अदिति जिसकी शादी लगभग 12 साल पहले हो चुकी है। वह एक स्मार्ट, सुंदर और कुशल गृहणी है जो हर काम बहुत ही सोच समझ कर करती है। पिछले कुछ सालों से उसने अपनी जॉब छोड़ दिया है क्योंकि घर में सास ससुर की देखभाल करना उससे ज्यादा पसंद आता है जहां सास ससुर भी उसे एक बेटी की तरह प्यार करते हैं।
पति प्रशांत भी अदिति से प्यार करता और हमेशा उसकी इज्जत किया करता था। ऐसी कोई भी चीज नहीं थी जो अदिति के पास ना हो या अदिति बोले और उसे ना मिले सिवाय उसका खुद का बच्चा।
पिछले 12 सालों से जहां वह खुद को लोगों के सामने ऐसे दिखाती जैसे वही सबसे समझदार और कुशल गृहिणी हैं लेकिन उसकी सच्चाई उसका तकिया था जो रात में अदिति के आंसुओं से भीग जाया करता था। जब भी वह अपनी बालकनी में खड़े होकर किसी मां और बच्चे को देखती है, तो उसके अंदर से ममता जाग उठती और वह आंखों में आंसू लिए अपने काम में लग जाती है।
प्रशांत- कब तक तुम दुखी होती रहोगी? मैंने तो तुमसे कह दिया है कि तुम फिर से अपनी जॉब ज्वाइन कर लो लेकिन तुम समझती ही नहीं हो।
अदिति- जॉब करने में भी तो मेरा मन नहीं लग रहा था। ऐसा महसूस होता था कि जल्द से जल्द घर चले जाए और घर आती थी तो मुझे बेचैनी होती थी।
प्रशांत- तुम एक काम क्यों नहीं करती तुम मेरा बिजनेस जॉइन कर लो। कम से कम तुम्हारा मन लगने लगेगा लेगा। (समझाते हुए)
सासू मां- हां बेटा मैं भी यही चाहती हूं कि तुम बिजनेस ही ज्वाइन कर लो इतनी समझदार हो जरूर तुम अच्छा काम करोगी। उस दिन जब उषा अपने बेटे को लेकर आई थी तब मैंने तुम्हारी ममता देख ली जो तुम्हारी आंखों से बह रही थी।
मैं जानती हूं भगवान ने तुम्हारे साथ सही नहीं किया लेकिन तुम खुद को कमजोर मत बनाओ हम तुम्हारे साथ हैं। (प्यार से)
अदिति ऐसी बातों से और भी भावुक हो जाती और उसने बिजनेस ना करने की इच्छा जताई। ऐसे में ससुर जी ने उसका पूरा साथ दिया और उन्होंने कहा – कोई बात नहीं जैसा मन अदिति का होगा वैसा ही वह करेगी।
दिन बीते चले जा रहे थे और अदिति की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। बार-बार उसे सपने आते थे जैसे कोई बच्चा उसे मां कहकर बुला रहा हो। कल अदिति की बहन के ससुराल में गोद भराई का फंक्शन था जिसमें अदिति को भी परिवार सहित जाना था हालांकि उसका मन नहीं था लेकिन अपने स्वभाव के अनुसार वह जाने के लिए तैयार हो जाती है।
फंक्शन में कई सारे रिश्तेदार आए होते हैं और सभी लगातार अदिति को देख रहे होते हैं। जैसे ही अदिति बहन की सास के पास जाती है, तो वह कहती हैं- बेटा तुम तो इतनी सज धज कर आई हो जैसे तुम्हारी ही गोद भराई हो। ( ताना मारते हुए)
अदिति- जी मेरी ना सही लेकिन मेरी बहन की तो है ना और मैं उस बच्चे की मौसी मां हूँ, तो तैयार होना तो बनता है ना।
बहन की सास- मासी मां और मां में बहुत फर्क होता है। मैं तो कहती हूं तुम भी जल्दी मां बन जाओ तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
पिछले 12 सालों से अदिति को जिस बात का इंतजार था आज बार-बार लोग उसी बात को करके उसके दिल को दुख पहुंचाते थे। उसने उस दर्द को समेटकर मुस्कुराहट के साथ मेहमानों का स्वागत किया और फंक्शन में काम करती रही।
उसके दुख को प्रशांत बहुत अच्छे से समझ रहा था लेकिन उसे यह बात अच्छी नहीं लगी कि इतनी खुशी मन से जब वहां आई है, तो लोग उसकी खुशी में बिल्कुल खुश नहीं है।
आज अदिति मार्केट गई हुई थी कि तभी एक छोटी सी बच्चा ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे मां कहकर पुकारने लगी। एक पल को तो अदिति को बहुत अच्छा लगा लेकिन वह जानती थी कि यह उसका बच्चा नहीं फिर भी उस बच्चे को गोद में लेकर कहती है- मैं तुम्हारी मां हूं।
बच्चा- हां
तभी पीछे से बच्चे की मां आकर गोद में लेती है और कहती है- धन्यवाद आपने इसे पकड़ लिया वरना यह तो इतना शैतान हो गया है कि यहां वहां भागता रहता है।
अदिति ने मुस्कुराते हुए बच्चा दे दिया। 1 दिन की बात है प्रशांत ने अदिति को कहा- कल सुबह तुम तैयार हो जाना मैं तुम्हें एक सरप्राइज देना चाहता हूं।
अदिति मजाक करते हुए- सरप्राइज और आप? यह शब्द आपके मुंह से बड़ा अजीब लग रहा है।
प्रशांत मन ही मन खुश हो जाता है और अदिति को दूसरे दिन कार में बैठाते हुए कहता है- इस सरप्राइज को तो तुम जिंदगी भर याद रखोगी।
अदिति- मुझे तो बहुत ही बेचैनी हो रही है और समझ नहीं आ रहा है और जिस रास्ते पर हम जा रहे है। वहां तो पहले कभी हम गए ही नहीं हैं।
प्रशांत- अरे थोड़ा सब्र तो करो। वह तुमने सुना है ना सब्र का फल मीठा होता है।
प्रशांत एक ऐसी जगह पर ले जाकर गाड़ी रोक देता है इसके बारे में अदिति को मालूम ही नहीं। अब वह अदिति को कार से उतारकर उसकी आंखों में पट्टी बांध देता है और उसका हाथ पकड़कर आगे की ओर ले जाता है।
आदिति- क्या बात है मुझे तो थोड़ा हिंट तो दे दो। मेरा बर्थडे और एनिवर्सरी तो है नहीं तो फिर आप ऐसा क्या सरप्राइस दे रहे हैं?
प्रशांत- 2 मिनट के लिए चुप रहो तो।
धीरे-धीरे प्रशांत अदिति का हाथ पकड़कर आगे की ओर ले जाता है जहां अदिति को थोड़ी हलचल महसूस होती है। जैसे ही वह गेट के अंदर जाती है तब प्रशांत आंखों से पट्टी हटाता है।
प्रशांत- अब तुम देख सकती हो।
जैसे ही अदिति के आंखों से पट्टी हटती है, तो उसे बहुत ज्यादा आश्चर्य होता है और वह प्रशांत को देखने लगती है।
प्रशांत;- यही हमारी मंजिल है।
अदिति- लेकिन यह तो…
प्रशांत:- हां तुमने सही समझा यह एक अनाथ आश्रम है, जहां हमारी बच्ची रहती है और अब उसे हम अपने घर लेकर जाएंगे।
अदिति- यह आप क्या कह रहे हैं और यह सब आपने कब किया?
उसी समय प्रशांत इस प्यारी सी बच्ची को गोद में लेकर अदिति को कहता है- यह हमारी बेटी है। है ना बहुत प्यारी।
उसे देखकर जैसे ही अदिति ने गोद में लिया तो उसके आंसू गिरने लगे और उस बच्ची को अदिति सीने से लगा दिया।
प्रशांत- मैं तुम्हें ज्यादा दुखी नहीं देख सकता था इसलिए मैंने यहां से एक बच्चा गोद लेने के बारे में सोचा जो हमारे जीवन के सूनेपन को दूर कर दे और तुम्हारे चेहरे की खुशी को वापिस ला दे।
मैं इतने दिनों से इसी कोशिश में था कि जल्द से जल्द हमें एक प्यारा सा बच्चा मिल जाए। आज वह दिन है जब मैं तुम्हारे चेहरे पर वही खुशी देख पा रहा हूं जिसे मैं देखना चाहता था।
अदिति- आज मैं मां बन गई। मेरी 12 साल की तपस्या पूरी हो गई। ( रोते हुए)
घर जाते ही अदिति ने सबसे पहले सास ससुर का आशीर्वाद लिया क्योंकि वही लोग थे जिन्होंने अदिति का साथ आज तक दिया था और उसके दुख में भागीदार बने थे।
ससुर- बेटा तुम्हारा यह निर्णय हमें बहुत पसंद आया। भगवान ने जो कमी तुम्हें दी तुम उस कमी को एक इस बच्ची के माध्यम से पूरी कर सकते हो। दुनिया में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन को हमारी वजह से खुशी मिल सकती है और इस प्यारी सी बच्ची को गोद लेकर तुम लोगों ने एक नेक काम किया है।
अगर हर निसंतान दंपत्ति इसी तरह किसी बच्चे को गोद ले तो इससे बड़ी खुशी और कोई नहीं हो सकती।
अदिति और प्रशांत उस बच्ची के साथ बहुत खुश हैं जहां अदिति अब व्हाट्सएप और फेसबुक में अपनी बेटी की फोटो डाल कर लोगों के साथ खुशियां बांट रही है और दूसरी तरफ उन सभी लोगों ने भी आकर अदिति को बधाइयां दी जिन्होंने कभी उसका मजाक उड़ाया था।
अदिति पहले की तरह खुश मिजाज हो चुकी थी और उसके इस रूप को देखकर प्रशांत भी काफी खुश था।
दोस्तों इस दुनिया में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनके बच्चे नहीं होते हैं। ऐसे में अगर वह लोग किसी एक मासूम बच्चे को गोद लेकर उसकी जिंदगी सवारते हैं, तो यह उनकी जिंदगी का सबसे महान काम होगा।
इसकी वजह से निसंतान दंपत्ति के जीवन में भी बड़ा बदलाव आता है साथ ही साथ उस मासूम बच्चे को भी एक परिवार मिलता है, जिसके माध्यम से खुशियां बांटी जा सकती हैं।
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