जीवन हैं ही हार जीत का खेल, जो हार गया समझ लो वही जिंदगी की जंग जीत गया, क्योंकि अक्सर जीतने वालों को ही जीत की कीमत समझ नहीं आती, हाल ही में #TokyoOlympics2021 खेलो में भारतीय खिलाडीयों के प्रदर्शन काबिलेतारीफ हैं, कुछ खेलो को छोड़ कर सभी में भारतियों ने अपना परचम लहराया हैं, असफलता के बावजूद करोडो के दिलो में जगह बनायीं हैं।
जो लोग अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा असफल होते हैं, वे ही असली जीवन का महत्व समझ पाते हैं और उन्हें भली-भांति यह भी समझ आ जाता है कि वे अपने जीवन में क्या कर सकते हैं, क्या नहीं?
और अंत में वही लोग अक्सर अपने जीवन में सफलता की मंजिल तक पहुंचते हैं। ऐसे ही लोग अपने जीवन में अपनी मर्जी के पसंदीदा कार्यों को करने में व्यस्त रहते है।
हमारे समाज में यह धारणा रहती है कि जब भी कोई व्यक्ति कुछ नया करने का प्रयास करता है तो लोग उसे टोकते हैं।
उसे सलाह दी जाती हैं कि तुम्हें ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए।
जैसे अगर तुम इस कार्य को करते हो तो तुम्हें यह नुकसान हो सकता है। उनसे होने वाले नकारात्मक परिणामों पर उसका ध्यान खींचते हैं।
और इस सलाह के साथ यह तर्क देते हैं कि हम तुम्हारे अच्छे भविष्य के लिए ही सोच रहे हैंl
पर असल में वे लोग हमारे अच्छे भविष्य नहीं बल्कि एक घटिया भविष्य के बारे में सोचते हैं ताकि हम अपनी मंजिल तक पहुंचने में असमर्थ हो जाए।
और जब हम अपनी मंजिल में नहीं पहुंच पाते तो ऐसे लोग मन ही मन बेहद प्रसन्न होते है।
वे अपने बुरे से चेहरे को लेकर हमारे सामने बैठ जाते हैं,और कहने लगते हैं, हमें भी अफसोस है कि तुम सफल नही हो सके ।
आज के इस प्रतिस्पर्धी युग में दुनिया में हर कोई एक दूसरे को हराना चाहता है और हर कोई अन्य लोगों को उनके लक्ष्य की राह से भटकाना चाहते हैं ।
बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जो लोग हारने के बाद भी एक नई उम्मीद के साथ अपने लक्ष्य की ओर फिर से नए रास्तों को साफ करके आगे बढ़ते हैं।
अधिकतर लोग अन्य लोगों इशारों पर अपना जीवन चलाते हैं और कठपुतली के समान उनके इशारों पर ही नाचते हैं।
पर हमें ऐसा करने की बजाय एक अच्छे जीवन के लिए और अपनी मंजिल में पहुंचने के लिए अपने जीवन में हमेशा ही लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए।
भले ही हमें उस लक्ष्य तक पहुंचने में देर लग जाए परंतु कभी भी दूसरों की बातों को सुनकर अपने लक्ष्य को बदलना नहीं चाहिए।
अगर कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है तो उसे उसका लक्ष्य अवश्य ही प्राप्त हो जाता है भले ही वह उसकी किस्मत में ना हो परंतु वह मेहनत के बल पर उसे अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना लेता है।
और एक सफल व्यक्तित्व का उदाहरण देता है।
कोई भी इंसान तब तक नहीं हारता जब तक कि वह अपने मन से हार न मान ले।
हारने का अर्थ यह नहीं कि आप उस काम को नहीं कर सकते या नहीं जीत सकते बल्कि एक हार आपको अपने खेल को, खुद को कल से बेहतर बनाने की सीख देती है।
क्योंकि जब एक जंग के मैदान में जंग होती है तो उस जंग में 2 लोगों में से किसी एक को ही जीत मिलती है।
वह दूसरा व्यक्ति जो हारा हुआ होता है वह वास्तव में हारा हुआ नहीं बल्कि कुछ कमियों के कारण जंग नहीं जीत पाता।
अगर उस जंग के मैदान में शायद वह व्यक्ति जो लोगों की नजरों में हारा है, वह जंग के मैदान में आता ही नहीं तो दूसरा व्यक्ति जीत भी नहीं पाता। इसलिए जो व्यक्ति अभी इस जंग में लोगों की नजरों में हारा हुआ है वह हारा हुआ नहीं बल्कि एक महान व्यक्ति है, कुरुक्षेत्र के मैदान में लाखों लोग मारें गए थे, लेकिन उनको हारें हुए नहीं माना जा सकता।
जिसने इस जंग में प्रतिभाग करने का हुनर दिखाया। भले ही वह लोगों की नजरों में हारा हुआ हो सकता है।
क्योंकि असली योद्धा जानता है उसे अगली जंग में भी प्रतिभाग करना है, अगर वह हार मान लेगा तो हो सकता है कि अगली बार जंग के लिए कोई दूसरा व्यक्ति मिले ही ना।
हमें अपनी आखिरी सांस तक कभी भी इस लड़ाई या खेल को खेलने से कभी नहीं डरना चाहिए जिसे जीतने की काबिलियत या हुनर हमारे अंदर हो।
क्योंकि जिंदगी की यह सच्चाई रही है कि इस दुनिया में अक्सर लोग हारने के बाद ही जीतते हैं।
जो लोग लगातार जीतते हैं उन्हें अपनी जीतने की कीमत पता नहीं होती, कहे तो वे लोग हारने वाले से भी ज्यादा हारे हुए होते हैं।
आज आपको ऐसी ही छोटी सी कहानी का उदाहरण देकर एक लड़के के जीवन के बारे में बताएंगें जो लोगों की नजरों में हारा हुआ होता है परंतु वह कभी भी खुद को हारा हुआ महसूस नहीं करता
और वह लड़का अंत में अपनी मंजिल में पहुंच ही जाता हैं
एक गांव में छोटा सा बच्चा था, जिसका नाम रोहन था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था। उसका जीवन भी साधारण से परिवार में गुजरा था। एक दिन TV में इंडियन आर्मी के सैनिक को देखकर के मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि उसे भी बड़ा होकर इंडियन आर्मी में ही जाना है।
वह उम्र के साथ अत्यधिक मेहनत भी करता और इंडियन आर्मी की तैयारी भी करने लगा। रोहन दौड़ने में फुर्तीला था इसका कारण बचपन से किया गया कठिन परिश्रम था।
वक्त यूं ही धीरे-धीरे गुजरता गया और रोहन भी बड़ा होता चला आया। जब रोहन 16 साल का हुआ तो अब उसकी भर्ती के लिए मात्र 2 वर्ष शेष रह गई जिसे देखते हुए उसने दुगनी मेहनत करनी शुरू कर दी।
रोहन शारीरिक रूप से हष्ट पुष्ट था क्योंकि वह फिजिकली फिट होने के लिए घर के काम भी करता था। जिसके कारण उसके माता-पिता भी उसके कार्यों को देख कर खुश रहते थे।
परंतु बचपन से ही रोहन के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह बढ़ती हुई उम्र के साथ और बढ़ती हुई जिम्मेदारियों को निभाने के कारण अपनी शिक्षा को ज्यादा वक्त नहीं दे सका, जिस कारण वह पढ़ाई लिखाई में कमजोर होता गया।
इसलिए गांव के अन्य लोग उसे यही कहा करते थे, कि तुम इंडियन आर्मी में भर्ती नहीं हो सकते क्योंकि उसका पेपर पास करना तुम्हारे लिए अत्यधिक कठिन हो जाएगा ।
लेकिन रोहन को खुद पर विश्वास था और वह अपनी मेहनत दुगनी रफ़्तार से करता गया उसने कभी भी अन्य लोगों की बातों में उसने ध्यान नहीं दिया।
वह हर वक्त यही सोचता कि बस उसे अपनी मंजिल पर पहुंचना है, भले ही लोग उसे कितनी ही बातें क्यों ना सुनाये।
रोहन बड़े जुनून के साथ अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहा था। वक्त गुजरते गुजरते 1 दिन ऐसा भी आ गया, जिस दिन रोहन की भर्ती सामने आ गई और उसने अत्यधिक उत्साह के साथ उस भर्ती में प्रतिभाग किया।
वह अपनी मेहनत के बल पर परीक्षा तक पहुंच गया और फिर वैसा ही हुआ जैसा गांव वाले रोहन से कहा करते थे, वह परीक्षा को पास नहीं कर पाया और उसने अपने जीवन का एक बहुत ही बड़ा मौका गवा दिया।
भर्ती स्थल से घर आने के बाद अब रोहन जब भी घर से बाहर आता तो उसे गांव वालों की बातें सुनकर बेहद दुख होता। जिससे अंदर ही अंदर वह टूट जाता है।
लेकिन वह निर्णय लेता है कि मैं इस तरह निराश नहीं बैठा रहूंगा, मैं भले ही एक मौका खो चुका हूं लेकिन आने वाली भर्ती में अपनी जी जान लगाकर जरूर भर्ती होऊंगा।
वह अपनी हिम्मत एकत्र करके फिर से अगली भर्ती की तैयारी करने लगा।
कुछ महीने बीते और दिसंबर के महीने में एक और भर्ती आने वाली थी। अभी तक गांव में किसी को भी यह भनक तक नहीं लगी कि रोहन इस बार लिखित परीक्षा की पूरी तैयारी कर चुका है। इसलिए गांव वाले रोज रोहन को यही बात कहकर चिढाने लगते कि तुम खाली बेकार की मेहनत किसके लिए और क्यों कर रहे हो?
रोहन के अंदर जल रही उस आग को कोई भी नहीं समझ सका। वह हर किसी की नजरों में एक हारा हुआ व्यक्ति था। जो आर्मी की लिखित परीक्षा को पास नहीं कर पाया।
रोहन दूसरी बार की भर्ती के लिए पूरी तैयारी करता है। वह गांव वालों की छोटी मोटी बातों पर ध्यान नहीं देता और ना ही उसे उनकी बातों से फर्क पड़ता है।
भले ही वह सबकी नजरों में हारा हुआ है लेकिन खुद की नजरों में नहीं
जब आर्मी की दूसरी भर्ती आती है तो इस बार रोहन अपनी मेहनत के कारण और हुनर के साथ भर्ती हो जाता है।
इस प्रकार रोहन लोगों की नजरों में हार कर भी खुद जीत के सफर को अकेला तय करता है। और अंत समय में अपनी मंजिल पर पहुंचकर अंततः खुद की मेहनत से वह जीत जाता है।
सीख-
हमें इस छोटी सी कहानी से यह सीख मिलती है कि भले ही हम अपने जीवन में अपने कार्यों को करते करते कितनी ही बार क्यों ना हार जाएं, हमें अपनी इस छोटी सी हार के कारण कभी भी खुद को कमजोर समझकर हार नहीं माननी चाहिए।
क्योंकि मंजिल अक्सर उसी को मिलती है जो हार कर भी जीत की उम्मीद रखता है।
क्योंकि दोस्त हारने के बाद जो जीत हमें मिलती है,उसी से हमें अपनी मेहनत की कीमत समझ आती है।
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बहुत ही अच्छा और प्रेरक लेख लिखा है आपने महेश जी सचमुच जीतने के लिये कभी-कभी हारना भी पड़ता है और जिद और जूनून भी उतने ही जरुरी हैं जीवन में आगे बढ़ने के लिये