दुनिया का कोई भी इंसान हो, उसकी प्रवृत्ति में यह बात जन्मजात रूप से शामिल रहा करती है कि वह जिस मिट्टी से पैदा हुआ और जहां की मिट्टी में अपने हाथ सान कर बचपन से जवानी के पड़ाव तक पहुंचा, वहां की मिट्टी से उसे कुछ खास और आंतरिक लगाव हो जाता है।
यह एक ऐसी भावना है जो प्राकृतिक रूप से दुनिया के हर इन्सान में मौजूद रहा करती है। इसी भावना के चलते वह अपने गांव, कस्बे, शहर या समूचे राष्ट्र को विश्व के अन्य देशों पर महत्व देता है। वह चाहता है कि उसका देश विश्व के अन्य देशों के मुकाबले हर मैदान में शीर्ष पर रहे और दुनिया भर के लोग उसके देश को प्रतिष्ठा और सम्मान की नजर से देखें।
देश के प्रति इस प्रकार की भावना को ही हम राष्ट्र-प्रेम कहते हैं। लेकिन इस देश के प्रति उसके नागरिकों के कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्य वह भी होते हैं जिसका पालन कर कोई नागरिक अपने राष्ट्र से अगाढ़ प्रेम का सबूत पेश कर सकता है।
आइए जानते हैं कि वह कौन से ऐसे कर्तव्य हैं जिनका पालन करना देश के हर नागरिक पर अति आवश्यक है और जिसके पालन करने से ही देश की उन्नति एवं विकास के जाम पहिए हरकत में लाए जा सकते हैं।
1. संविधान और उसमें दर्ज कानून का पालन
दुनिया के हर देश में शासन चलाने के लिए कुछ ऐसे तौर तरीके होते हैं जिसका पालन करना हर नागरिक पर समान रूप से अनिवार्य होता है। यही तौर तरीके संविधान कहलाते हैं जिसमें दर्ज कानून का पालन करना किसी भी नागरिक का परम कर्तव्य होता है।
हालांकि इसकी कोई निश्चित समय सीमा नहीं है कि आखिर उम्र के किस पड़ाव पर जाकर कोई नागरिक अपने देश के संविधान का पालन करेगा? संविधान और कानून का पालन करना किसी भी देश के नागरिक की नैतिक और सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
संविधान ने हर नागरिक को कुछ ऐसे अधिकारों से लैस किया है जो उसका जन्मसिद्ध अधिकार हैं। उस अधिकार को छीनने वाला दंड संहिता के अंतर्गत सज़ा का भोगी करार दिया जाता है।
इस संबध में एक पश्चिमी बुद्धिजीवी गिलक्राइस्ट की मान्यता के अनुसार,
“संविधान लिखित और मौखिक विधियों व नियमों का एक ऐसा संग्रह है जिस पर विश्व के किसी भी देश के शासन व्यवस्था की नींव रखी जाती है। इसी शासन से जुड़े अनेक अंगों (राज्यों) के बीच शक्तियों का विभाजन किया जाता है। संविधान में कुछ सिद्धांत होते हैं जिसके आधार पर ही शक्तियों का उपयोग किया जाता है।”
इसलिए दुनिया के प्रत्येक राष्ट्र के संविधान का पालन करने वाले नागरिक के लिए उसकी रक्षा सुरक्षा करते रहना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी समझी जाती है।
उदाहरण के तौर पर अपने नागरिकों में से चोरी करने की इजाजत दुनिया का कोई भी संविधान नहीं देता। अगर कोई चोर चोरी करता है तो वह साफ तौर पर सामने वाले के अधिकारों का हनन कर रहा है क्योंकि वह संपत्ति उसने अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई से इकट्ठा की थी जिस पर वह चोर नाजायज तौर पर अपना कब्जा जमाना चाहता है।
संपत्ति से जुड़े इस अधिकार को छीनने पर उस चोर को संविधान में दर्ज कुछ प्रावधानों के तहत पुलिस या अदालत के द्वारा सजा का भोगी करार दिया जाता है। यही किसी लोकतांत्रिक संविधान का असल फायदा है कि वह देश के हर नागरिक को उसके अधिकारों के साथ स्वतन्त्र रूप से जीवन यापन करने की इजाज़त देता है।
2. देश और उसके नागरिकों के प्रति निष्ठा, सम्मान और वफादारी की भावना रखें
पूरे देश को एक परिवार और अपने देश के नागरिकों को राष्ट्र रूपी इस विशाल परिवार का सदस्य समझें और उनके साथ निष्ठा, ईमानदारी, सम्मान एवं सहयोग का रवैया अपनाएं।
जब कोई नागरिक अपने देश को उन्नति एवं विकास के पथ पर आगे करने और उसे भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा, अपराध और बेरोजगारी जैसी गम्भीर समस्याओें से मुक्ति दिलाने की महत्वाकांक्षा करता है तो उसी समय अपने विचार को हकीकत का रूप देने के लिए यदि वह मेहनत और लगन से काम ले तो इसके सकारात्मक नतीजे भी भविष्य में ज़रूर बरामद होते हैं।
यह बात भी याद रहे कि किसी भी देश की वृद्धि और विकास के लिए उसका हर नागरिक आवश्यक रूप से ज़िम्मेदार होता है। जब देश के अक्सर नागरिकों को ये ज़िम्मेदारी हृदय तल से महसूस होने लगती है तो समझ लीजिए कि वह देश अब विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने लगा है।
इसके विपरीत यदि किसी देश के नागरिक अगर अपने ही कर्तव्यों की पहचान नहीं कर पाते तो इस प्रतियोगी दौर में वह देश दुनिया के अन्य देशों से काफी पीछे छूट जाता है। इसीलिए देखा जाता है कि विकसित देशों के नागरिक अविकसित या विकासशील देशों के नागरिकों के मुकाबले अपने कर्तव्यों के प्रति बेहद जागरूक और संवेदनशील रहा करते हैं।
उन्हें अपने अधिकारों के साथ देश के दूसरे नागरिकों के अधिकारों की भी अच्छी खासी समझ होती है जिसके आधार पर वह अपने देश के नागरिकों के हितों और अधिकारों को कभी ठेस नहीं पहुंचाते और शांतिपूर्ण एवं आपसी सहयोग के माहौल में अपने राष्ट्र को विकास के मार्ग पर डाल दिया करते हैं।
3. अपने मताधिकार को समझें
लोकतंत्र में लोगों की अक्सरियत जब किसी सरकार को अपने मताधिकार (Vote) से चुन लेती है तो वही सरकार देश का प्रतिनिधित्व (Represent) करती है। मतलब ये कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश के नागरिकों की मर्जी और मंशा को ही सबसे ऊपर रखा जाता है।
इसलिए अपने मताधिकार के महत्व को गहराई से समझ कर उसे सही दिशा में इस्तेमाल करना भी देश के सभी नागरिकों का कर्तव्य है।
4. सरकारी नियमों को भी दें सम्मान
किसी भी देश में जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार यह कभी नहीं चाहेगी कि वह सत्ता में आने के बाद जनता पर कुछ ऐसे कानून लागू कर दे जिससे उनका शोषण या उत्पीड़न होता रहे।
सरकार की यह मंशा होती है कि वह हर सम्भव प्रयास कर अपने नागरिकों के हितों की परवाह करे ताकि आने वाले चुनाव में जनता उस पर जान लुटाकर एक बार फिर अपने भारी मतों से विजयी बनाकर उसे सत्ता और शासन की कुर्सी पर बिठा दे।
यही व्यवस्था और चुनाव की प्रक्रिया ही लोकतन्त्र की खूबसूरती है। सरकार हमेशा नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर ही कोई कानून बनाया करती है, इसलिए नागरिकों का भी यह कर्तव्य है कि वह सरकार के बनाए हुए नियम और कायदा कानून का अनुसरण करते रहें।
हर बात पर सरकार को ज़िम्मेदार ठहराना और पर चीखना, चिल्लाना या शोर मचाना किसी सभ्य एवं सुशील नागरिक का काम नहीं है। हां! नागरिक तब सरकार के खिलाफ़ विरोध जरुर दर्ज करा सकते हैं जब उन्हें साफतौर पर यह नज़र आने लगे कि सरकार उनके भविष्य, शिक्षा, रोजगार, भ्रष्टाचार व गरीबी उन्मूलन सम्बंधी विषयों की ओर कोई खास ध्यान नहीं दे रही।
5. अपराध की दुनिया में कभी ना रखें कदम
अपराध हमेशा देश और उसके नागरिकों के प्रति समर्पण भाव, कर्तव्य और निष्ठा की कमी की वजह से जन्म लेते हैं। इसके अलावा भी ज्यादातर मामलों में अपराध लोगों की मजबूरियों से जुड़े होते हैं।
समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इसे व्यवसाय का रुप देकर पेशेवर तरीके से अंजाम देते हैं जो उससे भी बड़ा यानि जघन्य अपराध है। एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक अपने देश के नागरिकों के अधिकार या उनकी व्यक्तिगत सम्पत्ति और मान सम्मान से कभी छेड़छाड़ नहीं करता।
वह स्वयं भी अपराध से दूर रह कर लोगों को भी उससे फासले बरतने की नसीहत करता है क्योंकि उसे अपराध के दुष्परिणाम का अच्छी तरह ज्ञान होता है कि कैसे अपराध या अधिकारों का हनन लोगों के जीवन को अंधकारमय बना सकता है। क्योंकि एक ओर जहां अपराध से इंसानी जान खतरे में पड़ती है वहीं इससे पीड़ित व्यक्ति को गम्भीर आर्थिक क्षति एवं नुकसान का भी सामना करना पड़ता है।
इंटरनेट के इस दौर में जहां दुनिया एक वैश्विक गांव का रूप धारण कर चुकी है, अपराध का ग्राफ भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है जहां कुछ जालसाज लोग सामान्य लोगों को अपने जाली दस्तावेजों की सहायता से धोखा देने की फिराक में रहते हैं। जानकारी होने पर समाज के दूसरे लोगों को ऐसे संदिग्ध और चालबाज व्यक्तियों को जागरूक करना और उन्हें ऐसे लोगों की चालबाजी से बचाना भी एक नागरिक का फर्ज है।
6. शिक्षा के प्रति करें जागरूक
किसी भी देश में जन सामान्य की जागरूकता, रोज़गार सृजन, विवेकशीलता और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए उसके नागरिकों का शिक्षित होना बेहद जरूरी है।
अपने देश के नागरिकों को शिक्षा और अध्ययन कार्यों के प्रति जागरूक करना भी एक ज़िम्मेदार नागरिक की अलामत (Symptom) मानी जाती है। शिक्षा वह प्रकाश है जिसके सहारे अज्ञानता और सामाजिक कुरीतियों से भी निजात पाई जा सकती है।
आपने भी इस बात का अनुभव किया होगा कि एक शिक्षित और सभ्य व्यक्ति को अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों में कोई खास दिलचस्पी और लगाव नहीं होता बल्कि वह हर बात तथ्यों और सबूतों के आधार पर ही कबूल करता है।
इस प्रकार की मानसिकता से समाज को नकारात्मक रवैये और सोच से भी निजात मिलती है। इसलिए देश के नागरिकों का झुकाव झूठ और अंधविश्वास से कहीं ज्यादा तथ्यों और तर्कों की ओर होना चाहिए ताकि एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण अमल में लाया जा सके।
7. देश की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के लिए दूसरों को प्रेरित करें
किसी भी देश में जब तक एकता, अखंडता और संप्रभुता का माहौल नहीं होगा, उस देश में विकास एवं निर्माण के रथ को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
देश में अमन, शांति और सौहार्द के माहौल के बीच ही एक सभ्य और बेहतर संस्कृति वाले समाज का निर्माण होता है। इसलिए एक सभ्य नागरिक का कर्तव्य ये भी है कि वह अपने आसपास के माहौल में सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द को बनाए रखने के लिए जहां पूरी लगन के साथ जी तोड़ मेहनत करता रहे, वहीं इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वह समाज के अन्य लोगों को भी प्रेरित करता है।
वह यह बखूबी समझता है कि सांप्रदायिक हिंसा, अराजकता या उन्माद किस तरह किसी भी देश को भारी नुक्सान पहुंचा कर उसे अतीत में ही कहीं पीछे छोड़ आते हैं और उस देश को संभलने में कितना समय दरकार होता है।