांप जाऊं भले
लेकिन खूब नाचूं।

सारी ख्वाहिशों को समेट कर रख लेता हूं,
अपने अंदर।
बस एक हाथ में चाय की गरम प्याली पकड़े हुए
दूसरे हाथ की हथेलियों से बारिश feel करता है,
मेरे अंदर का बचपन सिहर जाता है इतने से ही।

 

Best Hindi Poem On Sunset, Hindi Kavita

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एक sunset ऐसा भी हो,

जब सूरज डूब रहा हो

और ऐसा लगे जैसे हो कि वो नदी में घुल रहा हो।
और जैसे थोड़े रंग डालने पर
पानी गुलाबी हो जाता है,
वैसे ही मानो सूरज नदी के पानी के रंग बन गया हो।।

एक sunset ऐसा भी हो
जब एक ही बेंच पर हम दोनों बैठे हो,
भले मैं तुम्हारा हाथ ना पकड़ा रहूं,
भले तुम चाय पीना पसंद ना हो
लेकिन हम दोनों देख रहे हो
डूबते हुए सूरज को,
घर को लौटते चिड़ियों को,
आनंद ले रहे हो महकते फूलो का

एक sun set ऐसा भी हो,
वर्षों बाद जब भी तुमसे मुलाकात हो
बस हमारे पास एक दूसरे को सुनाने को ढेर सारी कहानियां हो,
शिकायतें नहीं,
मैं गोदी उन सारे पल के मोती बिखेर दूं,
जिन पलों को मैंने तुम्हारे बैगैर जिया हो,
तुम उस शाम को ,डूबते सूरज में
और उस नदी के पानी में
अपने हाथ के गाजर के हलवे का स्वाद,मैग्गी की खुशबू
बस घोल दो।

एक sunset ऐसा भी हो
जब मेरे और तुम्हारे बीच सिर्फ बातें हो,
और बातों के आंगन में यादों की चिड़िया चहचहा रही हो,
उन बातों में एक हंसी भी मिली हो,
और तुम्हारा वो वाला smile जो तुम cute सी फेस बना कर करती हो।
एक sun set ऐसा भी हो

 

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